बादशाह अकबर ने भारत पर कितने साल तक शासन किया? - baadashaah akabar ne bhaarat par kitane saal tak shaasan kiya?

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अकबर का जीवन परिचय ,इतिहास। Akbar Biography In Hindi

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Shubham Sirohi

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अकबर का जीवन परिचय, जीवनी, इतिहास, पत्नियाँ ,बच्चे , समाधि, जन्म, धर्म, जाति, मृत्यु कब हुई,(Akbar Biography in Hindi ,History, Caste, Wife ,Children , Birth, Death, Movie )

अकबर को भारत का सबसे महान मुगल सम्राट माना जाता है। अकबर का पूरा नाम अबी अल-फती जलाल अल-दीन मुहम्मद अकबर है। उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1542 को उमरकोट में हुआ था, जो अब पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है, और 25 अक्टूबर, 1605 को आगरा, भारत में उनकी मृत्यु हो गई।

जब भी कभी अकबर की कहानियों के बारे में जिक्र होता है हमेशा बीरबल का नाम जरूर सामने आता है। और उनकी प्रेम कहानियों की चर्चाओं में जोधाबाई का नाम चर्चाओं में आता है।

उन्होंने अधिकांश भारतीय उपमहाद्वीप पर मुगल सत्ता का विस्तार किया और उन्होंने 1556 से 1605 तक शासन किया। उन्हें हमेशा लोगों का राजा माना जाता था क्योंकि वे अपने लोगों की बात सुनते थे।

अपने साम्राज्य में एकता बनाए रखने के लिए, अकबर द्वारा विभिन्न कार्यक्रम अपनाए गए जिससे उसके क्षेत्र में गैर-मुस्लिम आबादी की वफादारी जीतने में मदद मिली। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके राज्य के केंद्रीय प्रशासन में सुधार और मजबूती हो। 

आज Akbar Biography in Hindi के इस लेख में हम अकबर के जन्म से लेकर मृत्यु तक की सभी घटनाएं जानेंगे।

बादशाह अकबर ने भारत पर कितने साल तक शासन किया? - baadashaah akabar ne bhaarat par kitane saal tak shaasan kiya?
अकबर

अकबर का जीवन परिचय

Table of Contents

  • अकबर का जीवन परिचय
    • अकबर का जन्म –
    • अकबर का प्रारम्भिक जीवन –
    • अकबर का परिवार –
    • अकबर की शादी –
    • अकबर की कितनी पत्नी थी ?
    • अकबर के कितने बच्चे थे ?
    • अकबर का इतिहास –
      • अकबर का राज्यभिषेक और शासन –
      • पर्दाशासन
      • जजिया, सती प्रथा, दास प्रथा और विधवा विवाह
      • हल्दीघाटी का युद्ध –
      • दीन-ए-इलाही धर्म –
      • नये शहर की स्थापना और इबादत खाना –
      • अकबर के नवरत्न –
      • अकबर का सम्राज्य विस्तार –
    • अकबर के शासन का अंत
    • साहित्य और फिल्में
    • अकबर की मृत्यु –
  • FAQ –
    • अकबर ने कितनी शादी की थी?
    • अकबर की सबसे प्रिय पत्नी कौन थी?
    • अकबर को किसने हराया था?
    • अकबर किससे सबसे ज्यादा प्यार करता था?
    • अकबर को एक महान सम्राट क्यों माना जाता है?
    • अकबर ने भारत पर कितने साल राज किया?
    • अकबर को किसने मारा था
    • अंतिम कुछ शब्द –

