फाइव स्टार होटल में क्या-क्या होता है - phaiv staar hotal mein kya-kya hota hai

Hotel Rating Process: आपने देखा होगा कि अलग-अलग स्टार के कई होटल होते हैं, जिसमें फाइव स्टार, सेवन स्टार जैसे कई होटल शामिल हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर ये कैसे तय होता कि किस होटल को कितने स्टार मिलेंगे.

फाइव स्टार होटल में क्या-क्या होता है - phaiv staar hotal mein kya-kya hota hai

1000 रुपए से कम चार्ज वाले होटल्स पर भी अब लगेगा जीएसटी.

आपने सुना होगा कि कोई होटल फाइव स्टार (Five Star Hotels) होता है तो किसी होटल को थ्री स्टार होटल कहा जाता है. माना जाता है कि फाइव स्टार होटल में ज्यादा लग्जरी सुविधाएं होती हैं, जबकि जितने कम स्टार का होटल होता है, उसमें उतनी सुविधाएं कम होती हैं. वैसे ही ज्यादा स्टार वाले होटल में किराया भी उसके हिसाब से काफी ज्यादा लगता है. लेकिन, कभी आपने सोचा है कि आखिर ये होटल को स्टार (Hotel Rating) कहां से मिलते हैं. यानी कौन होटलों को ये स्टार देता है और उनके स्टार देने के पीछे क्या क्राइटीरिया होता है और किस आधार पर ये रैंकिंग दी जाती है.

तो आज हम आपको बता रहे हैं कि आखिर होटलों को दी जाने वाली रेटिंग का क्या हिसाब है और ये किस तरह से होटलों को दी जाती है. इसी के साथ ही हम आपको बताएंगे कि एक से पांच तक के स्टार वाले होटल की रेटिंग में क्या अंतर होता है. इसके बाद आप भी होटल की सर्विस देखकर समझ पाएंगे कि ये होटल कितने स्टार वाला होटल है…

कौन देता है होटल को रेटिंग?

सबसे पहले आपको बताते हैं कि होटल्स को ये रेटिंग देता कौन है. वैसे तो आजकल होटल अपने हिसाब से यह क्लेम कर लेते हैं कि उनका होटल कितने स्टार वाला होटल है. वैसे इसके लिए पर्यटन मंत्रालय के अधीन एक कमेटी है, जो होटल को रेटिंग देने का काम करती है. इस कमेटी का नाम है होटल एंड रेस्टोरेंट अप्रूवल एंड क्लासिफेक्शन कमेटी. ये कमेटी ही होटलों को रेट करना का काम करती है और इसके भी दो हिस्से होते हैं. इसमें एक विंग एक से तीन स्टार और दूसरी विंग चार और पांच स्टार रेटिंग के मामले को देखती है.

कैसे तय होता है किस होटल को कौनसी रेटिंग?

अब बात करते हैं कि यह कैसे तय होती है कि किस होटल को कौनसी रेटिंग दी जाएगी. इसके लिए कमेटी कुछ पैरामीटर्स के आधार पर रेचिंग देती है. कहा जाता है कि पहले रेटिंग के लिए अप्लाई करने के बाद कमेटी की एक टीम होटल का दौरा करती थी और वहां की सर्विस, सफाई, होटल के कमरे, उनकी साइज और अन्य एसेसरीज की जांच करती है. उसके बाद वे अपनी गाइडलाइन मैच करने के आधार पर रेटिंग का फैसला करते हैं. कहा जाता है कि पहले ये जांच करने के लिए कमेटी होटल में एक-दो रुकती भी थी, लेकिन अब ये प्रोसेस कुछ ही घंटे तक चलती है और कुछ देर के मुआयने के बाद कमेटी ये फैसला ले लेती है.

बता दें कि रेटिंग पर चर्चा करते समय रूम, बाथरूम की साइज, एसी की डिटेल, पब्लिक एरिया, लॉबी, रेस्टोरेंट, बार, शॉपिंग, कॉन्फ्रेंस हॉल, बिजनेस सेंटर, हेल्थ क्लब, स्विमिंग पूल, पार्किंग, दिव्यांग लोगों के लिए खास सर्विस, फायर फाइटिंग मेजर्स, सिक्योरिटी आदि को ध्यान में रखा जाता है.

कितने तरह की होती है रेटिंग?

बता दें कि होटल की रेटिंग की दो कैटगेरी होती है, जिसमें स्टार कैटेगरी और हेरिटेज कैटेगरी शामिल है. स्टार कैटेगरी में होटलों को 5 स्टार डिलक्स, 5 स्टार, 4 स्टार, 3 स्टार, 2 स्टार और 1 स्टार रेटिंग दी जाती है. वहीं, हेरिटेज कैटेगरी में हेरिटेज ग्रांड, हेरिटेज क्लासिक, हेरिटेज बेसिक आदि की रेटिंग दी जाती है.

किस होटल में क्या होता है खास?

