हल्दी (Turmeric) एक ऐसा मसाला है, जिसका प्रयोग हर घर में किया जाता है। हालांकि इसका प्रयोग एक पाउडर की तरह होता है। कई ऐसे लोग हैं, जिसे यह पता ही नहीं है कि हल्दी की खेती कैसे होती हैं क्योंकि हर घर में केवल हल्दी के पाउडर का ही प्रयोग होता है। आज हम आपको बताएंगे की हल्दीकी खेती कैसे होती है, उसकी खेती के लिए किन–किन चीजों की जरुरत होती हैं और कैसे उसे पाउडर में तब्दील किया जाता है। – Easy tips to cultivate turmeric, so that you can easily grow it in your field. Show
इस तरह करे फसल के लिए मिट्टी तैयार हल्दी की खेती करने के लिए मिट्टी को मुलायम कर लेना बहुत जरूरी है। जब मिट्टी पूरी तरह मुलायम हो जाए तो उसमें गोबर और खाद मिला दें। अपने खेत में इस प्रकार क्यारी बनाएं कि जब भी उसमें पानी की जरूरत हो आप आसानी से हर जगह पानी पहुंचा सकें। फ्लर्टिंग सिस्टम के जरिए आप एक क्यारी से दूसरी क्यारी तक आसानी से पानी पहुंचा सकते हैं। अपनी फसल को बचाने के लिए खेत को चारों तरफ से घेर दें, जिससे कोई जंगली जानवर फसल को नुकसान न पहुंचा सके। यह भी पढ़ें:-ये शख्स मधुमक्खी पालन से कमाते हैं लाखों रूपए, दूसरों को बॉक्स से लेकर ट्रेनिंग भी देते हैं: Bee Keeping वीडियो देखें:-👇👇 इस तरह करें हल्दी की खेती बता दें कि हल्दी की खेती हल्दी के बीज द्वारा की जाती है। बोने से पहले हल्दी के बीज को 12 घंटे के लिए पानी में भीगा कर रखा जाता है। उसके बाद उसे अच्छी तरह सुखाकर खेत में डाला जाता है। जानकारों के अनुसार एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच में 1 फुट की दूरी होनी चाहिए। हल्दी के पौधे में पानी की काफी मात्रा में जरूरत होती है। अगर आपके पास पानी की कमी हो तो आप धान की खेती में दिए गए पानी का दोबारा हल्दी की खेती में प्रयोग कर सकते हैं। हालांकि बारिश के मौसम में आपको अलग से पानी देने की जरूरत नहीं होती क्योंकि बारिश के पानी से मिट्टी में नमी रहती है। यह भी पढ़ें:-बीज से कैसे तैयार करें कटहल के पौधे और फिर करें बम्पर खेती, जानिए कटहल की खेती से जुड़ी हर एक बात हल्दी का पौधा 3 महीने में होता है तैयार हल्दी की खेती 25-30 डिग्री के टेंपरेचर में की जाती है। इसे बोने का सबसे सही समय अप्रैल से मई के बीच माना जाता है। बाजार में कई तरह के हल्दी के बीज उपलब्ध है। आप उनमें से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं। तीन महीने में हल्दी का पौधा पूरी तरह बड़ा हो जाता है। हल्दी का पौधा बाहर होने के बावजूद भी उसका फल मिट्टी के अंदर होता है इसलिए अगर इसे आप लंबे समय के लिए जैसे कि 2 साल के लिए खेत में छोड़ दें तो आपको अच्छा फल मिलता है हालांकि आप इसे 1 साल बाद भी हार्वेस्टिंग के जरिए बाहर निकाल सकते हैं। हल्दी निकालने के बाद उसे 15 दिनों तक अच्छी तरह सुखाएं। अब आपका हल्दी इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका है– Easy tips to cultivate turmeric, so that you can easily grow it in your field. प्रोडक्ट विवरणहल्दी (Curcuma longa)), मसालों के इंद्रधनुष में चमकदार पीला, एक शक्तिशाली औषधी है जिसका उपयोग चीनी और भारतीय दवा प्रणालियों में लंबे समय से एंटी-इन्फ्लैमेटरी एजेंट के रूप में किया गया है जिससे विभिन्न प्रकार की स्थितियों का इलाज किया जा सके, जिसमें पेट फूलना, पीलिया, मासिक धर्म की कठिनाइयां, खून से भरा मूत्र, रक्तस्राव, दाँत का दर्द, घाव, छाती में दर्द, और उदरशूल शामिल हैं. Organic Kisan हल्दी के बीज छत पर, बालकनी में, पॉली हाउस में, किचन, गार्डन में लगाने के लिए उपयुक्त हैं. ये हल्दी के बीज भारतीय मौसम की परिस्थितियों के लिए उपयुक्त हैं और प्रमुख उत्पादक राज्यों में इनकी बड़े पैमाने पर खेती की जाती हैं. turmeric farming in hindi: हल्दी (Turmeric) हमारे दैनिक भोजन का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। भारत में लगभग सभी प्रकार के भोजन में प्रयोग होने वाला हल्दी प्राचीन काल से ही अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। हल्दी के गुणों और बाजार में लगातार बनी हुई मांग के कारण हल्दी की खेती (haldi ki kheti) हमेशा से ही लाभदायक रही है। हल्दी की खेती (Haldi Farming) से प्रति एकड़ लगभग 100 से 150 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में जानें- हल्दी की खेती की संपूर्ण जानकारी (turmeric farming in hindi ) हल्दी के औषधीय गुण (Medicinal properties of turmeric)
हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी (Suitable climate and soil for turmeric cultivation)भारत पूरी दुनिया में हल्दी (turmeric) का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, उड़ीसा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मेघालय और असम में हल्दी की खेती (haldi farming) खूब होती है। हल्दी एक उष्णकटिबंधीय जलवायु में खेती की जाने वाली फसल है। अच्छी बारिश वाले गर्म और आर्द्र क्षेत्र इसके उत्पादन के लिए उपयुक्त होते हैं। हल्दी की खेती (haldi ki kheti) सभी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है। इसकी खेती के लिए अधिक जीवांश वाली दोमट, जलोढ़ और लैटेराइट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। मिट्टी का पी.एच. मान 5 से 7.5 के मध्य होना चाहिए। किसान इस बात का ध्यान रखें कि खेतों में जल जमाव नहीं हो। हल्दी की बुआई अप्रैल से जुलाई के महीने में करने से फसल अच्छी होती है। बीज की मात्रा और बीज उपचार (Seed quantity and seed treatment)
हल्दी की बुआई की विधि (Method of sowing turmeric)
हल्दी की फसल में निराई-गुड़ाई (weeding in turmeric crop)
हल्दी की फसल में सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management in Turmeric Crop)
हल्दी की प्रमुख किस्में (Major Varieties of Turmeric)भारत में करीब 30 किस्मों की हल्दी की खेती (haldi ki kheti) की जाती है। इनमें लकाडोंग, अल्लेप्पी, मद्रास, इरोड और सांगली प्रमुख किस्में हैं।
हल्दी की फसल में उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management in Turmeric Crop)उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त करने के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग बहुत जरूरी है। हल्दी की बेहतर फसल के लिए आप प्रति एकड़ जमीन में 8 से 10 टन गोबर की सड़ी हुई खाद मिला सकते हैं। खेत की जुताई से पहले खेत में गोबर खाद मिला देना चाहिए। आप गोबर खाद की जगह कम्पोस्ट खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रति एकड़ जमीन में 40 से 48 किलोग्राम नत्रजन का छिड़काव करना चाहिए। खेत की आखिरी जुताई के समय 40 से 48 किलोग्राम नत्रजन की आधी मात्रा मिला कर जुताई करें। बचे हुए नत्रजन (करीब 20 से 24 किलोग्राम) को दो भागों में बांट लें। इसमें से 10 से 12 किलोग्राम नत्रजन को बुआई के 40 से 60 दिनों बाद खेत में डालें। नत्रजन के दूसरे भाग को बुआई के 80 से 100 दिन बाद खेत में मिला कर मिट्टी चढ़ाएं। प्रति एकड़ खेत में करीब 24 से 32 किलोग्राम स्फुर और 32 से 40 किलोग्राम पोटाश की भी आवश्यकता होती है। हल्दी की खेती के लिए पोटाश बहुत जरूरी है। इसके प्रयोग से हल्दी की गुणवत्ता और पैदावार में बढ़ोतरी होती है। हल्दी की फसल में खरपतवार नियंत्रण एवं सिंचाई प्रबंधन (Weed control and irrigation management in turmeric crop)खरपतवार किसी भी फसल की पैदावार और उसकी गुणवत्ता को कम कर सकती है। खरपतवार हल्दी की फसल को भी बहुत नुकसान पहुंचाती है। खरपतवार पर नियंत्रण के लिए इस पोस्ट में दिए गए उपायों को अपना कर हल्दी की उपज बढ़ा सकते हैं। खरपतवार नियंत्रण
सिंचाई प्रबंधन
हल्दी में लगने वाले कीट और उसका निदान (Pests in turmeric and its diagnosis)
हल्दी में लगने वाले रोग और उसका निदान (Turmeric diseases and their diagnosis)
ये तो थी हल्दी की खेती की संपूर्ण जानकारी (Turmeric Farming in Hindi)। यदि आप इसी तरह कृषि, मशीनीकरण, सरकारी योजना, बिजनेस आइडिया और ग्रामीण विकास की जानकारी चाहते हैं तो इस वेबसाइट की अन्य लेखजरूर पढ़ें और दूसरों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें। ये भी पढ़ें-
हल्दी का बीज कहाँ मिलता है?Organic Kisan हल्दी के बीज (हल्दी की जड़ें) रोपण के लिए - 1 Kg : Amazon.in: बाग-बगीचा और आउटडोर
हल्दी का बीज कैसे होता है?परिचय हल्दी बिहार की प्रमुख मसाला फसल है। ... . जलवायु हल्दी की खेती उष्ण और उप – शीतोष्ण जलवायु में की जाती है। ... . किस्म राजेन्द्र सोनिया : इस किस्म के पौधे छोटे यानी 60-80 से. ... . भूमि एवं तैयारी ... . खाद एवं उर्वरक ... . बोआई की दूरी तथा बीज की मात्रा. हल्दी का पेड़ कैसे होता है?वहीं वास्तु शास्त्र की बात करें, तो हल्दी का पाउडर, गांठ ही नहीं बल्कि इसका पौधा भी काफी शुभ माना जाता है।
भारत में सबसे ज्यादा हल्दी कहाँ होती है?भारत में, आंध्र प्रदेश हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक है जिसके बाद तमिलनाडु, उड़ीसा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गुजरात और केरल हैं। हल्दी की मुख्य किस्में हैं - एलेप्पी और मद्रास (पेरियानदान)।
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