शहर में तेजी से फैल रहा चिकन पॉक्स, लोगों में जागरुकता का अभाव Show
समय पर इलाज नहीं करने से बढ़ जाते हैं सेकंडरी इंफेक्शन के चांसेज ALLAHABAD: इस मौसम में चिकन पॉक्स का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। हॉस्पिटल्स की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। लोगों में जागरुकता का अभाव है इसलिए लोग तेजी से संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं। सोसायटी में इस बीमारी को छोटी माता के नाम से जाना जाता है। आमतौर पर लोग इसमें इलाज से बचते हैं और झाड़-फूक का सहारा लेते हैं। जबकि, डॉक्टर्स का कहना है कि सावधानी बरतने के साथ इलाज भी जरूरी है वरना सेकंडरी इंफेक्शन की संभावना बनी रहती है। रोजाना आ रहे दर्जनों मरीज इस सीजन में दूसरी संक्रामक बीमारियों की तरह चिकन पॉक्स के मरीजों की संख्या भी अच्छी खासी है। प्रतिदिन बेली, कॉल्विन और एसआरएन हॉस्पिटल की ओपीडी में कुल मिलाकर दर्जनों की संख्या में मरीज आ रहे हैं। इनमें दो से दस साल के बच्चों की संख्या अधिक है। दूसरे आयु वर्ग के मरीज भी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टरों की माने तो इससे कहीं ज्यादा ऐसे मरीज भी हैं जो इलाज कराने नहीं आते और झाड़-फूक के भरोसे रहते हैं। क्या है मिथक सोसायटी में छोटी माता के नाम से प्रचलित चिकन पॉक्स का डॉक्टरी इलाज कराने से लोग बचते हैं। इसके पीछे माता का डर छिपा रहता है। लोग झाड़-फूक, और पुरानी मान्यताओं का सहारा लेते हैं। इस दौरान संक्रमण फैलने के चांसेज बढ़ जाते हैं और मरीज के शरीर से वायरस का असर खत्म होने में सात से दस दिन का समय लगता है। अगर समय से इलाज कराया जाए तो बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। चिकन पॉक्स के लक्षण शुरुआत से पहले पैरों और पीठ में पीड़ा और शरीर में हल्का बुखार, हल्की खांसी, भूख में कमी, सर में दर्द, थकावट, उल्टियां आदि का आभास होता है। 24 घंटों के अंदर पेट या पीठ और चेहरे पर लाल खुजलीदार फुंसियां उभरने लगती हैं, जो बाद में पूरे शरीर में फैल जाती हैं सिर, मुंह, नाक, कानों और गुप्तांगों पर यह फुंसियां दानों और किसी कीड़े के डंक की तरह लगती हैं, पर धीरे धीरे यह तरल पदार्थ युक्त पतली झिल्ली वाले फफोलों में परिवर्तित हो जाती हैं चिकन पॉक्स के फफोले एक इंच चौड़े होते हैं और उनका तल लाल किस्म के रंग का होता है और 2 से 4 दिनों में पूरे शरीर में तेजी से फैल जाते हैं बीमारी के कारण चिकन पॉक्स, वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस से फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी है इसके वायरस संक्रमित व्यक्ति के थूक, खांसी और छींक से बाहर निकलकर दूसरे व्यक्ति तक सांस लेने से पहुंच जाते हैं व्यक्ति को एक बार होने के बाद यह दोबारा उसे नहीं होती चिकेन पॉक्स होने पर बच्चों को एस्प्रीन लेने पर रेईस सिन्ड्रोम जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है एचआईवी ग्रसित या प्रतरोधी प्रणाली में कमी वाले रोगियों को निमोनिया का अधिकतर खतरा होता है जिन गर्भवती महिलाओं को कभी चिकन पॉक्स नहीं हुआ है उन्हें इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति के करीब नहीं जाना चाहिए बीमारी से बचाव बीमारी के निवारण के लिए 12 से 15 महीनों की उम्र के बीच बच्चों को चिकन पॉक्स का टीका और 4 से 