परिचय Show इस कविता में कविता की शक्ति पर प्रकाश डाला गया है | सन्दर्भ :- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह-भाग -2’ में संकलित कवि कुँवर नारायण द्वारा रचित कविता ‘कविता के बहाने’ से लिया गया है | यह कविता कुँवर नारायण जी के कविता संग्रह ‘इन दिनों’ में मूल रूप से संकलित है | प्रसंग :- कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने व्याख्या कवि ने कविता के अस्तित्व से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं | प्रसंग :- कविता एक खिलना है फूलों के बहाने व्याख्या इस काव्यांश में कवि ने कविता की तुलना फूलों से की है | प्रसंग :- कविता एक खेल है बच्चों के बहाने व्याख्या इस काव्यांश में कवि ने कविता की तुलना बच्चों की क्रीड़ा से की है तथा कविता का सुंदर वर्णन किया है | विशेष :- कविता की भाषा सरल साहित्यिक खड़ी बोली है | VIDEO WATCH
1 month ago चिड़िया क्या जाने में कौन सा अलंकार है?'चिड़िया क्या जाने' में प्रश्न अलंकार है । चिड़िया क्या जाने ? इस घर उस घर बिना मुरझाए महकने के माने यह घर, वह घर सब घर एक कर देने के माने बच्चा ही जाने ।
कविता एक उड़ान है चिड़िया क्या जाने?वैसे कविता की उड़ान को चिड़िया नहीं जानती। इसका कारण यह है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है जबकि कविता की उड़ान की कोई सीमा नहीं होती। चिड़िया बाहर-भीतर, इस घर से उस घर तक उड़कर जाती रहती है जबकि कविता की उड़ान व्यापक होती है।
चिड़िया क्या जाने में निहित व्यंग्य को लिखिए?चिड़िया तो एक घर से दूसरे घर, बाहर से भीतर या भीतर से बाहर ही उड़ान भरती है। उसकी उड़ान की सीमा बँधी रहती है लेकिन कवि के मन में उत्पन्न होने वाले भावों की कोई सीमा नहीं है। भावों के पंख तो असीम दूरी तथा अनंत ऊँचाई तक उड़ान भर सकते हैं। कविता के द्वारा पंख लगाकर उड़ने का अर्थ तो किसी भी सीमा में न बँधना है।
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने पंक्ति का आशय क्या है?(क) इस पंक्ति का अर्थ यह है कि चिड़िया को उड़ते देखकर कवि की कल्पना भी ऊँची-ऊँची उड़ान भरने लगती है। वह रचना करते समय कल्पना की उड़ान भरता है। (ख) कविता पंख लगाकर मानव के आंतरिक व बाहय रूप में उड़ान भरती है।
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