Nirjala Ekadashi 2022 : 10 जून 2022 यानी शुक्रवार को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा है। कहते हैं कि इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशियों के व्रतों का फल मिलता है। इस दिन आप व्रत रखें या नहीं रखें यदि आप ये 11 गललियां कर रहे हैं तो पछताएंगे। Show 1. इस दिन चावल नहीं खाते हैं। मान्यता है कि चावल खाने वले अगले जन्म में कीड़े मकोड़े के रूप में जन्म लेते हैं। 2. इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए। नमक खाने से एकादशी और बृहस्पति का फल नष्ट हो जाता है। इसीलिए इस दिन सात्विक फलाहार ही खाना चाहिए। 3. इस दिन मसूर की दाल, मूली, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, गोबी और सेम का सेवन भी नहीं करना चाहिए। निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो व्रत से एक दिन पहले दशमी के दिन से ही अपने भोजन पर ध्यान न दें। ना तो तामसिक, मांसाहारी भोजन का सेवन करें। साथ ही मदिरा सहित सभी प्रकार के नशे से भी दूर रहें। 4. इस दिन भूलकर भी स्त्री संग प्रसंग नहीं करना चाहिए। मनसा, वाचा और कर्मणा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। 5. एकादशी के दिन तुलसी को जल अर्पित नहीं करना चाहिए और न ही उसे छूना चाहिए। क्योंकि तुलसी माता इस दिन उपवास में रहती है। 6. व्रत से एक रात पहले सोएं ना। पूरी रात भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का अराधना करें। 7. इस दिन व्रत करते समय किसी के प्रति मन में बुरे विचार नहीं रखने चाहिए। चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है। इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। हर तरह के वाद-विवाद से बिल्कुल दूर रहना चाहिए। 8. इस दिन पलंग पर नहीं सोना चाहिए। भूमि पर ही आराम करना चाहिए। 9. एकादशी के दिन पान नहीं खाना चाहिए क्योंकि न खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। 10. इस दिन झाडू और पोछा नहीं लगाना चाहिए क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की हत्या का दोष लगता है। 11. इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। इस दिन लकड़ी का दातुन न करें। नींबू, आम या जामुन के पत्ते चबाकर कुल्ला कर लें और अंगुली से गला साफ कर लें। Nirjala ekadashi ke din kya nahin karna chahie: प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून 2022 को रखा जाएगा। इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। आओ जानते हैं कि इस दिन कौनसे 10 कार्य करें और कौनसे 5 कार्यों से बचें। एकादशी तिथि समय : दशमी तिथि 10 तारीख को सुबह 07:27:54 तक रहेगी उसके बाद एकादशी प्रारंभ होगी, जो अगले दिन यानी 11 जून 2022 शुक्रवार को 05:47:09 तक रहेगी। इसीलिए एकादशी 10 और 11 दोनों दिन रहेगी। ये 10 कार्य करें : 1. दान : अन्न- जलदान, गौ दान, वस्त्रदान, जूता और छाता दान। यह नहीं कर सकते हैं तो कम से कम इस दिन जल कलश में जल भरकर उसे सफेद वस्त्र से ढककर चीनी और दक्षिणा के साथ किसी ब्राह्मण को दान जरूर करें जिससे साल भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी को जल एवं गौ दान करना सौभाग्य की बात मानते थे। इसके अलावा लोग ग्रीष्म ऋतु में पैदा होने वाले फल, सब्जियां, पानी की सुराही, हाथ का पंखा आदि का दान करते हैं। 2. निर्जला व्रत : इस एकादशि के दिन बिना जल के व्रत करें। पद्मपुराण में निर्जला एकादशी व्रत द्वारा मनोरथ सिद्ध होने की बात कही गई है। इस एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक करने से सभी एकादशियों के व्रत का फल मिलता है। शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत में सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन के सूर्योदय तक जल का त्याग कर देना चाहिए और अगले दिन सूर्योदय के बाद पूजा करके पारण के समय जल ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जहां वर्ष की सभी एकादशियों का फल मिलता है, वहीं पूरे वर्ष शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। 3. विष्णु आराधना : निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की लक्ष्मी माता सहित आराधना की जाती है। इस दिन पीताम्बरधारी भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और साथ ही यथाशक्ति श्री विष्णु के मंत्र 'ॐ नमो भगवते
