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फिर प्रभु के सामने इस प्रकार प्रण करना चाहिए कि
'आज मैं चोर, पाखंडी़ और दुराचारी मनुष्यों से बात नहीं करूंगा और न ही किसी का दिल दुखाऊंगा। रात्रि को जागरण कर कीर्तन करूंगा।' तत्पश्चात 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश मंत्र का जाप करें। राम, कृष्ण, नारायण आदि विष्णु के सहस्रनाम को कंठ का भूषण बनाएं। भगवान विष्णु का स्मरण कर प्रार्थना करें और कहे कि- हे त्रिलोकीनाथ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत:
मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करना। एकादशी का व्रत कैसे शुरू करते हैं?जानिए कैसे रखा जाता है व्रत
निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई कर लें व उसके बाद स्नान कर लें। स्नान करते वक्त पानी में थोड़ा गंगाजल मिला लें। स्नान के बाद साफ पीले रंग का वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पीले चंदन पीले फल फूल से पूजा करें और पीली मिठाई भगवान विष्णु को अर्पण करें।
एकादशी का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?आमतौर पर जब किसी को एकादशी व्रत रखना होता है, तो वो किसी भी शुक्ल पक्ष की एकादशी से इस व्रत की शुरुआत कर देते हैं. लेकिन वास्तव में एकादशी व्रत की शुरुआत उत्पन्ना एकादशी से करनी चाहिए. ये एकादशी मार्गशीर्ष माह में आती है और इसे ही पहली एकादशी माना जाता है.
एकादशी व्रत का नियम क्या है?एकादशी के व्रत में दशमी की रात से लेकर द्वादशी के सुबह एकादशी व्रत के पारण करने तक अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. भक्त अपनी श्रद्धा और शक्ति से निर्जला, सिर्फ पानी लेकर, फल लेकर या एक समय फलाहार लेकर योगिनी एकादशी व्रत को करना चाहिए. एकादशी व्रत में दशमी को सूर्यास्त के पहले भोजन कर लेना चाहिए.
एकादशी के कितने व्रत करने चाहिए?व्रत रखने से भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होते हैं और तो और उस व्यक्ति को जल्दी ही मोक्ष प्राप्त होता हैं । इसलिए महीने में दो बार एकादशी आते हैं भक्ति और निष्ठा के साथ नियम और विधि के साथ एकादशी का पालन करना चाहिए ।
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