Solution : हालदार साहब एक देशभक्त व्यक्ति थे। चौराहे पर नेताजी की मूर्ति देख कर उन्हें प्रसन्नता हुई। लेकिन नेताजी की नाक पर संगमरमर के चश्मे की जगह पर मानवीय चश्मा देखकर उन्हें बड़ा कौतूहल लगा। वे हमेशा चौराहे पर रुककर नेताजी की मूर्ति को निहारते थे और उन्हें आश्चर्य होता था कि चश्मा रोज बदल जाता था। Show ICSE SolutionsSelina ICSE
SolutionsML Aggarwal Solutions प्रश्न क-i: उत्तर: प्रश्न क-ii: उत्तर : प्रश्न क-iii: उत्तर: प्रश्न क-iv: उत्तर: प्रश्न ख-i: उत्तर: प्रश्न ख-ii: उत्तर: प्रश्न ख-iii: उत्तर: प्रश्न ख-iv: उत्तर: प्रश्न ग-i: उत्तर: प्रश्न
ग-ii: उत्तर: प्रश्न ग-iii: उत्तर: प्रश्न ग-iv: उत्तर: प्रश्न घ-i: उत्तर: प्रश्न घ-ii: उत्तर: प्रश्न घ-iii: उत्तर: प्रश्न घ-iv: उत्तर: हालदार साहब कस्बे से क्यों गुजरते हैं?हालदार साहब कब और कहाँ-से क्यों गुजरते थे? उत्तर: हालदार साहब हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में एक कस्बे से गुजरते थे। जहाँ बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति लगी थी।
हालदार साहब कितने दिनों के बाद कस्बे से गुजरते थे?हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुज़रना पड़ता था।
हालदार साहब कस्बे से पहली बार गुजरते समय कहाँ रुके?Answer: हालदार साहब जब पहली बार इस कस्बे से गुज़रे और चौराहे पर पान खाने रुके तभी उन्होंने इसे लक्षित किया और उनके चेहरे पर एक कौतुकभरी मुसकान फैल गई।
कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को कौन सी आदत पड़ गई थी संक्षेप में लिखिए?उत्तर : हालदार साहब को चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखने की आदत पड़ गई थी। हालदार साहब को कस्बे से गुजरते समय हालदार साहब को उस कस्बे के मुख्य बाज़ार के चौराहे पर रुकना, पान खाना और मूर्ति को ध्यान से देखने की आदत पड़ गई थी। हालदार साहब अत्यंत भावुक, संवेदनशील तथा देशभक्त व्यक्ति थे ।
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