Purtgali Upanivesh Ka Pratham Governer Bharat Me Kaun Hua -A. बार्थोलोम्यू डियाज Show Comments आप यहाँ पर
पुर्तगाली gk, उपनिवेश question answers, गवर्नर general knowledge, पुर्तगाली सामान्य ज्ञान, उपनिवेश questions in hindi, गवर्नर notes in hindi, pdf in hindi आदि विषय पर अपने जवाब दे सकते हैं। पुर्तगाली उपनिवेश की स्थापनापुर्तगाली पहले यूरोपीय थे जिन्होंने भारत तक सीधे समुद्री मार्ग की खोज की। 20 मई 1498 को पुर्तगाली नाविक वास्को-डी-गामा कालीकट पहुंचा, जो दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित एक महत्वपूर्ण समुद्री बंदरगाह है । 1505 ई में फ्रांसिस्को दे अल्मीडा को भारत का पहला पुर्तगाली गवर्नर बनाया गया। उसकी नीतियों को ब्लू वाटर पालिसी कहा जाता था क्योकि उनका मुख्या उद्देश्य हिन्द महासागर को नियंत्रित करना था। पुर्तगालियों ने 1556 ई.में गोवा में भारत की पहली प्रिंटिग प्रेस की स्थापना की थी।
पुर्तगाली पहले यूरोपीय थे जिन्होंने भारत तक सीधे समुद्री मार्ग की खोज की । 20 मई 1498 को पुर्तगाली नाविक वास्को-डी-गामा कालीकट पहुंचा, जो दक्षिण-पश्चिम भारत में स्थित एक महत्वपूर्ण समुद्री बंदरगाह है। स्थानीय राजा जमोरिन ने उसका स्वागत किया और कुछ विशेषाधिकार प्रदान किये। भारत में तीन महीने रहने के बाद वास्को-डी-गामा सामान से लदे एक जहाज के साथ वापस लौट गया और उस सामान को उसने यूरोपीय बाज़ार में अपनी यात्रा की कुल लागत के साठ गुने दाम में बेचा। 1501 ई.में वास्को-डी-गामा दूसरी बार फिर भारत आया और उसने कन्नानौर में एक व्यापारिक फैक्ट्री स्थापित की। व्यापारिक संबंधों की स्थापना हो जाने के बाद भारत में कालीकट, कन्नानौर और कोचीन प्रमुख पुर्तगाली केन्द्रों के रूप में उभरे। अरब व्यापारी, पुर्तगालियो की सफलता और प्रगति से जलने लगे और इसी जलन ने स्थानीय राजा जमोरिन और पुर्तगालियो के बीच शत्रुता को जन्म दिया। यह शत्रुता इतनी बढ़ गयी कि उन दोनों के बीच सैन्य संघर्ष की स्थिति पैदा हो गयी। राजा जमोरिन को पुर्तगालियों ने हरा दिया और इसी जीत के साथ पुर्तगालियों की सैनिक सर्वोच्चता स्थापित हो गयी। भारत में पुर्तगाली शक्ति का उदय 1505ई में फ्रांसिस्को दे अल्मीडा को भारत का पहला पुर्तगाली गवर्नर बनाया गया। उसकी नीतियों को ब्लू वाटर पालिसी कहा जाता था क्योकि उनका मुख्य उद्देश्य हिन्द महासागर को नियंत्रित करना था। 1509 ई में फ्रांसिस्को दे अल्मीडा की जगह अल्बुकर्क भारत में पुर्तगाली गवर्नर बनकर आया जिसने 1510 ई.में बीजापुर के सुल्तान से गोवा को अपने कब्जे में ले लिया। उसे भारत में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है। बाद में गोवा भारत में पुर्तगाली बस्तियों का मुख्यालय बन गया। तटीय क्षेत्रों पर पकड़ और नौसेना की सर्वोच्चता ने भारत में पुर्तगालियों के स्थापित होने में काफी मदद की ।16 वीं सदी के अंत तक पुर्तगालियों ने न केवल गोवा,दमन,दीव और सालसेट पर कब्ज़ा कर लिया बल्कि भारतीय तट के सहारे विस्तृत बहुत बड़े क्षेत्र को भी अपने प्रभाव में ले लिया। पुर्तगाली शक्ति का पतन भारत में पुर्तगाली शक्ति अधिक समय तक टिक नहीं सकी क्योकि नए यूरोपीय व्यापारिक प्रतिद्वंदियों ने उनके सामने चुनौती पेश कर दी। विभिन्न व्यापारिक प्रतिद्वंदियों के मध्य हुए संघर्ष में पुर्तगालियों को अपने से शक्तिशाली और व्यापारिक दृष्टि से अधिक सक्षम प्रतिद्वंदी के समक्ष समर्पण करना पड़ा और धीरे धीरे वे सीमित क्षेत्रों तक सिमट कर रह गए। पुर्तगाली शक्ति के पतन के मुख्य कारण भारत में पुर्तगाली शक्ति के पतन के प्रमुख कारणों में निम्नलिखित शामिल है-
विडंबना यह है कि पुर्तगाली शक्ति, जो भारत में सबसे पहले आने वाली यूरोपीय शक्ति थी ,वही 1961 ई.में भारत से लौटने वाली अंतिम यूरोपीय शक्ति भी थी, जब भारत सरकार ने गोवा ,दमन और दीव को उनसे पुनः अपने कब्जे में ले लिया। भारत को पुर्तगालियो की देन
खेलें हर किस्म के रोमांच से भरपूर गेम्स सिर्फ़ जागरण प्ले पर प्रथम पुर्तगाली गवर्नर भारत में कौन था?सही उत्तर फ्रांसिस्को डी अल्मेडा है। 1505 ई में, फ्रांसिस्को डी अल्मेडा को भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर नियुक्त किया गया था । हिंद महासागर को नियंत्रित करने पर केंद्रित उनकी नीति को ब्लू वाटर पॉलिसी के रूप में जाना जाता था । उन्होंने 'सेंट एंजेलो किला' के निर्माण की शुरुआत की 23 अक्टूबर, 1505 को ।
दूसरा पुर्तगाली गवर्नर कौन था?पुर्तगाली उपनिवेशवाद –
पहले वायसराय फ्रांसिस्को डी अल्मेडा ने अपने मुख्यालय की स्थापना आधुनिक दिन कोचीन में की थी. सन 1509 में अल्फोंसो डी अल्बुकर्क पूर्व में पुर्तगाली संपत्ति के दूसरे गवर्नर बने.
पुर्तगाली खोजकर्ता कौन है?पुर्तगाली खोजकर्ता वास्को डी गामा ने 1498 में भारत के लिए समुद्री मार्ग की खोज की थी।
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