गर्भ में बच्चा खाना कैसे खाता है - garbh mein bachcha khaana kaise khaata hai

आठवें महीने में शिशु की हलचल और अधिक बढ़ जाती है जिसे माँ बहुत अच्छे से महसूस कर सकती है। इस समय दिमाग का विकास तेजी से होता है और वह सुनने के साथ देख भी सकता है । फेंफड़ों के अलावा अन्य सभी शारीरिक अंगो का विकास पूरा हो चुका होता है। इस महीने में शिशु का वजन 1700 ग्राम होता है और लम्बाई 42 सेंटीमीटर होती है।

नई दिल्ली। वैसे तो दुनिया में हर रिश्ते की अपनी एक अलग अहमियत होती है, लेकिन मां और बच्चे का रिश्ता सबसे खास होता है। एक मां के लिए उसके बच्चे से बढ़कर कुछ नहीं होता है और किसी इंसान की जिंदगी में सबसे पहला स्थान मां का ही आता है।नौ महीने तक मां के पेट में रहने के बाद एक बच्चा जन्म ग्रहण करता है। कभी-कभार मां के साथ-साथ हमारे दिमाग में भी यह ख्याल आता है कि आखिर गर्भ में रहने के दौरान बच्चा क्या-क्या करता है? क्या सोचता है? यह एक बेहद रोचक सवाल है जिसका जवाब हम आज आपको देने जा रहे हैं।

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये।

जी घर के अंदर बच्चा कुछ खाता नहीं है कुछ पता नहीं है वह प्रक्रिया मुंह से नहीं होती गर्भ के अंदर बच्चे को खुराक जो भी मिलती है वह नाभि के द्वारा मिलती है हम देखें बच्चा जन्म लेता है उसी वक्त डॉक्टर उसकी नाभि को काटता है ना थोड़ी सी को छोड़ देता और उसको बंद कर देती तो इसका मतलब का मां के पेट के अंदर का खाना बंद हो गया और इसके बाद मां अपना दूध देती है मुंह के द्वारा फुट चालू हो जाता है घर के अंदर बच्चा विटामिंस मिनरल्स खून ऑक्सीजन प्रोटीन जो भी कुछ लिखता है एक्सीडेंट जो भी कुछ लेता है उसे मां की खुराक से ही बच्चों को मिलता है और ना भी द्वारा उसको नहीं पता रहता है और वह खून का दौरा सिस्टम सारा मां के साथ ही जुड़ा होता है बच्चे का अलग से नहीं होता बच्चे को उससे परवरिश मिलती रहती है जैसे से बच्चा पड़ता है उसके हिसाब से उसको मिलता है इसलिए हमेशा गर्भवती मां को चाहिए वह हरी सब्जियां फल मन को भाने वाली चीजें खाएं बाजार की कोई चीज फालतू में ना खाए कोई नशा ना करे किसी किस्म का पुराना कपड़ा का हमेशा डॉक्टर के हिसाब से लेनी चाहिए बैलेंस हल्की-फुल्की शक्तिशाली खुराक लेनी चाहिए वही बच्चों को छुट्टी रहती है नमस्कार

ji ghar ke andar baccha kuch khaata nahi hai kuch pata nahi hai vaah prakriya mooh se nahi hoti garbh ke andar bacche ko khurak jo bhi milti hai vaah nabhi ke dwara milti hai hum dekhen baccha janam leta hai usi waqt doctor uski nabhi ko katata hai na thodi si ko chod deta aur usko band kar deti toh iska matlab ka maa ke pet ke andar ka khana band ho gaya aur iske baad maa apna doodh deti hai mooh ke dwara feet chaalu ho jata hai ghar ke andar baccha vitamins minerals khoon oxygen protein jo bhi kuch likhta hai accident jo bhi kuch leta hai use maa ki khurak se hi baccho ko milta hai aur na bhi dwara usko nahi pata rehta hai aur vaah khoon ka daura system saara maa ke saath hi juda hota hai bacche ka alag se nahi hota bacche ko usse parvarish milti rehti hai jaise se baccha padta hai uske hisab se usko milta hai isliye hamesha garbhwati maa ko chahiye vaah hari sabjiyan fal man ko bhane wali cheezen khayen bazaar ki koi cheez faltu mein na khaye koi nasha na kare kisi kism ka purana kapda ka hamesha doctor ke hisab se leni chahiye balance halki fulki shaktishali khurak leni chahiye wahi baccho ko chhutti rehti hai namaskar

