हिंदी साहित्य का इतिहास रामचंद्र शुक्ल पीडीऍफ़ फ्री डाउनलोड - hindee saahity ka itihaas raamachandr shukl peedeeaif phree daunalod

Hindi Sahitya Ka Itihas PDF literature written by Acharya Ramchandra Shukla is considered the most authentic and systematic history in the written history of Hindi literature so far. Acharya Shukla ji wrote it as the role of Hindi Shabdasagar which was later published as an independent book in 1921.

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लेखक रामचन्द्र शुक्ल – Ramchandra Shukla
भाषा / Language हिंदी
Genre / श्रेणी किताब
Size 2 MB

हिन्दी साहित्य के अब तक लिखे गए इतिहासों में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखे गए हिंदी साहित्य का इतिहास को सबसे प्रामाणिक तथा व्यवस्थित इतिहास माना जाता है। आचार्य शुक्ल जी ने इसे हिन्दी शब्दसागर की भूमिका के रूप में लिखा था जिसे बाद में स्वतंत्र पुस्तक के रूप में 1921 ई० में प्रकाशित आंतरित कराया गया।

हिंदी भाषा विश्व एवं भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। जिसका मूल संस्कृत भाषा को माना जाता है। लेकिन मध्यकालीन भारत के अवधि, मागधी, अर्धमगधी तथा मारवाड़ी जैसी कई भाषाओं के साहित्य को हिंदी भाषा का आरंभिक साहित्य ही माना जाता है। हिंदी में तीन प्रकार का साहित्य देखने को मिलता है गद्य, पद्य और चम्पू।

अगर बात की जाए हिंदी साहित्य की तो इसका आरंभ आठवीं शताब्दी से माना जाता है यह तब का समय है जब सम्राट हर्ष की मृत्यु के बाद छोटे-छोटे शासन केंद्र स्थापित हो गए। हिंदी साहित्य के विकास की आलोचक सुविधा के लिए इसे पांच ऐतिहासिक चरणों में विभाजित किया है जो कि निम्न है।

  • आदिकाल (१४०० ईस्वी पूर्व)
  • भक्ति काल (१३७५ से १७००)
  • रीति काल (संवत् १७०० से १९००)
  • आधुनिक काल (१८५० ईस्वी के पश्चात)
  • नव्योत्तर काल (१९८० ईस्वी के पश्चात)

अध्याय-1 हिंदी साहित्य का इतिहास

1. इतिहास दर्शन और साहित्सेतिहास

2. हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा और साहित्येतिहास के पुनर्लेखन की समस्याएं

3. हिंदी साहित्य का इतिहासः काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण

अध्याय-2 हिंदी साहित्य का आदिकाल

4. नामकरण और सीमा

5. आदिकालीन परिवेश

6. अदिकालीन साहित्य वर्गीकरण (सिद्ध साहित्य, जैन साहित्य, नाम साहित्य, रासो साहित्य)

7. आदिकालीन कविता की प्रवृत्तियाँ

8. गद्य साहित्य

9 आदिकालीन प्रतिनिधि रचनाकार

अध्याय-3 हिंदी साहित्य का भक्तिकाल

10. भक्तिकालीन परिवेश ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक 11. भक्ति आंदोलन 12. संत काव्य धारा वैशिष्टय और अवदान

13. सूफी काव्य धारा वैशिष्टय और अवदान

14. राम काव्य धारा वैशिष्टय और अवदान

15. कृष्ण काव्य धारा वैशिष्टय और अवदान

16. गद्य साहित्य

17. भक्तिकालीन काव्य की उपलब्धियां

18. भक्तिकाल : स्वर्ण युग

19. भक्तिकालीन प्रतिनिधि साहित्यकार

अध्याय-4 हिंदी साहित्य का रीतिकाल

20. नामकरण

21 रीतिकालीन परिवेशः ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक

22. रीतिकालीन दरबारी संस्कृति और लक्षण-ग्रन्थों की परम्परा

23. रीति के प्रर्वतक आचार्य

24. रीतिकालीन काव्यधाराएँ (रीतिबद्ध रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त)

25. रीतिकालीन काव्य की विशेषताएँ

26. गद्य साहित्य

27. रीतिकालीन प्रतिनिधि रचनाकार

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पुस्तक का विवरण / Book Details
Author Ramchandra Shukl
Category साहित्य / Literature, Literature, Uncategorized
Language हिंदी / Hindi
पुस्तक का डाउनलोड लिंक नीचे हरी पट्टी पर दिया गया है|
“जब हम कठिन कार्यों को चुनौती के रुप में स्वीकार करते हैं और उन्हें खुशी और उत्साह से निष्पादित करते हैं, तो चमत्कार हो सकते हैं।” ‐ अल्बर्ट गिल्बर्ट
“When we accept tough jobs as a challenge and wade into them with joy and enthusiasm, miracles can happen.” ‐ Arland Gilbert

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पुस्तक का नाम / Name of Book : हिंदी साहित्य का इतिहास / Hindi Sahitya Ka Itihas

पुस्तक के लेखक / Author of Book : रामचंद्र शुक्ल / Ramchandra Shukl

पुस्तक की भाषा / Language of Book : हिंदी / Hindi

पुस्तक का आकर / Size of Ebook : 34 MB

कुल पन्ने / Total pages in ebook : 808

पुस्तक डाउनलोड स्थिति / Ebook Downloading Status  : Best 

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पुस्तक का विवरण : आध्यात्मिक चिंतन अनिवार्य- जो लोग आध्यात्मिक चिंतन से विमुख होकर केवल लोकोपकारी कार्य में लगे रहते हैं, वे अपनी ही सफलता पर अथवा सद्गुणों पर मोहित हो जाते हैं | वे अपने आपको लोक सेवक के रूप में देखने लगते हैं | इस अवस्था में वे आशा करते हैं की सब लोग उनके कार्यों की प्रशंसा करें, उनका कहना मानें | उनका बढ़ा हुआ अभिमान उन्हें अनेक लोगो का शत्रु बन देता है | इससे उनकी लोकसेवा उन्हें वास्तविक लोक सेवक न बनाकर लोक विनाश का रूप धारण कर लेती है…………..

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Description about eBook : Essentially spiritual contemplation- Those who turn from spiritual contemplation and only engage in humanitarian work, They are deceived by their own success or virtues.At this stage they expect everyone to admire his work, he said, according.The increased number of people as an enemy gives them pride | Public Service by not making them public on their real public servant takes the form of destruction……………….

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One Quotation / एक उद्धरण

“पाल पर हवा न आ रही हो, तो चप्पू चलाएँ।”

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“If the wind will not serve, take to the oars.”

– Latin Proverb

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