भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?

भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
वैशाख संक्रांति में सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे. वैशाख संक्रान्ति 14 अप्रैल 2022, को बृहस्पतिवार के दिन प्रात:काल को 08:39 मिनिट पर आरंभ होगी. शुभ मुहूर्त्ति इस संक्रान्ति के स्नान दान आदि का पुण्यकाल का समय दोपहर 15:03 तक रहेगा.

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
ज्येष्ठ संक्रांति में सूर्य वृष राशि में प्रवेश करेंगे. यह संक्रांति 14/15 मई, 2022 को शनिवार/रविवार के दिन होगी इस संक्राति का समय 14 तारिख की रात्रि 29:29 मिनिट पर अरंभ होगा. शुभ मुहूर्ति इस ज्येष्ठ संक्रांति का पुण्य काल अगले दिन 11:53 तक रहेगा.

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
आषाढ़ संक्रांति में सूर्य मिथुन राशि में प्रेवश करेंगे. आषाढ़ संक्रान्ति 15 जून 2022, को बुधवार के दिन रात्रि 12:03 पर आरंभ होगी. 30 मुहूर्त्ति इस संक्रांति का स्नान और पुण्य काल अगले दिन प्रात:काल 05:39 तक रहेगा.

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
श्रावण संक्रांति में सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. श्रावण संक्रान्ति का समय 16 जुलाई 2022, को शनिवार को 22:56 पर आरंभ होगा. 10 मुहूर्ति इस संक्रान्ति का स्नान दान संबंधित पुण्य काल मध्याह्न बाद होगा.

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
भाद्रपद संक्रांति, में सूर्य सिंह राशि में 17 अगस्त 2022 को प्रवेश करेंगे. भाद्रपद संक्रान्ति मंगलवार को सांय 19:10 मिनट पर आरंभ होगी. 30 मुहूर्ती इस संक्रान्ति का पुण्य काल दोपहर 12:46 बाद से आरंभ होगा.

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
आश्विन संक्रांति, सूर्य कन्या राशि में 17 सितम्बर 2022 को प्रवेश करेंगे. आश्विन संक्रान्ति शनिवार को सांय 07:22 मिनट पर आरंभ. 45 मुहूर्ति आश्विन संक्रान्ति का पुण्य काल दोपहर 13:46 तक होगा.

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
मार्गशीर्ष संक्रांति के अवसर पर सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. मार्गशीर्ष संक्रांति 16 नवम्बर 2022 को 30:53 मिनिट पर पर आरंभ होगी. इस 15 मुहूर्ति इस संक्रांति का पुण्य काल अगले दिन प्रात: 12:51 बाद होगा.

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
पौष संक्रांति पर सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे. पौष संक्रांति का आरंभ 16 दिसम्बर 2022, शुक्रवार को दोपहर 09:58 मिनिट पर आरंभ होगी. इस 45 मुहुर्ति इस संक्रांति का पुण्य काल प्रात: सूर्यउदय समय से मध्याह्न बाद तक होगा.

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
माघ संक्रांति जिसे मकर संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. माघ संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे. यह संक्रांति 14/15 जनवरी 2023, शनिवार/रविवार को रात्रि 20:44 पर आरंभ होगी. इस संक्रान्ति का पुण्य काल मध्याह्न से आरंभ होगा

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
फाल्गुन संक्रान्ति में सूर्य कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे. फाल्गुन संक्रान्ति का आरंभ 12/13 फरवरी 2022, शनिवार/रविवार के दिन मध्य रात्रि 27:26 मिनिट से होगा. शुभ मुहूर्ति इस संक्रान्ति का पुण्य काल अगले 13 फरवरी के दिन रहेगा.

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भादों माह की संक्रांति कब है? - bhaadon maah kee sankraanti kab hai?
चैत्र संक्रांति में सूर्य, मीन राशि में 14/15 मार्च, 2022 को सोमवार/मंगलवार, को रात्रि को 24:15 में प्रवेश करेंगे और चैत्र संक्रान्ति का आरंभ होगा. इस संक्रान्ति में स्नान, दान, जप इत्यादि का विशेष पुण्य काल अगले दिन तक रहेगा.