6 वर्ष की उम्र के बीच बूस्टर टीका जरूर लगवाना चाहिए। यह टीका चिकन पॉक्स के हल्के संक्रमण की रोकथाम में 80 फीसदी तक असरकारक होता है। गंभीर किस्म के संक्रमण को रोकने में यह टीका 95 फीसदी तक असरदार होता है। यह हैं देसी उपचार दानों में होने वाली खुजली से बचने के लिए 2 लीटर पानी में 2 कप जई का आटा मिलाकर लगभग 15 मिनट तक उबालें, पके आटे को एक कॉटन के बैग में अच्छी तरह से बांधकर बॉथ टब में डालकर बच्चे को नहलाएं। आधा कप भूरे सिरके को पानी में डालकर नहाने से शरीर में हो रही खुजली से निजात पाई जा सकती है। नींबू का रस, सब्जी और अन्य फलों का जूस भी चिकन पॉक्स में राहत देता है। नीम की पत्तियों को गर्म पानी में डालकर नहाने से खुजली समाप्त होती है। विटामिन-ई युक्त तेल को शरीर पर लगाइए, राहत मिलेगी चिकन पाक्स में गाजर बहुत लाभकारी होता है। उबले गाजर और धनिया को खाने से चिकन पाक्स से आई कमजोरी को कम किया जा सकता है। संक्रामक होने की वजह से चिकन पॉक्स पहले तेजी से फैलती थी इसलिए लोग इसे देवी प्रकोप मानते थे। लेकिन, अब इसके वायरस की खोज हो चुकी है और 72 घंटों के भीतर इलाज शुरू करने से संक्रमण और लक्षणों के फैलने पर भी रोक लगती है। इसलिए शुरुआती लक्षणों की पहचान के बाद डॉक्टरी सलाह जरूर लेनी चाहिए। डॉ। एके श्रीवास्तव, त्वचा रोग विशेषज्ञ समय से इलाज नहीं कराने पर दस्त की शिकायत के साथ वीकनेस, लंग इंफेक्शन आदि हो सकता है। वैसे तो यह बीमारी सात से दस दिन में अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन डायबिटिक और बुजुर्गो को तत्काल इलाज चाहिए। जिनका इम्युन सिस्टम कमजोर है उन्हें भी दवाओं का सहारा लेना चाहिए। डॉ। शक्ति बसु, त्वचा रोग विशेषज्ञ चिकन पॉक्स यानी छोटी माता एक वायरल संक्रमण है, जो अक्सर बच्चों को प्रभावित करता है। वहीं, कई मामलों में यह बड़ों को भी अपनी चपेट में ले सकता है। ऐसे में इससे जुड़ी जरूरी बातें आपको पता होनी चाहिए। यही वजह है कि स्टाइलक्रेज के इस लेख में हम चिकन पॉक्स का कारण और छोटी माता के लक्षण के साथ-साथ चिकन पॉक्स का आयुर्वेदिक उपचार बताने जा रहे हैं। इसके अलावा, इस लेख में हमने इससे जुड़ी डाइट टिप्स और सावधानियों को भी बताया है, ताकि आप इससे हमेशा बचे रहें। चिकन पॉक्स के बारे में विस्तार से जानने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। स्क्रॉल करें आर्टिकल में हम सबसे पहले बता रहे हैं कि चिकन पॉक्स यानी छोटी माता क्या है। विषय सूची
चिकन पॉक्स क्या है?चिकन पॉक्स जिसे छोटी माता भी कहते हैं, एक वायरल संक्रमण है, जो छोटे द्रव से भरे खुजलीदार फफोलों और दानों के साथ शरीर पर प्रहार करता है। यह वेरिसेला जोस्टर वायरस के संपर्क में आने की वजह से होता है। यह उन्हें सबसे ज्यादा निशाना बनाता है, जिन्हें बचपन में इसका टीका न लगाया गया हो या जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो (1)। हालांकि, यह उतनी गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन लापरवाही बरतने पर इसके लक्षण घातक साबित हो सकते हैं। इसके प्रति जागरूकता और शरीर की देखभाल की समझ इस समस्या से निजात दिला सकती है। आगे जानें यहां हम जानकारी दे रहे हैं चिकन पॉक्स यानी छोटी माता के कारण के बारे में। चिकन पॉक्स (छोटी माता) के कारण – Cause of Chicken Pox in Hindiजैसा कि हमने ऊपर बताया कि यह एक वायरल संक्रमण है और इसके होने का मुख्य कारण है वेरिसेला जोस्टर वायरस के संपर्क में आना। यह एक प्रकार का हर्पीस वायरस है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, जिसके पीछे के कारण हम नीचे बता रहे हैं (2)। पढ़ते रहें आगे हम चिकन पॉक्स के फैलने से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं। चिकन पॉक्स फैलता कैसे है?चिकन पॉक्स निम्नलिखित कारणों से फैल सकता है (2) –
