बाजार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या क्या कह रहे थे अपने शब्दों में? - baajaar ke log kharabooje bechanevaalee stree ke baare mein kya kya kah rahe the apane shabdon mein?

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बाजार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या क्या कह रहे थे अपने शब्दों में? - baajaar ke log kharabooje bechanevaalee stree ke baare mein kya kya kah rahe the apane shabdon mein?

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बाजार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या क्या कह रहे थे अपने शब्दों में? - baajaar ke log kharabooje bechanevaalee stree ke baare mein kya kya kah rahe the apane shabdon mein?

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निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −

बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।

बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचने वाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कह रहे थे। कोई घृणा से थूककर बेहया कह रहा था, कोई उसकी नीयत को दोष दे रहा था, कोई कमीनी, कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता, कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई मतलब नहीं है, परचून वाला कहता, यह धर्म ईमान बिगाड़कर अंधेर मचा रही है, इसका खरबूज़े बेचना सामाजिक अपराध है। इन दिनों कोई भी उसका सामान छूना नहीं चाहता था।

Concept: गद्य (Prose) (Class 9 B)

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दुख का अधिकार

यशपाल

NCERT Solution:

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए:

Question 1: किसी व्यक्ति की पोशाक देखकर हमें क्या पता चलता है?

उत्तर: किसी व्यक्ति की पोशाक देखकर हमें उस व्यक्ति की हैसियत और जीवन शैली का पता चलता है।

Question 2: खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था?

उत्तर: खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के सूतक लगा हुआ था। लोग धर्म भ्रष्ट होने के डर से उससे खरबूजे नहीं खरीद रहे थे।

Question 3: उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?

उत्तर: उस स्त्री को देखकर लेखक को दुख लगा और जिज्ञासा हुई।

Question 4: उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?

उत्तर: उस स्त्री के लड़के की मृत्यु साँप के डसने के कारण हुई थी।

Question 5: बुढ़िया को कोई भी उधार क्यों नहीं देता?

उत्तर: बुढ़िया के घर का इकलौता कमाऊ सदस्य अब इस दुनिया में नहीं था, इसलिए उसे कोई भी उधार नहीं दे रहा था।


Chapter List

धूल दुख का अधिकार एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा तुम कब जाओगे अतिथि सी वी रामन कीचड़ का काव्य धर्म की आड़ शुक्रतारे के समान रैदास रहीम आदमीनामा एक फूल की चाह गीत अगीत अग्निपथ नये इलाके में खुशबू रचते हैं हाथ क्षितिज कृतिका संचयन

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 25 – 30 शब्दों में लिखिए:

Question 1: मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?

उत्तर: हमारी पोशाक हमें समाज में एक निश्चित दर्जा दिलवाती है। पोशाक हमारे लिए कई दरवाजे खोलती है। कभी कभी वही पोशाक हमारे लिए अड़चन भी बन जाती है।

Question 2: पोशाक हमारे जीवन के लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

उत्तर: कभी कभार ऐसा होता है कि हम नीचे झुककर समाज के दर्द को जानना चाहते हैं। ऐसे समय में हमारी पोशाक अड़चन बन जाती है क्योंकि अपनी पोशाक के कारण हम झुक नहीं पाते हैं। हमें यह डर सताने लगता है कि अच्छे पोशाक में झुकने से आस पास के लोग क्या कहेंगे।

Question 3: लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?

उत्तर: लेखक एक संभ्रांत वर्ग से आता है। उसने अपनी संपन्नता के हिसाब से कपड़े पहने हुए थे। इसलिए वह झुककर या उस बुढ़िया के पास बैठकर उससे बातें करने में असमर्थ था। इसलिए वह उस स्त्री के रोने का कारण नहीं जान पाया।

Question 4: भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

उत्तर: भगवाना पास में ही एक जमीन पर कछियारी करके अपना निर्वाह करता था। वह उस जमीन में खरबूजे उगाता था। वहाँ से वह खरबूजे तोड़कर लाता था और बेचता था। कभी-कभी वह स्वयं दुकानदारी करता था तो कभी दुकान पर उसकी माँ बैठती थी।

Question 5: लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी?

