निबन्ध किसे कहते हैं?

स्कूल और कॉलेज में आपको अक्सर निबंध लिखने को कहा जाता है। और बचपन में हम किसी भी टॉपिक पर जिस तरह से निबंध लिखते हैं, उसमें कोई खास शैली या अंग नहीं होता; बस जो मन में आ रहा होता है हम लिखते चले जाते हैं। तो चलिए आज थोड़े विस्तार से बात करते हैं कि Nibandh Kya Hota Hai? निबंध किसे कहते हैं?

वैसे आपमें से काफ़ी लोगों को लग रहा होगा कि हमें तो मालूम है, निबंध मतलब किसी भी चीज़ के बारे में व्याख्या करना। बिलकुल सही, लेकिन उसका एक साहित्यिक तरीक़ा होता है, अलग-अलग भाग होते हैं। और आज हम निबंध के प्रमुख तत्व, स्वरूप, प्रकार, लेखन शैली, महत्त्व और विशेषताओं के बारे में बात करेंगे।

  • Nibandh Kya Hota Hai?
    • निबंध किसे कहते हैं?
  • निबंध कितने प्रकार के होते हैं?
    • वस्तुपरक निबंध किसे कहते हैं?
    • वैयक्तिक निबंध किसे कहते हैं?
    • वर्णनात्मक निबंध किसे कहते हैं?
    • विवरणात्मक निबंध किसे कहते हैं?
    • विचारात्मक निबंध किसे कहते हैं?
    • भावात्मक निबंध किसे कहते हैं?
  • निबंध के कितने भाग होते हैं?
    • प्रस्तावना क्या होता है?
    • विषय प्रतिपादन किसे कहते हैं?
    • उपसंहार क्या होता है?
  • निबंध के प्रमुख तत्व एवं विशेषताएँ

निबंध वह व्याख्या होता है, जिसमें अनेक मतों का संग्रह होता है। कई लोग निबंध को गद्य की कसौटी मानते हैं, इसलिए इसे भाषा की दृष्टि से गद्य साहित्य की सर्वाधिक उन्नत और परिपक्व विधा माना जाता है।

साहित्य रूप की दृष्टि से निबंध साहित्य का सबसे आधुनिक रूप है। और वर्तमान समय में हिंदी साहित्य के अंतर्गत इस शब्द का प्रयोग अंग्रेजी के Essay के पर्याय के रूप में ज़्यादा होता है।

निबंध किसे कहते हैं?

निबंध उस गद्य रचना को कहते हैं जिसमें सीमित आकार के भीतर किसी विषय का वर्णन या प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, स्वच्छंदता, सौष्ठव और सजीवता तथा आवश्यक संगति और सभ्यता के साथ किया गया हो। ऐसा कहना है बाबू गुलाब राय का, इसी तरह निबंध के अनेक परिभाषाएँ प्रस्तुत हुई हैं।

निबंध विधा के प्रतिष्ठाता माउंटेन इसे साहित्य की नयी विधा मानते हैं। वे इस प्रकार की अपनी नूतन रचना को ‘प्रयास मात्र’ कहते हैं। यही कारण है कि उनके निबंधों में विश्रींखलता है। किंतु उनके निबंधों की सबसे बड़ी विशेषता वैयक्तिकता है। निबंध में व्यक्त विचारों को वे अपनी निजी भावनाएँ कहते हैं।

जॉनसन के अनुसार, निबंध मन की उस विशाल तरंग का नाम है जो अनियमित और अपरिपक्व है और जिसमें क्रमबद्धता नहीं होती।

निबंध कितने प्रकार के होते हैं?

स्तर की दृष्टि से निबंध मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: वस्तुपरक एवं व्यक्तिव्यंजक। और शैली की दृष्टि से निबंध चार प्रकार के होते हैं: वर्णनात्मक, विवरणात्मक, विचारात्मक एवं भावात्मक।

वस्तुपरक निबंध किसे कहते हैं?

