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Rajasthan Board RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 गिल्लूRBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तरRBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 वस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्न प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरRBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 6. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न
3. प्रश्न 4. RBSE Class 9 Hindi प्रबोधिनी Chapter 6 निबन्धात्मक प्रश्नोत्तर प्रश्न: महादेवी वर्मा अपनी बात बोलकर बतलाने में असमर्थ जीवों के मन की भी गहरी समझ रखती थीं। गिल्लू के प्रिय खाद्य के बारे में वह जानती र्थी। उसको थाली से बाहर बैठकर खाना उन्होंने प्रयत्नपूर्वक सिखाया था। गिल्लू जब चिक चिक करता था, तो वह समझ जाती थीं कि उसको भूख लगी है। गिल्लू खिड़की की जाली के अन्दर रहकर बाहर से आने वाली गिलहरियों को चिक चिक करते देखता था तो उन्होंने जान लिया था कि वह बाहर जाकर उनके बीच घूमना चाहता है। उन्होंने जाली को एक ओर से हटाकर रास्ता बना दिया था। -महादेवी वर्मा पाठ परिचय ‘गिल्लू’ महादेवी वर्मा द्वारा लिखित एक संस्मरण है जिसमें लेखिका ने एक गिलहरी के बच्चे से संबंधित अपनी सुखद यादों को सँजोया है। लेखिका एक दिन कमरे से बाहर आई तो उसने एक गमले और दीवार की संधि में पड़े गिलहरी के एक बहुत छोटे बच्चे को देखा जिसे कौए खा जाने के प्रयास में थे। बच्चा घायल था। लेखिका ने उसे कमरे में लिटाकर घावों पर दवा लगाई और उसे दूध पिलाया। स्वस्थ होकर वह लेखिका से बहुत हिल-मिल गया। गिलहरियों की उम्र दो वर्ष के लगभग होती है। गिल्लू का भी अंत समय आ पहुँचा। अंतिम दिन वह लेखिका की अंगुली मुँह में दबाए हुए संसार से विदा हो गया। शब्दार्थ-हरीतिमा = हरियाली। लघुप्राण = छोटा- सा जीव। काकभुशुण्डि = कौआ। समादरित = सम्मानित। अनादरित = आदर न पाने वाला। कर्कश = तीखा, कठोर। अवमानना = अपमान, उपेक्षा। काकद्वय = दो कौए। निश्चेष्ट = चुपचाप। अपवाद =सब से भिन्न होना। प्रश्न 1. महत्वपूर्ण गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्याएँ। प्रश्न 2. संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ के गिल्लू’ नामक पाठ से लिया गया है। लेखिका को सोनजुही नाम की लता में एक पीली कली लगी देखकर अपने प्रिय पालतू गिल्लू का स्मरण हो आया और उसकी शरारतों में खो गई है। व्याख्या-लेखिका महादेवी वर्मा ने देखा कि उसके बगीचे में उठी हुई सोनजुही पर एक पीली कली आ गई है। उस कली को देखकर उन्हें उस छोटे से गिलहरी के बच्चे की याद आ गई जो इस लता के घने पत्तों में छिपकर बैठ जाता था और जब लेखिका लता के पास पहुँचती तो अचानक उसके कंधे पर कूदकर उसे चौंका देता था। उस समय लेखिका लता में कली ढूँढ़ने जाया करती थी किन्तु अब उसे उस छोटे से प्राणी की खोज है। उसे लगता है कि वह अभी लता से कूदकर उसके कंधे पर आ बैठेगा। परन्तु वह तो कब का लता की जड़ की मिट्टी में मिलकर मिट्टी बन गया होगा। आज लेखिका को लगा कि सुनहली कली के रूप में वही उन्हें फिर से चौंकाने आ गया है। विशेष- 2. मेरी अस्वस्थता में वह तकिए पर सिरहाने बैठकर अपने नन्हे-नन्हे पंजों से मेरे सिर और बालों को इतने हौले-हौले सहलाता रहता कि उसका हटना, एक परिचारिका के हटने के समान लगता। गर्मियों में जब मैं दोपहर में काम करती रहती तो गिल्लू न बाहर जाता न अपने झूले में बैठता। उसने मेरे निकट रहने के साथ गरमी से बचने का एक सर्वथा नया उपाय खोज निकाला था। वह मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता और इस प्रकार समीप भी रहता और ठंडक में भी