नाम (Name)अकबरअन्य नाम (Other Name )अबुल-फ़त जलाल-उद-दीन मुहम्मद अकबर,
महान अकबरजन्मदिन (Birthday)25 अक्टूबर 1542 जन्म स्थान (Birth Place)उमरकोट किला, सिंधउम्र (Age )63 साल (मृत्यु के समय )मृत्यु की तारीख (Date of Death)27 अक्टूबर 1605मृत्यु की जगह (Place of Death)फतेहपुर सीकरी, आगरासमाधि / मकबरा (Tomb )बिहिस्ताबाद सिकन्दरा, आगरानागरिकता (Citizenship)मुग़लजाति (Cast )सुन्नीगृह नगर (Hometown)उमरकोट किला, सिंधधर्म (Religion)सुन्नी इस्लाम एवं दीन-ए-इलाहीपेशा (Occupation)राजा मुग़ल शासकराजवंश (Dynasty)तैमूरिड राजवंशराज्याभिषेक (Coronation)14 फरवरी 1556शासनकाल (Reign)11 फरवरी 1556 – 27 अक्टूबर 1605पूर्वज (Predecessor)हुमायूंउत्तराधिकारी (Successor)जहांगीरवैवाहिक स्थिति (Marital Status)विवाहित

अकबर का जन्म –

अकबर का पूरा नाम जलाल उद्दीन मोहम्मद अकबर था और उनका जन्म 15 अक्टूबर 1542 को सिंध (पाकिस्तान) के राजपूत किले, अमरकोट में हुआ था।

वह महान मुगल शासक नसिरूद्दीन हुँमायू और हमीदा बानो के पुत्र और मुंगल वंश के संस्थापक मुहम्मद बाबर के पौत्र थे। उन्हे अकबर-ऐ-आजम, शहंशाह अकबर, महाबली शंहशाह, अकबर महान आदि नामों से भी जाना जाता है।

अकबर का प्रारम्भिक जीवन –

अकबर ज्यादा पढ़ा लिखा नही था परन्तु उसने अपनी युवावस्था में ही शिकार करना और युद्ध करना सीख लिया था। उसका ज्यादातर समय कुश्ती, दौड़, आखेट आदि में बीतता था, उसकी पढ़ाई में कोई रूचि नही थी। बचपन में अकबर की रूचि कबूतरबाजी, घुड़सवारी और कुत्ते पालन में अधिक थी।

हुमायूँ ने अकबर का नाम अपने स्वप्न में सुनाई दिये नाम के आधार पर रखा था। अकबर का पितृपक्ष तैमूर वंश का था और मातृपक्ष मंगोल वंश का था, इस प्रकार अकबर के खून में तुर्क और मंगोल दोनो का मिश्रण था।

अकबर का बचपन उसके चाचा मिर्जा अस्करी के यहाँ अफगानिस्तान में बीता था। बचपन के समय ही उसकी दोस्ती रामसिंह नामक व्यक्ति से हुई थी, जो ताउम्र रही थी। उसने कई प्रकार की शिक्षाएं बचपन में अपने चाचा से सीखी थी।

1551 ई. में अकबर को गजनी का सूबेदार बनाया जाता है और हिन्दाल की लड़की से उसकी शादी करा दी जाती है। 22 जनवरी 1555 ई. को अकबर ने सिकंदर सूर को सरहिन्द नामक स्थान पर हराया था। उसके बाद ही, हुमायूँ ने अकबर को युवराज घोषित कर दिया और उसे लाहौर का गवर्नर नियुक्त किया।

अकबर का परिवार –

पिता का नाम (Father)हुमायूंमाता का नाम (Mother)हमीदा बानो बेगमभाई का नाम (Brother )अंगद बुंदेलापत्नी का नाम (Wife )7 पत्नियाँ : –
रुकय्या सुल्ताना
सलीमा सुल्ताना
जोधा (मरियम-उज़-ज़मानी)
बीबी दौलत शाद
क़सीमा बानु
भक्करी बेगम
गौहर उन निस्साबेटो के नाम (Son )5 बेटे :-
हसन मिर्जा,
हुसैन मिर्जा ,
जहांगीर,
मुराद मिर्जा ,
दनियाल मिर्जा ,बेटी का नाम (Daughter )5 बेटियाँ : –
अराम बानु बेगम,
खानम सुल्ताना बेगम,
शाहजादी खानम,
शकर-अन-निसा बेगम एवं
मेहरुनिसा 

अकबर की शादी –

अकबर की पहली बीवी का नाम रूकैया बेगम था, जो उसके चाचा की लड़की थी। अकबर ने एक से अधिक शादियाँ की थी। सुल्ताना बेगम साहिबा, मरियम उज जमानी बेगम साहिबा, और राजकुमारी जोधाबाई से अकबर ने शादियाँ रचायी थी।

अकबर की कितनी पत्नी थी ?