वस्तुपरक निबंध में लेखक अपनी ओर से कुछ नहीं जोड़ता है। बिना पूर्वाग्रह या पक्षपात के जैसा देखता है वैसा ही घटना या दृश्य का वर्णन करता है।

वैयक्तिक निबंध किसे कहते हैं?

व्यक्तिव्यंजक या वैयक्तिक निबंध में लेखक के व्यक्तित्व की एक छाप रहती है। वह अपने ढंग से विषय की समीक्षा करता है। वह विषय के अच्छे गुणों को उभारकर रख सकता है यह कमियों को खोलकर सामने ला सकता है। वह विषय की प्रशंसा करके उसकी महत्ता बढ़ा भी सकता है।

वर्णनात्मक निबंध किसे कहते हैं?

वर्णनात्मक निबंध में देखे-सुने गए स्थानों, त्योहारों, वस्तुओं, या प्राकृतिक दृश्यों आदि का वर्णन होता है।

विवरणात्मक निबंध किसे कहते हैं?

विवरणात्मक निबंध में घटनाओं या व्यक्ति के जीवन का क्रमबद्ध विवरण दिया जाता है।

विचारात्मक निबंध किसे कहते हैं?

विचारात्मक निबंध में विचार और चिंतन की प्रधानता रहती है। इसमें लेखक किसी समस्या पर तर्क सहित अपनी सहमति यह असहमति प्रकट करता है।

भावात्मक निबंध किसे कहते हैं?

भावात्मक निबंध में भावों की प्रधानता रहती है, इसमें लेखक की आत्मीयता झलकती है। वह पाठक के हृदय को प्रभावित करने का प्रयास करता है। वह अपनी कल्पना और अनुभूति के आधार पर विषय के प्रति अपना दृष्टिकोण रखता है।

निबंध के कितने भाग होते हैं?

निबंध कैसे लिखते हैं? यह भी एक कला है, और निबंध के मुख्यतः तीन भाग होते हैं: प्रस्तावना, विषय प्रतिपादन और उपसंहार।

प्रस्तावना क्या होता है?

प्रस्तावना या भूमिका में विषय का सामान्य परिचय दिया जाता है। घर के द्वार से या शरीर के सिर से इसकी तुलना की जा सकती है। प्रस्तावना का आरम्भ रोचक, प्रभावशाली, संक्षिप्त और प्रासंगिक होना चाहिए।

किसी कविता की पंक्ति, कहावत या महान लेखक के दृष्टांत से निबंध प्रारम्भ किया जा सकता है। इनमें विषय का अर्थ, उसकी परिभाषा और महत्व बताया जाता है।

विषय प्रतिपादन किसे कहते हैं?

विषय प्रतिपादन के सोपान पर विचारों को विभिन्न इकाइयों में विभाजित करके, क्रमबद्ध रूप से और तर्कपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। प्रतिपादित विषय को पुश्त और प्रमाणित करने के लिए प्रसंगानुकूल विभिन्न उद्धरणों, तर्कों और प्रमाणों का उल्लेख किया जाता है।

प्रत्येक इकाई को अलग-अलग अनुच्छेदों में रखा जाता है। विचारों का पल्लवन संतुलित रूप से किया जाना चाहिए। उसमें अनावश्यक विस्तार या तथ्यों की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।

उपसंहार क्या होता है?

