डोमेन नेम सिस्टम क्या है इसके प्रकारों की व्याख्या करें? - domen nem sistam kya hai isake prakaaron kee vyaakhya karen?

क्या आप जानते हैं, DNS क्या है? और इसका क्या काम है? अगर नही जानते तो यह आर्टिकल आपको जरुर पढना चाहिए।

आज हम और आप बड़ी आसानी से इन्टरनेट पर अपने मनपसंद वेबसाइट को अपने मोबाइल या कंप्यूटर से access कर पाते हैं तो इसमें डीएनएस का एक बहुत बड़ा योगदान है।

हम हर रोज डीएनएस का उपयोग कर रहे हैं लेकिन फिर भी हम में से कई लोगों को इसके बारे में जानकारी नही होती।

जैसा की आपको पता है की हमारा कंप्यूटर हम इंसानों की भाषा नही समझता, यह केवल नंबरों को पहचान सकता है। इन्टरनेट पर भी यदि हमें किसी वेबसाइट या वेब पेज को देखना हो तो इसके लिए भी numbers की जरुरत पड़ती है जिसे IP address कहा जाता है। शुक्र मनाईये की हमारे पास डोमेन नेम सिस्टम है जिसकी वजह से हमे इन नंबरों को याद रखना नही पड़ता।

आज हम इसी DNS के बारे में आपको विस्तार से बताने वाले हैं की आखिर यह DNS क्या होता है और यह कैसे काम करता है।

डोमेन नेम सिस्टम क्या है इसके प्रकारों की व्याख्या करें? - domen nem sistam kya hai isake prakaaron kee vyaakhya karen?

DNS का full form Domain Name System है। यदि इसे एक लाइन में परिभाषित (define) किया जाये तो यह कुछ इस प्रकार होगा:

“DNS एक ऐसा सिस्टम है जो की डोमेन नेम को IP address यानि नंबर के फॉर्म में translate करता है ताकि वेब ब्राउज़र यह समझ सके की आप इन्टरनेट पर कौनसा वेब पेज access करना चाहते हैं।”

हर डोमेन नेम (जैसे webinhindi.com) और internet से connected device एक unique IP address (जैसे: 198.15.42.15) होता है जिससे पता चलता है की वेबसाइट का content कौन से सर्वर पर स्टोर है।

इस सिस्टम के अंदर में एक domain name server स्थापित होता है इसे आप एक फ़ोन बुक या टेलीफ़ोन डायरेक्टरी या अपने मोबाइल के कांटेक्ट लिस्ट से तुलना कर सकते है जहाँ एक तरफ नाम और उसके मोबाइल नंबर लिखे होते हैं, ठीक इसी तरह डोमेन नाम सर्वर में भी domain name और उसके ip address की जानकारी stored रहती है।

अब यहाँ पर एक सवाल यह आता है की दुनिया में ढेर सारे websites हैं, तो क्या इन सभी की जानकारी किसी एक DNS सिस्टम में स्टोर होगी? नही, दरअसल ऐसा करना मुश्किल काम है और यह सुरक्षा की दृष्टि से सही भी नही है।

जिस प्रकार से इन्टरनेट अपने-आप में पूरे विश्वभर में फैला हुआ है ठीक उसी तरह domain name servers भी कई सारे हैं जहाँ DNS information stored रहते हैं।

ये सारे सर्वर्स आपस में एक दुसरे से connected होते हैं। यदि एक DNS में जानकारी नही मिलती तो यह automatically दूसरे dns से सम्पर्क स्थापित कर लेता है।

हमें इस बात की जानकारी भी होना चाहिए की यह जरुरी नही है की एक डोमेन के केवल एक ही IP हो कई domain name एक से अधिक कभी कभी सैकड़ों IP addresses से जुड़े हुए भी हो सकते हैं।

DNS का इतिहास (History of DNS in Hindi)

आज से लगभग 40 साल पहले जब इन्टरनेट का आकार छोटा था तब बहुत कम वेबसाइट और devices हुआ करते थे जिनका आईपी एड्रेस लोगो के लिए याद रखना आसान था।

लेकिन जब नेटवर्क का आकार बढ़ता गया और वेबसाइट की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई तो इन सभी के IP address को याद रखना बहुत ही मुश्किल काम हो गया था।

इस समस्या से निपटने के लिए सन 1980 के दशक में Paul Mockapetris नाम के कंप्यूटर वैज्ञानिक ने डोमेन नेम सिस्टम का आविष्कार किया ताकि  वेबसाइट को human readable name (इंग्लिश के कुछ नाम) दे सकें जिसे याद करना हम इंसानों के लिए आसान हो।

हालाँकि आप आज भी IP के जरिये किसी वेबसाइट तक पहुँच सकते हैं लेकिन शायद ही आपको किसी वेबसाइट के IP के बारे में पता होगा, खैर… आमतौर पर हमें इसकी जरूरत भी नही है।

लेकिन फिर भी आपको यह जरुर जानना चाहिए की यह DNS काम कैसे करता है, ताकि आप इसे अच्छी तरह से समझ सकें।

तो देर किस बात की आईये जानते हैं डीएनएस कैसे काम करता है…

DNS कैसे काम करता है? (How DNS works in Hindi?)