मुगल साम्राज्य में ऐसा देखा गया है कि प्रत्येक राजा की अपनी कई रानियाँ होती थी। अकबर भी इस कड़ी में कुछ अलग नही थे।

अकबर की सात पत्नियां थीं, उनकी पहली पत्नी का नाम राजकुमारी रुकैया सुल्तान बेगम था, जो उनकी चचेरी बहन भी थीं। उनकी दूसरी पत्नी अब्दुल्ला खान मुगल की बेटी बीबी खिएरा थीं।

उनकी तीसरी पत्नी नूर-उद-दीन मुहम्मद मिर्जा की बेटी सलीमा सुल्तान बेगम थीं। उनकी एक और पत्नियां भाकर के सुल्तान महमूद की बेटी भाकरी बेगम थीं।

अकबर ने अजमेर के राजपूत शासक राजा भारमल की बेटी जोधा बाई से शादी की। उन्हें मरियम-उज़-ज़मानी के नाम से भी जाना जाता है। अरब शाह की बेटी कासीमा बानो बेगम भी आकार की पत्नी थीं। 

अकबर के कितने बच्चे थे ?

अकबर के अलग-अलग पत्नियों से पांच बेटे एवं पांच बेटियाँ थी। उनके पहले दो बेटे हसन और हुसैन थे और उनकी मां बीबी आराम बख्श थीं। अज्ञात कारण से दोनों की कम उम्र में ही मौत हो गई।

अकबर के अन्य पुत्र मुराद मिर्जा, दनियाल मिर्जा और जहांगीर थे। अकबर का पसंदीदा पुत्र दानियाल मिर्जा था क्योंकि उसे भी अपने पिता की तरह कविता में गहरी रुचि थी।

तीन बेटों में से, राजकुमार सलीम या जहांगीर अकबर के बाद मुगल वंश के चौथे सम्राट के रूप में सफल हुए.

उनकी पांच बेटियों के नाम अराम बानु बेगम, खानम सुल्ताना बेगम, शाहजादी खानम, शकर-अन-निसा बेगम एवं मेहरुनिसा था।

अकबर का इतिहास –

अकबर महान जिसे अबी अल-फ़ती जलाल अल-दीन मुहम्मद अकबर के नाम से भी जाना जाता है, तुर्क, ईरानियों और मुगलों के वंशज थे। चंगेज खान और तामेरलेन को अकबर का पूर्वज माना जाता है।

हुमायूँ अकबर का पिता था जो भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल क्षेत्रों के शासक के रूप में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा। वह 22 साल की उम्र में सत्ता में आए और जिसके परिणामस्वरूप वे बहुत अनुभवहीन थे। 

दिसंबर 1530 में, हुमायूँ ने अपने पिता को भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल क्षेत्रों के शासक के रूप में दिल्ली के सिंहासन पर बैठाया। हुमायूँ 22 साल की उम्र में सत्ता में आने पर एक अनुभवहीन शासक था। शेर शाह सूरी ने हुमायूँ को हराया और कई मुगल क्षेत्रों को जीत लिया। हुमायूँ फारस गया और लगभग 10 वर्षों तक राजनीतिक आश्रय लिया और 15 साल बाद खोए हुए मुगल क्षेत्रों को पुनः प्राप्त करने के लिए लौटा।

हुमायूँ ने 1555 में गद्दी हासिल की लेकिन उसके राज्य में उसका कोई अधिकार नहीं था। हुमायूँ ने अपने मुग़ल क्षेत्रों का और विस्तार किया और उसके बाद वह एक दुर्घटना का शिकार हो गया और 1556 में अपने बेटे अकबर के लिए एक महत्वपूर्ण विरासत छोड़कर उसकी मृत्यु हो गई।

