बाजा़र के जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या प्रभाव पड़ता है? Show बाजा़र के जादू चढ़ने पर मनुष्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं: - मनुष्य अधिकाधिक चीजें खरीदना चाहता है। - बाजा़र का जादू मनुष्य के सिर पर चढ़कर बोलता है। बाजार कहता है- ‘मुझे लूटी और लुटो।’ - बाजा़र मनुष्य को विकल बना देता है। - वह विवेक खो बैठता है। बाजार का जादू उतरने पर मनुष्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं. - उसका बजट बिगड़ जाता है। - उसे पता चलता है कि फिजूल की चीजें खरीद लाया है। - उसके सुख-चैन में खलल पड़ता है। 124 Views आप बाजा़र की भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति से अवश्य परिचित होंगे। मॉल की संस्कृति और सामान्य बाजा़र और हाट की संस्कृति में आप क्या अंतर पाते हैं? पर्चेजिंग पावर आपको किस तरह के बाजार में नज़र आती है? हम बाजा़र की भिन्न भिन्न संस्कृति से भली- भांति परिचित हैं। मॉल की संस्कृति उच्च वर्ग से अधिक संबंधित है, जबकि सामान्य बाजार में सभी प्रकार के ग्राहक जाते हैं। इसमें मध्यवर्ग का ग्राहक अधिक होता है। ‘हाट’ की संस्कृति ग्रामीण एव निम्न मध्यवर्ग के लोगों के अधिक अनुकूल होती है। हमें पर्चेजिंग पावर मॉल संस्कृति में ज्यादा नजर आती है। यहाँ लोग अपनी जरूरतो के मुताबिक खरीददारी नहीं करते, अपितु पर्चेजिंग पावर के हिसाब से खरीददारी करते हैं। वे तब-तक अनाप-शनाप सामान खरीदते रहते हैं जब तक उनकी क्रयशक्ति बनी रहती रहती है। वे जेब में भरे रुपयों को ध्यान में रखकर खरीददारी करते हैं। 199 Views आपने समाचार-पत्रों, टी.वी. आदि पर अनेक प्रकार के विज्ञापन देखे होंगे जिनमें ग्राहकों को हर तरीके से लुभाने का प्रयास किया जाता है। नीचे लिखे बिंदुओं के संदर्भ में किसी एक विज्ञापन की समीक्षा कीजिए और यह भी लिखिए कि आपको विज्ञापन की किस बात ने सामान खरीदने के लिए प्रेरित किया। 1. विज्ञापन में सम्मिलित चित्र और विषय-वस्तु। 2. विज्ञापन में आए पात्र व उनका औचित्य। 3. विज्ञापन की भाषा। 1. इस विज्ञापन में जो बातें सम्मिलित की गई हैं वे दिल की बीमारी के कारण भी बताती हैं और उस ऑयल की विशेषता बताई जाती है। 2. इस विज्ञापन में एक पति, दो बच्चे और गृहिणी को पात्रों के रूप में दिखाकर एक छोटे परिवार की संकल्पना प्रस्तुत की जाती है। इन सभी की सेहत का प्रश्न है। ये पात्र सही प्रतीत होते हैं। 3. इस विज्ञापन की भाषा सीधे हृदय में उतरती है। स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता। अच्छे माल के लिए ज्यादा कीमत देने को भी तैयार कर लिया जाता है। - मुझे विज्ञापन की भाषा सामान खरीदने के लिए प्रेरित करती है। 194 Views बाजा़र पर आधारित लेख नकली सामान पर नकेल ज़रूरी का अंश पढ़िए और नीचे दिए गए बिंदुओं पर कक्षा में चर्चा करें: 1. उत्पाद कंपनियाँ अपने नैतिक दायित्वों का निर्वाह इसलिए नहीं कर रही हैं क्योंकि उन पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। ये कंपनियाँ गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दे रहीं बल्कि अधिक माल बेचने की होड़ में नकली और घटिया सामान का उत्पादन कर रही हैं। इन उत्पाद कंपनियों का पूरा ध्यान विज्ञापन पर बेतहाशा पैसा खर्च करने पर रहता था ताकि उनका