वन स्टार होटल- अगर वन स्टार होटल की बात करें तो इस तरह के होटल में सिंपल रहने की व्यवस्था होती है और यहां रहना गेस्ट के लिए ज्यादा महंगा नहीं होता है. लेकिन, ये उन होटल से काफी अच्छे होते हैं, जिनकी कोई रेटिंग ही नहीं होती है. इसमें बेडरूम की मिनिमम साइज 120 स्क्वायर फुट, बेडशीट चेंज, गेस्ट को टॉयलेटरिज प्रोवाइड करना, गर्म-ठंडे पानी की व्यवस्था, होना आदि शामिल होता है.

टू स्टार होटल- टू स्टार होटल में किराया 1500 रुपये तक होता है. इसमें गेस्ट को वन स्टार होटल मिलने वाली सुविधाएं से कुछ और सुविधाएं मिलती हैं.

थ्री स्टार होटल- अगर श्री स्टार होटल की बात करें तो इसमें किराया 2000 रुपये तक होता है. इसमें कमरे की साइज थोड़ी बड़ी होती है और कमरों में ज्यादातर कमरों में एयर कंडीशनर लगा होना चाहिए. इसके साथ ही इस होटल में गेस्ट को इंटरनेट की सुविधा मिलती है और पार्किंग की व्यवस्था भी होटल की ओर से की जाती है. साथ ही कमरों के दरवाजों में अंदर फिटेड लॉक होने चाहिए और 24 घंटे रुम सर्विस मिलती है.

फॉर स्टार होटल- अब बात करते हैं फॉर स्टार होटल की. इस तरह के होटल में कुछ सुईट रूम होते हैं और बाथरूम में बाथटब की भी सुविधा होती है. इसके अलावा रूम में मिनी बार या फ्रीज की व्यवस्था होती है. साथ ही मल्टी क्यूजिन होटल की भी व्यवस्था भी इस तरह के होटल में होती है. इसके अलावा इसके रूम की साइज आदि भी काफी ज्यादा होती है.

फाइव स्टार होटल- अगर फाइव स्टार होटल की बात करें तो ये नॉर्मल होटल से काफी अलग होते हैं और इसमें हॉस्पिटेलिटी पर खास ध्यान दिया जाता है. साथ ही गेस्ट को कई मल्टी क्लास सुविधाएं दी जाती हैं. इसके अलाव गेस्ट को 24 घंटे कॉफी आदि की सुविधा मिलती है और कमरे की मिनिमम साइज 200 स्क्वायर फीट मानी जाती है. यहां हर चीज को सुपरवाइज करने के लिए अलग अलग पोस्ट होती है और गेस्ट के आरामदायक स्टे और लग्जरी सुविधा के लिए काफी सुविधा दी जाती है.

फाइव स्टार होटल में क्या क्या सुविधाएं होती हैं?

वैसे ही ज्यादा स्टार वाले होटल में किराया भी उसके हिसाब से काफी ज्यादा लगता है. लेकिन, कभी आपने सोचा है कि आखिर ये होटल को स्टार (Hotel Rating) कहां से मिलते हैं. यानी कौन होटलों को ये स्टार देता है और उनके स्टार देने के पीछे क्या क्राइटीरिया होता है और किस आधार पर ये रैंकिंग दी जाती है.

फाइव स्टार का मतलब क्या होता है?

एनर्जी फिशियंसी रेश्यो से तय होती है रेटिंग यदि किसी एसी पर 2.7 से 2.9 ईईआर लिखा होने पर वह एक स्टार रेटिंग, 2.9 से 3.09 होने पर दो स्टार, 3.1 से 3.29 होने पर तीन स्टार, 3.3 से 3.49 होने पर चार स्टार और 3.5 से ऊपर होने पर वह 5 स्टार रेटिंग का एसी होगा.

सेवन स्टार होटल का मतलब क्या होता है?

सेवन स्टार फाइव स्टार होटल की सारी सुविधाओं के अलावा निजी स्विमिंग पूल, व्यक्तिगत जकूज़ी, निजी बटलर 24 घंटे कॉल पर उपलब्ध, रोल्स रॉयस लिमोसिन अतिथि शटल सेवा, इन- सुइट चेक-इन, रेन शावर और यहां तक ​​कि पानी के नीचे भोजन की सुविधा जैसी सभी विशेष सुविधाएं प्रदान करता है।

5 STAR होटल में पंखे क्यों नहीं होते?

होटल में जाना और वहां की रूम सर्विस का मज़ा लेना शायद आपको भी अच्छा लगता होगा। ऐसे में 5 सितारा होटलों की बात करें तो उनका अनुभव काफी यूनिक होता है और उनकी हॉस्पिटैलिटी का तो जवाब ही नहीं होता। ऐसा लगता है जैसे इन होटलों में सारी चीजें उपलब्ध हैं, लेकिन फिर भी घर में पंखा चलाकर सोने का मज़ा यहां नहीं मिल पाता है।