जनसंख्या का आकार, वृद्धि एवं विस्तार तथा आर्थिक क्रियाकलापों के आधार पर मानव बस्तियों को दो वर्गों में रखा जाता है। ग्रामीण बस्तियों में जनसंख्या व जनघनत्व बहुत ही कम होता है तथा यहाँ के निवासी प्राथमिक क्रियाकलापों के द्वारा जीविकोपार्जन करते हैं जबकि नगरीय बस्तियों में जनसंख्या व जनघनत्व अपेक्षाकृत अधिक होता है तथा यहाँ के अधिकतर निवासी द्वितीयक, तृतीयक व चतुर्थ श्रेणी के क्रियाकलापों में संलग्न रहकर अपनी जीविका का उपार्जन करते हैं। Show
नगरीय अधिवास की विशेषताएँ | नगरों का कार्यों के अनुसार वर्गीकरण | नगरों में सुविधाएँ (गुण) | नगरों की समस्याएँ (दोष)
अधिवास का अर्थअधिवास से तात्पर्य घरों के समूह से है जहाँ मानव निवास करता है। घर मनुष्य की प्राथमिक आवश्यकताओं में से एक है। अधिवास में सभी प्रकार के मकान या भवन सम्मिलित होते हैं जो मनुष्य के विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं । इनमें रिहायशी मकान, कार्यालय, दुकानें, गोदाम, मनोरंजन गृह आदि सभी सम्मिलित होते हैं। सांस्कृतिक भू-दृश्यों में मानवीय अधिवास सबसे प्रमुख है जो मानव की एक आधारभूत आवश्यकता है। इसके अन्तर्गत सभी प्रकार के मानवीय आश्रयों को सम्मिलित किया जाता है। ये अधिवास प्रमुख रूप से दो प्रकार के होते हैं- ग्रामीण एवं नगरीय। नगरीय अधिवास की विशेषताएँनगरीय अधिवास की प्रमुख विशेषताएँ निम्नवत् हैं।
नगरों का कार्यों के अनुसार वर्गीकरणवर्तमान समय में अधिकांश नगरों में अनेक कार्य किये जाते हैं। इनमें से कुछ किसी एक कार्य में ही विशेषीकृत भी हो गये हैं। इन नगरों में उद्योग, व्यापार, परिवहन, बन्दरगाह, प्रशासन, उत्खनन, सुरक्षा, शिक्षा, धार्मिक, मनोरंजन, स्वास्थ्य आदि विशिष्ट कार्य भी मिलते हैं, परन्तु नगरों के कार्यों में विशिष्टीकरण के साथ-साथ अन्य कार्य भी मिलते हैं। विशिष्ट कार्य एवं व्यवसाय की प्रमुखता के आधार पर नगरों को निम्नलिखित आठ वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।
देश, राज्य या बड़े प्रदेश की राजधानियों का प्रमुख कार्य प्रशासन होता है। ऐसे नगरों को प्रशासनिक नगर कहा जाता है। इनमें प्रशासनिक कार्यालय व विभिन्न इमारतो आदि की भरमार रहती है। भारत में नई दिल्ली पूर्णतया प्रशासनिक नगर है। इसी प्रकार वाशिंगटन (डी०सी०), इस्लामाबाद, ब्रासीलिया, बरलिन, कैनबरा, बीजिंग, मास्को आदि प्रशासनिक नगर है।
जिन नगरों में उद्योग-धन्धों की प्रधानता होती है, उन्हें औद्योगिक नगर कहते हैं। कुच्चा माल, ईंधन और ऊर्जा, श्रम, व्यापार, बाजार, यातायात, पूँजी, बैंकिंग, जलापूर्ति, आयात-निर्यात आदि की सुविधाओं के कैन्द्रीकरण होने से ऐसे नगरों में उद्योगों की प्रधानता हो जाती हैं। मानचेस्टर, पिट्सबर्ग, मैंगनीटोगोस्क, कानपुर, मुम्बई, अहम्दाबाद आदि औद्योगिक नगर हैं।
इन नगरों में व्यापार प्रमुख कार्य होता है। न्यूयॉर्क, लन्दन, हॉगकॉंग, सिंगापुर, कोलकाता आदि व्यापारिक नगर हैं। इस प्रकार के नगर यातायात एवं परिवहन के केन्द्र भी होते हैं।
वे नगर जो परिवहन कार्यों की प्रमुखता रखते हैं, उन्हें परिवहन नगर कहते हैं। शिकागो, पर्थ, वेनिस, मगलसराय आदि ऐसे ही नगरों के उदाहरण हैं।
खनिज पदार्थ वाले क्षेत्रों में ऐसे नगरों का विकास होता है। झारखण्ड में कोडरमा और गिरिडीह; कर्नाटक में कोलार खनन नगर हैं। इसी प्रकार विश्व के अन्य भागों में जोहांसबर्ग (दक्षिणी अफ्रीका), कालगूल्ली-कुलगार्डी (ऑस्ट्रेलिया) स्क्राण्टन (सं०रा० अमेरिका) तथा सडबरी (कनाडा) प्रमुख खनन केन्द्र है। खूनिज भण्डार समाप्त हो जाने पर ऐसे नगर उजड़ जाते हैं। इन्हें प्रेत नगर (Ghost Towns) भी कहते हैं।