यह निबंध का अंतिम भाग है। इसमें लेखक सारे विचार-विमर्श के उपरांत ऐसे निष्कर्ष पर पहुँचता है, जो पाठक को संतोषजनक लगे। एक अच्छा निबंध पाठक पर स्थायी प्रभाव छोड़ जाता है।

निबंध के प्रमुख तत्व एवं विशेषताएँ

यह तो अब आपको काफ़ी अच्छे-से मालूम चल गया होगा कि Nibandh Kya Hota Hai? और हम एक अच्छा निबंध कैसे लिख सकते हैं? आपको एक और चीज़ समझनी है कि समग्र रूप से निबंधों की कुछ अनिवार्य विशेषताएँ होती हैं।

इन्हीं विशेषताओं को हम निबंध के तत्वों के रूप में देख सकते हैं। निबंध के प्रमुख तत्व हैं: संक्षिप्तता, गद्य की अनिवार्यता, व्यक्तित्व की प्रधानता, सजीवता और भाषा-शैली

  • निबंध हमेशा गद्य में ही लिखा जाता है किंतु अपवादस्वरूप निबंध पद्य में भी लिखे गए हैं। निबंध गद्य में रचित अपेक्षाकृत संक्षिप्त रचना है। फिर भी इसके आकार की सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है।
  • आपका निबंध वस्तुपरक हो या व्यक्तिव्यंजक, किसी-न-किसी रूप में उसमें लेखक का निजत्व और व्यक्तित्व झलक ही जाता है। साहित्य की अन्य विधाओं में लेखक का व्यक्तित्व प्रायः ओझल रहता है किंतु निबंध में नहीं। इसका कारण यह है कि निबंधकार जो कुछ लिखता है, उसे वह अपने निजीपन के अनुरूप लिखता है।
  • यद्यपि निबंध में अपूर्णता और स्वच्छंदता होती है तथापि वह एक स्वतः पूर्ण रचना है। उसके कुछ अंशों में गद्य का मुक्तक काव्य भी कह सकते हैं, जिसमें प्रगीत-काव्य की सी निजता और तन्मयता रहती है। जिस प्रकार कहानी जीवन के अंग की झांकी है उसी प्रकार निबंध भी जीवन के प्रति एक दृष्टिकोण है।
  • निबंध साधारण गद्य की अपेक्षा अधिक रोचक और सजीव होता है। वह केवल वर्णन मात्रा न होकर लेखक की प्रतिभा की चमक-दमक से पूर्ण होता है। निबंधकार अपनी प्रतिभा से सामान्य विषय को भी असामान्य और नगण्य को महान बना देता है।
  • निबंध गद्य में अभिव्यक्त एक प्रकार का ‘स्वगतभाषण’ है।

निबन्ध किसे कहते हैं इसके कितने प्रकार होते हैं?

निबंध की परिभाषा पं. श्यामसुंदर दास-''निबंध वह लेख है जिसमें किसी गहन विषय पर विस्तारपूर्वक और पाण्डित्यपूर्व ढंग से विचार किया गया हो।'' आचार्य रामचन्द्र शुक्ल निबंध के रहस्य को उद्घाटित करते हुए कहते हैं- ''यदि गद्य कवियों या लेखकों की कसौटी है, तो निबंध गद्य की कसौटी है।

निबंध क्या है इसकी विशेषताएं लिखिए?

निबंध की परिभाषा बाबू गुलाब राय के अनुसार-''निबंध का आकार सीमित होता है, उसमें निजीपन होता है, स्वच्छ और सजीव होता है।'' डॉ. जयनाथ नलिन द्वारा अपेक्षाकृत संक्षिप्त परिभाषा दी गई है- ''किसी विषय पर स्वाधीन चिंतन और निश्छल अनुभूतियों का सरस, सजीव और मर्यादित गद्यात्मक-प्रकाशन ही 'निबंध' है।''

निबंध से क्या मतलब है?

'निबंध' शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- नि+बंध। इसका अर्थ है भली प्रकार से बंधी हुई रचना। अर्थात वह रचना जो विचारपूर्वक, क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो। 'निबंध वह गद्य रचना है, जो किसी विषय पर क्रमबद्ध रूप से लिखी गई हो।

निबंध में कितने भाग होते हैं?

यह भी एक कला है, और निबंध के मुख्यतः तीन भाग होते हैं: प्रस्तावना, विषय प्रतिपादन और उपसंहार।