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सूर्य के एक राशि से दूसरे राशि में गोचर करने को संक्रांति कहते हैं। संक्रांति एक सौर घटना है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पूरे वर्ष में प्रायः कुल 12 संक्रान्तियाँ होती हैं और प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है। शास्त्रों में संक्रांति की तिथि एवं समय को बहुत महत्व दिया गया है

संक्रांति क्या है?

सूर्य हर महीने अपना स्थान बदल कर एक राशि से दूसरे राशि में चला जाता है। सूर्य के हर महीने राशि परिवर्तन करने की प्रक्रिया को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में संक्रांति का समय बहुत पुण्यकारी माना गया है। संक्रांति के दिन पितृ तर्पण, दान, धर्म और स्नान आदि का काफ़ी महत्व है। इस वैदिक उत्सव को भारत के कई इलाकों में बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

भारत के कुछ राज्यों जैसे आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा, कर्नाटक, केरल, गुजरात, तेलांगना, तमिलनाडु, पंजाब और महाराष्ट्र में संक्रांति के दिन को साल के आरम्भ के तौर पर माना जाता है। जबकि बंगाल और असम जैसे कुछ जगहों पर संक्रांति के दिन को साल की समाप्ति की तरह माना जाता है।

महत्वपूर्ण संक्रातियाँ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 राशियाँ होती हैं, जिन्हें मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन के नाम से जाना जाता है। जैसा कि हमने आपको बताया विभिन्न राशियों में सूर्य के प्रवेश को ही संक्रांति की संज्ञा दी गई है। सूर्य बारी-बारी से इन 12 राशियों से हो कर गुजरता है। वैसे तो सूर्य का इन सभी राशियों से होकर गुजरना शुभ माना जाता है लेकिन हिन्दू धर्म में कुछ राशियों में सूर्य के इस संक्रमण को बेहद खास मानते हैं। आइये जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण संक्रांतियों के बारे में–

●  मकर संक्रांति–संक्रांति करते समय जब सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इस दिन को मकर सक्रांति कहा जाता है। मकर संक्रांति भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख और लोकप्रिय पर्व है। इस त्यौहार को हर साल जनवरी के महीने में मनाया जाता है। कहीं-कहीं पर मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं, उत्तरायण मतलब जिस दिन सूर्य उत्तर की ओर से यात्रा शुरू करता है। मकर संक्रांति 14 जनवरी या कभी-कभी, 15 जनवरी को मनाते हैं।
●  मेष संक्रांति–पारंपरिक हिंदू सौर कैलेंडर में इसे नए साल की शुरुआत के तौर पर माना जाता है। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। यह आम तौर पर 14 या 15 अप्रैल को मनाई जाती है। इस दिन को भारत के कई राज्यों में त्योहार के रूप में मनाते हैं। जैसे पंजाब में बैसाखी, ओडिशा में पाना संक्रांति और एक दिन बाद मेष संक्रांति, बंगाल में पोहेला बोइशाख आदि जैसे प्रचलित नामों से।
●  मिथुन संक्रांति–भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर प्रांतों में मिथुन संक्रांति को माता पृथ्वी के वार्षिक मासिक धर्म चरण के रूप में मनाया जाता है, जिसे राजा पारबा या अंबुबाची मेला के नाम से जानते हैं।
●  धनु संक्रांति–इस संक्रांति को हेमंत ऋतु शुरू होने पर मनाया जाता है। दक्षिणी भूटान और नेपाल में इस दिन जंगली आलू जिसे तारुल के नाम से जाना जाता है, उसे खाने का रिवाज है। जिस दिन से ऋतु की शुरुआत होती है उसकी पहली तारीख को लोग इस संक्रांति को बड़े ही धूम-धाम से मनाते हैं।
●  कर्क संक्रांति–प्रायः 16 जुलाई के आस-पास सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने पर कर्क संक्रांति मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसे छह महीने के उत्तरायण काल का अंत माना जाता है। साथ ही इस दिन से दक्षिणायन की शुरुआत होती है, जो मकर संक्रांति में समाप्त होता है।


