भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़े तथ्य इस प्रकार हैं: Show 1. इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है. भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित मूल अधिकार प्राप्त हैं: 1. समता या समानता का अधिकार: 2. स्वतंत्रता का अधिकार: निवारक निरोध: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 के खंड- 3, 4 ,5 तथा 6 में तत्संबंधी
प्रावधानों का उल्लेख है. निवारक निरोध कानून के अन्तर्गत किसी व्यक्ति को अपराध करने के पूर्व ही गिरफ्तार किया जाता है. निवारक निरोध का उद्देश्य व्यक्ति को अपराध के लिए दंड देना नहीं, बल्कि उसे अपराध करने से रोकना है. वस्तुतः यह निवारक निरोध राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था बनाए रखने या भारत संबंधी कारणों से हो सकता है. जब किसी व्यक्ति निवारक निरोध की किसी विधि के अधीन गिरफ्तार किया जाता है, तब: निवारक निरोध से संबंधित अब तक बनाई गई विधियां: 1) निवारक निरोध अधिनियम, 1950: भारत की संसद ने 26 फरवरी, 1950 को पहला निवारक निरोध अधिनियम पारित किया था. इसका उद्देश्य राष्ट्र विरोधी तत्वों को भारत की प्रतिरक्षा के प्रतिकूल कार्य से रोकना था. इसे 1 अप्रैल, 1951 को समाप्त हो जाना था, किन्तु समय-समय पर इसका जीवनकाल बढ़ाया जाता रहा. अंततः यह 31 दिसंबर, 1971 को समाप्त हुआ. 2) आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम, 1971: 44वें सवैंधानिक संशोधन (1979) इसके प्रतिकूल था और इस कारण अप्रैल, 1979 में यह समाप्त हो गया. 3) विदेशी मुद्रा संरक्षण व तस्करी निरोध अधिनियम, 1974: पहले इसमें तस्करों के लिए नजरबंदी की अवधि 1 वर्ष थी, जिसे 13 जुलाई, 1984 ई० को एक अध्यादेश के द्वारा बढ़ाकर 2 वर्ष कर दिया गया है. 4) राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980: जम्मू-कश्मीर के अतिरिक्त अन्य सभी राज्यों में लागू किया गया. 5) आतंकवादी एवं विध्वंसकारी गतिविधियां निरोधक कानून (टाडा): निवारक निरोध व्यवस्था के अन्तर्गत अब तक जो कानून बने उन में यह सबसे अधिक प्रभावी और सर्वाधिक कठोर कानून था. 23 मई, 1995 को इसे समाप्त कर दिया गया. 6) पोटा: इसे 25 अक्टूबर, 2001 को लागू किया गया. 'पोटा' टाडा का ही एक रूप है. इसके अन्तर्गत कुल 23 आंतकवादी गुटों को प्रतिबंधित किया गया है. आंतकवादी और आंतकवादियों से संबंधित सूचना को छिपाने वालों को भी दंडित करने का प्रावधान किया गया है. पुलिस शक के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है, किन्तु बिना आरोप-पत्र के तीन महीने से अधिक हिरासत में नहीं रख सकती. पोटा के तहत गिरफ्तार व्यक्ति हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है, लेकिन यह अपील भी गिरफ़्तारी के तीन महीने बाद ही हो सकती है, 21 सितम्बर, 2004 को इसे अध्यादेश के द्वारा समाप्त कर दिया गया दिया गया. 3. शोषण के विरुद्ध अधिकार नोट: जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय सेवा करने के लिए बाध्य किया जा सकता है. अनुच्छेद 24: बालकों के नियोजन का प्रतिषेध: 14 वर्ष से कम आयु वाले किसी बच्चे को कारखानों, खानों या अन्य किसी जोखिम भरे काम पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है. 4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार- अनुच्छेद 26: धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता: व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संथाओं की स्थापना व पोषण करने, विधि-सम्मत सम्पत्ति के अर्जन, स्वामित्व व प्रशासन का अधिकार है. अनुच्छेद 27: राज्य किसी भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है, जिसकी आय किसी विशेष धर्म अथवा धार्मिक संप्रदाय की उन्नति या पोषण में व्यय करने के लिए विशेष रूप से निश्चित कर दी गई है. अनुच्छेद 28: राज्य विधि से पूर्णतः पोषित किसी शिक्षा संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी. ऐसे शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों को किसी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने या किसी धर्मोपदेश को बलात सुनने हेतु बाध्य नहीं कर सकते. 5. संस्कृति एवं शिक्षा संबंधित अधिकार:
अनुच्छेद 30: शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार: कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी पसंद की शैक्षणिक संस्था चला सकता है और सरकार उसे अनुदान देने में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेगी. 6. संवैधानिक
उपचारों का अधिकार: मौलिक अधिकार में संशोधन 1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1976) के निर्णय से पूर्व दिए गए निर्णय में यह निर्धारित किया गया था कि
संविधान के किसी भी भाग में संशोधन किया जा सकता है, जिसमें अनुच्छेद 368 और मूल अधिकार को शामिल किया गया था. भारतीय संविधान में नागरिकों को कौन कौन से मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं उनके वर्णन कीजिए?मौलिक अधिकार: भारत का संविधान छह मौलिक अधिकार प्रदान करता है:. समता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18). स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22). शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24). धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28). संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30). संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32). मौलिक अधिकारों से क्या समझते हैं भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों का वर्णन करें?मौलिक अधिकार भारत के संविधान के भाग 3 (अनुच्छेद 12 से 35) वर्णित भारतीय नागरिकों को प्रदान किए गए वे अधिकार हैं जो सामान्य स्थिति में सरकार द्वारा सीमित नहीं किए जा सकते हैं और जिनकी सुरक्षा का प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय है।
भारतीय संविधान में कौन कौन से मौलिक अधिकार भारतीयों को प्रदान किए गए हैं?भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 मौलिक अधिकार के अंतर्गत भारतीयों के लिए स्वतंत्रता के अधिकार का प्रावधान करता है। विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता : अनुच्छेद 19 सभी भारतीय नागरिकों को विविध प्रकार के विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है।
भारतीय संविधान में कितने मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं?इनमें सम्पति का अधिकार शामिल था। जिसे 44वें संविधान संशोधन द्वारा हटा दिया गया था। अब केवल छः मौलिक अधिकार हैं; जो इस प्रकार है । (ii) अनुच्छेद - 15 के अन्तर्गत भेदभाव पर प्रतिबन्ध, किसी नागरिक के विरूद्ध वंश, धर्म, जाति, लिंग अथवा जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करना शामिल है।
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