खाना बनाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए - khaana banaate samay kaun sa mantr bolana chaahie

सनातन परंपरा में भोजन से पहले और बाद में करने के लिए कुछ नियम बताए गये हैं, अन्न देवता की प्रसन्नता और उनका आशीर्वाद पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को इसे जरूर करना चाहिए। भोजन से जुड़े तमाम नियमों को जानने के लिए पढ़ें ये ​लेख —

भारतीय संस्कृति में खाना क्या खाना चाहिए, कब खाना चाहिए और किसके हाथ का बना खाना चाहिए और कैसे खाना चाहिए इसके बारे में विस्तार से बताया गया है। जैसे हमारे यहां थाली के चारों ओर तीन बार जल छिड़कने की परंपरा रही है। जिसका अभिप्राय अन्न देवता का सम्मान करना होता है। हालांकि इसके पीछे एक तार्किक कारण भी था। चूंकि पहले लोग अमूमन जमीन पर ही बैठकर खाना खाया करते थे। ऐसे में जल से आचमन करने के कारण थाली के चारों ओर घेरा सा बन जाया करता था। जिसके चलते थाली के पास कीटाणु नहीं आया करते थे। आइए भोजन से जुड़े कुछ ऐसे ही नियम जानते हैं —

— जैसा खाए अन्न वैसा रहे मन। इस कहावत से ही पता चलता है कि अन्न हमेशा ईमानदारी से कमाकर ही खाना चाहिए। — भोजन बनाने वाले और खाने वाले दोनों व्यक्ति का मन प्रसन्न रहना चाहिए। — भोजन का निर्माण शुद्ध जगह पर होना चाहिए। — माता, पत्नी और कन्या के द्वारा बनाया गया भोजन हमेशा वृद्धि करने वाला होता है। — हमारे यहां भोजन सामग्री सबसे पहले अग्निदेव को समर्पित की जाती रही है। इसके बाद पंचवलिका विधान है। जिसमें गाय, कुत्ते, कौए, चींटी ओर देवताओं के लिए भोजन निकाने का विधान है। — पंचवलिका निकालने के बाद यदि घर में कोई अतिथि आया है तो उसे भोजन से संतृप्त करने का नियम है। यहां पर यह जान लेना बहुत जरूरी है कि घर में अतिथि यानि जिसके आने की कोई तिथि न हो, उसके लिए उसी समय खुशी-खुशी ताजा भोजन बनाकर खिलाना चाहिए। — भोजन कैसा भी बना हो कभी भी भूलकर उसकी निंदा नहीं करना चाहिए। ईश्वर का प्रसाद समझकर उसे स्वीकार करना चाहिए।

भोजन से पहले पढ़ें ये मंत्र

सनातन परंपरा में भोजन के पहले मंत्र पढ़ने की परंपरा चली आ रही है। मान्यता है कि इन मंत्रों के जप से देवी-देवता समेत अन्न देवता का आशीर्वाद सदैव हम पर बना रहता है। आइए जानते हैं कि आखिर ​हमें किस मंत्र को पढ़ने के बाद ही भोजन करना चाहिए।

भोजन मंत्र

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्। ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।

ॐ सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै। तेजस्विनावधीतमस्तु। मा विद्‌विषावहै॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

Bhojan Mantra In Hindi : आज हम सभी ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु भोजन मंत्र का अर्थ और महत्व को जानेंगे इस भोजन मंत्र को ऋग्वेद में संस्कृत में लिखा गया है तथा सदियों से आर्य समाज द्वारा भोजन करने का मंत्र और भोजन पचाने का मंत्र का उपयोग किया जा रहा है, आइए इसे विस्तृत रूप से जानते हैं।

खाना बनाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए - khaana banaate samay kaun sa mantr bolana chaahie

भोजन से ही हमारे शरीर का निर्माण होता है इसलिए हमें भोजन के प्रति सदैव आभारी होना चाहिए। भारतीय सनातन धर्म में भोजन को देवता माना जाता है इन्हीं कारणों से हमें भोजन करने से पहले तथा भोजन करने के बाद भोजन मंत्र का जाप अपने मन तथा मुख से करना चाहिए। 

