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इस लेख में हम स्वर संधि (Swar Sandhi) के बारे में चर्चा करेंगे। एंव विभिन सवालो के जवाब जानेंगे जैसे स्वर संधि
किसे कहते है। स्वर संधि के भेद एंव स्वर संधि के उदाहरण क्या है।स्वर संधि के कितने भेद होते है। swar sandhi ke kitne bhed hote hain स्वर संधि की परिभाषा (Swar Sandhi ki Paribhasha)दो स्वरों के मेल से उत्पन्न हुआ विकार स्वर संधि कहलाता है। यह विकार छह रूपों में आ सकता है इसलिए स्वर-संधि के छह प्रकार हैं- (1) दीर्घ संधि, (2) गुण संधि वधि संधि, (4) यण संधि, (5) अयादि संधि, (6) स्वर संधि के कुछ विशेष रूप। स्वर संधि के भेद (Swar Sandhi ke Bhed)1. दीर्घ संधि :-जब एक ही स्वर के दो रूप ह्रस्व (अ, इ उ) और दीर्घ (आ, ई, ऊ ) एक दूसरे के बाद आ जाएँ तो दोनों मिलकर उसका अ/आ + अ/आ = आ (ा)
इ/ई + इ/ई = ई ( ी)
उ/ऊ + उ/ऊ = ऊ ( ू )
2. गुण संधि-गुण संधि में दो भिन्न-भिन्न स्थानों से उच्चारित होने वाले स्वरों के बीच संधि होती है और उसका परिणाम यह होता है कि मिलनेवाले दो स्वरों से भिन्न
गुणवाला एक नया ही स्वर उत्पन्न हो जाता है। यदि अ आ के बाद इ ई आए तो ए, अ आ के बाद उ ऊ आए तो ओ तथा अ आ के बाद ऋ आए तो अर् हो जाता है।
3. वृद्धि संधि :-यदि अ आ के बाद ए ऐ आए तो ऐ तथा अ आ के बाद ओ औ आये तो औ हो जाता है। ऐ तथा औ स्वर वृद्धि स्वर कहलाते हैं अत: यह संधि वृद्धि संधि कहलाती है। अ/आ + ए/ऐ = ऐ ( ै)
अ/आ + ओ/औ = औ (ौ)
4. यण संधि-कुछ स्वर आपस में संधि करने पर किसी स्वर में बदलने के बजाय य व र आदि व्यंजनों में बदल जाते हैं। ऐसी संधियों को य् के नाम पर यण संधि कहा जाता है। दरअसल य का उच्चारण स्थान एवं उच्चारण प्रयत्न इ, ई के तथा व् के उच्चारण स्थान एंव उच्चारण प्रयत्न उ, ऊ के बहुत निकट है। इसी तरह ऋ और र में भी बहुत समीपता है। इसलिए इ ई उ ऊ और ऋ के बाद कोई भिन्न (असवर्ण) स्वर आए तो इ ई का य तथा उ, ऊ का व् एंव ऋ का र हो जाता है। यहाँ यह ध्यातव्य है कि इ/ई स्वर तो य में बदल जाता है किंतु इ/ई स्वर जिस व्यंजन के लगा होता है वह संधि होने पर स्वर-रहित हो जाता है । इसलिए यण संधि में य व् र के पहले के व्यंजन स्वर-रहित रहते हैं जैसे-अभि + अर्थी = अभ्यर्थी । अभ्यर्थी पहले भ् स्वर-रहित है। प्रायः य् व् र् से पहले स्वर रहित व्यंजन का होना या पहचान है।
5. अयादि संधि :-ए, ऐ , ओ , औ के बाद कोई (असवर्ण) स्वर आए तो वह अय ,आय ,अव ,आव हो जाता है।
6. स्वर-संधि के कुछ विशेष रूप(i) पहले शब्द के अंतिम स्वर का दीर्धीकरण-संस्कृत में कुछ शब्दों की संधि में पहले राब्द के अंतिम शब्द पर बल बढ़ जाता है और उसका ह्रस्व स्वर दीर्घ स्वर में बदल जाता है। स्वर संधि के उदाहरण (Swar Sandhi Udaharn)यहाँ स्वर संधि के उदाहरण दिए गए है। जिनकी सहायता आप कुछ अभ्यास कर सकते है।
Q .1 . स्वर संधि किसे है ?दो स्वरों के मेल से उत्पन्न हुआ विकार स्वर संधि कहलाता है। स्वर संधि का उदाहरण कौन सा है?दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर-संधि कहते हैं। उदाहरण : मुनि + ईश = मुनीश । ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश ।
संधि का उदाहरण कौन सा है?संधि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल'। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। जैसे – सम् + तोष = संतोष, देव + इंद्र = देवेंद्र, भानु + उदय = भानूदय।
स्वर संधि के पांच भेद कौन कौन से हैं?संधि एवं संधि के भेद. स्वर संधि (i) दीर्घ संधि (ii) गुण संधि (iii) वृधि संधि (iv) यण संधि (v) अयादि संधि. व्यंजन संधि. विसर्ग संधि. स्वर संधि की पहचान कैसे करें?स्वर संधि 5 प्रकार की होती हैं!
पहचान - जहा भी आपको 'आ' की मात्रा, 'ई' की मात्रा और 'ऊ' की मात्रा दिखे, समझ लो वहाँ दीर्घ स्वर संधि हैं। 2) गुण स्वर संधि - जहाँ भी अ या आ के साथ इ , ई , उ , ऊ या ऋ हो, तो वहाँ गुण स्वर संधि होगी। पहचान - जहाँ भी आपको 'ए' की मात्रा, 'ओ' की मात्रा और 'अर' दिखे, वहाँ गुण होगी ।
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