13 साल की उम्र में अकबर को पंजाब क्षेत्र का राज्यपाल बनाया गया था। 1556 में जब उनकी मृत्यु हुई तो हुमायूँ ने एक सम्राट के रूप में अपना अधिकार मुश्किल से स्थापित किया था, जिसके कारण कई अन्य शासकों ने इसे मुगल वंश पर कब्जा करने की संभावना के रूप में देखा।

जिसके परिणामस्वरूप मुगल साम्राज्य के कई राज्यपालों ने कई महत्वपूर्ण स्थानों को खो दिया। दिल्ली पर एक हिंदू मंत्री हेमू ने भी कब्जा कर लिया था, जिसने अपने लिए सिंहासन का दावा किया था। 

लेकिन बैरम खान के मार्गदर्शन में, जो युवा सम्राट के रीजेंट थे, 5 नवंबर, 1556 को, मुगल सेना ने पानीपत की दूसरी लड़ाई में हेमू को हरा दिया और दिल्ली पर कब्जा कर लिया और इस प्रकार अकबर के उत्तराधिकार को सुनिश्चित किया। 

अकबर का राज्यभिषेक और शासन –

हुमायूँ की आकस्मिक मृत्यु के पश्चात अकबर के संरक्षक बैरम खां की मदद से 13 वर्षीय अकबर का राजतिलक हुआ 14 फरवरी 1556 में कलनौर, पंजाब में हुआ। जब तक अकबर वयस्क नही हुआ, तब तक उसके राज्य का संरक्षण बैरम खां ने किया।

बैरम खाँ को अकबर ने बाद में अपना वजीर नियुक्त किया और उसे खान-ए-खाना की उपाधि से नवाजा था। उस समय अकबर सिंहासन पर बैठ तो गया था, परंतु उसके सामने कई प्रकार की कठिनाइयाँ थी जैसे उसके पास पंजाब का थोड़ा सा ही भाग था, अफगानों की समस्या, राजपूत मुगलो को भारत से निकालना चाहते थे, भारतीय मुसलमान मुगलों को विदेशी समझते थे, आर्थिक समस्या और अकबर का अवयस्क होना आदि।

राज्यभिषेक के बाद एक के बाद एक अकबर ने कई युद्ध लड़े और अपने राज्य का विस्तार किया। अकबर और हेमू के बीच का पानीपत का प्रथम युद्ध काफी प्रसिद्ध है जो 1526 में हुआ, इसके बाद पानीपत में दो और युद्ध क्रमशः 1556 और 1761 में हुए। पानीपत के प्रथम युद्ध के बाद से ही भारत में मुगल साम्राज्य की नीवं पड़ी थी।

पर्दाशासन

वर्ष 1560 से 1562 तक के समय में अकबर अपनी धाय माँ महम अनगा, उसके पुत्र आदम खाँ व उसके सम्बन्धियों के साथ रहता था, जिस कारण अकबर के शासन में उसके सम्बन्धियों का काफी प्रभाव था, इस कारण दो वर्ष के इस समय को पर्दाशासन या पेटीकोट सरकार कहा जाता है।

जजिया, सती प्रथा, दास प्रथा और विधवा विवाह

अकबर ने अपने शासन काल में सती प्रथा का अंत किया था और विधवा विवाह को मान्यता दी थी। उसने विवाह के लिए उम्र का निर्धारण भी किया था, जिसमें लड़को की उम्र कम से कम 16 वर्ष तथा लड़कियों की उम्र कम से कम 14 वर्ष निर्धारित की गयी थी।

वर्ष 1562 में अकबर ने दास प्रथा को भी समाप्त किया, इसके अलावा, वर्ष 1563 में, उसने तीर्थयात्रा में लगने वाले कर को भी समाप्त किया था।

