हरियाणा की सबसे बड़ी लोकसभा सीट कौन सी है - hariyaana kee sabase badee lokasabha seet kaun see hai

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सिरसा लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी जीत और सबसे छोटी हार दोनों ही एक प्रत्‍याशी के नाम

1996 के चुनाव को डा. सुशील इंदौरा आज भी नहीं भूले हैं। तब बैलेट पेपर से मतदान हुआ था। चुनाव से पहले वे सीएचसी में डाक्टर थे और उन्होंने एक सम्मेलन अनाज मंडी में करवाया गया था।

सिरसा, जेएनएन। सिरसा सीट पर दिग्गजों ने भी चुनाव लड़े लेकिन सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड आज भी डा. सुशील इंदौरो के ही नाम है। यह रिकार्ड उन्होंने 1999 के चुनाव में बनाया। इनेलो की टिकट पर चुनाव में उतरे डा. सुशील इंदौरा को 4 लाख 19 हजार 278 मत मिले और यहां कांग्रेस के ओमप्रकाश को एक लाख 99 हजार 552 मत ही मिले। खास बात यह रही कि इस चुनाव में इनेलो का भाजपा के साथ गठबंधन रहा और सिरसा संसदीय सीट इनेलो के खाते में रही।

यहां इंदौरा की जीत 2 लाख 19 हजार 726 की रही। उन्हें चुनाव में 65.98 फीसद मतदाताओं का विश्वास हासिल हुआ। सबसे छोटी हार भी डा. सुशील इंदौरा के नाम इस सीट पर दर्ज है। यह हार 1996 में रही जो डा. इंदौरा का पहला चुनाव रहा। कांग्रेस की कुमारी शैलजा को 2 लाख 75 हजार 459 मत मिले तो समता पार्टी की टिकट पर उतरे डा. इंदौरा को 2 लाख 60 हजार 312 मत प्राप्त हुए। वे चुनाव में 15 हजार 147 मतों से पराजित हुए।

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पूर्व एमपी डाॅ. इंदौरा

रोचक पहलू : लोकदलीय एमएलए बने और इंदौरा हार गए चुनाव

1996 के चुनाव को डा. सुशील इंदौरा आज भी नहीं भूले हैं। तब बैलेट पेपर से मतदान हुआ था। चुनाव से पहले वे सीएचसी में डाक्टर थे और उन्होंने एक सम्मेलन अनाज मंडी में करवाया। विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ हो गए तो पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने उन्हें मैदान में उतारने का फैसला किया। इससे पहले वे इस परिवार के संपर्क में नहीं थे लेकिन चौ. देवीलाल के प्रशंसक थे। इस चुनाव में सिरसा सीट पर हरियाणा विकास पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के सांझे उम्मीदवार प्रो. गणेशीलाल विजयी हुए। दड़बा से समता पार्टी की उम्मीदवार विद्या बैनीवाल, ऐलनाबाद से भागीराम, डबवाली से मनीराम तथा रोड़ी से ओमप्रकाश चौटाला चुनाव जीते। पांच में से चार सीटों पर पार्टी की जीत हुई लेकिन वे एक साथ हुए चुनाव में भी हार गए।

Edited By: manoj kumar

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  • Loksabha Election: Analysis Of Mahedragarh Seat

ये है हरियाणा की सबसे हॉट लोकसभा सीट, इससे ज्यादा टफ नहीं कहीं की लड़ाई

पानीपत. प्रदेश की सबसे हॉट लोकसभा सीट-भिवानी-महेंद्रगढ़। चौधर की लड़ाई इतनी टफ शायद कहीं और नहीं रही। यहां के मतदाताओं का मिजाज ऐसा कि भांपना मुश्किल। राजनीतिक विश्लेषक भी नतीजों को लेकर भविष्यवाणी करने से परहेज करते हैं। यह सीट तीनों लालों (देवीलाल-भजनलाल-बंसी लाल) के लालों (अजय चौटाला-कुलदीप बिश्नोई-सुरेंद्र सिंह) की टक्कर की गवाह रही है। यहां तीनों लाल परिवारों ने जीत का मजा लिया है और हार का स्वाद भी चखा।