जी घर के अंदर बच्चा कुछ खाता नहीं है कुछ पता नहीं है वह प्रक्रिया मुंह से नहीं होती गर्भ क

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गर्भ में बच्चा खाना कैसे खाता है - garbh mein bachcha khaana kaise khaata hai
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आपका गर्भ आपके बच्चे के लिए एक सेंसरी प्ले फील्ड होता है। गर्भ में बढ़ता बच्चा इस बात का सबूत है कि आपके अंदर रह कर बच्चा बहुत कुछ सीखता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि खाने और म्यूजिक को  लेकर आपके बच्चे की अपनी प्रेफरेंस होती है जो गर्भ से ही शुरू हो जाती हैं। उसे क्या पसंद आता है और क्या नहीं, इस बात का संकेत बच्चा आपको गर्भ में देने लगता है।

अपने बच्चे को गर्भ में सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसके साथ बातचीत करें। जब भी आपका बच्चा किक मारता है, तो उसे किक मारने के लिए प्रोत्साहित करते हुए अपने पेट पर किसी भी जगह को पॉइंट करें और बच्चे से कहें कि वो यहाँ किक मारे, इस प्रकार आप उसे प्रतिक्रिया देना सिखाएं। बच्चे को गर्भ में कहानियां पढ़ कर सुनाना या उससे बातें करना उसे आसान तरीके से चीजों के सीखने का अनुभव कराता है।

क्या बच्चा गर्भ में सीख सकता है?

हाँ, आपके बच्चे की लर्निंग गर्भ के अंदर से शुरू हो जाती है। आप जिस भी सेंसेशन से गुजरती हैं या यहाँ तक कि आपके पेट पर पड़ने वाली हलकी सी लाइट का आभास भी होना आपके बच्चे को इंटरेक्शन के लिए उत्तेजित करता है। आपके द्वारा खाए गए भोजन से लेकर आपके द्वारा अनुभव की जाने वाली भावनाओं तक, आपके द्वारा पहुँचने वाला हर एक अनुभव आपके बच्चे के साथ साझा होता है, जब वह आपके गर्भ के अंदर होता है।

आपका बच्चा गर्भ में क्या बातें सीख सकता है?

गर्भ में बच्चा खाना कैसे खाता है - garbh mein bachcha khaana kaise khaata hai

यह देखा गया है कि बच्चे को साउंड और टेस्ट याद रह जाता है, जो उसने गर्भ में सुना और अनुभव किया होता हैं। अगर आप अपनी प्रेगनेंसी के दौरान किसी विशेष संगीत को सुनती रही होंगी, तो बच्चे के जन्म के बाद उस  आवाज को पहचानने की काफी संभावना होती है। जानी पहचानी आवाज को सुनकर बच्चा रिलैक्स महसूस करता है। साउंड के अलावा, आपका बच्चा स्वाद का भी आदी हो जाएगा और उसे पसंद-नापसंद करना सीख जाएगा। यदि आप प्रेगनेंसी के दौरान किसी विशेष भोजन का सेवन करती हैं, तो आपका बच्चा भी इसके टेस्ट को विकसित करेगा और जन्म के बाद भी उस टेस्ट को पसंद करेगा।

आपका बच्चा कैसे सीखता है?