आगे पढ़ें आर्टिकल के अगले हिस्से में हम आपको छोटी माता के लक्षण के बारे में बता रहे हैं। चिकन पॉक्स के लक्षण – Symptoms of Chicken Pox in Hindiचिकन पॉक्स के मुख्य लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं – (1)
अन्य लक्षण :
पढ़ते रहें छोटी माता के लक्षण जानने के बाद जानिए चिकन पॉक्स के जोखिम कारक के बारे में। चिकन पॉक्स के जोखिम कारक – Risk Factors of Chicken Pox in Hindiचिकन पॉक्स के जोखिम कारक इस प्रकार हैं (2):
आगे जानें अब जानिए चिकन पॉक्स के घरेलू उपाय क्या-क्या हो सकते हैं। चिकन पॉक्स का इलाज डॉक्टरी परामर्श पर ही निर्भर करता है। वहीं, कुछ घरेलू उपायों से इसके प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है। हालांकि, ध्यान रहे की इन घरेलू उपायों को डॉक्टरी चिकित्सा की देखरेख में करना बेहतर है। साथ ही हम यह स्पष्ट कर दें कि ये उपाय इलाज नहीं, बल्कि लक्षणों से कुछ हद तक आराम दे सकते हैं। अब नीचे जानिए चिकन पॉक्स के घरेलू उपाय के बारे में। 1. एलोवेरा द्वारा चिकन पॉक्स का इलाजसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें इस्तेमाल? दिन में दो-तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। कैसे है लाभदायक? त्वचा के लिए एलोवेरा के फायदे देखे गए हैं। एलोवेरा जेल चिकन पॉक्स से संक्रमित हुई त्वचा को ठंडक और आराम देने का काम करता है। एनसीबीआई (National Center for Biotechnology Information) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध के अनुसार इसमें एंटीवायरल गुण पाए जाते हैं, जो चिकन पॉक्स का कारण बनने वाले वेरिसेला जोस्टर वायरस के प्रभाव को कम करने में मददगार हो सकता है (3)। यह उपाय प्राकृतिक है और बच्चों की त्वचा के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। 2. नीम से चिकन पॉक्स का घरेलू उपायसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? पेस्ट वाली विधि दिन में दो बार करें और नहाने वाली विधि दिन में एक बार करें। कैसे है लाभदायक? एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित एक शोध में पाया गया कि नीम की पत्तियां एंटीवायरल गुणों से समृद्ध होती हैं। यह गुण चिकन पॉक्स का कारण बनने वाले वायरस के प्रभाव को कम कर संक्रमित त्वचा को आराम देने का काम कर सकता है। वहीं, खुजली और रैशेज के लिए नीम का उपाय रामबाण माना जाता है। नीम की पत्तियों का पेस्ट फफोलों को जल्द सूखाने का काम कर सकता है (4)। चिकन पॉक्स ट्रीटमेंट के लिए नीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। 