रहता। (पृष्ठ-33) संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ के पाठ ‘गिल्लू’ से अवतरित है। इस अंश में पालतू जीवों की समझदारी और प्रेम करने वाले के प्रति गहरे लगाव का चकित करने वाला विवरण है। व्याख्या-गिल्लू में मनुष्यों जैसी, अवसर के अनुसार समझदारी और व्यवहार चकित करने वाला था। जब लेखिका बीमारी में बिस्तर पर लेटी होती तो गिल्लू उनके सिरहाने तकिए पर बैठकर उनके सिर और बालों को एक निपुण व्यक्ति के समान बड़े धीरे-धीरे सहलाया करता था। उसके द्वारा सहलाना बंद कर देने पर लेखिका को ऐसा लगता मानो कोई परिचारिका (नर्स) थी जो हट गई है। गर्मियों में जब लेखिका अपने लेखन कार्य में लगी होती तो गिल्लू न तो बाहर जाता और न अपने झूले में ही बैठता था। गर्मी से भी बचाव हो जाय और लेखिका का साथ भी न छूटे, इसका बड़ा अनोखा उपाय उसने निकाल लिया था। वह लेखिका के पास रखी सुराही पर आकर लेट जाया करता। इससे सुराही की ठंडक भी मिलती रहती और लेखिका के पास रहने का भी लाभ मिलता। विशेष- 3. उसका झूला उतारकर रख दिया गया है और खिड़की की जाली बंद कर दी गई है, परन्तु गिलहरियों की नई पीढ़ी जाली के उस पार चिक-चिक करती ही रहती है और सोनजुही पर बसंत आता ही रहता है। सोनजुही की लता के नीचे गिल्लू को समाधि दी गई है-इसीलिए भी कि उसे वह लता सबसे अधिक प्रिय थी-इसलिए भी कि इस लघुगात का, किसी वासंती दिन, जुही के पीताभ छोटे फूल में खिल जाने का विश्वास, मुझे संतोष देता है। (पृष्ठ-33) संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिंदी प्रबोधिनी’ के ‘गिल्लू’ नामक पाठ से लिया गया है। गिल्लू की मृत्यु के बाद लेखिका के घर में एक सूनापन-सा छा गया है। गिल्लू की प्रिय वस्तुएँ लेखिका को उसकी याद दिला रही हैं। व्याख्या-गिल्लू के न रहने से उसका झूला सूना लगता था। अतः उसे उतारकर रख दिया गया। गिल्लू द्वारा प्रयोग किए जाने वाले खिड़की की जाली में से बनाया गया रास्ता भी बंद कर दिया गया है। लेकिन खिड़की के बाहर गिलहरियों की नई पीढ़ी पहले की तरह चिक-चिक करती रहती है और हर बसंत में सोनजुही पर पीले फूल खिलते रहते हैं। सब कुछ पहले जैसा चल रहा है। गिल्लू को सोनजुही लता के नीचे धरती में दबा दिया गया है। एक तो इसलिए कि वह लता गिल्लू को बहुत प्रिय लगती थी, दूसरे लेखिका को ऐसा विश्वास है कि एक न एक बसंत में गिल्लू पीला फूल बनकर सोनजुही पर अवश्य खिलेगा। विशेष- लेखिका को कैसे लगा कि गिल्लू का अंतिम समय निकट है?जब गिल्लू की जीवन यात्रा का अंत आया तो उसने दिनभर कुछ भी नहीं खाया और वह बाहर भी घूमने नहीं गया। वह अपने झूले से नीचे उतरा और लेखिका के बिस्तर पर आकर उसकी उँगली पकड़कर चिपक गया। इन सभी चेष्टाओं से लेखिका को लगा कि उसका (गिल्लू का) अंत समीप है और सुबह की पहली किरण के साथ ही वह हमेशा के लिए सो गया।
लेखिका ने गिल्लू का उपचार कैसे किया?Answer: लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई फिर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया। तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।
गर्मियों में लेखिका के नजदीक रहने का गिल्लू ने क्या उपाय निकाल दिया था?गिल्लू ने लेखिका के नजदीक रहने के साथ-साथ गर्मी से बचने का एक सबसे नया उपाय खोज निकाला था। वह लेखिका पास रखी हुई सुराही पर लेट जाता था, जिससे वह लेखिका के नजदीक भी बना रहता और ठंडक में भी रहता।
लेखिका ने गिल्लू के घाव पर कौन मरहम लगाई थी?उत्तर: लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को धीरे से उठाकर अपने कमरे में ले गईं। 1. उन्होंने रुई से खून पोंछा और घावों पर पेंसिलिन का मलहम लगाया। उसका नन्हा-सा मुँह बन्द हो गया था।
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