ग्रीन हाउस का अर्थ उस बगीचे या पार्क में उस भवन से है जिसमें शीशे की दीवारें और छत होती हो तथा जिसमें उन पौधों को उगाते हैं जिन्हे अधिक ताप की आवश्यकता होती है उसे ग्रीन-हाउस प्रभाव या पौधा घर प्रभाव कहते हैं। Show इस क्रिया द्वारा पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। सूर्य से आने वाली प्रकाश की किरणों में से परा-बैंगनी किरणों को ओजोन परत अवशोषित कर लेती है और अवरक्त कण पृथ्वी से टकराकर वायुमंडल में चले जाते है वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं जिससे वायुमण्डल गर्म हो जाता है। पृथ्वी के वातावरण में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस कम्बल का कार्य करती है जो हरित भवन की दीवारों की तरह पृथ्वी सतह से परावर्तित दीर्घ तरंग लम्बाई के अवरक्त किरणों को वायुमंडल में ही रोक लेती है। वातावरण में हरित भवन पैदा करने वाली प्रमुख गैस हैं :- 1. कार्बनडाइऑक्साइड (CO2):- हरित भवन प्रभाव पैदा करने के लिए ये गैस सबसे अधिक जिम्मेदार है अर्थात पौधा घर प्रभाव की मुख्य गैस CO2 है।
कार्बनडाइऑक्साइड मुख्य रूप से प्राणियों की श्वसन क्रिया द्वारा छोडी जाती है तथा ये यातायात के साधनों ताप, बिजलीघरों, कारखानों द्वारा भी प्रतिदिन छोडी जा रही है और वातावरण में इसकी मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। 2. मीथेन गैस:- मीथेन गैस के कारण भी पौधा घर प्रभाव होता है। सन् 1870 से अब इसकी मात्रा 0.7 पी.पी.एम. से बढ़कर 1.65 पी.पी.एम हो गई है। 3. नाइट्रस ऑक्साइड :- वायु प्रदूषण से इसकी मात्रा वातावरण में 25 प्रतिशत की
दर से बढ रही है। 4. क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस - 3 प्रतिशत की दर से इसकी मात्रा वातावरण में बढ़ती जा रही है। ग्रीन हाउस प्रभाव के परिणाम मनुष्य अपनों आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए वनों का दोहन कर रहा है। अर्थात हरे-भरे वनों को मारता जा रहा है। पौधा प्रभाव के प्रभाव पड़ते हैं:- 1. पृथ्वी के ताप में वृद्धि:- पौधा घर प्रभाव से पृथ्वी के ताप में वृद्धि होती जा रही हैं जिससे दोनो ध्रुवो पर बर्फ पिघल जाती है और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो जायेगी परिणाम स्वरूप तमाम समुद्री दीप, सागर के जल में डूब जायेंगे। सन् 1996 में यूरोप के मौसम वैज्ञानिग ने भविष्य वाणी की कि सन् 2015 तक पृथ्वी के ताप में 1.5 से 4.50C की वृद्धि हो जायेगी। 22 2. मौसम चक्र में परिवर्तन:- ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि अगली शताब्दी के मध्य तक 1.5 से 4-50C ताप में वृद्धि हो जायेगी तो समुद्रों में वाष्पीकरण की दर बढ़ जायेगी जिससे वायुमंडल में आदर््रता बढ़ जायेगी और क्षेत्रीय वायुदाव में परिवर्तन आ जायेगा। ताप दाव, और आदर््रता बढ़ जायेगी और क्षेत्रीय वायुदाव में परिवर्तन आ जायेगा। ताप दाव, और आर्द्रता की स्थितियों में परिवर्तन से क्षेत्रीय जलवायु में परिवर्तन होगा जिससे फसलों के उत्पादन व फसल चक्रण में परिवर्तन होगा। इस सब कारणों से विभिन्न देशों की अर्थ व्यवस्था भी बिगड़ जायेगी। 3. खाद्यानों के उत्पादन पर प्रभाव:- पृथ्वी का तापमान बढ़ने से अलग-अलग देशों में अलग प्रभाव देखा जा सकता है। भारत में ताप बढ़ने से खाद्यानों का उत्पादन बढेगा जबकि अमेरिका में यदि