3. बेकिंग सोडा बाथ से चिकन पॉक्स का इलाजसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? समस्या के दिनों में रोजाना इस प्रक्रिया को दोहराएं। कैसे है लाभदायक? सहने योग्य गर्म पानी में बेकिंग सोडा (सोडियम बाइकार्बोनेट) डालकर स्नान करने से चिकन पॉक्स से संक्रमित हुई त्वचा को आराम मिल सकता है (5)। वहीं, इसमें मौजूद एंटीफंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण संक्रमित त्वचा को फंगल और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाने में मददगार हो सकते हैं (6), (7)। हालांकि, सीधे तौर पर चिकन पॉक्स के ऊपर बेकिंग सोडा के फायदे पर अभी और शोध की आवश्यकता है। 4. ओटमील बाथ द्वारा चिकन पॉक्स का घरेलू उपायसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? समस्या के दिनों में रोजाना इस प्रक्रिया को दोहराएं। कैसे है लाभदायक? चिकन पॉक्स का आयुर्वेदिक उपचार करने के लिए ओटमील बाथ का प्रयोग कर सकते हैं (5)। चिकन पॉक्स से संक्रमित त्वचा को राहत देने में ओटमील बाथ काम आ सकता है। ओटमील बाथ एक कारगर मॉइस्चराइजिंग, सूदिंग और एंटीइंफ्लेमेटरी एजेंट की तरह काम कर सकता है। नियमित स्नान करने से चकत्तों और खुजली से काफी हद तक आराम मिल सकता है (8)। 5. विनेगर बाथसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? समस्या के दिनों में हर दूसरे दिन इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं। कैसे है लाभदायक? विनेगर बाथ चिकन पॉक्स की समस्या में कुछ हद तक मददगार हो सकता है। विनेगर एंटी माइक्रोबियल (बैक्टीरिया, परजीवी, वायरस और फंगस के खिलाफ लड़ने वाला) गुणों से समृद्ध होता है। यह चिकन पॉक्स के वायरस से लड़ने में कुछ हद तक मददगार हो सकता है (9) (10)। चिकन पॉक्स ट्रीटमेंट के लिए विनेगर बाथ ले सकते हैं। 6. अदरक द्वारा चिकन पॉक्स का इलाजसामग्री: दो-तीन चम्मच अदरक का पाउडर कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? समस्या के दिनों में यह प्रक्रिया रोजाना दोहराएं। कैसे है लाभदायक? अदरक एंटीवायरल गुणों से समृद्ध होता है (11)। अदरक में मौजूद यह गुण चिकन पॉक्स के वायरस के प्रभाव को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकता है। हालांकि, यह अदरक का उपाय कितना प्रभावी होगा, इस पर फिलहाल और शोध किए जाने की आवश्यकता है। साथ ही, हो सकता है इससे जलन की परेशानी हो, इसलिए बिना डॉक्टरी परामर्श के यह उपाय न अपनाएं। जारी रखें पढ़ना 7. नमक का स्नानसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? समस्या के दिनों में रोजाना इस प्रक्रिया को दोहराएं। कैसे है लाभदायक? चिकन पॉक्स के दौरान नमक का स्नान फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल, नमक एंटी माइक्रोबियल गुणों से समृद्ध होता है (12)। जैसा कि हमने ऊपर बताया कि यह गुण चिकन पॉक्स के वायरस से लड़ने और उससे बचाव में सहायक साबित हो सकता है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि चिकन पॉक्स से कुछ हद तक आराम पाने के लिए इस उपाय को अपनाया जा सकता है। 8. कैलामाइन लोशनसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? रोजाना दो से तीन बार यह प्रक्रिया दोहराएं। कैसे है लाभदायक? चिकनपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति की खुजली की समस्या को दूर करने के लिए कैलामाइन लोशन कारगर हो सकता है (1)। कैलामाइन लोशन खुजली से राहत देने के साथ ही संक्रमित त्वचा की जलन को कम कर सकता है और साथ ही त्वचा को शांत करने का काम कर सकता है (13), (14)। चिकन पॉक्स का आयुर्वेदिक उपचार करने के लिए कैलामाइन लोशन का इस्तेमाल कर सकते हैं। 