इसे सुनेंरोकेंयहां के किसान अब इमारती लकड़ी और सागवान की खेती कर रहे हैं। रोजाना गांव में दो भाई कन्हैयालाल पाटीदार व उनके भाई अमृतराम पाटीदार ने 12 साल पहले 80 रुपए प्रति पौधे के मान से 3 बीघे में 300 पौधे लगाए थे। ये सभी पेड़ बन चुके हैं और हर पेड़ कीमत 20 से 25 हजार रुपए तक है। Show लकड़ी की सीजनिंग क्यों की जाती है? इसे सुनेंरोकेंलकड़ी के संकोचन का सही प्रतिशत बनाने के लिए। वनों का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए। लकड़ी के प्रतिकूल व्यवहार को कम करने के लिए। पाइन वुड क्या होता है? इसे सुनेंरोकेंबीज का ऊपरी भाग कई जातियों में कागज की तरह पतला और चौड़ा हो जाता है, जो बीज को हवा द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचने में सहायता करता है। बीज के चारों ओर मजबूत छिलका होता है। इसके अंदर तीन से लेकर 18 तक बीजपत्र पाए जाते हैं। चीड़ के पौधे को उगाने के लिये काफी अच्छी भूमि तैयार करनी पड़ती है। पढ़ना: लव मैरिज करने के लिए क्या क्या करना पड़ता है? सागवान का पेड़ कौन सा होता है?सागौन सागौन Tectona grandisTeak foliage and seedsवैज्ञानिक वर्गीकरणजगत:Plantaeअश्रेणीत:Angiospermsसागवान की लकड़ी क्या काम आती है? इसे सुनेंरोकेंसमस्त भारत में 500 से 1200 मी0 की ऊचाईं तक इसकी खेती की जाती है। सागौन की लकड़ी का प्रयोग फर्नीचर तथा घरों के दरवाजे आदि बनाने में किया जाता है। कई स्थानों पर इसके पत्रों का प्रयोग भोजन के लिये पात्र रूप में किया जाता है। यह 24-30 मी ऊँचा वृक्ष होता है। लकड़ी से हमें क्या क्या मिलता है? इसे सुनेंरोकेंलकड़ी (Wood) दुनिया में कई प्रकार के पेड़ पौधे पाए जाते हैं जिससे अनेक प्रकार की लकड़िया प्राप्त होती है जिससे हमारे विभिन्न प्रकार की दैनिक जीवन में सहायता मिलती है जैसे कि जलावन के लिए, घर बनाने के लिए, इत्यादि. इसे सुनेंरोकेंसाल दर साल इसकी कीमत बढ़ती जा रही है जो मौजूदा समय में 50 हजार रुपये से एक लाख रुपये प्रति घन मीटर तक पहुंच गई है। पढ़ना: विनम्रता क्या है हमें किन किन लोगों के प्रति विनम्रता प्रकट करनी चाहिए? लकड़ी की कीमत क्या है?इसे सुनेंरोकेंयह दुनिया की सबसे दुर्लभ और सबसे महंगी लकड़ी है। एक किलो अगरवुड की कीमत करीब 73 लाख रुपए तक है। इस लकड़ी को ईश्वर की लकड़ी और ईश्वरीय लकड़ी के नाम से भी जाना जाता है। अब अगर बात करें इस लकड़ी की कीमत तो इसे पाने के लिए करीब 73 लाख रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। लकड़ी का क्या भाव? इसे सुनेंरोकेंइसी आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसका महत्व क्या है. अगरवुड की असली लकड़ी की कीमत 1 लाख डॉलर (करीब 73 लाख 50 हजार रुपए) प्रति किलोग्राम तक है. सागवान (Teak Tree) की व्यावसायिक दृष्टि से खेती बहुत ही लाभदायक है। सागवान, लामियासी – वर्बेनेसी (Lamiaceae – Verbenaceae) परिवार से संबंध रखता है। इसका वैज्ञानिक नाम टैक्टोना ग्रांडिस (Tactona Grandis) और साधारण नाम सागौन, सगुन, सग, टीकवुड है। यह टीक (Teak) प्रजाति का पौधा हैं। इसका पेड़ बहुत लंबा होता है। सागवान की खेती उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार, उड़ीसा और अंडमान के क्षेत्रों में की जाती हैं। सागौन की लकड़ी अच्छी क्वालिटी और इसके बनाए गए सामान ज्यादा दिनों तक टिकते भी हैं। इसलिए सागवान की लकड़ी की सभी जगह भारी मांग हमेशा रहती है। Table of Contents
