Vishwa Ki Sabse Badi Praval Bhitti Great Barrier Reef Kahan Sthit Hai -A. आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर Show
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जलवायु और पर्यावरण संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ़ को ऐसी विश्व धरोहरों की सूची में रखने की सिफ़ारिश की है जिन पर ख़तरा मंडरा रहा है. संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन
(UNESCO) द्वारा गठित ‘विश्व धरोहर समिति’ ने इस सिलसिले में सोमवार को एक रिपोर्ट का मसौदा जारी किया है, मगर ऑस्ट्रेलिया ने इस क़दम की कड़ी आलोचना की है. समिति के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया की सबसे बड़ी प्रवाल-भित्ति प्रणाली (coral reef system) को जलवायु परिवर्तन के असर से बचाने के लिये पर्याप्त उपाय नहीं किये हैं. बताया गया है कि टिकाऊ उपयोग को ध्यान में रखते हुए ‘Reef 2050’ नामक एक योजना में संकल्प लिये गए थे
और इस सिलसिले में प्रगति भी दर्ज की गई है. रिपोर्ट के मसौदे के मुताबिक, इसके बावजूद मूँगा-चट्टानों को क्षति पहुँचना जारी है और पिछले पाँच वर्षों में ख़ासा नुक़सान हुआ है. समिति का कहना है कि यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अनेक सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद, Reef 2050 योजना, मुख्य लक्ष्यों को हासिल करने में अपर्याप्त साबित हुई है. यूएन समिति में 21 देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं और इसकी अगली वर्चुअल बैठक जुलाई में चीन से आयोजित होगी. रिपोर्ट
के मुताबिक योजना में मज़बूत और स्पष्ट संकल्प लिये जाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये. साथ ही जल की गुणवत्ता में बेहतरी लाने और भूमि प्रबन्धन उपायों का भी ख़याल रखा जाना होगा. ग्रेट बैरियर रीफ़ पर मंडराते जोखिम की वजह से, रिपोर्ट में इसे ख़तरे का सामना कर रहे विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किये जाने की अनुशंसा की गई है. ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री सूज़न ली ने अपने एक वक्तव्य में प्रस्तावित सिफ़ारिशों को चुनौती देने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि ग्रेट बैरियर रीफ़ का बेहतरीन ढँग से प्रबन्धन हो रहा है और इस फ़ैसले को पर्याप्त विचार-विमर्श के बग़ैर लिया गया है. ♦ समाचार अपडेट रोज़ाना सीधे अपने इनबॉक्स में पाने के लिये यहाँ किसी विषय को सब्सक्राइब करें ♦ अपनी मोबाइल डिवाइस में यूएन समाचार का ऐप डाउनलोड करें – आईफ़ोन iOS या एण्ड्रॉयड ग्रेट बैरियर रीफ के एक भाग का उपग्रह से लिया गया चित्र ग्रेट बैरियर रीफ, क्वींसलैंड (आस्ट्रेलिया) के उत्तरी-पूर्वी तट के समांतर बनी हुई, विश्व की यह सबसे बड़ी मूँगे की दीवार है। इसे पानी का बगीचा भी कहते हैं ।इस दीवार की लंबाई लगभग १,२०० मील तथा चौड़ाई १० मील से ९० मील तक है। यह कई स्थानों पर खंडित है एवं इसका अधिकांश भाग जलमग्न है, परंतु कहीं-कहीं जल के बाहर भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। महाद्वीपीय तट से इसकी दूरी १० से १५० मील तक है। समुद्री तूफान के समय अनेक पोत इससे टक्कर खाकर ध्वस्त हो जाते हैं। फिर भी, यह पोतचालकों के लिये विशेष सहायक है, क्योंकि दीवार के भीतर की जलधारा इस बृहत शैलभित्ति (reef) द्वारा सुरक्षित रहकर तटगामी पोतों के लिये अति मूल्यवान् परिवहन मार्ग बनाती है तथा पोत इसमें से गुजरने पर खुले समुद्री तूफानों से बचे रहते हैं। महाद्वीपीय तट तथा अवशेषी शैल भित्ति (barrier reef) के बीच का क्षेत्र (८०,००० वर्ग मील) पर्यटकों के लिये अत्यंत आकर्षक स्थल है। जलवायु परिवर्तन के बुरे असर से ग्रेट बैरियर रीफ के बचने की संभावना बहुत कम है और ऐसी आशंका है कि २०५० तक रीफ पूरी तरह नष्ट हो जएगी।[1] पारिस्थितिकी[संपादित करें]ग्रेट बैरियर रीफ जीवन की एक असाधारण विविधता का परिवाहक है, जिसमें कई असुरक्षित या विलुप्तप्राय प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें से कुछ रीफ प्रणाली के लिए स्थानिक हो सकती हैं। पर्यावरणीय खतरे[संपादित करें]जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, क्राउन-ऑफ-थॉर्नस तारामछली और मछली पकड़ना इस चट्टान प्रणाली के स्वास्थ्य के लिए प्राथमिक खतरे हैं। अन्य खतरों में शिपिंग दुर्घटनाएं, तेल रिसाव और उष्णकटिबंधीय चक्रवात शामिल हैं। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति कौन सी है नाम बताइए?ऑस्ट्रेलिया में ग्रेट बैरियर रीफ़, विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल-भित्ति प्रणाली है.
भारत की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति कौन सी है?अंडमान-निकोबार सर्वाधिक प्रवाल भित्ति वाला स्थान है। इस द्वीप पर तटीय प्रवाल भित्ति (Fringing Reef) पाई जाती है।
प्रवाल भित्ति कितने प्रकार के होते हैं?होना या जलमग्न पठार ऊपर विकसित होना है। यह सर्वाधिक मोटी प्रवाल भित्तियां हैं. तहिती द्वीप में इसकी मोटाई हज़ारों मीटर है। इसकी तट की ओर और स्थल की ओर ढाल दोनों ही तीव्र होती है।
कोरल रीफ कहाँ पाया जाता है?ये समुद्र के भीतर स्थित चट्टान हैं जो प्रवालों द्वारा छोड़े गए कैल्सियम कार्बोनेट से निर्मित होती हैं। कोरल रीफ़ प्रायः उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय समुद्रों में मिलती हैं, जहाँ तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस रहता है। ये शैल-भित्तियाँ समुद्र तट से थोड़ी दूर हटकर पाई जाती हैं, जिससे इनके बीच छिछले लैगून बन जाते हैं।
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