मूँग साबुत हो या धुली, पोषक तत्वों से भरपूर होती है। अंकुरित होने के बाद तो इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों केल्शियम, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन्स की मात्रा दोगुनी हो जाती है। मूँग शक्तिवर्द्धक होती है। ज्वर और कब्ज के रोगियों के लिए इसका सेवन करना लाभदायक होता है। Show
यह भी उड़द दाल की तरह तीन प्रकार की होती है: इनके अलावा एक और किस्म भी होती है भोपाल। वैसे तो दालें हमारे रोजाना के खाने का हिस्सा होती ही हैं। ये आम धारणा है कि दालों में प्रोटीन होता है, जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है, लेकिन क्या आपको पता है कि अलग अलग दालों में ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो अलग अलग तरीके से आपके शरीर को शक्तिशाली बनाते है। दालें और उनके फायदों के बारे में जानने के लिए हमने बात की भोपाल की न्यूट्रिनिश्ट गीता पांडेय से, जिन्होंने बताया कि स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पाचन की दृष्टि से भी अलग अलग दालें बहुत लाभदायक होती हैं। दालों में प्रोटीन के अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट, कई प्रकार के विटामिन्स, फॉस्फोरस और खनिज तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर स्वास्थ रखने के साथ-साथ कई प्रकार की बीमारियों को भी दूर रखते हैं। इंडियन घरों में ट्रेडिशनल व्यंजन पर ध्यान दिया जाता है। अधिकतर घरों में आसानी से उपलब्ध होने वाले और हेल्दी फूड बनाए जाते हैं। दाल (Lentils / Dal) भारतीय घरों में सबसे अधिक प्रयोग में आना वाला कम सॉलिड फूड है, इसे अक्सर उबालकर बनाया जाता है। कई लोग रोजमर्रा की हेल्दी और बैलेंस डाइट में भी इसे खाना पसंद करते हैं। लेकिन यदि आप अपनी डाइट में दालों की अनदेखी कर रहे हैं, तो यह आपकी गलती है क्योंकि ये पौष्टिकता का खजाना होती हैं। दालें प्रोटीन, मिनरल, विटामिन और फाइबर का बेस्ट सोर्स होती हैं। स्टडी के मुताबिक इनमें फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। फाइबर रिच होने के कारण दालें वजन कम करने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर (एलडीएल) को कम करने, डाइजेशन सही करने, ब्वॉउल मूवमेंट को नॉर्मल रखने, ब्लड शुगर कंट्रोल करने के साथ हृदय रोग में भी फायदेमंद रहती हैं। दालों से आप अपनी डाइट में प्रोटीन इंटेक बढ़ा सकते हैं, जिससे वजन कम करने और मसल्स बिल्ट करने में मदद मिलती है। इसलिए यदि किसी के शरीर में फाइबर की कमी है तो ग्रीन वेजिटेबल और फाइबर डाइट (Fiber Diet) लेने के अलावा दालों का भी सेवन करें। इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी दालों के बारे में बताएंगे, जो फाइबर के साथ प्रोटीन में भी हाई होती हैं। जिन्हें आप आसानी से अपनी डाइट में जोड़ सकते हैं। पल्स या दाल / बीन्स क्या हैं (What are Pulses or Lentils / Beans)पल्स, फलियों के परिवार का हिस्सा है। लेकिन ‘पल्स’ शब्द सूखे बीज के लिए प्रयोग किया जाता है। ये वे सूखी फलियां हैं, जो एक से बारह बीजों की फली में उगती हैं। जैसे, सेम, मसूर, मटर और अन्य छोटे बीज जिन्हें दाल या सेम (Lentils or Beans) कहा जाता है। भारतीय बाजार में दालें आमतौर पर तीन तरह से उपलब्ध होती हैं। साबुत दाल (whole pulse), छिलके से विभाजित दाल (pulse with the skin ) और छिलके के साथ विभाजित दाल (Pulse with the skin removed)। दाल के प्रकार (Types of Lentils)भारत में कई तरह की दालें पाई जाती हैं। इसलिए इन्हें एक कैटेगरी में न रखते हुए रंग के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। (1) जैसे, हरा (Green) : ये दालें साइज में अलग-अलग हो सकती हैं। ब्राउन (Brown) : ये अधिकतर घरों में यूज होने वाली दालें हैं। जो कि पकने के बाद बड़ी हो जाती है। पीली और लाल (Yellow and red) : ये दालें जल्दी पक जाती हैं और स्वादिष्ट होती हैं। बेलुगा (Beluga) : साइज में छोटी काली दाल इस कैटेगरी में आती है। आइए फाइबर रिच दालों के बारे में भी जान लेते हैं। 1. मूंग की दाल (Mung Dal)छिलके वाली मूंग दाल (जिसे कुछ जगह हरे चने के रूप में जाना जाता है) सबसे अधिक रिकमेंडेड दाल या सुपरफूड्स में से एक है। हर घर में बनने वाली यह दाल हल्की होने के कारण पचाने में आसान होती है। इस दाल में प्रोटीन अधिक और कार्ब्स काफी कम होते हैं। अन्य दाल की तुलना में मूंग की दाल में कार्ब्स कम होने के कारण यह हेल्दी होती है। 1 औंस यानी 202 ग्राम उबली हुई मूंग की दाल में निम्न न्यूट्रिशन होते हैं।