उपयोगितासागवान (Teak Tree) के पेड़ का उपयोग इस प्रकार है-
यह भी पढ़ें- सुबबूल की खेती (Subabul Tree Farming) जलवायुसागवान (Teak Tree) की खेती के लिए नमी एवं उष्णकटिबंधीय जलवायु उपयुक्त होती है। तापमानसागवान (Teak Tree) ज्यादा तापमान को आसानी से बर्दाश्त कर लेता है। लेकिन सागवान की बेहतर विकास के लिए उच्चतम 39 से 44 डिग्री सेंटीग्रेड और निम्नतम 13 से 17 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त है। यह 1200 से 2500 मिलीमीटर वर्षा वाले क्षेत्र में अच्छी तरह से बढ़ता है। भूमिसागवान (Teak Tree) की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए जलोढ़ मिट्टी जिसका PH मान 6.5 से 7.5 हो उपयुक्त होती है। मिट्टी की PH मान 6.5 से कम होने पर फसल के विकास पर असर पड़ता है। भूमि की तैयारीसागवान (Teak Tree) की अच्छी विकास के लिए खेत की 2 से 3 बार अच्छी तरह जोताई कर खेत को समतल करें ताकि खेत में पानी खड़ा ना हो सके। नए पौधों की रोपाई के लिए 45 cm x 45 cm x 45 cm के फासले पर गड्ढे खोदें। प्रत्येक गड्ढे में जैविक खाद या गली हुई गोबर की खाद के साथ कीटनाशी डालें। खाद एवं उर्वरकसागवान में हर साल अगस्त और सितंबर महीने में N:P:K (15:15:15) 50 ग्राम प्रति पौधे में पहले तीन वर्ष तक डालें। कई शोध परिणाम बताते है कि सागवान के विकास और लंबाई के लिए कैल्शियम की ज्यादा मात्रा बेहद जरूरी है। उन्नत किस्मेंसागवान (Teak Tree) की प्रमुख उन्नत किस्में इस प्रकार है-
बीज की मात्रासागवान (Teak Tree) की खेती के लिए एक एकड़ में लगभग 2 किलो बीज की आवश्यकता होती हैं। बीज उपचारसागवान (Teak Tree) की नर्सरी तैयार करने से पहले बीजों को रात में पानी में भिगोया जाता है और दिन में धूप में सुखाया जाता है। यह प्रक्रिया लगभग 10 से 15 दिनों तक किया जाता है। सागवान की नर्सरीसागवान (Teak Tree) की नर्सरी फरवरी से मार्च महीने के दौरान लगाई जाती है। उपचारित बीजों को प्रसारण या डिबलिंग विधि से नर्सरी बेड में बोया जाता है। हालांकि, डिबलिंग विधि की प्राथमिकता दी जाती है। इसे आमतौर पर पॉलिथीन बैग में उगाया जाता है। पॉलिथीन बैग में उपयोग किए जाने वाले मिट्टी के मिश्रण में मिट्टी और खाद 2:1 के अनुपात में होते हैं। अंकुरण लगभग 15 दिनों में शुरू होता है और 45 दिनों तक फैलता है। यह भी पढ़ें- तोरई की HI-TECH खेती से अधिक पैदावार रोपाई का समयसागवान (Teak Tree) के 12 से 15 महीने पुराने पौध रोपाई के लिए प्रयोग करें। मानसून का मौसम सागवान की रोपाई के लिए सबसे अच्छा मौसम होता है। रोपाई की विधिसागवान (Teak Tree) का रोपण 2 X 2 मीटर, 2.5 X 2.5 मीटर या 3 X 3 मीटर के बीच और दूसरी फसलों के साथ लगते है तो 4 X 4 मीटर या 5 X 1 मीटर का गैप या अंतराल पर पौध 45 cm х 45 cm х 45 сm गड्ढों में लगाई जाती है। पौधे की संख्यासागवान (Teak Tree) की उन्नत किस्म की खेती के लिए पंक्ति से पंक्ति की बीच की दूरी और पंक्ति में पौधे से पौधे के बीच का दूरी इस प्रकार रखते है तो प्रति एकड़ पौधे की आवश्यकता होती है-