भोजन मंत्र का उपयोग भोजन करने से पहले करने पर हमारे ह्रदय में भोजन के प्रति सम्मान का भाव जागृत होता है। इसलिए आज हम आपको भोजन मंत्र का संस्कृति का अर्थ हिंदी में (Bhojan Mantra In Hindi) बताएंगे तथा भोजन मंत्र का महत्व एवं भोजन करने की विधि का मंत्र सरल रूप से समझाने की कोशिश करेंगे।

यह भी पढ़ें: सूर्य भगवान की व्रत कथा

विषय सूची

  • संस्कृत भोजन मंत्र का अर्थ हिंदी में | Bhojan Mantra In Sanskrit With Hindi Meaning
  • भोजन मंत्र हिंदी में | Bhojan Mantra In Hindi
  • भोजन पचाने का मंत्र | Bhojan Mantra in Hindi
  • भोजन विधि मंत्र | Bhojan Vidhi Mantra in Hindi
  • भोजन मंत्र का महत्व
  • प्रश्न और उत्तर
  • निष्कर्ष

संस्कृत भोजन मंत्र का अर्थ हिंदी में | Bhojan Mantra In Sanskrit With Hindi Meaning

भारतीय संस्कृति में कई सारे भोजन मंत्र का विवरण मिलता है पर मुख्य रूप से 3 भोजन मंत्र हिंदू धर्म में मौजूद है। भोजन मंत्र को बोलकर आप इस तरह से शुरुआत कर सकते हैं।

प्रथम भोजन मंत्र

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।१।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:

प्रथम भोजन मंत्र का अर्थ : यह भोजन मंत्र गीता के चतुर्थ अध्याय का 24 वां श्लोक है जिसका अर्थ है कि किसी यज्ञ मैं मौजूद यज्ञ कर्ता, द्रव्य, अग्नि, स्रुवा आदि सभी ब्रह्म है तथा उस यज्ञ से प्राप्त फल भी ब्रह्म ही है हम उस ब्रह्म को नमन करते हैं।

द्वितीय भोजन मंत्र

अन्न॑प॒तेन्न॑स्य नो देह्यनमी॒वस्य॑ शु॒ष्मिणः॑ ।
प्रप्र॑ दा॒तार॑न्तारिष॒ऽऊर्ज॑न्नो धेहि द्वि॒पदे॒ चतु॑ष्पदे ।२।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:

द्वितीय भोजन मंत्र का अर्थ : यह भोजन मंत्र हिंदू धर्म के यजुर्वेद के 11वें अध्याय का 63वां श्लोक है इसका अर्थ है हे परम पिता परमात्मा अन्न के दाता हमें नाना प्रकार के विधि से अन्‍न को प्रदान कीजिए। हमें पुष्टि कारक अन्‍न प्रदान कर स्वास्थ्य प्रदान कीजिए। हे अन्नदाता ऐसे विधान बनाइए जिससे सभी प्राणी को भोजन प्राप्त हो और सभी सुख शांति पाए। 

तृतीय भोजन मंत्र

ॐ सहनाभवतु, सहनोभुनक्तु
सह वीर्यं करवावहे॥
तेजस्विनावधीतमस्तु , मा विद्‌विषावहे॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:

तृतीय भोजन मंत्र का अर्थ : यह भोजन मंत्र कठोपनिषद का एक श्लोक है जो स्कूलों में काफी प्रसिद्ध है। इसका अर्थ यह है कि हे सर्व रक्षक परमात्मा हम दोनों गुरु और शिक्षक की साथ साथ रक्षा, पालन, शक्ति प्रदान कीजिए। हम दोनों कभी आपस में द्वेष ना करें तथा हम दोनों की शिक्षा शक्ति अद्भुत हो।

यह भी पढ़ें: जाने धनतेरस के दिन क्या खरीदना चाहिए

भोजन मंत्र हिंदी में | Bhojan Mantra In Hindi

जैसा कि हमने आपको बताया भारतीय संस्कृति में भोजन के कई मंत्र देखने को मिलते हैं इनमें से ही एक और सरल हिंदी भोजन मंत्र है जिसका उच्चारण आप खाना खाने से पहले कर सकते हैं।