वर्ष 1564 से पहले तक, इस्लाम को ना मानने वाले लोगों को एक कर देना पड़ता था जिसे जजिया या जजिया कर कहा जाता था। अकबर ने 1564 में इस कर की भी समाप्ति की थी।

हल्दीघाटी का युद्ध –

हल्दीघाटी का युद्ध अकबर और महाराणा प्रताप के मध्य 18 जून, 1576 ई को हुआ था। अकबर की मुगल सेना की ओर से इस युद्ध का नेतृत्व राजा मान सिंह ने किया था।

मुगलों और राजपूतों के बीच यह युद्ध इतना भीषण और विध्वंसकारी था, कि कुछ इतिहासकार इस युद्ध की तुलना महाभारत से करते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि इस युद्ध में किसी की भी जीत नही हुई थी, पर महाराणा प्रताप का मुट्ठी भर राजपूती सेना के साथ मुगलों के छक्के छुड़ाना किसी जीत से कम नही है।

दीन-ए-इलाही धर्म –

अकबर ने दीन-ए-इलाही धर्म की स्थापना 1582 ई. में की थी, इसे तोहिद-ए-इलाही भी कहा जाता है। इसमें सभी धर्मों के अच्छे सिद्धान्तों का समावेश था।

इस धर्म का मुख्य पुरोहित अबुल फजल को बनाया गया था, जो कि अकबर के नौ रत्नों मे से एक था, परंतु कई लोगों के ऐसे भी मत हैं कि अकबर स्वयं ही इस धर्म का पुरोहित था।

दीन-ए-इलाही धर्म अपनाने वाला प्रथम व अंतिम हिंदू व्यक्ति राजा बीरबल थे। अकबर हिन्दू धर्म से अत्यन्त प्रभावित था, वह माथे पर टीका लगाता था और हिन्दू त्यौहारों को धूम धाम से मनाता था। दीन-ए-इलाही धर्म को बनाने का उद्देश्य हिन्दू और मुस्लिम के बीच की दूरियों को कम करना था।

नये शहर की स्थापना और इबादत खाना –

अकबर ने 1571 ई.में एक नए नगर “फतेहपुर सीकरी” की स्थापना की, इसके बाद अकबर अपनी राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी ले गया।

अकबर अपनी मृत्यु तक फतेहपुर सीकरी में ही रहा। इस नये नगर में ही 1575 ई. में अकबर ने इबादत खाना अर्थात पूजा ग्रह की स्थापना कराई।

इसमें सिर्फ इस्लामी विद्वानों को ही आने की इजाजत थी। परन्तु इस्लामी विद्वानों के रवैये से नाराज होकर अकबर ने 1578 ई. से सभी धर्मों के विद्वानों को इबादत खाना में आमंत्रित करना शुरू किया। इबादत खाना बनाने का उद्देश्य धार्मिक विषयों और परंपराओं पर चर्चा करना था।

अकबर के नवरत्न –

अकबर पढ़ा लिखा नही था, पर उसे कला, साहित्य, संगीत में बेहद दिलचस्पी थी और वह कलाकारों का सम्मान भी करता था। इसे प्रेम और सम्मान की वजह से उसने अपने दरबार में नौ अति गुणवान दरबारी बनाये थे जिन्हे अकबर के नवरत्न नाम से जाना जाता है। इन नवरत्नों के नाम इस प्रकार है-

  1. अबुल फजल
  2. फैजी
  3. तानसेन
  4. राजा बीरबल
  5. राजा टोडरमल
  6. राजा मान सिंह
  7. अब्दुल रहीम खाना-ऐ-खाना
  8. फकीर अजिओं- दिन
  9. मुल्लाह दो पिअज़ा

अबुल फजल अकबर के दरबार का राजकवि था, इसने ही अकबरनामा और आइने अकबरी नामक प्रसिद्ध पुस्तके लिखी हैं, जिनमें अकबर की जीवनी विस्तृत रूप से वर्णत है। फैजी, अबुल फजल का बड़ा भाई था। तानसेन दरबार के प्रमुख संगीतज्ञ थे और इन सब में सर्वश्रेष्ठ बीरबल को माना जाता था, उनका वास्तविक नाम महेश था।

