भारतीय साक्ष्य अधिनियम के निर्माता कौन है? - bhaarateey saakshy adhiniyam ke nirmaata kaun hai?

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) मूल रूप से 1872 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया था। भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 11 अध्याय और १६७ धाराएँ हैं। यह तीन भागों में विभक्त है। इस अधिनियम ने बनने के बाद से 125 से अधिक वर्षों की अवधि के दौरान समय-समय पर कुछ संशोधन को छोड़कर अपने मूल रूप को बरकरार रखा है। यह अदालत की सभी न्यायिक कार्यवाहियों पर लागू होता है (कोर्ट मार्शल सहित)। हालांकि, यह शपथ-पत्र और मध्‍यस्‍थता पर लागू नहीं होता।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • साक्ष्य (एविडेन्स)
  • भारतीय दण्ड संहिता
  • दण्ड प्रक्रिया संहिता, १९७३ (भारत)

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • The Indian Evidence Act, 1872 (अंग्रेजी में)
  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम ( एंड्राइड एप्प हिंदी में मुफ्त डाउनलोड करें)

  • दे
  • वा
  • सं

भारतीय संविधान के प्रमुख अधिनियम

आतंकवाद निरोधी अधिनियम, २००२ • अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 • आतंकवादी तथा विघटनकारी क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, १९८७ • औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, १९४० • दहेज प्रतिबंध अधिनियम, १९६१ • पुलिस अधिनियम, १८६१ • मोटरयान अधिनियम, १९८८ • विदेशी मुद्रा विनियम अधिनियम, १९७३ • विदेशी विनियम प्रबंदन अधिनियम, १९९९ • संशोधित उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, २००२ • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 • हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, १९५६  • हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, २००५

भारतीय साक्ष्य अधिनियम के निर्माता कौन है? - bhaarateey saakshy adhiniyam ke nirmaata kaun hai?

भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के निर्माता कौन थे?

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के निर्माता सर जेम्स स्टीफन थे

साक्ष्य अधिनियम 1872 क्या है?

भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 60 के अनुसार, मौखिक साक्ष्य में निम्नलिखित आवश्यकताएं होनी चाहिए: इसे गवाहों द्वारा व्यक्तिगत रूप से देखा या सुना जाना चाहिए। यदि इसे किसी अन्य इंद्रिय के बोध से एकत्र किया जाता है, तो इसे उस गवाह द्वारा सिद्ध किया जाना चाहिए जो दावा करता है कि इसे उस इंद्रिय से देखा गया है

भारतीय साक्ष्य अधिनियम कब पारित किया गया?

यह सन् १९७३ में पारित हुआ तथा १ अप्रैल १९७४ से लागू हुआ

साक्ष्य से आप क्या समझते हैं?

साक्ष्य केवल वह सब कुछ है जो प्रस्तुत करने की सच्चाई को स्वीकार करने या समझाने के लिए उपयोग किया जाता है और किसी मामले के परिणाम को निर्धारित करने के लिए हर तरह के साक्ष्य को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।