9. हर्बल टीसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? दिन में दो-तीन बार पी सकते हैं। कैसे है लाभदायक? चिकन पॉक्स के दौरान हर्बल टी का सेवन भी कुछ हद तक लाभकारी हो सकता है। दरअसल, इससे जुड़े एक शोध में सीधे जिक्र मिलता है कि कैमोमाइल का उपयोग चिकन पॉक्स से आराम पाने के लिए किया जा सकता है। यह त्वचा की जलन और रैशेज से आराम दिलाने में मददगार हो सकता है (15)। वहीं, तुलसी का इस्तेमाल शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए किया जा सकता है, क्योंकि इसमें इम्यूनोथेरेप्यूटिक क्षमता पाई जाती है (16)। 10. शहदसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? दिन में यह प्रक्रिया दो बार दोहराएं। कैसे है लाभदायक? शहद के फायदे त्वचा पर कई प्रकार से देखे गए हैं। शोध में पाया गया कि शहद में एंटी वेरिसेला जोस्टर वायरस गुण पाए जाते हैं, जो चिकन पाॅक्स की स्थिति को ठीक करने में मदद कर सकते हैं (17)। इसके अलावा, शहद एंटी बैक्टीरियल गुणों से समृद्ध होता है, जो संक्रमित त्वचा को बैक्टीरियल संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है (18)। 11. गेंदे के फूल से छोटी माता का उपचारसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? यह प्रक्रिया रोजाना दो बार दोहराएं। कैसे है लाभदायक? गेंदे का फूल मॉइस्चराइजिंग के साथ ही एंटीमाइक्रोबियल और एंटीवायरल गुणों से समृद्ध होता है (19)। जहां एक ओर एंटी वायरल गुण वायरस के इंफेक्शन के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है, तो वहीं, एंटीमाइक्रोबियल गुण वायरस के साथ-साथ बैक्टीरियल संक्रमण से भी त्वचा को बचाने का काम कर सकता है। 12. विटामिन-ई कैप्सूल द्वारा चिकन पॉक्स ट्रीटमेंटसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? दिन में दो-तीन बार यह प्रक्रिया दोहराएं। कैसे है लाभदायक? चिकन पॉक्स की समस्या में विटामिन-ई के फायदे कुछ हद तक मददगार हो सकता है। दरअसल, यह त्वचा को हाइड्रेट कर सकता है और साथ ही त्वचा पर घाव व चोट के निशानों को हटाने में मदद कर सकता है (20) (21)। हालांकि, चिकन पॉक्स पर इसके बेहतर प्रभाव जानने के लिए अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है। 13. एशेंशियल ऑयल द्वारा छोटी माता का उपचारसामग्री:
कैसे करें इस्तेमाल?
कितनी बार करें? इस तेल के मिश्रण को दिन में 2-3 बार लगायें। कैसे है लाभदायक? शोध के अनुसार एसेंशियल ऑयल जैसे कि जम्भी का तेल, नीलगिरी का तेल, टी ट्री ऑयल, पिपरमिंट ऑयल और जिरेनियम का तेल चिकन पॉक्स ट्रीटमेंट में फायदेमंद हो सकते हैं (22)। वहीं, नारियल का तेल त्वचा को पोषण और हाइड्रेट कर सकता है और खुजली से छुटकारा दिला सकता है (23)। और जानें जानते हैं कि चिकन पॉक्स के लिए डॉक्टर की सलाह किस समय जरूरी हो जाती है। चिकन पॉक्स के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?जब घरेलू उपचार से भी काम न बने, स्थिति में सुधार न लगे और साथ ही ऊपर बताए गए इसके लक्षण जैसे बुखार, थकान आदि दिखने पर जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और उपयुक्त इलाज करवाना चाहिए। पढ़ते रहें आर्टिकल के इस हिस्से में हम बता रहे हैं चिकन पॉक्स के निदान के बारे में। चिकन पॉक्स का निदान – Diagnosis of Chicken Pox in Hindiकुछ तरीकों से चिकन पॉक्स का निदान किया जा सकता है। यहां हम आपको बता रहे हैं चिकन पाॅक्स के निदान के बारे में (24) –