अधिक-से-अधिक माल बिक सके। ‘बाजा़र दर्शन’ पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते हैं? ‘बाजा़र दर्शन’ पाठ में निम्न प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है- - पर्चेजिंग पावर का प्रदर्शन करने वाले ग्राहक। - संयमी और बुद्धिमान ग्राहक। - बाजार का बाजा़रूपन बढ़ाने वाले ग्राहक। - आवश्यकतानुसार खरीदने वाले ग्राहक। में अपने आपको अंतिम श्रेणी का ग्राहक मानता हूँ। मैं अपने पैसे को न तो व्यर्थ की चीजें खरीदकर बहाता हूँ और जोड़ता चला जाता हूँ। जिस चीज की आवश्यकता होती है केवल उसी चीज को खरीदता हूँ। 212 Views बाजा़र दर्शन पाठ मे बाजा़र जाने या न जाने के संदर्भ मे मन में कई स्थितियों का जिक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए। (ग) मन बंद हो, (घ) मन में नकार हो। (क) बाजा़र जाने के संदर्भ में एक स्थिति यह बताई गई हैं कि ही हम खाली मन और भरी जब बाजा़र जाते हैं और इसका परिणाम यह होता है कि हम बाजार से अनाप-शनाप चीजें खरीद लाते हैं। हम तब तक चीजें खरीदते रहते हैं जब तक जेब में पैसा रहता है। बाजार का जादू हमारे सिर पर चढ़कर बोलता है। मेरा अपना अनुभव भी इसी प्रकार का है। मुझे एक लॉटरी से एक लाख रुपए मिले थे। मैं घोड़े पर सवार था। यार दोस्तों के साथ बाजार गया। वहाँ से एक फ्रिज एक बड़े आकार का टी. वी. तथा एक स्कूटर खरीद लाया। ये सभी चीजें घर पर पहले से ही मौजूद थीं पर बाजार में इनके नए मॉडल मुझे इतने आकर्षक लगे कि मैं इन्हें खरीदने का लोभ संवरण नहीं कर सका। घर आकर मालूम हुआ कि पैसा व्यर्थ ही खर्च हो गया। इसका अन्य काम में सदुपयोग किया जा सकता था। (ख) मन खाली न होने पर व्यक्ति अपनी इच्छित वस्तु ही खरीदता है और बाजार से लौट आता है। मैं बाजार से प्रतिदिन सब्जी खरीदने जाता हूँ और केवल सब्जियाँ ही खरीदकर घर लौट आता हूँ। बाजार की अन्य चीजों को मैं देखता तक नहीं। (ग) मन बंद होने की स्थिति में मैं कभी नही होता। मन को बंद करना अच्छी स्थिति नहीं है। मन भी किसी प्रयोजन से मिला है। (घ) मन मे नकार का भाव रखना भी उचित नहीं हैँ। हर वस्तु के प्रति नकारात्मक भाव रखना मुझे सही प्रतीत नहीं होता। 512 Views बाजार का जादू उतरने पर क्या प्रभाव पड़ता है?बाजार का जादू उतरने पर मनुष्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं. - उसका बजट बिगड़ जाता है। - उसे पता चलता है कि फिजूल की चीजें खरीद लाया है। - उसके सुख-चैन में खलल पड़ता है।
बाजार का जादू चढ़ने का अर्थ है क्या?उत्तर: बाजार का जादू चढ़ने के कारण मनुष्य आकर्षक वस्तुएं के जाल में फंस जाता है। बाजार के आकर्षण में फंस कर लोग ऐसी वस्तुएं खरीद लेते है जिनकी उनके जीवन में आवश्यकता नहीं होती है।
बाजार के जादू का असर कब होता है?बाजार में रूप का जादू है। यह तभी असर करता है जब जेब भरी हो तथा मन खाली हो। यह मन व जेब के खाली होने पर भी असर करता है। खाली मन को बाजार की चीजें निमंत्रण देती हैं।
बाजार का जादू किस पर चलता है और क्यों?(ग) बाजार के जादू के असर में 'मन' की अहम् भूमिका होती है। यह जादू व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर उसी प्रकार प्रभाव डालता है, जिस प्रकार चुंबक का जादू लोहे पर चलता है। जब व्यक्ति की जेब भरी हो और मन खाली हो, तो जादू का असर खूब चलता है। जेब खाली और मन भरा न होने पर भी उसका जादू चल जाता है।
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