आपका बच्चा गर्भ के अंदर विभिन्न तरीकों से सीखता है। जिनमें से आपको कुछ नीचे बताए गए हैं:

  • म्यूजिक बजने से – अगर आप म्यूजिक बजा रही हैं, तो हल्का म्यूजिक बजाएं न कि तेज म्यूजिक, क्योंकि एक्सट्रीम सॉन्ग या जॉनर आपके बच्चे पर स्ट्रेस डाल सकता है। इसलिए जो भी म्यूजिक लगाएं उसका वॉल्यूम कम ही रखें। शिशुओं में मस्तिष्क के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए मोजार्ट और क्लासिकल म्यूजिक अच्छा माना जाता है, वैसे देखा जाए तो कोई भी प्रीनेटल म्यूजिक ट्रैक यही काम करता है।
  • बातचीत करना और भावनाएं – आपका बच्चा गर्भ में सबसे पहले आपकी आवाज को पहचानता है, सबसे अहम बात यह कि बच्चा सबसे ज्यादा समय आपके साथ ही बिताता है। आपके द्वारा बोला जाने वाला प्रत्येक शब्द आपके पेट के मार्ग से होकर गुजरता है और आपके एमनियोटिक फ्लूइड के माध्यम से पुन: उत्पन्न होता है, इस प्रकार आपकी आवाज बच्चे तक पहुँचती है। यह बच्चे को सुकून देता है की वो सुरक्षित है, इसलिए आपका अच्छी बातें करना और मधुर वाणी में बोलना जरूरी होता है, ताकि वह मेमोरी में आपकी वही आवाज याद रहे। यहाँ तक ​​कि आपके द्वारा महसूस की जाने वाली भावनाएं भी आपका बच्चा महसूस करता है। जब आप रोती हैं, हंसती हैं या खुशी महसूस करती हैं, तो आपका बच्चा भी उन भावनाओं से परिचित होता है। वो इन इमोशन का रिएक्शन अपने जन्म के समय भी देता है।
  • टेस्ट और स्मेल – बच्चा सिर्फ लाइट और साउंड को ही महसूस नहीं करता है बल्कि उसे टेस्ट और स्मेल का भी अहसास होता है। सातवें महीने तक आपके बच्चे के सेंसरी बड पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं। उसकी सूंघने की क्षमता इस दौरान विकसित हो रही होती है। गर्भवती माँ जो भी चीज खाती है वो एमनियोटिक फ्लूइड के जरिए बच्चे तक पहुँच जाता है। यह उसे आपके द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों के स्वाद और महक का आदी बनाता है।