अकबर का सम्राज्य विस्तार –

अकबर बहुत ही महात्वाकांक्षी शासक था, उसका मानना था कि शासक को हमेशा नयीं विजये प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए, नहीं तो उसके पड़ोसी उसे चैन से बैठने नही देंगे।

अकबर ने राज्याभिषेक के बाद से ही हमेशा साम्राज्य विस्तार का प्रयत्न किया और इसके लिए कई युद्ध लड़े। जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं-

  • अजमेंर ग्वालियर तथा जौनपुर पर विजयः सिकन्दर सूर के दमन के बाद मेवात और अजमेर कासिम खाँ को जागीर के तौर पर दे दिये गये। जिससे ग्वालियर तथा जौनपुर मुगल साम्राज्य के अन्तर्गत आ गये। 1559 ई. में खान जमान जौनपुर पर आक्रमण कर सरलता से जीत लेता है।
  • मालवा पर विजय (1561 ई.): उस समय मालवा पर शुज्जातखाँ के पुत्र बाजबहादुर का शासन था। अकबर ने उसकी दुर्बलता का फायदा उठाकर 1561 ई. में आदम खाँ और पीर मुहम्मद के नेतृत्तव में एक फौज भेजी और बाजबहादुर को हराया।
  • मेंर्था पर अधिकार (1562 ई.): मेर्था पर उस समय मालदेव के सेनापति जयमल का शासन था। मुगलो की ओर से शरफुद्दीन ने मेर्था पर आक्रमण किया और किले को चारो ओर से घेर लिया। किले के रक्षको ने हथियार डाल दिये थे और मुगल सभी को इस शर्त पर छोड़ रहे थे कि वे किले का सारा गोला बारूद मुगलों को दे दे। परंतु देवदास ने इसे राजूपतो पर एक कलंक समझते हुए मना कर दिया और युद्ध लड़ा जिसमें सभी को वीरगति प्राप्त हुई और मेर्था मुगलों के अधीन हो गया।
  • गोंडवाना की विजय (1564 ई.): हाकिम आसिफ खाँ को मुगलों की ओर से गोंडवान आक्रमण के लिए भेजा गया। गोंडवाना की रानी दुर्गावती ने अत्यन्त साहस के साथ मुगलों का सामना किया, परंतु मुगलों की असीम ताकत देखकर रानी के सैनिक मैदान छोड़कर भाग गये। रानी ने पराजय निकट देखते हुए स्वयं ही अपना अंत कर लिया। रानी का पुत्र वीरनारायण जो नाबालिग वह भी युद्ध में मारा गया, परिवार की सभी स्त्रियों ने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर कर लिया।

अकबर के शासन का अंत

अकबर के देर से शासन की मुख्य विशेषता उसके बेटे सलीम के साथ उसकी समस्याएं थीं। उनके पिता के नामित उत्तराधिकारी, वे अपेक्षा से अधिक तेज़ी से स्वतंत्र होना चाहते थे। 

वह इलाहाबाद में बस गए और एक सेना का गठन किया जिसे उन्होंने अपने पिता (1591 में, फिर 1601 में) की सीमा से लगे प्रांतों के खिलाफ शुरू किया, खुद को एक स्वतंत्र राजा घोषित किया।

यहां तक ​​कि उन्होंने अपने पुतले से एक सिक्का भी मारा, जो एक राज्य की स्वतंत्रता का सर्वोच्च प्रतीक था। पूर्व रीजेंट बैरम खान की विधवा की बदौलत उनके पिता उन्हें वापस अपनी गोद में लाने में कामयाब रहे, जिसने तनाव को जन्म दिया।

साहित्य और फिल्में

अकबर की महानता और कुशल शासन से प्रभावित होकर कई लेखकों ने उस पर साहित्य लिखा और फिल्म निर्माताओं ने फिल्में भी बनायी। अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी पुस्तके अबुल फलज द्वारा लिखी गयी है, जिनमें अकबर की जीवनी का विस्तृत वर्णन है।