सिंचाईसागवान (Teak Tree) में प्रारंभिक अवस्था में पौधों को सप्ताह में एक बार सिंचाई करनी पड़ती है। मानसून के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती और सिंचाई गर्मियों के महीने में आवश्यकता अनुसार करें। आवश्यकता अनुसार सिंचाई करने के साथ काफी हद तक पैदावार में सुधार आता है। सिंचाई सुविधा युक्त सागौन के पेड़ तेजी से बढ़ते हैं। लेकिन, रसदार लकड़ी की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में पौधे का तना कमजोर हो जाता है और हवा से इसे नुकसान पहुंचता है। अतिरिक्त सिंचाई से पानी के धब्बे और फंगस ज्यादा हो सकती है। खरपतवार नियंत्रणसागवान (Teak Tree) के स्वस्थ पौधे और अच्छी विकास के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए है। आम तौर पर साल में 2 से 3 निराई-गुड़ाई करना पर्याप्त होता है। ध्यान रहे की सागौन ऐसी प्रजाति का पेड़ है जिसकी वृद्धि और विकास के लिये सूर्य की पर्याप्त रोशनी जरूरी है। पौधों का रखरखाव तथा कटाई व छँटाईआमतौर पर सागवान के पौधे की जल्दी बढ़वार और अच्छी गुणवत्ता वाली इमारती लकड़ी प्राप्त करने के लिए कटाई-छटाई पौधा रोपन के पांच से दस साल के बीच की जाती है। पौधों के बीच अंतराल को भी ध्यान में रखकर 1.8 × 1.8 मीटर और 2 × 2 मीटर वाले पौधे की पहली और दूसरी कटाई-छँटाई का काम पाँचवें और दसवें साल पर की जाती है। रोग एवं कीट नियंत्रणसागवान (Teak Tree) में रोग एवं कीट नियंत्रण इस प्रकार करें-
पेड़ की कटाईसागवान (Teak Tree) के पेड़ की औसत आयु 20 से 25 वर्ष होती है। सागवान के 14 वर्ष में 10 से 15 क्यूबिक फीट लकड़ी प्राप्त होती है। सागौन का मुख्य तना आमतौर पर 25 से 30 फीट ऊंचा होता है और करीब 35 से 45 इंच मोटा होता है। पेड़ कटाई से पहले इसके पौधों को चिन्हित कर इसकी रिपोर्ट चीफ उद्यानिकी विभाग में दें। अनुमति मिलने के बाद कटाई की जा सकती है। क्योंकि इसके लाने और ले जाने पर प्रतिबंध है। केवल सरकार की अनुमति प्राप्त पौधों का ही व्यापार किया जा सकता है। सागवान का पौधा कहां मिलेगासागवान (Teak Tree) का पौधा या बीज आप ऑनलाइन खरीद सकते है। इसके अलावा सरकारी उद्यानिकी विभाग या अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि कॉलेज में संपर्क कर इसकी खेती के बारे में जानकारी ले सकते है। सागवान की खेती के लिए दिशा-निर्देश
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सागवान के पत्ते का क्या उपयोग है?इसके पत्ते बड़े होते हैं. इसके पत्तों का रस खून की तरह लाल होता है. इसकी लकड़ी पानी में रह कर भी सिकुडती नहीं है. अर्श, वायु, पित्त, अतिसार, कुष्ठ, प्रमेह कफ आदि में उपयोगी होता है.
सागौन के पेड़ की उम्र कितनी होती है?सागवान के पौधे की उम्र 200 साल की होती है.
कौन सी भारतीय सागौन की लकड़ी सबसे अच्छी है?भारत में, केरल सागौन की लकड़ी के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। यह मजबूत और बहुत टिकाऊ है और अक्सर दरवाजे के फ्रेम, अलमारियाँ और टेबल बनाने के लिए उपयोग किया जाता है। सागौन की लकड़ी क्षय के लिए प्रतिरोधी होती है और अन्य सभी प्रकार की लकड़ी को मात दे सकती है।
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