अन्न ग्रहण करने से पहले
विचार मन मे यह करना है।
किस हेतु से इस शरीर का
रक्षण पोषण करना है॥

हे परमेश्वर एक प्रार्थना
नित्य तुम्हारे चरणों में।
लग जाये तन मन धन मेरा
विश्व धर्म की सेवा में ॥

यह भोजन करने से पहले का हिंदी मंत्र है जिसका उच्चारण आप खाना खाने से पहले कर सकते हैं इससे आपको सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होगा जिससे भोजन आपके शरीर के लिए और लाभकारी बन जाएगा।

भोजन पचाने का मंत्र | Bhojan Mantra in Hindi

अब हम भोजन पचाने का मंत्र जानेंगे जिसका उच्चारण आप भोजन करने के बाद कर सकते हैं जिससे आपको परमात्मा द्वारा कई सारे लाभ की प्राप्ति होगी।

अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।
यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः।।

इस भोजन मंत्र का अर्थ : इस भोजन पचाने का मंत्र के द्वारा हम ईश्वर से कहते हैं हे परम पिता परमेश्वर हमने जो भोजन ग्रहण किया है वह किसी भी तरीके से कमाई गई हो इसे अनदेखा कर हमें इस भोजन के माध्यम से स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करें।

यह भी पढ़ें: साई बाबा के वचन

भोजन पचाने का मंत्र का उच्चारण आप मन में या मुख से भी कर सकते हैं जिससे आपके द्वारा किए गए भोजन का लाभ सकारात्मक हो और ईश्वर की कृपा आप पर बनी रहे।

भोजन विधि मंत्र | Bhojan Vidhi Mantra in Hindi

अब तक हमने भोजन करने से पहले और करने के बाद के मंत्र के बारे में जाना है लेकिन अब हम भोजन शुरू करने की विधि मंत्र को जानेंगे जिसका उपयोग भोजन को शुरू करने से पहले करना चाहिए।

इस विधि में हम लोग भगवन को पहले भोजन देंगे तब जाकर हम भोजन ग्रहण करेंगे।

सर्वप्रथम भोजन करने से पहले आपको हाथ पांव को अच्छे से धो कर कुल्ला करना चाहिए फिर ओम भूर्भुव स्वाहा: के मंत्रों का जाप करते हुए भोजन के आसन पर बैठना चाहिए। आसन पर बैठकर भोजन के थाल के चारों ओर जल का घेरा बनाना है।

इसके बाद भोजन के थाली से थोड़ी दूर हट कर जमीन पर जल का छिड़काव करना है उसके बाद थाली से थोड़ी सी भोजन तीन बार निकाल कर वहां रखते हुए इस भोजन मंत्र का जाप करना है। 

ओम् भूपतये स्वाहा।
ओम् भुवनपतये स्वाहा।
ओम् भूतानांपतये स्वाहा।

इस मंत्र के माध्यम से आप समस्त लोक के रचयिता परमपिता परमेश्वर को खुश करते हैं और भोजन के लिए ईश्वर का आभार प्रकट करते हैं।

इस प्रक्रिया के बाद थोड़ा सा जल हाथ में लेकर “ओम् अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा” इस मंत्र का जाप करें उसके बाद उस जल को निकाले गए निम्न भोजन के पास छिड़क दें। इस भोजन मंत्र को पंच प्राणाहुति भी कहते हैं।

ओम् प्राणाय स्वाहा।
ओम् अपानाय स्वाहा।
ओम् व्यानाय स्वाहा।
ओम् उदानाय स्वाहा।
ओम् समानाय स्वाहा।

इस सारी विधि का अनुसरण करने के बाद एक कटोरी में हाथ धोकर प्रसन्न मन से अन्न की प्रशंसा करते हुए भोजन ग्रहण करें। 

यह भी पढ़ें: Diary Writing Format In Hindi

भोजन मंत्र का महत्व

जिस भी माहौल में आप भोजन करते हैं आपका शरीर उसी से संबंधित रसायन आपके शरीर में निर्मित करता है जिसे वर्तमान समय में विज्ञान द्वारा प्रमाणित किया गया है।

