डाल्टन का परमाणु सिद्धांत कक्षा 11 - daaltan ka paramaanu siddhaant kaksha 11

(dalton atomic theory in hindi) डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त , डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के दोष या कमियाँ या सीमाएँ क्या है , किसे कहते है ?

डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त : किसी तत्व का वह छोटे से छोटा कण जिसको आगे विभाजित नहीं किया जा सकता है परमाणु कहलाता है।

परमाणु : किसी तत्व का वह छोटे से छोटा कण जो स्वतंत्र रूप से किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है , परमाणु कहलाता है।

अणु : किसी तत्व पदार्थ का वह छोटे से छोटा तत्व जिसका स्वतंत्र अस्तित्व होता है वह उस पदार्थ का अणु कहलाता है।

डाल्टन का परमाणुवाद

 भारतीय ऋषि कणाद (800 ई.) ने सर्वप्रथम यह सिद्धान्त दिया, जिसे यूनानी दार्शनिकों लूसियस तथा डिमोक्राइटिस ने आगे बढ़ाया और 1808 ई. में जान डाल्टन ने प्रयोगों द्वारा इसकी पुष्टि की। डाल्टन का परमाणुवाद निम्नवत् है-

(i)  प्रत्येक पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें परमाणु कहते हैं। परमाणु अविभाज्य होता है।

(ii) परमाणु न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट।

(iii) एक ही तत्व के सभी परमाणु आकार, द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणों में समान होते हैं, किंतु दूसरे तत्व के परमाणु से भिन्न होते हैं।

(iv) रासायनिक परिवर्तनों में परमाणु अपनी निजी सत्ता बनाये रखते हैं।

(1)  किसी भी यौगिक के समस्त परमाणु (अणु) आपस में समान होते हैं और तत्व का संयोजन भार ही परमाणुओं का संयोजन भार होता है।

परमाणु मॉडल

 थॉमसन का मॉडलः 1903 ई. में सर्वप्रथम थामसन ने परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार परमाणु ठोस गोलाकार आकृति के समान है, जिसमें धनावेशित तथा ऋणावेशित कण समान रूप से वितरित रहते हैं। परमाणु का द्रव्यमान, परमाणु के चारों ओर असमान रुप से फैला रहता है। थॉमसन के परमाणु मॉडल ने परमाणु की विद्युत उदासीनता को तो स्पष्ट कर दिया, परन्तु अल्फा कण (  ) ने रदरफोर्ड ने प्रयोग को स्पष्ट नहीं कर सका।

 रदरफोर्ड का मॉडलः रदरफोर्ड ने 1911 ई. में अल्फा कणों ( ) के प्रकीर्णन प्रयोग से प्राप्त निष्कर्षों से परमाणु मॉडल प्रस्तुत किया। इसके अनुसार –

(i)  परमाणु अतिसूक्ष्म, गोलाकार, विद्युत उदासीन कण हैं, जो धनावेशित नाभिक और इसके बाहरी भाग, जिसमें इलेक्ट्रॉन रहते हैं, से बना है।

(ii) परमाणु का कुल धनावेश और लगभग समस्त द्रव्यमान केन्द्र में संचित रहता है, जिसे नाभिक कहते हैं।

(iii) परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर घूमते रहते हैं।

(iv) परमाणु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, परमाणु नाभिक पर स्थित धनावेशों की संख्या के बराबर होती है, इसीलिए परमाणु उदासीन होते है।

(1)  इलेक्ट्रानों पर नाभिक आकर्षण बल आरोपित करता है। इलेक्ट्रानों के परिक्रमण से उत्पन्न अपकेन्द्र बल, नाभिक के आकर्षण बल को सन्तुलित करता है। इससे इलेक्ट्रान, नाभिक में नहीं गिरता है।

नील्स बोर का मॉडल

 नील्स बोर ने 1913 ई. में रदरफोर्ड के दोषों को दूर कर नया मॉडल क्वांटम सिद्धान्त मॉडल दिया। नील्स बोर मॉडल के बारे में हाइड्रोजन स्पेक्ट्रम की व्याख्या कर क्वांटम मैकेनिकल मॉडल प्रस्तुत किया गया, जिसके अनुसार –

(i)  परमाणु के केन्द्र में एक नाभिक होता है, जहां प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन स्थित होते हैं। नाभिक का आकार बहुत छोटा होता है।

(ii)  इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर एक निश्चित गोलाकार पथ में चक्कर लगाते रहते हैं, जिन्हें ऊर्जा स्तर कहते हैं। नाभिक व इलेक्ट्रॉन के बीच में एक आकर्षण बल कार्य करता है, जो इलेक्ट्रॉन के अभिकेन्द्रीय बल के बराबर होता है।

