हाथ पैर तोड़ने पर कौन सी धारा लगती है - haath pair todane par kaun see dhaara lagatee hai

चित्तौड़गढ़ |अपर जिला एवं सत्र न्यायालय क्रमांक प्रथम ने एक व्यक्ति के साथ मारपीट कर उसके हाथ, पैर तोड़ने पर पांच आरोपियों को चार-चार साल कैद की सजा सुनाई है।

कोर्ट के पीठासीन अधिकारी गोविंद अग्रवाल ने राशमी क्षेत्र के देवीपुरा निवासी देवीलाल अहीर पुत्र कालू, घनश्याम अहीर पुत्र देवीलाल, गोपाल अहीर पुत्र देवीलाल, सीताराम अहीर पुत्र छोगालाल रतनलाल अहीर पुत्र लोबा अहीर को चार वर्ष कारावास आरोपियों द्वारा जमा कराई जाने वाली 35000 में से 30000 हजार रुपए बतौर क्षतिपूर्ति फरियादी माधवलाल को दिए जाने के आदेश दिए गए। आहत परिवादी माधवलाल की ओर से अधिवक्ता सुनीत कुमार श्रीमाली राजेंद्रकुमार सुखवाल ने पैरवी की। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायाधीश गोविंद अग्रवाल ने सजा सुनाई।

हाथ-पैर तोड़ने में चार सगे भाइयों को सजा

विधि संवाददाता, बदायूं : घर में घुसकर गंभीर चोटें पहुंचाने के मामले में कोर्ट ने चार सगे भाइयों को प

विधि संवाददाता, बदायूं : घर में घुसकर गंभीर चोटें पहुंचाने के मामले में कोर्ट ने चार सगे भाइयों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने चारो पर 18-18 हजार रुपये का जुर्माना भी किया है।

थाना उसावां की ईश्वर देवी ने 17 अक्टूबर 2007 को थाने में तहरीर दी थी कि पति रक्षपाल सात बजे घर के भीतर चाय, नाश्ता कर रहा था। तभी गांव बरकतगंज के चार सगे भाई उसके घर में घुस आए और असलाहों से फाय¨रग करने लगे। वादिनी के पति रक्षपाल को रायफल व बंदूकों की बटों से मारना-पीटना शुरू कर दिया। इस हमले में रक्षपाल का हाथ व पैर टूट गया और वह मरणासन्न हालत में पहुंच गया। वादिनी के शोर पर सुखपाल व कन्यावती ने पहुंचकर उसे बचाया। इस बीच वादिनी को भी मारपीट कर घायल कर दिया गया।

कोर्ट में महेश, जगदीश, धर्मपाल, अजयपाल पुत्रगण राजाराम निवासी बरकतगंज थाना उसावां पर रक्षपाल के साथ मारपीट कर हाथ, पैर तोड़ने के आरोप का मुकदमा चलाया गया। न्यायालय जिला एवं सत्र न्यायाधीश डीके नैलवाल ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया। एडीजीसी अनिल कुमार ¨सह राठौर व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद चारों भाइयों को दोषी पाते हुए उन्हें सजा सुनाई है।

पैर तोड़ने से कितने दिन की सजा होगी, क्या कोई धारा भी लगेगी?...


चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

पैर तोड़ने या फिर मारपीट करने की बात की जाए तो ऐसी कंडीशन में यहां पर 4 सालों तक की सजा हो सकती है

Romanized Version

हाथ पैर तोड़ने पर कौन सी धारा लगती है - haath pair todane par kaun see dhaara lagatee hai

1 जवाब

हाथ पैर तोड़ने पर कौन सी धारा लगती है - haath pair todane par kaun see dhaara lagatee hai

Vokal App bridges the knowledge gap in India in Indian languages by getting the best minds to answer questions of the common man. The Vokal App is available in 11 Indian languages. Users ask questions on 100s of topics related to love, life, career, politics, religion, sports, personal care etc. We have 1000s of experts from different walks of life answering questions on the Vokal App. People can also ask questions directly to experts apart from posting a question to the entire answering community. If you are an expert or are great at something, we invite you to join this knowledge sharing revolution and help India grow. Download the Vokal App!

हाथरस। अपर सत्र न्यायाधीश तृतीय एसएन त्रिपाठी के न्यायालय ने मारपीट कर हाथ तोड़ने के एक आरोपी को दोष सिद्ध माना है। आरोपी को चार वर्ष के कारावास एवं 10 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा न करने की स्थिति में दो माह का अतिरिक्त कारावास भोगने का निर्णय दिया है।

कोतवाली मुरसान में 09 मई, 1999 को मोहनलाल निवासी नगला शीशम ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसके भाई राकेश से गांव के ही राममोहन से मूंज काटने को लेकर विवाद हो गया।

इसमें आरोपी द्वारा गाली गलौज की जा रही थी। जब इसका विरोध किया तो इसने फावड़ा मारकर उसका हाथ तोड़ दिया। झगड़ा देखकर कुछ अन्य लोगों के मौके पर आ गए।
इससे उक्त आरोपी जान से मारने की धमकी देते हुए मौके से भाग गया। न्यायालय में दाखिल किए गए आरोप पत्र में पुलिस द्वारा धारा 323,325,307,504 आईपीसी की धाराएं लगाई गई। इनमें से न्यायालय ने सबूतों के आधार पर धारा 323 व 325 में दोष सिद्ध माना है।
इनमें 323 में एक वर्ष के कारावास व एक हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई  है, जबकि धारा 325 में चार वर्ष के कारावास एवं 10 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई हैं। अर्थदंड अदा न करने पर 2 माह के अतिरिक्त कारावास भोगने का निर्णय दिया है। वहीं, दोनों सजाओं के साथ-साथ चलने एवं जेल में बिताई गई अवधि सजा में शामिल करने का निर्णय दिया है।