अगर आप आजकल कौनसी फिल्में चल रही है देखेंगे तो कुछ ही फिल्में इतिहास पर आधारित मिलेंगी जैसे जोधा-अकबर और मुगले आजम फिल्मों में अकबर की

अकबर की मृत्यु –

अकबर की मृत्यु अतिसार रोग के कारण 1605 ई. में हुई, उसे सिकन्दराबाद के पास दफनाया गया था। अकबर के देहावसान के बाद, अकबर का बड़ा बेटा सलीम, जिसे जहाँगीर के नाम से भी जाना जाता है, वह गद्दी पर बैठा और उसने मुगल वंश की डोर संभाली।

FAQ –

अकबर ने कितनी शादी की थी?

अकबर ने सात शादियाँ की थी।

अकबर की सबसे प्रिय पत्नी कौन थी?

अकबर की सबसे प्रिय पत्नी जोधा बाई थी।

अकबर को किसने हराया था?

अंतिम हिन्दू शासक हेमू विक्रमादित्य ने

अकबर किससे सबसे ज्यादा प्यार करता था?

अकबर सबसे ज्यादा प्यार अपनी हिन्दू पत्नी जोधा बाई से करता था.

अकबर को एक महान सम्राट क्यों माना जाता है?

अकबर को उनकी कई उपलब्धियों के कारण ‘द ग्रेट’ उपनाम दिया गया था, जिनमें से नाबाद सैन्य अभियानों का उनका रिकॉर्ड था जिसने भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल शासन की स्थापना की । अकबर के समय में मुगल आग्नेयास्त्र कहीं अधिक श्रेष्ठ थे।

अकबर ने भारत पर कितने साल राज किया?

27 जनवरी, 1556 – 27 अक्टूबर, 1605

अकबर को किसने मारा था

अकबर की मृत्यु अतिसार रोग के कारण 1605 ई. में हुई थी.

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अंतिम कुछ शब्द –

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अकबर ने भारत पर कितने साल तक शासन किया?

अकबर का साम्राज्य विस्तार
राज्य सीमा
उत्तर और मध्य भारत
शासन काल
27 जनवरी, 1556 - 27 अक्टूबर, 1605
शा. अवधि
49 वर्ष
राज्याभिषेक
14 फ़रबरी 1556 कलानपुर के पास गुरदासपुर
अकबर का साम्राज्य विस्तार - भारतकोश, ज्ञान का हिन्दी महासागरbharatdiscovery.org › india › अकबर_का_साम्राज्य_विस्तारnull

अकबर कितने वर्ष शासन रहा?

जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर (अंग्रेज़ी: Jalal-ud-din Muhammad Akbar, जन्म: 15 अक्टूबर, 1542 ई. अमरकोट - मृत्यु: 27 अक्टूबर, 1605 ई. आगरा) भारत का महानतम मुग़ल शंहशाह (शासनकाल 1556 - 1605 ई.)

मुगलों ने भारत पर कब से कब तक राज किया?

मध्य-16 वीं शताब्दी और 17-वीं शताब्दी के अंत के बीच मुग़ल साम्राज्य भारतीय उपमहाद्वीप में प्रमुख शक्ति थी। 1526 में स्थापित, यह नाममात्र 1857 तक बचा रहा, जब वह ब्रिटिश राज द्वारा हटाया गया।

मुगलों ने कब तक शासन किया?

मुग़लों ने 1526 से भारत के कुछ हिस्सों पर शासन करना शुरू किया और 1700 तक अधिकांश उपमहाद्वीप पर शासन किया। उसके बाद उनके राज-शक्ति में तेज़ी से गिरावट आई, लेकिन 1850 के दशक तक मुख्य रूप से वे एक शासित-प्रदेश थे। मुग़ल मध्य एशिया के तुर्की-मंगोल मूल के तैमूरी वंश की एक शाखा थे।