(iii)  प्रत्येक ऊर्जा स्तर की एक निश्चित ऊर्जा होती है।

(iv)  ऊर्जा स्तरों को क्रमशः         (1.2.3.4) कहते हैं।

(1)  जब एक इलेक्ट्रॉन उच्च ऊर्जा स्तर से निम्न ऊर्जा स्तर में आता है या निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर में जाता है, तो इसमें ऊर्जा परिवर्तन होता है। निम्न कक्षा से उच्च से जाने पर ऊर्जा का अवशोषण, तथा उच्च से निम्न में जाने पर ऊर्जा का उर्सजन होता है।

(2) इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर केवल उन्हीं कक्षाओं में घूम सकता है, जिनमें उसका कोणीय संवेग (      ) का सरल गुणांक होता है।

 नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन तीव्र गति से परिक्रमा करते हैं। इस कारण नाभिक के आस-पास ऋणात्मक विद्युत आवेश का एक धुंधला बादल-सा बन जाता है, जिसे इलेक्ट्रान मेघ कहते हैं। इलेक्टॉन मेघ में ही इलेक्ट्रान के पाये जाने की प्रायिकता अधिक होती है।

ऑफबाऊ नियमः

 ऑफबाऊ जर्मन भाषा का शब्द हैं, जिसका अभिप्राय बनाना या रचना करना है। तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास बनाने का नियम कहलाता है। इस नियम के अनुसार, किसी भी परमाणु में उपस्थित विभिन्न कक्षकों में इलेक्ट्रॉन ऊर्जा के बढ़ते क्रम में प्रवेश करता है। इलेक्ट्रॉन सर्वप्रथम   कक्षक में प्रवेश करते हैं और जब  कक्षक पूर्ण हो जाता है तो इलेक्ट्रॉन   कक्षक में प्रवेश करते हैं। जब  कक्षक भी पूर्ण हो जाता है तो इलेक्ट्रॉन  कक्षक में प्रवेश करते हैं। इस प्रकार इलेक्ट्रॉन ऊर्जा के बढ़ते हुए क्रम में रिक्त कक्षकों में प्रवेश करते हैं।

पाउली का अपवर्जन नियम

 इसके अनुसार किसी परमाणु के किसी भी दो इलेक्ट्रॉनों के लिए चारों क्वांटम संख्याओं का मान एक समान नहीं हो सकता। यदि किसी पर बाकी तीनों क्वांटम संख्याओं का मान समान हो भी जाय, फिर भी स्पिन क्वांटम संख्या का मान (़ $ 1/2 व – 1/2) समान नहीं हो सकता ।

हुण्ड का नियम

 इसके अनुसार, किसी भी कक्षा में इलेक्ट्रॉन इस प्रकार भरते हैं कि अधिक हो अर्थात् किसी भी कक्षा के उपकोषों में इलेक्ट्रॉन सर्वप्रथम एक-एक करके जाते हैं तथा बाद में युग्म बनाते हैं। वे परमाणु, जिनमें इलेक्ट्रॉन अयुग्मित रहते हैं, वे पराचुम्बकीय तथा वे परमाणु, जिनमें इलेक्ट्रॉन युग्मित रहते हैं, अनुचुम्बकीय कहलाते हैं।

 किसी धातु की सतह को प्रकाश के समक्ष रखने पर होने वाला इलेक्ट्रॉनों का उत्र्सजन प्रकाश विद्युत प्रभाव कहलाता है। उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों को फोटो इलेक्ट्रान कहते हैं। वह न्यूनतम विभव, जिस पर फोटो विद्युत धारा शून्य हो जाती है, प्रतिरोधक विभव कहलाता है।

डाल्टन का परमाणु सिद्धान्त क्या है स्पष्ट कीजिए?

डाल्टन का परमाणु सिद्धांत- (By Er. डाल्टन का यह सिद्धांत रासायनिक संयोजन के नियमों पर आधरित था। सभी द्रव्य परमाणुओं से निर्मित होते हैं, जो कि रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं। परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं न ही उनका विनाश होता है।

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत के प्रमुख बिंदु कौन कौन से हैं?

(i) प्रत्येक पदार्थ अत्यंत सूक्ष्म कणों से मिलकर बना होता है, जिन्हें परमाणु कहते हैंपरमाणु अविभाज्य होता है। (ii) परमाणु न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट। (iii) एक ही तत्व के सभी परमाणु आकार, द्रव्यमान तथा रासायनिक गुणों में समान होते हैं, किंतु दूसरे तत्व के परमाणु से भिन्न होते हैं

डाल्टन के परमाणु सिद्धांत की कमियां क्या थी?

1. परमाणु को अविभाज्य कण के रूप में नहीं रखा जा सकता क्योंकि यह उप परमाण्वीय कणों – इलेक्ट्रॉन , प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन में विभाज्य है । 2. समस्थानिकों की उपस्थिति के कारण एक ही तत्व के भिन्न – भिन्न द्रव्यमान हो सकते हैं ।

परमाणु सिद्धांत के जनक कौन है?

जॉन डाल्टन (६ सितंबर, १७६६ - ७ जुलाई, १८४४) एक अंग्रेज़ वैज्ञानिक थे। इन्होंने पदार्थ की रचना सम्बन्धी सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जो 'डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त' के नाम से प्रचलित है।