ताप बढ़ता है तो खाद्यानों का उत्पादन घटने की सम्भावना बताई जा रही हैं। 4. पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव:- ताप वृद्धि से विभिन्न क्षेत्रों की वनस्पतियों पर भी प्रभाव पड़ेगा जैसे ताप बढ़ता है तो घास का पारिस्थितिक तंत्र की घास सूख जायेगी और उपभोक्ता प्रथम अर्थात पशु-पक्षी जानवर अनुकूल जलवायु वाले क्षेत्र में स्थानान्तरित हो जायेंगे इसके क्षेत्रीय पारिस्थितिक तंत्रों में परिवर्तन हो जायेगा। ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि के प्रभाववातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की लगातार वृद्धि हो रही है जिससे कि वातावरण पर इसके दुण्प्रभाव पड़ रहे हैं जो कि हैं:-
ग्रीन हाउस प्रभावयह एक प्राकृतिक घटना है जो हमारी पृथ्वी को गर्म बनाए रखती है। जब सूर्य से आने वाला प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचता है तो उस प्रकाश का कुछ भाग (पराबैगनी किरणें) तो अंतरिक्ष में ही रह जाती हैं। एवं जो भाग पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करता है। वह ग्रीनहाउस गैसों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। यह अवशोषित, पृथ्वी, पेड़-पौधों द्वारा होता है इसमें कुछ प्रकाश तो वापस चला जाता है एवं कुछ प्रकाश इनके अवशोषण के द्वारा पृथ्वी सतह पर ही रह जाता है। जिसके कारण ही हमारी पृथ्वी गरम रहती है इस घटना को ही ग्रीन हाउस प्रभाव (Green house effect in Hindi) कहते हैं। अगर हम कल्पना करें कि यह प्रभाव हमारी पृथ्वी पर नहीं होता तो क्या होता- ग्रीन हाउस के लाभ
पढ़ें… 11वीं भौतिक नोट्स | 11th class physics notes in Hindi ग्रीन हाउस प्रभाव के दुष्परिणामग्रीन हाउस प्रभाव जितना हमारे लिए लाभदायक है। तो उसका कुछ हमारे जीवन में दुष्परिणाम भी है। जो हमारे जीवन में काफी कठिनाई प्रदान कर रहा है जैसे-
तो आप जान ही चुके होंगे कि ग्रीन हाउस गैसों की वृद्धि के बढ़ने से हमारे जीवन में कितना दुष्परिणाम आ रहा है। ग्रीनहाउस कितने प्रकार के होते हैं?ग्रीनहाउस को कांच के ग्रीनहाउस और प्लास्टिक ग्रीनहाउस के रूप में विभाजित किया जा सकता है। प्लास्टिक में ज्यादातर पीई (PE) फिल्म और पीसी (PC) या पीएमएमए (PMMA) की कई दीवारों वाली चादरें प्रयुक्त की जाती है। कांच के व्यावसायिक ग्रीनहाउस में अक्सर सब्जियों या फूलों के लिए उच्च तकनीक वाली उत्पादन सुविधाएं होती हैं।
ग्रीन हाउस गैस कौन कौन से हैं?ग्रीन हाउस गैसें ग्रह के वातावरण या जलवायु में परिवर्तन और अंततः भूमंडलीय ऊष्मीकरण के लिए उत्तरदायी होती हैं। इनमें सबसे ज्यादा उत्सर्जन कार्बन डाई आक्साइड, नाइट्रस आक्साइड, मीथेन, क्लोरो-फ्लोरो कार्बन, वाष्प, ओजोन आदि करती हैं। कार्बन डाई आक्साइड का उत्सर्जन पिछले १०-१५ सालों में ४० गुणा बढ़ गया है।
ग्रीन हाउस क्या है Physics?ग्रीनहाउस प्रभाव या हरितगृह प्रभाव (greenhouse effect) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी ग्रह या उपग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें वातावरण के तापमान को अपेक्षाकृत अधिक गर्म बनाने मदद करतीं हैं। इन ग्रीनहाउस गैसों में कार्बन डाई आक्साइड, जल-वाष्प, मिथेन आदि शामिल हैं।
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