जैसा कि आपने देखा कि यह फाइबर रिच होती है। इस कारण इसका सेवन अन्य दालों की तुलना में अच्छा होता है। 2. अरहर / तुअर दाल (Arhar / Toor Dal)अरहर / तुअर दाल प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का अच्छा सोर्स है। यह आयरन और कैल्शियम की दैनिक जरूरत को पूरा करती है। फाइबर और प्रोटीन रिच होने के कारण इसके सेवन से भूख कम लगती है। आप कम खाते हैं तो वजन कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही ये कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) के लेवल को भी कम करती है। अरहर की दाल में विटामिन सी, ई, के और बी कॉम्प्लेक्स के अलावा मैग्नीशियम (Magnesium), फास्फोरस (Phosphorus), पोटेशियम (Potassium), सोडियम (Sodium) और जिंक (Zinc) भी होता है। 100 ग्राम तुअर दाल के न्यूट्रिशन (3)
अरहर दाल भी फाइबर का अच्छा सोर्स है। 3. मसूर की दाल (Masoor Dal / Red Lentil)मसूर की दाल को यंगस्टर्स कम पसंद करते हैं। लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर ये दाल कई तरह से फायदेमंद है। यह दाल भारतीय व्यंजनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आधा कप (करीब 90 ग्राम) मसूर की दाल के न्यूट्रिशन इस प्रकार हैं।
4. चने की दाल (Horse Gram / Chane Ki Dal)एक्सपर्ट के मुताबिक चने की दाल काफी फायदेमंद होती है। यह न केवल वजन कम करने में मदद करती है, बल्कि शरीर में सभी आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को भी पूरी करती है। कैलोरी में कम यह दाल प्लांट बेस्ड प्रोटीन का भी सोर्स है। इसमें मौजूद अघुलनशील और घुलनशील फाइबर (insoluble and soluble) टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर पेट भरा रखने और पाचन सही करने में मदद करते हैं। 100 gm चने की दाल में न्यूट्रिशन इस प्रकार होते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion): आप समझ गए होंगे कि प्रोटीन और फाइबर की कमी को पूरा करने में ये दालें कितनी मददगार हो सकती हैं। लेकिन ध्यान रहे ये कैलोरी में हाई होती है, इसलिए इनका सेवन अपना कैलोरी इंटेक देखकर ही करें। अधिक जानकारी के लिए किसी डॉक्टर की भी सलाह ले सकते हैं। हेल्थ संबंधित अन्य जानकारी के लिए पढ़ते रहें MensXp Hindi (यह जानकारी विभिन्न रिसर्च और स्टडी के आधार पर दी गई है। किसी भी चीज का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।) एक कटोरी दाल में कितने कार्बोहाइड्रेट होते हैं?एक कटोरी दाल : 80 कैलोरी, 5 ग्राम प्रोटीन व 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट।
100 ग्राम दाल में कितना कार्बोहाइड्रेट होता है?प्रति 100 ग्राम मूंग दाल में 347 कैलोरी, 62.62 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 16.3 ग्राम फाइबर, और 23.86 ग्राम प्रोटीन की मात्रा होती है। इसके साथ ही इसमें कई प्रकार के विटामिन्स सी, ई, के, बी6, फोलेट, पेंटोथेनिक एसिड, नियासिन, राइबोफ्लेविन, थियामिन भी मौजूद होते हैं।
चना दाल में कितना कार्बोहाइड्रेट होता है?मसाला चना दाल की एक सर्विंग 244 कैलोरी देती है। जिसमें से कार्बोहाइड्रेट में 139 कैलोरी होती है, प्रोटीन में 45 कैलोरी होती है और शेष कैलोरी वसा से होती है जो 60 कैलोरी होती है।
कौन सी दाल में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है?अरहर की दाल को तुअर भी कहा जाता है। इसमें खनिज, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, कैल्शियम आदि पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। यह सुगमता से पचने वाली दाल है, अतः रोगी को भी दी जा सकती है, परंतु गैस, कब्ज एवं साँस के रोगियों को इसका सेवन कम ही करना चाहिए।
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