संक्रांति का महत्व

अगर देखा जाये तो संक्रांति का सम्बन्ध कृषि, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन से भी है। सूर्य देव को प्रकृति के कारक के तौर पर जाना जाता है, इसीलिए संक्रांति के दिन इनकी पूजा की जाती है। शास्त्रों में सूर्य देवता को समस्त भौतिक और अभौतिक तत्वों की आत्मा माना गया है। ऋतु परिवर्तन और जलवायु में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव इनकी स्थिति के अनुसार होता है। न केवल ऋतु में बदलाव बल्कि धरती जो अन्न पैदा करती है और जिससे जीव समुदाय का भरण-पोषण होता है, यह सब सूर्य के कारण ही संपन्न हो पाता है।

संक्रांति के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद गुड़ और तिल का प्रसाद बांटा जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, संक्राति एक शुभ दिन होता है। पूर्णिमा, एकादशी आदि जैसे शुभ दिनों की तरह ही संक्रांति के दिन की भी बहुत मान्यता है। इसीलिए इस दिन कुछ लोग पूजा-पाठ आदि भी करते हैं। मत्स्यपुराण में संक्रांति के व्रत का वर्णन किया गया है।

जो भी व्यक्ति (नारी या पुरुष) संक्रांति पर व्रत रखना चाहता हो उसे एक दिन पहले केवल एक बार भोजन करना चाहिए। जिस दिन संक्रांति हो उस दिन प्रातः काल उठकर अपने दाँतो कोअच्छे से साफ़ करने के बाद स्नान करें। उपासक अपने स्न्नान के पानी में तिल अवश्य मिला लें। इस दिन दान-धर्म की बहुत मान्यता है इसीलिए स्नान के बाद ब्राह्मण को अनाज, फल आदि दान करना चाहिए। इसके बाद उसे बिना तेल का भोजन करना चाहिए और अपनी यथाशक्ति दूसरों को भी भोजन देना चाहिए।

संक्रांति, ग्रहण, पूर्णिमा और अमावस्या जैसे दिनों पर गंगा स्नान को महापुण्यदायक माना गया है। माना जाता है कि ऐसा करने पर व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है। देवीपुराण में यह कहा गया है- जो व्यक्ति संक्रांति के पावन दिन पर भी स्नान नहीं करता वह सात जन्मों तक बीमार और निर्धन रहता है।

एस्ट्रोसेज पर क्या है खास?

एस्ट्रोसेज की मदद से आप यह जान सकते हैं कि किस वर्ष में कौन-कौन से दिन संक्रांति है? बस आपको वर्ष और अपने स्थान की जानकारी भरनी होगी जिसके बाद आप आने वाली सभी संक्रांतियों के दिनांक का पता आसानी से लगा सकते हैं। हमारी इस सुविधा से न केवल आप इस साल के बल्कि आने वाली किसी भी वर्ष की संक्रांति से जुड़ी तिथि का पता लगा सकते हैं।

August महीने की संक्रांति कब है 2022?

Singh Sankranti 2022: सिंह संक्रांति 17 अगस्त 2022 को है. हर माह सूर्य का राशि परिवर्तन होता है. ग्रहों के राजा सूर्य देव 17 अगस्त को सुबह 07:14 मिनट पर कर्क राशि से निकलकर अपनी स्वराशि सिंह में प्रवेश करेंगे. सिंह संक्रांति पर सूर्यदेव के साथ भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की पूजा का विधान है.

2022 में सितंबर में संक्रांति कब है?

September 2022 Festival: 17 सितंबर 2022 को कन्या संक्रांति के साथ विश्वकर्मा जयंती और महालक्ष्मी व्रत पड़ेंगे। इस दिन सूर्यदेव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। वहीं पूरे एक महीने तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे।

भादों की संक्रांति कब है?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह में 17 अगस्त 2022 को सिंह संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन सूर्यदेव सिंह राशि में प्रवेश करेंगे. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भाद्रपद सिंह संक्रांति का पुण्यकाल 17 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर आरंभ हो जाएगा.

सितंबर महीने की संक्रांति कब है?

इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस साल यह कन्या संक्रांति 17 सितंबर, शनिवार को मनाई जाएगी. हर संक्रांति का अपना अलग महत्व माना जाता है.