अंत तक पढ़ें आर्टिकल में यहां हम आपको जानकारी दे रहे हैं चिकन पॉक्स ट्रीटमेंट के बारे में। चिकन पॉक्स का इलाज – Treatment of Chicken Pox in Hindiघरेलू नुस्खों के अलावा, चिकन पॉक्स का उपचार कैसे किया जा सकता है, इसकी जानकारी हम नीचे दे रहे हैं (24) (25) :
स्क्रॉल करें चिकन पॉक्स ट्रीटमेंट के बाद जानते हैं चिकन पॉक्स डाइट के बारे में। चिकन पॉक्स में आहार – Diet For Chicken Pox in Hindiचिकन पॉक्स में आहार का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। यहां हम बता रहे हैं चिकन पॉक्स डाइट के बारे में, यानी क्या खाना चाहिए और क्या नहीं (26)। चिकन पॉक्स के दौरान इन खाद्य पदार्थों का सेवन लाभकारी हो सकता है –
चिकनपॉक्स के दौरान इन खाद्य पदार्थों से बचें –
और भी है कुछ खास आर्टिकल के इस हिस्से में हम बता रहे हैं चिकन पॉक्स से बचाव से जुड़े कुछ टिप्स। चिकन पॉक्स (छोटी माता) से बचाव के उपाय – Prevention Tips For Chicken Pox in Hindiचिकन पॉक्स से बचाव के उपाय हम नीचे बता रहे हैं – (27)
हम उम्मीद करते हैं कि चिकन पॉक्स से जुड़ी तमाम जानकारी के बाद अब आप इसके बारे में बहुत कुछ जान गए होंगे। दोस्तों, इससे घबराने की जरूरत नहीं है, बस आप जागरूक रहें, तभी आप खुद का और अपने परिवार का बचाव इससे कर पाएंगे। इसके अलावा, अगर कोई इसकी चपेट में आ गया है, तो बताए गए चिकन पॉक्स के घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं। वहीं, अगर स्थिति गंभीर लगती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और चिकन पॉक्स का इलाज करवाएं। आशा करते हैं कि आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। सेहत से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए बने रहिए स्टाइलक्रेज के साथ। अक्सर पूछे जाने वाले सवालक्या चिकन पॉक्स खतरनाक है? समय पर इलाज मिलने पर चिकन पाॅक्स खतरनाक नहीं होता है, लेकिन लापरवाही करने पर यह खरतनाक भी हो सकता है। शरीर पर चिकन पॉक्स कहां से शुरू होता है? दाने पहले छाती, पीठ और चेहरे पर दिखाई दे सकते हैं और फिर पूरे शरीर पर फैल सकते हैं। क्या वयस्कों को एक बच्चे से चिकनपॉक्स हो सकता है? हां, कमजोर इम्यून सिस्टम हाेने पर और संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर चिकन पॉक्स होने की आशंका बढ़ सकती है। चिकन पॉक्स में इतनी खुजली क्यों होती है और खुजली से कैसे छुटकारा पाएं? संक्रमण के कारण चिकन पॉक्स में खुजली होती है और उससे छुटकारा पाने के लिए लेख में बताए गए घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं। क्या चेचक और चिकनपॉक्स एक समान है? ये दोनों ही वायरल संक्रमण है, लेकिन ये अलग-अलग वायरस के कारण होते हैं। जैसे चिकिनपॉक्स वैरिसेला जोस्टर वायरस के कारण और चेचक वैरियोला मेजर वायरस के कारण होता है। ये दोनों ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकते हैं और इनमें बुखार और सिरदर्द जैसे समान लक्षण देखने को मिल सकते हैं (1) (28)। चिकन पॉक्स को ठीक होने में कितने दिन लगते हैं? हल्के चिकनपॉक्स 7 से 10 दिन के बाद ठीक हो सकते हैं (1)। बच्चे को चिकन पॉक्स का टीका कब लगाया जाता है? बच्चों को पहला वेरिसेला वैक्सीन 12वें से 15वें महीने में दिया जाता है। क्या टीका लगने के बाद चिकनपॉक्स हो सकता है? हां, लेकिन हल्के लक्षणों के साथ जिसमें हल्के दाने और हल्का बुखार हो सकता है (24)। हालांकि, यह बहुत कम लोगों में होता है ज्यादातर लोग इससे सुरक्षित ही रहते हैं। अगर चिकन पॉक्स नहीं होता, तो क्या दाद हो सकता है? चिकन पॉक्स वायरस के कारण और दाद फंगल संक्रमण के कारण होता है। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि चिकनपॉक्स नहीं होने पर दाद हो सकता है। इनके होने की वजह इनके कारणों पर निर्भर करती है। खसरा और चिकन पॉक्स में क्या अंतर है? चिकनपॉक्स वेरिसेला-जोस्टर वायरस के कारण होता है और खसरा यानी रुबेला, खसरे के वायरस के कारण होता है। दोनों बीमारियों को टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। क्या चिकन पॉक्स का टीका मासिक धर्म में देरी कर सकता है? नहीं, चिकनपॉक्स का टीका पीरियड्स यानी मासिकधर्म के बीच में कोई संबंध नहीं है। क्या गर्भावस्था के दौरान चिकनपॉक्स खतरनाक है? हां, गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला और भ्रूण दोनों के लिए चिकनपॉक्स जटिलताओं का कारण बन सकता है। क्या चिकनपॉक्स जन्म दोष का कारण बन सकता है? वैरिसेला वायरस गर्भवती मां से उसके भ्रूण तक फैल सकता है, जिस कारण वेरिसिला सिंड्रोम के साथ पैदा होने वाले शिशुओं में जन्म दोष हो सकता है (29)। क्या गर्भवती होने पर चिकनपॉक्स का टीका ले सकते हैं? नहीं, गर्भवती महिलाओं को टीका नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसे में बेहतर जानकारी के लिए डॉक्टरी सलाह लेना बेहतर विकल्प हो सकता है। (29)। क्या गर्भवती होने पर चिकन पॉक्स वाले बच्चे के आसपास रहना सुरक्षित है? नहीं, यह सुरक्षित नहीं है, क्योंकि चिकन पॉक्स संक्रामक रोग है और यह किसी भी पीड़ित के संपर्क में आने से हाे सकता है। क्या जीवन में एक से अधिक बार चिकन पॉक्स हो सकता है? ऐसा बहुत ही कम केस में हो सकता है कि जीवन में दूसरी बार चिकन पॉक्स से संक्रमित हों, लेकिन यह संभव है (30)।
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बड़ी माता कैसे निकलती है?चेचक (शीतला, बड़ी माता, स्मालपोक्स) एक विषाणु जनित रोग है। श्वासशोथ एक संक्रामक बीमारी थी, जो दो वायरस प्रकारों, व्हेरोला प्रमुख और व्हेरोला नाबालिग के कारण होती है। इस रोग को लैटिन नाम व्हेरोला या व्हेरोला वेरा द्वारा भी जाना जाता है, जो व्युत्पन्न ("स्पॉटेड") या वार्स ("पिंपल") से प्राप्त होता है।
चेचक में कौन सी दवा लेनी चाहिए?यदि आपको गंभीर चेचक का खतरा है और आपको पहले से ही इसके लक्षण हैं, तो आपको एक एंटीवायरल दवा जिसे एसाइक्लोविर (aciclovir) कहा जाता है, लेने की सलाह दी जा सकती है। इस दवा को आदर्श रूप से दाने दिखने के 24 घंटों के भीतर लेना शुरू कर देना चाहिए। यह चेचक (Chickenpox) को ठीक नहीं करता है, लेकिन लक्षणों को कम कर देता है।
शरीर पर माता क्यों निकलती है?चिकन पॉक्स वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस से फैलने वाली एक संक्रमित बीमारी है. इस बीमारी में इंसान के शरीर पूरे शरीर पर लाल रंग के चकत्ते उभर आते हैं. आपको बता दें कि ये बीमारी तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलने वाली है. अगर को व्यक्ति चेचक पीड़ित के सीधे संपर्क में आ जाए तो उसे भी चेचक हो सकता है.
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