आइये step by step समझते हैं की आखिर DNS काम कैसे करता है:

  1. जब हम ब्राउज़र के एड्रेस बार में किसी वेबसाइट की एड्रेस यानि डोमेन नाम जैसे google.com इंटर करते हैं तो सबसे पहला काम उस डोमेन का IP address ढूँढना होता है इसके लिए यह पहले browser के cache memory को चेक किया जाता है यदि आप इससे पहले गूगल की वेबसाइट को visit कर चुके हैं तो इसका IP एड्रेस आपके ब्राउज़र के कैश में स्टोर हो सकता है।
  2. यदि कैश में IP मिल जाये तो इससे वेबसाइट ओपन हो जाता है।
  3. यदि ब्राउज़र कैश में आईपी की जानकारी stored नही है तो यह आपके सिस्टम के operating system जैसे Windows, Android या Mac को request transfer करेगा।
  4. आपका operating system इस request को resolver यानि आपके Internet Service Provider (ISP) को भेज देता है जिसके पास भी cache होता है जिसमे IP address का record हो सकता है।
  5. यदि यहाँ IP मिल जाता है तो यह प्रोसेस यही खत्म हो जाता है और client को IP की जानकारी दे दी जाती है और वेबसाइट एक्सेस हो जाता है।
  6. यदि यहाँ भी आईपी न मिले तो resolver से रिक्वेस्ट ट्रान्सफर हो कर root server को चला जाता है।
  7. Root server आगे top level domain server को रिक्वेस्ट करता है जिसे top-level domain जैसे .com, .org, .edu, .gov, .in के सर्वर की जानकारी होती है। यहाँ वेबसाइट के डोमेन के अनुसार उपयुक्त टॉप लेवल डोमेन सर्वर से संपर्क किया जाता है। जैसे हमारी वेबसाइट webinhindi के लिए .com server को request भेजा जायेगा।
  8. टॉप लेवल डोमेन सर्वर से जानकारी मिलने के बाद अब आखिर में authoritative name server से actual name server की जानकारी ली जाती है और यहाँ से डोमेन की IP पता चल जाती है।
  9. जब IP address ढूंढ लिया जाता है तब इसे client यानि आपके computer को भेज दिया जाता है ताकि इसके जरिये वेबसाइट को एक्सेस किया जा सके और IP को कैश में स्टोर भी कर लिया जाता है ताकि अगली बार ये सारा प्रोसेस फिर से न करना पड़े।

यहाँ पर आपने देखा की एक IP address को find करने के लिए इतना लम्बा process follow किया जाता है, लेकिन कमाल की बात यह है की ये सारे steps कुछ milliseconds में ही complete हो जाते हैं।


तो अब आपको पता चल गया है की आखिर DNS क्या है और यह कैसे काम करता है, हमें उम्मीद है आपको डोमेन नाम सिस्टम के बारे में यह जानकारी पसंद आई होगी। अपने विचार और सुझाव नीचे कमेंट के मध्यम से हम तक जरुर पहुंचाएं।

डोमेन नेम सिस्टम क्या है इसके प्रकार बताइए?

डोमेन नाम एक नामकरण है जो इंटरनेट पर किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग की पहचान करता है। एक डोमेन नाम अक्षर, संख्या और विशेष वर्ण जैसे किसी भी वर्ण का संयोजन हो सकता है। इसमें विभिन्न एक्सटेंशन जैसे .com, . net, .

डोमेन नाम कितने प्रकार के होते हैं?

डोमेन नाम मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं – Top Level Domain, Country Code Top Level Domain और Subdomain.

डोमेन नाम और DNS से आप क्या समझते है व्याख्या कीजिये?

Domain Name या DNS (Domain Name System) एक ऐसा नामकरण है जिसके द्वारा हम इंटरनेट की इस विशाल दुनिया में किसी भी वेबसाइट की पहचान कर सकते हैं. इंटरनेट पर सभी प्रकार की वेबसाइटें IP Address से जुड़ी होती हैं.

डोमेन नाम का मतलब क्या होता है?

Domain Name आपके वेबसाइट का नाम होता है जैसे की मेरे इस वेबसाइट का नाम है BloggingCourseInHindi. किसी भी वेबसाइट का नाम उसका Domain Name होता है और जब उस domain Name के साथ कुछ Extension और use हो जाते है तब वह domain Address बन जाता है .