कृषि या पशुचारण प्रदेशों में विभिन्न वस्तुओं के संग्रहण और वितरण केन्द्रो के रूप में बाजारों या मण्डियों का विकास होता है। ब्रिटेन का नार्विक, उत्तर प्रदेश का हापुड़, बिहार का बिहार- शरीफ, घाना का कुमासी ऐसे ही नगर हैं।
सैनिक छावनियाँ, किले वाले अथवा नौ सेना अथवा वायु सेना मुख्यालय वाले केंद्र नगरों का कार्यों के अनुसार सुरक्षा नगर कहलाते हैं। ये प्रमुख नगरों से अलग क्षेत्र में उदित होते हैं। पाकिस्तान में रावलपिण्डी, भारत में काम्पटी एवं शिलांग ऐसे ही नगर हैं।
इन नगरों में संस्कृति, धर्म एवं शिक्षा का बोलबाला होता है; अर्थात् इनमें इन्हीं कार्यों की प्रधानता होती है। वाराणसी इसका सर्वोत्तम नमूना है। इसे भारत की सांस्कृतिक राजधानी की संज्ञा दी जाती है। ब्रिटेन का ऑँक्सफोर्ड या कैम्ब्रिज, जर्मनी का हाइड्डेलबर्ग, स० रा० अमेरिका का प्रिंस्टन, स्वीडन का लुण्ड, नीदरलैण्ड का लीडेन विश्व-प्रसिद्ध शैक्षणिक-सांस्कृतिक नगर हैं। इसी प्रकार रोम, येरुसलम, मक्का, हरिद्वार आदि धार्मिक नगर हैं। नगरों में सुविधाएँ (गुण)नगरों में मानवोपयोगी अनेक सुविधाएँ पायी जाती हैं जिनके आकर्षण से समीपवर्ती प्रदेश के लोग यहाँ रहने के लिए प्रवास कर जाते हैं अथवा अपनी सेवाओं एवं आवश्यकताओं को पूर्ण कर अपने घरों को वापस चले जाते हैं। ये सुविधाएँ (गुण) इस प्रकार हैं।
नगरों की समस्याएँ (दोष)नगरों में सुविधाओं के साथ-साथ कुछ समस्याएँ (दोष) भी होती हैं जिनका समाधान खोजना अत्यावश्यक है। ये समस्याएँ निम्नलिखित हैं।
नगरों की समस्याओं का समाधाननगरों के दोषों को दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि नगरों का पुनर्निर्माण किया जाए और मास्टर प्लान योजनाओं द्वारा इन दोषों को दूर किया जाए तथा औद्योगिक क्षेत्रों का भी सुनियोजित विकास किया जाए। योजनाओं द्वारा नगरें के बाह्य विस्तृत भागों में, चौड़ी सड़कों के सहारे सहारे कम मंजिलों की बस्तियाँ बसायी जानी चाहिए। मिलों एवं कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए मिलों से दूर एवं नगरों के बाह्य भागों में साफ-सुथरे, स्वास्थ्यवर्द्धक मोहल्ले या वार्ड बसाये जाएँ तथा उनके रिहायशी क्षेत्रों से देनिक काम करने वाले स्थानों तक परिवहन के साधनों- मोटर बसों या रेलगाड़ियों का प्रबन्ध किया जाना चाहिए। -नगर-निर्माण की योजनाएँ बनाने के लिए भूगोलवेत्ताओं का सहयोग अति आवश्यक है। नगर में चौड़ी सड़कें, विद्युत, जल-आपूर्ति, चिकित्सा एवं शिक्षा और रोजगार की योजनाएँ बनाकर उनको तत्परता से कार्यान्वित किया जाना चाहिए। इसे भी पढ़ें
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ग्रामीण अधिवास से आप क्या समझते हैं?ग्रामीण अधिवास धरातल पर प्राथमिक इकाई है। इन अधिवासों का मुख्य आधार कृषि अर्थात् प्राथमिक व्यवसाय होते हैं। जिन अधिवासों में कृषक लोग निवास करते हैं तथा कृषि एवं पशुपालन द्वारा आजीविका अर्जित करते हैं, उन्हें ग्रामीण अधिवास कहते हैं।” ग्रामीण अधिवासों का आकार छोटा होता है तथा ये प्राकृतिक पर्यावरण की देन होते हैं।
नगरीय अधिवास का क्या अर्थ है?नगरीय अधिवास का तात्पर्य उस बस्ती से होता है जो अपने क्षेत्र में सबसे बड़ी, क्षेत्र में सबसे अधिक सुविधा सम्पन्न, सभ्यता तथा संस्कृति में उन्नत और परिवहन-साधनों से युक्त होती है। शहरी क्षेत्रों की परिभाषा एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है।
अधिवास के दो प्रकार कौन से हैं?अधिवास मुख्य रूप से दो प्रकारों में विभक्त किये जा सकते हैं- ग्रामीण अधिवास और नगरीय अधिवास।
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