चाँद को एकटक कौन निहारता रहता है? - chaand ko ekatak kaun nihaarata rahata hai?

चांद को क्या मालूम, नहीं चाहता उसे कोई चकोर

जयपुरPublished: Mar 24, 2020 03:54:24 pm

साहित्य में चकोर पक्षी को एक प्रेमी के रूप में पेश किया गया है जबकि वास्तविकता यह है कि यह प्रेमी पक्षी नहीं पालतू पक्षी है

चाँद को एकटक कौन निहारता रहता है? - chaand ko ekatak kaun nihaarata rahata hai?

चांद को क्या मालूम, नहीं चाहता उसे कोई चकोर

पक्षियों में एक पक्षी ऐसा है जिसे हिंदी साहित्य में खास जगह दी गई है। यह पक्षी है चकोर। चकोर यानी प्रेमी का प्रतीक। ऐसा प्रेमी जो अपनी प्रेमिका को निहारता है। चकोर को हिंदी साहित्यकारों ने वियोगी प्रेमी के रूप में पेश किया है जो अपनी प्रेमिका चांद को देख रोता रहता है। चकोर पक्षी के जीवन में देखें तो ऐसा कुछ नजर नहीं आएगा। न वह चांद का दीवाना है और ही वह उसे बहुत ज्यादा चाहता है। वह तो बेचारा अपने भोजन के लिए कीट-पतंगों की खातिर चांद की रोशनी में अधिक सक्रिय नजर आता है। यह तो साहित्यकारों की कल्पना है कि उन्होंने चकोर को चांद का दीवाना बना डाला। कई गद्य लेखकों और कवियों ने अपनी रचनाओं में चकोर पक्षी का चित्रण किया है।

चकोर पाकिस्तान का राष्ट्रीय पक्षी है। चकोर पक्षी मयूर कुल का प्राणी है। इसका शिकार किया जाता है। चकोर मैदान के बजाय पहाड़ों पर रहना पसंद करता है। यह पाकिस्तान, भारत, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान आदि देशों में पाया जाता है, चकोर पक्षी की लंबाई 30 सेंटीमीटर तक होती है, इसका व्यवहार तीतर की तरह होता है जिस तरह पालतू तीतर अपने मालिक के पीछे पीछे चलते हैं उसी प्रकार चकोर पक्षी भी पालतू बनाए जाने पर अपने मालिक के पीछे पीछे चलता है.

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प्रश्न अभ्यास 
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए −(क) पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीज़ों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
(ख) पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे- पानी, समानी आदि। इस पद में से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
(ग) पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण :दीपकबाती.........................................................................................................................(घ) दूसरे पद में कवि ने 'गरीब निवाजु' किसे कहा है? स्पष्ट कीजिए।
(ङ) दूसरे पद की 'जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै' इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(च) 'रैदास' ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है?
(छ) निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए −
मोरा, चंद, बाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धरै, छोति, तुहीं, गुसइआ

उत्तर (क) पहले पद में भगवान और भक्त की तुलना निम्नलिखित चीज़ों से की गई हैं−
(1) भगवान की घन बन से, भक्त की मोर से
(2) भगवान की चंद्र से, भक्त की चकोर से
(3) भगवान की दीपक से, भक्त की बाती से
(4) भगवान की मोती से, भक्त की धागे से
(5) भगवान की सुहागे से, भक्त की सोने से
(6) भगवान की चंदन से, भक्त की पानी से

(ख)
मोराचकोरादासारैदासाबातीरातीधागासुहागा(ग)
मोतीधागाघन बनमोरसुहागासोनाचंदन पानीदासास्वामी(घ) 'गरीब निवाजु' का अर्थ है, गरीबों पर दया करने वाला। कवि ने भगवान को 'गरीब निवाजु' कहा है क्योंकि ईश्वर ही गरीबों का उद्धार करते हैं, सम्मान दिलाते हैं, सबके कष्ट हरते हैं और भवसागर से पार उतारते हैं।

(ङ) 'जाकी छोति जगत कउ लागै' का अर्थ है जिसकी छूत संसार के लोगों को लगती है और 'ता पर तुहीं ढरै' का अर्थ है उन पर तू ही (दयालु) द्रवित होता है। पूरी पंक्ति का अर्थ है गरीब और निम्नवर्ग के लोगों को समाज सम्मान नहीं देता। उनसे दूर रहता है। परन्तु ईश्वर कोई भेदभाव न करके उन पर दया करते हैं, उनकी मद्द करते हैं, उनकी पीड़ा हरते हैं।

(च) रैदास ने अपने स्वामी को गुसईया, गरीब निवाज़, गरीब निवाज़ लाला प्रभु आदि नामों से पुकारा है।

(छ)
मोरा-मोरचंद-चन्द्रमाबाती-बत्तीबरै-जले राती-रातछत्रु-छत्रधरै-रखेछोति-छुआछूततुहीं-तुम्हींराती-रातगुसइआ-गौसाई
2. नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए −
(क)जाकी अँग-अँग बास समानी
(ख)जैसे चितवत चंद चकोरा
(ग)जाकी जोति बरै दिन राती
(घ)ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
(ङ)नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै
उत्तर(क) कवि के अंग-अंग मे राम-नाम की सुगंध व्याप्त हो गई है। जैसे चंदन के पानी में रहने से पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है, उसी प्रकार राम नाम के लेप की सुगन्धि उसके अंग-अंग में समा गयी है।

(ख) चकोर पक्षी अपने प्रिय चाँद को एकटक निहारता रहता है, उसी तरह कवि अपने प्रभु राम को भी एकटक निहारता रहता है। इसीलिए कवि ने अपने को चकोर कहा है।

(ग) ईश्वर दीपक के समान है जिसकी ज्योति हमेशा जलती रहती है। उसका प्रकाश सर्वत्र सभी समय रहता है।

(घ) भगवान को लाल कहा है कि भगवान ही सबका कल्याण करता है इसके अतिरिक्त कोई ऐसा नहीं है जो गरीबों को ऊपर उठाने का काम करता हो।

(ङ) कवि का कहना है कि ईश्वर हर कार्य को करने में समर्थ हैं। वे नीच को भी ऊँचा बना लेता है। उनकी कृपा से निम्न जाति में जन्म लेने के उपरांत भी उच्च जाति जैसा सम्मान मिल जाता है।

3. रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

पहले पद का केंद्रिय भाव

− जब भक्त के ह्रदय में एक बार प्रभु नाम की रट लग जाए तब वह छूट नहीं सकती। कवि ने भी प्रभु के नाम को अपने अंग-अंग में समा लिया है। वह उनका अनन्य भक्त बन चुका है। भक्त और भगवान दो होते हुए भी मूलत: एक ही हैं। उनमें आत्मा परमात्मा का अटूट संबंध है।

दूसरे पद में

− प्रभु सर्वगुण सम्पन्न सर्वशक्तिमान हैं। वे निडर है तथा गरीबों के रखवाले हैं। ईश्वर अछूतों के उद्धारक हैं तथा नीच को भी ऊँचा बनाने वाले हैं।