विषयसूची बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य की उपाधि क्यों दी गई?इसे सुनेंरोकेंबाल गंगाधर तिलक बचपन से ही एक मेधावी छात्र थे। अंग्रेज सरकार की नीतियों के विरोध के चलते एक समय उन्हें मुकदमे और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। साल 1897 में पहली बार तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चला और उन्हें जेल भेज दिया गया। इस मुकदमे और सजा के चलते उन्हें लोकमान्य की उपाधि मिली। बाल गंगाधर तिलक के पिता का क्या नाम था? श्री गंगाधर तिलक बाल गंगाधर तिलक का नारा क्या था?इसे सुनेंरोकेंलोकमान्य बाल गंगाधर तिलक वही महान शख्सियत हैं, जिन्होंने ‘स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा’ का नारा दिया था। अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई में इस नारे का काफी प्रचलन था। एक अगस्त 1920 को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का मुंबई में देहांत हो गया था। बाल गंगाधर तिलक को महात्मा गांधी ने कौन सी उपाधि दी? इसे सुनेंरोकें1896-97 ई. में इन्होंने संपूर्ण महाराष्ट्र में कर न देने का आंदोलन चलाया। इसी दौरान जनता ने इन्हें ‘लोकमान्य’ की उपाधि दी। स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है किसका नारा है?इसे सुनेंरोकें”स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, और हम इसे लेकर रहेंगे”. यह नारा दिया था स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने. तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के एक गांव चिखली में हुआ था. जन्म के समय उनका नाम केशव गंगाधर तिलक रखा गया था. बाल गंगाधर तिलक जी का जन्म कब हुआ? 23 जुलाई 1856 बाल गंगाधर तिलक का राजनीतिक गुरु कौन थे?इसे सुनेंरोकेंगांधी गोपालकृष्ण गोखले को अपना गुरू बताते थे लेकिन उन्हें पॉलिटिकल एक्शन सिखाने में बाल गंगाधर तिलक का भी बड़ा योगदान है. 1960 में बाल गंगाधर तिलक को कितने वर्ष की जेल हुई थी? इसे सुनेंरोकेंउन्हें 6 साल के लिए बर्मा के मंडले जेल भेज दिया गया और साथ ही एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया. जेल में रहने के दौरान भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन को लेकर उनके विचारों ने आकार लिया और साथ ही उन्होंने 400 पन्नों की किताब गीता रहस्य भी लिख डाली. राजनीतिक सुधारों के बारे में तिलक के क्या विचार थे?इसे सुनेंरोकेंउदारवादी नेताओं के विपरीत तिलक राजनीतिक अधिकारी व सुधार के लिए सरकार पर दबाव डालना चाहते थे। इसके लिए वे बलिदान, त्याग के लिए भी तैयार थे। उनका मत था कि यदि स्वराज्य संवैधानिक साधनों से प्राप्त नहीं होता है, तो हिंसात्मक साधनों को महण करने में कोई बुराई नहीं है। तिलक का धैर्य
| Updated: Sep 27, 2016, 9:09 AM स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नायक बाल गंगाधर तिलक का व्यक्तित्व अनेक विशेषताओं का संगम था...अपना यह राशिफल हर दिन ईमेल पर पाने के लिए क्लिक करें - सब्सक्राइब करेंक्लिक करे संकलन: ललित गर्ग Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें तिलक को जेल में क्यों डाला गया?1908 में लोकमान्य तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और क्रान्तिकारी खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) स्थित मांडले की जेल भेज दिया गया।
1908 में बाल गंगाधर तिलक को कितने वर्ष की जेल हुई?3 जुलाई, 1908 को बाल गंगाधर तिलक को अंग्रेजों ने राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। बर्मा के मांडले में 1908 से 1914 तक तिलक को छह साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
बाल गंगाधर तिलक पहली बार जेल कब गए थे?अंग्रेज सरकार की नीतियों के विरोध के चलते एक समय उन्हें मुकदमे और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। साल 1897 में पहली बार तिलक पर राजद्रोह का मुकदमा चला और उन्हें जेल भेज दिया गया। इस मुकदमे और सजा के चलते उन्हें लोकमान्य की उपाधि मिली।
बाल गंगाधर तिलक क्या चाहते थे?तिलक भिखारीपन में स्वतंत्रता प्राप्त नहीं करना चाहते थे, बल्कि उनका उद्देश्य 'सरकार का निष्क्रिय विरोध' था। हालांकि, उन्होंने स्वराज की उपलब्धि के लिए हिंसक साधनों पर विश्वास नहीं किया। उनके निष्क्रिय विरोध का अर्थ यह था कि ऐसा कोई काम नहीं किया जाना चाहिए जो अंग्रेजी के लिए सहायक हो।
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