खाना बनाते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए - khaana banaate samay kaun sa mantr bolana chaahie
Bhojan Mantra Image

अगर आप भोजन करते समय क्रोध में है तो भोजन आपके शरीर हानिकारक रसायनों का निर्माण करेगा और यदि आप शांत स्वभाव से भोजन करते हैं तो यह आपके शरीर के लिए लाभकारी रसायनों का निर्माण करेगा। 

इन्हीं कारणों की वजह से सनातन धर्म में भोजन करने से पूर्व भोजन मंत्र का उच्चारण करने के लिए बताया गया है। भोजन मंत्र का उच्चारण करने से आपका मन शांत होता है और भोजन आपके शरीर के लिए और लाभकारी हो जाता है।

यह भी पढ़ें: Yogini Ekadashi Vrat Katha

अब आप समझ गए होंगे कि भोजन करने से पहले भोजन मंत्र का उच्चारण कितना अधिक महत्व रखता है।

प्रश्न और उत्तर

भोजन मंत्र का मतलब क्या है?

भोजन मंत्र का मतलब वह मंत्र है जो भोजन करने से पहले तथा भोजन करने के बाद उच्चारण किए जाते हैं। इसका लाभ आपको हमेशा सकारात्मक रूप से शरीर में दिखाई देता है।

ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु भोजन मंत्र क्या है?

ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु का यह भोजन मंत्र कठोपनिषद का एक श्लोक है जो ईश्वर को भोजन के प्रति समर्पित किया जाता है।

कौन सा भोजन मंत्र सबसे प्रसिद्ध है?

सबसे प्रसिद्ध भोजन मंत्र “ॐ सह नाववतु सह नौ भुनक्तु” है जिसका इस्तेमाल आपको सामान्य रूप से विभिन्न जगहों पर देखने को मिल जाएगा।

भोजन मंत्र कितना पुराना है?

भोजन मंत्र का उपयोग कई वर्षों पुराना है क्योंकि इसे हिंदू धर्म के वेदों के समय ही संग्रहित किया गया था और तब से लेकर आज तक हिंदू धर्म के पालक इसका इस्तेमाल करते हैं।

भोजन मंत्र का उपयोग कब से होता आ रहा है?

भोजन मंत्र का उपयोग कई वर्षों से होता आ रहा है क्योंकि इसे हिंदू धर्म के वेदों के समय ही संग्रहित किया गया था और तब से लेकर आज तक हिंदू धर्म के पालक इसका इस्तेमाल करते हैं।

यह भी पढ़ें: Sanitizer Meaning In Hindi

निष्कर्ष

हमें हमेशा भोजन का आदर करना चाहिए क्योंकि भोजन ईश्वर का स्वरूप है और उन्हीं की कृपा से हमें भोजन की प्राप्ति होती है। हम सभी यह जानते हैं कि भोजन के बिना जीवन असंभव है इसलिए सदैव भोजन मंत्र का उच्चारण करके भोजन को ग्रहण करना चाहिए।

हमें आशा है कि आप को हमारी याद भोजन मंत्र संस्कृत और हिंदी में (Bhojan Mantra In Hindi) और भोजन मंत्र के महत्व तथा भोजन विधि के मंत्र एवं भोजन करने के बाद भोजन पचाने का मंत्र के ऊपर हमारी यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी।

जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इसे दोस्तों के साथ नीचे दिए गए फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम आदि के बटन के माध्यम से शेयर करें।

Bhojan Mantra In Hindi से जुड़ी हुई कोई भी प्रश्न या सुझाव के लिए आप हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिख कर लिखकर संपर्क कर सकते हम आपके प्रश्न पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें।

इसी प्रकार की धार्मिक जानकारियों को रोजाना पढ़ने के लिए आप हमारे वेबसाइट को सब्सक्राइब कर सकते हैं। हमारी यह जानकारी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

भोजन करते समय कौन सा मंत्र बोले?

भोजन करने से पहले बोले ये मंत्र ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥

भोजन करने से पहले कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?

भोजन से पहले ये मंत्र बोलें :- ॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै । तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे।

प्रसाद देते समय कौन सा मंत्र बोलते हैं?

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्। ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।