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प्रीक्लैंप्सिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भवती महिला को हाई ब्लड प्रेशर और पेशाब में प्रोटीन आने की शिकायत हो जाती है। गर्भावस्था में महिलाओं को हाई ब्लड प्रेशर होने का खतरा रहता है। इस स्थिति को जेस्टेशनल हाइपरटेंशन कहते हैं और यह समस्या स्ट्रेस या अन्य किसी स्वास्थ्य समस्या की वजह से हो सकती है। अगर हाई बीपी के साथ पेशाब में प्रोटीन ज्यादा आने लगे तो यह प्रीक्लैंप्सिया कहलाता है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए तो गर्भस्थ शिशु को नुकसान पहुंच सकता है। प्रीटर्म बर्थआठवें महीने में प्रीटर्म लेबर का खतरा काफी रहता है क्योंकि इस समय कुछ बच्चे सिफेलिक पोजीशन में होते हैं और नौ महीने से पहले ही पैदा हो सकता है। प्रीक्लैंप्सिया और प्लेसेंटा में कोई परेशानी होने की वजह से तुरंत डिलीवरी करवाने की जरूरत पड़ सकती है। आठवें महीने में पैदा होने वाले बच्चे सातवें महीने की तुलना में ज्यादा जी जाते हैं लेकिन इन्हें कुछ दिनों के लिए आईसीयू में रखने की जरूरत पड़ सकती है। यह भी पढ़ें : 39 की उम्र में प्रीमैच्योर था एक्ट्रेस गुल पनाग का बेबी, जानिए किन
महिलाओं में होता है प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा आठवें महीने में क्या करेंप्रेग्नेंसी के आठवें महीने में आपको डाइट का बहुत ध्यान रखना है। संतुलित आहार लें और थोडी़-थोड़ी देर में कुछ देर खाती रहें। इसके अलावा आठवें महीने में पेशाब न रोक पाने की समस्या से बचने के लिए रोज कीगेल एक्सरसाइज करें। इससे डिलीवरी के बाद पेल्विक हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी। अगर एक्सरसाइज नहीं कर पा रही हैं, तो पैदल चलें या योग करें। शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पिएं। इससे बॉडी को एनर्जी भी मिलेगी और ऐंठन भी नहीं होगी। शिशु की हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी होता है। सुबह और दोपहर को धूप में बैठें। यह भी पढ़ें : Pregnancy के आठवें महीने में ये सावधानियां बरतेंगीं तो स्वस्थ रहेगा बच्चा हास्पिटल जाने की तैयारीअगले महीने आपकी डिलीवरी निश्चित है और प्रीटर्म डिलीवरी हुई तो कभी भी आपको हास्पिटल जाना पड़ सकता है। इसलिए आप अभी से अपना हॉस्पिटल बैग तैयार करें। अपने बैग में सैनिटरी पैड, गाउन, ब्रेस्ट पैड, ब्रा और पर्सनल चीजें रख लें। आठवें महीने में आप जंक फूड या प्रोसेस्ड फूड न खाएं। इसकी वजह से अपच और सीने में जलन हो सकती है। विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट लेती रहें। डिलीवरी को लेकर ज्यादा चिंता न करें। शराब और सिगरेट से दूर रहें। कॉफी और चाय भी कम पिएं। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें
| Updated: Nov 27, 2020, 1:15 PM प्रेग्नेंसी का आठवां महीना यानि शिशु के जन्म के अब बस कुछ ही दिन बाकी बचे हैं और इसलिए अब आपको पहले से भी ज्यादा सावधान रहना है।
देर तक खड़े न रहें यह आठवें महीने की सबसे अहम सावधानी है। जैसे-जैसे बच्चे का वजन बढ़ता है आपके पेट और पेडू के इलाके में दबाव बढ़ता जाता है। अपने को झुकने से बचाने के लिए आप पीछे की ओर झुकती हैं। इससे आपकी पीठ में काफी दर्द होता है। इसलिए अपनी पीठ के दर्द को ध्यान में रखकर इस समय ज्यादा देर तक खड़े होने वाले काम न कीजिए। पूरी नींद लें तनाव से दूर रहें इस समय तनाव करने से बच्चे के ऊपर भी उसका असर पड़ता है। इसलिए तनाव से दूर रहें। पीठ के बल न लेटें कई बार थोड़ा-थोड़ा खाएं एक बार में ही भरपेट खाने की जगह आप थोड़ी मात्रा में कई बार खाएं। इससे एसिडिटी की समस्या नहीं होगी। वॉक पर जरूर
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देश-दुनिया की बड़ी खबरें मिस हो जाती हैं?धन्यवादप्रेगनेंसी के 8 महीने में क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए?प्रेग्नेंसी के आठवें महीने में आपको डाइट का बहुत ध्यान रखना है। संतुलित आहार लें और थोडी़-थोड़ी देर में कुछ देर खाती रहें। इसके अलावा आठवें महीने में पेशाब न रोक पाने की समस्या से बचने के लिए रोज कीगेल एक्सरसाइज करें। इससे डिलीवरी के बाद पेल्विक हिस्से की मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी।
प्रेगनेंसी के 8 महीने में कैसे सोना चाहिए?प्रेग्नेंसी में किस पोजीशन में सोना चाहिए
दाईं या बाईं करवट सो सकती हैं, दोनों ही पोजीशन में शिशु को ब्लड सप्लाई अच्छी मिलती है। दूसरी सेफ पोजीशन है कि आप कमर और छाती के नीचे तकिया लगाकर लेटें। इससे शरीर को आराम मिलेगा और नींद आने में भी आसानी होगी।
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