भिवानी सीट वर्ष 1977 में अस्तित्व में आई। 2009 में लागू हुए डी-लिमिटेशन के बाद इसका नाम भिवानी-महेंद्रगढ़ हो गया। यहां हुए 10 लोकसभा चुनाव में से 6 छह बार बंसीलाल परिवार के सिर ताज रहा। बंसीलाल खुद तीन बार और उनके बेटे सुरेंद्र दो बार सांसद बने।

अब उनकी पौत्री श्रुति दूसरी बार किस्मत आजमाएंगी। यहां बंसीलाल परिवार को पार्टी के अंदर ही चुनौती मिलती रही है। इस बार यहां से कांग्रेस का टिकट मांग रहे सोहना विधायक धर्मबीर नाराज होकर मुख्य संसदीय सचिव पद छोड़ चुके हैं। इनेलो इस बार भी चौटाला परिवार से किसी को उतारेगी। भाजपा भी ताक में है।

टोटल रिकॉल

इन चुनाव को कौन भूल पाएगा

1977 : चंद्रावती ने बनाया जीत का रिकॉर्ड

आपातकाल गुजरने के बाद वर्ष 1977 में हुए आम चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट पर चंद्रावती ने कांग्रेस के बंसी लाल को हराया। चंद्रावती ने 5,90,889 में से 2,89,135 (67.62 प्रतिशत) वोट पाए थे। उसके बाद कभी किसी को इतने वोट नहीं मिले।बंसी लाल ने 1984 में 66 और 1989 में 60 फीसदी वोट हासिल किए।

1989 : मैदान में थे 122 उम्मीदवार

वर्ष 1989 के चुनाव में सर्वाधिक 122 उम्मीदवार मैदान में डट गए थे। चुनाव आयोग भी परेशान हो गया।उस वक्त मतपत्र से ही वोट डलती थी। बैलेट पेपर इतना लंबा हो गया कि मतदाताओं को अपनी पसंद के प्रत्याशी का नाम ढूंढने में काफी देर लगी। नतीजे आए तो 72 उम्मीदवार ऐसे थे, जिन्हें 100 से भी कम वोट मिले थे। जबकि 44 को हजार से कम। विजेता रहे बंसी लाल को 3.57 लाख वोट मिले। उनके बाद लाख के आंकड़े को धर्मबीर (2 लाख से ज्यादा) ने पार किया।

2004 : जब लालों के लाल हुए आमने-सामने

भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस, बंसी लाल के बेटे सुरेंद्र हरियाणा विकास पार्टी और देवीलाल के पौत्र अजय चौटाला इनेलो के टिकट पर मैदान में उतरे। लालों की लड़ाई देश भर की मीडिया में चर्चा का विषय बनी। त्रिकोणीय मुकाबले में बिश्नोई को जीत मिली। सुरेंद्र दूसरा व अजय तीसरे नंबर पर रहे। 2009 में श्रुति ने अजय चौटाला को हराया। 1998 में सुरेंद्र ने अजय को हराया। 1999 में अजय चौटाला ने सुरेंद्र को पटकनी दी थी।

पिछले चुनाव में किसकी कैसी परफॉरमेंस

यहां पिछले चुनाव में कांग्रेस की श्रुति चौधरी ने 55 हजार 570 वोटों से जीत हासिल की थी। उन्होंने इनेलो के अजय सिंह चौटाला को हराया था। जबकि हजकां के नरेंद्र सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे। बसपा उम्मीदवार विक्रम सिंह 7.11 फीसदी वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे थे।

लोकसभा सीटों की संख्या कितनी है?

वर्तमान में, सदन में 543 सीटें हैं जो अधिकतम 543 निर्वाचित सदस्यों के चुनाव से बनती हैं।

किस राज्य में कितने लोकसभा सीट है?

विधानसभा.

हरियाणा में विधानसभा सीट कितनी है?

कुल सीटें ९०, जिनमें से १७ (आरक्षित) हैं। विस्तृत सूची के लिए हरियाणा के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र पृष्ठ देखें।

हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की सीट कितनी है?

लोकसभा -लोकसभा से हिमाचल प्रदेश के चार सदस्य चुने जाते हैं। प्रदेश विधानसभा में 68 विधानसभा चुनाव क्षेत्र हैं।