गर्भ में अपने बच्चे को सिखाने के लिए टिप्स 

यहाँ आपके गर्भ में पल रहे शिशु के सीखने और सेंसरी डेवलपमेंट में तेजी लाने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • कहानी सुनने की आदत डालें – रिसर्च के अनुसार रोजाना बच्चे को कुछ पढ़कर सुनाने से उसे जन्म के बाद भी स्टोरी सुनना पसंद होता है, कहानी सुनने की आदत से उसके निप्पल चूसने की प्रक्रिया में भी तेजी आती है।
  • एक्सरसाइज – एक्सरसाइज करने से रिलीज होने वाले एंडोर्फिन हार्मोन से आपको अच्छा महसूस होता है, इसका प्रभाव 8 घंटे तक आपके गर्भ में रहता है। एक्टिव रहने से आपके शरीर में और गर्भ में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर रूप से होता है, इस प्रकार आपके बच्चे के हिप्पोकैम्पस में न्यूरॉन सेल की वृद्धि होती है। यह लर्निंग और मेमोरी डेवलपमेंट को प्रभावित करता है और इसे 40% तक बढ़ाता है।
  • विटामिन डी – बाहर जाइए और कुछ धूप लीजिए! यह विटामिन डी प्राप्त करने का एक बेहतरीन तरीका है, इसके अलावा अपने आहार में विटामिन-डी युक्त खाद्य पदार्थों को न भूलें। ऑटिज्म और कमजोर हड्डियों का संबंध विटामिन डी की कमी से जुड़ा हुआ है। यदि आप चाहती हैं कि आपके बच्चे की हड्डियां मजबूत हो और दिल स्वस्थ हो, तो दिन में कम से कम 20 मिनट धूप में बैठें।
  • अपने बेबी बम्प की मालिश करना – लगभग 20 हफ्तों में, आपका बच्चा आपके द्वारा बेबी बम्प पर किए जाने वाले स्पर्श और प्यार की संवेदनाओं को महसूस कर सकेगा। अपने पेट पर हल्के से स्ट्रोक करने से आपके बच्चे के नर्वस सिस्टम को शांत होने का संकेत मिलता है। मजेदार तथ्य यह है कि बच्चा अपनी माँ और बाप के स्पर्श के बीच अंतर कर सकता है।
  • बच्चे से बात करना- चाहे कहानी सुनना हो या उससे बातें करना हो, बच्चा आपके हर शब्द को ध्यान से सुनता है और उस पर ध्यान देता है, खासकर 27वें सप्ताह से जब से उनके कान और मस्तिष्क के बीच कनेक्शन जुड़ जाता है। बच्चा गर्भ में भाषा और आप जिस लहजे में उनसे बात करती हैं उसका जवाब भी देते हैं, इसलिए यह समय अपने बच्चे से बात करने के लिए एक परफेक्ट टाइम है।
  • सही खाना खाएं – आपके बच्चे का टेस्ट बड लगभग 12 सप्ताह तक डेवलप हो जाता है और 25वें सप्ताह तक उसे खाने का स्वाद पूरी तरह से महसूस होने लगता है। आप जो भी कुछ खाती हैं उसका फ्लेवर एमनियोटिक फ्लूइड के जरिए गर्भ में बच्चे तक पहुँचता है। जैसे अगर गर्भवती माँ प्रेगनेंसी के दौरान गाजर का जूस पीती है, तो जन्म के बाद जब वह भोजन लेना शुरू करेगा तो उसे गाजर की डिशेस खाना पसंद होगा।

चाहे आप गर्भधारण करने की प्लानिंग कर रही हों या आप पहले से ही गर्भवती हों, अपने बच्चे की बेहतरीन ग्रोथ के लिए उसका गर्भ के अंदर ही पालन पोषण  शुरू कर दिया जाना चाहिए। ज्यादा प्रेशर न लें, एक एक स्टेप लें और बच्चे को गर्भ संस्कार दें।

गर्भ में बच्चे को भोजन कैसे मिलता है?

गर्भनाल मां और बच्चे को जोड़ने का काम करती है. मां जो कुछ भी खाती है, आहार नाल के माध्यम से उसका पोषण बच्चे को भी मिलता है. गर्भनाल बच्चे के लिए फिल्टर की तरह भी काम करती है. यह उस तक सिर्फ पोषण पहुंचाती है और विषैले पदार्थों को भ्रूण तक नहीं जाने देती.

गर्भ में बच्चा कब Sunne लगता है?

प्रेगनेंसी के 20वें सप्‍ताह के आसपास शिशु सुनने लगता हैगर्भ में शिशु को संगीत पसंद आता है लेकिन तेज आवाज और शोर उन्‍हें डरा देता है। मां की आवाज से शिशु के दिल की धड़कन तेज हो जाती है जबकि शोर या तेज आवाज शिशु को विचलित कर देती है।

बच्चा मां के पेट में क्या खाता है?

​मीठा खाना ऐसा इसलिए हो सकता है कि आप जो भी खाती हैं, उसका स्‍वाद शिशु को भी जाता है। शिशु को एम्नियोटिक फ्लूइड के जरिए स्‍वाद मिलता है। जिन बच्‍चों को मीठा पसंद होता है अक्‍सर मां के मीठा खाने पर गर्भ में मूव करते हैं। यह एक संकेत है कि आपके बच्‍चे को मीठा खाना पसंद है।

गर्भावस्था के दौरान अपने बच्चे को बुद्धिमान बनाने के लिए मैं क्या खा सकती हूं?

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