वासुदेवाय' का जाप करते रहना चाहिए। 4. जलदान : जो लोग गौ दान नहीं कर पाते हैं वे इस समय जलपान जरूर कराते हैं। ज्येष्ठ माह वैसे भी तपता है तो भी जगह प्याऊ लगान और लोगों को पानी पिलाना पुण्य का कार्य है। इस दिन जल में वास करने वाले भगवान श्रीमन्नारायण विष्णु की पूजा के उपरांत दान-पुण्य के कार्य कर समाज सेवा की जाती रही। ऐसा करने से पितृदोष दूर होने के साथ ही चंद्रदोष भी दूर होता है। 5. देवी-देवता को करें प्रसन्न : इस दिन श्रीहरि विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा करें। एकादशी तिथि के देवता हैं विश्वदेवगण हैं। उनकी पूजा भी करना चाहिए। इस दिन जल देवता वरुणदेव की पूजा का भी महत्व रहता है। इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा भी करना चाहिए। विष्णु, कृष्ण, वरुण, विश्वदेवगण और माता लक्ष्मी। 6. दान करें पानी से भरा घड़ा : इस दिन साधक बिना जल पिए ज़रूरतमंद व्यक्ति या किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को शुद्ध पानी से भरा घड़ा यह मंत्र पढ़कर दान करना चाहिए- उदकुंभप्रदानेन नय मां परमां गतिम्॥ अर्थात संसार सागर से तारने वाले देवदेव हृषिकेश इस जल के घड़े का दान करने से आप मुझे परम गति प्रदान करें। 7. पीपल में जल अर्पित करें : यदि आप उपरोक्त उपाय नहीं कर सकते हैं तो इस दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करके उसकी विधिवत पूजा करें। ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है। 8. ब्राह्मण भोजन : द्वादशी के दिन सूर्योदय के बाद विधिपूर्वक ब्राह्मण को भोजन करवाकर एवं दक्षिणा देकर तत्पश्चात अन्न व जल ग्रहण करें। 9. कथा श्रवण करें : भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्रती को करोड़ों गायों को दान करने के समान फल प्राप्त होता है। इस दिन निर्जला एकादशी की कथा पढ़नी या सुननी चाहिए। 10. पौधा रोपण करें : इस दिन पौधा रोपण करने का भी महत्व है। कहीं पर भी पीपल, बरगद, नीम, कैथ आदि का पौधा लगाएं। Nirjala Ekadashi 5 कार्यों को करने से बचें : 1. आहार : इस दिन चावल नहीं खाते हैं। मान्यता है कि चावल खाने वले अगले जन्म में कीड़े मकोड़े के रूप में जन्म लेते हैं। इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए। नमक खाने से एकादशी और बृहस्पति का फल नष्ट हो जाता है। इसीलिए इस दिन सात्विक फलाहार ही खाना चाहिए। इस दिन मसूर की दाल, मूली, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, गोबी और सेम का सेवन भी नहीं करना चाहिए। निर्जला एकादशी का व्रत कर रहे हैं तो व्रत से एक दिन पहले दशमी के दिन से ही अपने भोजन पर ध्यान न दें। ना तो तामसिक, मांसाहारी भोजन का सेवन करें। साथ ही मदिरा सहित सभी प्रकार के नशे से भी दूर रहें। एकादशी के दिन पान नहीं खाना चाहिए क्योंकि न खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है। 2. ब्रह्मचर्य : इस दिन भूलकर भी स्त्री संग प्रसंग नहीं करना चाहिए।
मनसा, वाचा और कर्मणा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस दिन व्रत करते समय किसी के प्रति मन में बुरे विचार नहीं रखने चाहिए। चुगली करने से मान-सम्मान में कमी आ सकती है। कई बार अपमान का सामना भी करना पड़ सकता है। इस दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। हर तरह के वाद-विवाद से बिल्कुल दूर रहना चाहिए। 3. तुलसी : एकादशी के दिन तुलसी को जल अर्पित नहीं करना चाहिए और न ही उसे छूना चाहिए। क्योंकि तुलसी माता इस दिन उपवास में रहती है। 4. शयन : व्रत से एक रात पहले सोएं ना। पूरी रात भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का अराधना करें। इस दिन पलंग पर नहीं सोना चाहिए। भूमि पर ही आराम करना चाहिए। 5. अन्य नियम : इस दिन झाडू और पोछा नहीं लगाना चाहिए क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की हत्या का दोष लगता है। इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। इस दिन लकड़ी का दातुन न करें। नींबू, आम या जामुन के पत्ते चबाकर कुल्ला कर लें और अंगुली से गला साफ कर लें। निर्जला एकादशी में क्या नहीं करना चाहिए?निर्जला एकादशी के दिन चावल, नमक के अलावा बैंगन, मूली, प्याज, लहसुन और मसूर की दाल जैसे अशुद्ध चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत में इन चीजों का सेवन करने से व्रत भंग हो सकता है। निर्जला एकादशी के दिन मन को हमेशा पवित्र रखना चाहिए।
क्या हम निर्जला एकादशी पर कुछ खा सकते हैं?निर्जला एकादशी व्रत डोनट्स
हालांकि पूर्ण उपवास रखना चाहिए, कई भक्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक उपवास रखते हैं। इसलिए आप शाम को भोजन कर सकते हैं लेकिन गेहूं, चावल और दाल खाने से बचें । झूठ न बोलें या अपमानजनक भाषा का प्रयोग न करें। कर्म या कर्म से किसी का अहित न करें।
क्या निर्जला एकादशी में पानी पी सकते हैं?हाइलाइट्स। निर्जला एकादशी 2022: ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को रखा जाएगा. इस व्रत में पानी पीना वर्जित माना गया है , इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है.
निर्जला एकादशी के नियम क्या है?निर्जला एकादशी व्रत के नियम
दशमी के दिन सूर्यास्त से पहले ही शाम का भोजन ग्रहण कर लें. भोजन में प्याज लहसुन का इस्तेमाल बिल्कुल न करें. – दशमी की रात को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए. सोने के लिए चटाई का इस्तेमाल करें.
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