Show नमस्कार दोस्तों, आज इस लेख के माध्यम से शिक्षण के चारों की र्चचा करेंगे, जिसमें शिषण के विभिन्न चरणों तथा उनके कार्यो समीक्षा की जाएगी। अंशा है अपकों हमरी वेबसाइट द्वारा share किया गया लेख जरूर पसन्द आएगा। हमारी website के द्वारा टीचर ट्रेनिंग के सभी नोट्स उपलब्ध है, जो आपके किसी भी टीचर ट्रेनिंग के एग्जाम को पास करने के लिए काफी उत्तम नोट्स है, साथ ही साथ CTET के नोट्स, HTET के नोट्स, RETET के नोट्स आदि उपलब्ध है। शिक्षण के चरों (Variables) विस्तार से वर्णन तथा शिक्षण चरण से क्या अभिप्राय है? साथ ही साथ जानेगे शिक्षण के विभिन्न चरणों तथा कार्यों की समीक्षा की जाएगी। शिक्षण की प्रक्रिया शिक्षा के क्षेत्र में विशेष महत्व रखती है। शिक्षा एक कला है। यही कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति शिक्षण का काम नहीं कर सकता। इस कला में वही व्यक्ति प्रवीण हो सकता है जिसे इसके बारे में समुचित ज्ञान हो। शिक्षण तथा अधिगम की प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए निश्चित क्रियाएँ आवश्यक हैं। इन क्रियाओं में कुध तत्वों को समाविष्ट किया जाता है। समय और स्थान के अनुसार इनकी भूमिका अलग है। इन चरणों अथवा चरों के बिना शिक्षण की प्रक्रिया सफल नहीं हो सकती। चर को परिभाषित करते हुए गिलफोर्ड लिखते हैं, ” चार किसी एक दिशा में निरंतर होने वाला परिवर्तन है।” इसी प्रकार कार्टर गुड़ लिखते हैं, ” कोई भी विशेषता जो एक मामले या परिस्थिति से दूसरे मामले या परिस्थिति में परिवर्तित हो जाती हेै वह चर कहलाती हेै।” अन्य शब्दों में हम कह सकते हैं कि – चर का अर्थ है – परिवर्तन योग्य जो व्यवहार, कारक या परिवर्तनशील है वह चर कहलाती है। शिक्षण को सफल बनाने के लिए शिक्षण चरों कों तीन भागों में विभक्त किया गया है –
शिक्षण चरों के कार्य – शिक्षण चरों के तीन कार्य हैं –(क) निदानात्मक कार्य (ख) चारात्मक कार्य (ग) मूल्यांकन कार्य (क) निदानात्मक कार्य – निदानात्मक कार्यो का विवरण इस प्रकार है –
(ख) उपचारात्मक कार्य –
(ग) मूल्यांकन कार्य –
संक्षेप में हम कह सकते हैं कि सफल शिक्षण के लिए शिक्षण के लिए शिक्षण के चरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इनकी सहायता से ही अध्यापक शिक्षण के निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। उत्तम सहायक किताब खरीदेयह भी पढ़ें
शिक्षण प्रक्रिया में कितने चर होते है?स्वतंत्र चर (Independent Variable)- स्वतंत्र चर के अंतर्गत शिक्षक आता है. यह अधिगम अनुभव प्रदान करने के लिए विभिन्न कार्य करता है. (2). आश्रित चर (Dependent Variable)- आश्रित चर के अंतर्गत छात्र आते हैं क्योंकि शिक्षण प्रक्रिया में नियोजन व्यवस्था व प्रस्तुतीकरण के अनुसार कार्य करना पड़ता है.
शिक्षण के तीन चार कौन कौन से हैं?संश्लेषणात्मक तथा विश्लेषणात्मक दूसरे दृष्टिकोण से शिक्षण विधि के दो अन्य प्रकार हो सकते हैं। पाठ्यवस्तु को उपस्थित करने का ढंग यदि ऐसा हैं कि पहले अंगों का ज्ञान देकर तब पूर्ण वस्तु का ज्ञान कराया जाता है तो उसे संश्लेषणात्मक विधि कहते हैं।
शिक्षण का चर क्या है?शिक्षण पद्धतियाँ (शिक्षक द्वारा प्रयोग किया गया) स्वतंत्र चर बन जाती हैं। छात्र अधिगम आश्रित चर बन जाता है क्योंकि शिक्षक द्वारा उपयोग की जाने वाली पद्धतियों और रणनीतियों से अधिगम प्रभावित होगा।
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