उत्तर: लड़के के इलाज में बुढ़िया की सारी जमा पूँजी खतम हो गई थी। जो कुछ बचा था वह लड़के के अंतिम संस्कार में खर्च हो गया। अब लड़के के बच्चों की भूख मिटाने के लिए यह जरूरी था कि बुढ़िया कुछ कमाकर लाए। उसकी बहू भी बीमार थी। इसलिए लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया को खरबूजे बेचने के लिए निकलना पड़ा।

Question 6: बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?

उत्तर: बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आई कि उस संभ्रांत महिला के पुत्र की मृत्यु पिछले साल ही हुई थी। पुत्र के शोक में वह महिला ढ़ाई महीने बिस्तर से उठ नहीं पाई थी। उसकी तीमारदारी में डॉक्टर और नौकर लगे रहते थे। शहर भर के लोगों में उस महिला के शोक मनाने की चर्चा थी।


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 50 – 60 शब्दों में लिखिए:

Question 1: बाजर के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: बाजार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में तरह तरह की बातें कर रहे थे। कोई कह रहा था कि बेटे की मृत्यु के तुरंत बाद बुढ़िया को बाहर निकलना ही नहीं चाहिए था। कोई कह रहा था कि सूतक की स्थिति में वह दूसरे का धर्म भ्रष्ट कर सकती थी इसलिए उसे नहीं निकलना चाहिए था। किसी ने कहा, कि ऐसे लोगों के लिए रिश्तों नातों की कोई अहमियत नहीं होती। वे तो केवल रोटी को अहमियत देते हैं। अधिकांश लोग उस स्त्री को तिरस्कार की नजर से देख रहे थे।

Question 2: पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?

उत्तर: पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को उस बुढ़िया के दुख के बारे में पता चला। लेखक को पता चला कि बुढ़िया का इकलौता बेटा साँप के काटने से मर गया था। बुढ़िया के घर में उसकी बहू और पोते पोती रहते थे। बुढ़िया का सारा पैसा बेटे के इलाज में खर्च हो गया था। बहू को तेज बुखार था। इसलिए अपने परिवार की भूख मिटाने के लिए बुढ़िया को खरबूजे बेचने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा था।

Question 3: लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने क्या-क्या उपाय किए?

उत्तर: लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने जो उचित समझ में आया किया। उसने झटपट ओझा को बुलाया। ओझा ने झाड़फूँक शुरु किया। ओझा को दान दक्षिणा देने के लिए बुढ़िया ने घर में जो कुछ था दे दिया। घर में नागदेव की पूजा भी करवाई।

Question 4: लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा कैसे लगाया?

उत्तर: लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा पहले तो बुढ़िया के रोने से लगाया। लेखक को लगा कि जो स्त्री खरबूजे बेचने के लिए आवाज लगाने की बजाय अपना मुँह ढ़क कर रो रही हो वह अवश्य ही गहरे दुख में होगी। फिर लेखक ने देखा कि अन्य लोग बुढ़िया को बड़े तिरस्कार की दृष्टि से देख रहे थे। इससे भी लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाजा लगाया।

Question 5: इस पाठ का शीर्षक ‘दुख का आधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस पाठ में मुख्य पात्र एक बुढ़िया है जो पुत्र शोक से पीड़ित है। उस बुढ़िया की तुलना एक अन्य स्त्री से की गई है जिसने ऐसा ही दर्द झेला था। दूसरी स्त्री एक संपन्न घर की थी। इसलिए उस स्त्री ने ढ़ाई महीने तक पुत्र की मृत्यु का शोक मनाया था। उसके शोक मनाने की चर्चा कई लोग करते थे। लेकिन बुढ़िया की गरीबी ने उसे पुत्र का शोक मनाने का भी मौका नहीं दिया। बुढ़िया को मजबूरी में दूसरे ही दिन खरबूजे बेचने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा। ऐसे में लोग उसे हिकारत की नजर से ही देख रहे थे। एक स्त्री की संपन्नता के कारण शोक मनाने का पूरा अधिकार मिला वहीं दूसरी स्त्री इस अधिकार से वंचित रह गई। इसलिए इस पाठ का शीर्षक बिलकुल सार्थक है।

निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए:

Question 1: जैसे वायु की लहरें कटी हूई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

उत्तर: कोई भी पतंग कटने के तुरंत बाद जमीन पर धड़ाम से नहीं गिरती। हवा की लहरें उस पतंग को बहुत देर तक हवा में बनाए रखती हैं। पतंग धीरे-धीरे बल खाते हुए जमीन की ओर गिरती है। हमारी पोशाक भी हवा की लहरों की तरह काम करती है। कई ऐसे मौके आते हैं कि हम अपनी पोशाक की वजह से झुककर जमीन की सच्चाई जानने से वंचित रह जाते हैं। इस पाठ में लेखक अपनी पोशाक की वजह से बुढ़िया के पास बैठकर उससे बात नहीं कर पाता है।

Question 2: इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।

उत्तर: यह एक प्रकार का कटाक्ष है जो किसी की गरीबी और उससे उपजी मजबूरी का उपहास उड़ाता है। जो व्यक्ति यह कटाक्ष कर रहा है उसे सिक्के का एक पहलू ही दिखाई दे रहा है। हर व्यक्ति रिश्तों नातों की मर्यादा रखना चाहता है। लेकिन जब भूख की मजबूरी होती है तो कई लोगों को मजबूरी में यह मर्यादा लांघनी पड़ती है। उस बुढ़िया के साथ भी यही हुआ था। बुढ़िया को न चाहते हुए भी खरबूजे बेचने के लिए निकलना पड़ा था।

Question 3: शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और ... दुखी होने का भी एक अधिकार होता है।

उत्तर: शोक मनाने की सहूलियत भगवान हर किसी को नहीं देता है। कई बार जीवन में कुछ ऐसी मजबूरियाँ या जिम्मेदारियाँ आ जाती हैं कि मनुष्य को शोक मनाने का मौका भी नहीं मिलता। यह बात खासकर से किसी गरीब पर अधिक लागू होती है। गरीब को तो शोक मनाने का अधिकार ही नहीं होता है।


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बाजार के लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या क्या कह रहे थे अपने शब्दों में लिखिए?

उत्तर: बाजार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में तरह तरह की बातें कर रहे थे। कोई कह रहा था कि बेटे की मृत्यु के तुरंत बाद बुढ़िया को बाहर निकलना ही नहीं चाहिए था। कोई कह रहा था कि सूतक की स्थिति में वह दूसरे का धर्म भ्रष्ट कर सकती थी इसलिए उसे नहीं निकलना चाहिए था।

बाजार में उस स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था?

खरबूजे बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे इसलिए नहीं खरीद रहा था क्योंकि वह घुटनों में सिर गड़ाए फफक-फफककर | रो रही थी। इसके बेटे की मृत्यु के कारण लगे सूतक के कारण लोग इससे खरबूजे नहीं ले रहे थे। उस स्त्री को देखकर लेखक को उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी।

खरबूजे बेचने वाली का लड़का सुबह क्या चुन रहा था?

खरबूजो की डलिया बाजार में पहुँचाकर कभी लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता, कभी माँ बैठ जाती। लड़का परसों सुबह मुँह-अँधेरे बेलों में से पके खरबूजे चुन रहा था

4 उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?

4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था? उत्तर:- उस स्त्री का लड़का एक दिन मुँह-अंधेरे खेत में से बेलों से तरबूजे चुन रहा था की गीली मेड़ की तरावट में आराम करते साँप पर उसका पैर पड़ गया और साँप ने उस लड़के को डस लिया। ओझा के झाड़-फूँक आदि का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।