विश्व का सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति कौन सी है? - vishv ka sabase badee pravaal bhitti kaun see hai?

Vishwa Ki Sabse Badi Praval Bhitti Great Barrier Reef Kahan Sthit Hai -


A. आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर
B. आस्ट्रेलिया के उ . पू . तट पर
C. आस्ट्रेलिया के दक्षिणी - पूर्वी तट पर
D. आस्ट्रेलिया के पश्चिमी तट पर

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Comments Kiran on 25-08-2021

Vishv ki sbse badi prval bhitti konsi he

Social science on 20-08-2021

विश्व के सबसे बड़े प्रवाल भित्ति कौन सी है

बसन्ती on 19-08-2021

विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति कौन सी है

Devraj Gurjar on 19-08-2021

Vishva ki Sabse badi prabhavathi kaun si hai

Jiteshsurecha on 17-08-2021

विश्व की सबसे बड़ी पवार भिति कौन सी है

Vishwa Ki Sabse Badi Praval Bhitti Kis Mahasagar Me Hai

GkExams on 12-05-2019

विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति किस महासागर में है : आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर.

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Comments Pragya suthar on 20-08-2021

Vishav ki Sabse badi Parwal bhiti kon si h

बसन्ती on 19-08-2021

विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति कौन सी है

Aman Kumar on 03-12-2019

विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति किस महासागर में है :

Jitendra kumar on 14-10-2019

Ashtadhyayi Kisne likhi

पूजा on 23-07-2019

विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति किस महासागर में है

प्रवाल भित्ति क्या है on 06-06-2019

प्रवाल भित्ति क्या है

यांग टीसी क्या नदी कौन सा बांध है on 17-05-2019

यांग किसी क्या नदी पर कौन सा बांध है। विश्व का सबसे बड़ा बांध। विश्व का सबसे ऊंचा बांध

Anand kumar on 12-05-2019

Great Barrier Australia Prashant Mahasagar

ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ़ पर मंडराता ख़तरा - विश्व धरोहर समिति

22 जून 2021 जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र की एक समिति ने ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ़ को ऐसी विश्व धरोहरों की सूची में रखने की सिफ़ारिश की है जिन पर ख़तरा मंडरा रहा है. 

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) द्वारा गठित ‘विश्व धरोहर समिति’ ने इस सिलसिले में सोमवार को एक रिपोर्ट का मसौदा जारी किया है, मगर ऑस्ट्रेलिया ने इस क़दम की कड़ी आलोचना की है.  

समिति के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया की सबसे बड़ी प्रवाल-भित्ति प्रणाली (coral reef system) को जलवायु परिवर्तन के असर से बचाने के लिये पर्याप्त उपाय नहीं किये हैं. 

बताया गया है कि टिकाऊ उपयोग को ध्यान में रखते हुए ‘Reef 2050’ नामक एक योजना में संकल्प लिये गए थे और इस सिलसिले में प्रगति भी दर्ज की गई है. 

रिपोर्ट के मसौदे के मुताबिक, इसके बावजूद मूँगा-चट्टानों को क्षति पहुँचना जारी है और पिछले पाँच वर्षों में ख़ासा नुक़सान हुआ है. 

समिति का कहना है कि यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अनेक सकारात्मक उपलब्धियों के बावजूद, Reef 2050 योजना, मुख्य लक्ष्यों को हासिल करने में अपर्याप्त साबित हुई है. 

यूएन समिति में 21 देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं और इसकी अगली वर्चुअल बैठक जुलाई में चीन से आयोजित होगी.  

रिपोर्ट के मुताबिक योजना में मज़बूत और स्पष्ट संकल्प लिये जाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये.

साथ ही जल की गुणवत्ता में बेहतरी लाने और भूमि प्रबन्धन उपायों का भी ख़याल रखा जाना होगा. 

ग्रेट बैरियर रीफ़ पर मंडराते जोखिम की वजह से, रिपोर्ट में इसे ख़तरे का सामना कर रहे विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किये जाने की अनुशंसा की गई है. 

ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री सूज़न ली ने अपने एक वक्तव्य में प्रस्तावित सिफ़ारिशों को चुनौती देने की बात कही है. 

उन्होंने कहा है कि ग्रेट बैरियर रीफ़ का बेहतरीन ढँग से प्रबन्धन हो रहा है और इस फ़ैसले को पर्याप्त विचार-विमर्श के बग़ैर लिया गया है.

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ग्रेट बैरियर रीफ के एक भाग का उपग्रह से लिया गया चित्र

ग्रेट बैरियर रीफ, क्वींसलैंड (आस्ट्रेलिया) के उत्तरी-पूर्वी तट के समांतर बनी हुई, विश्व की यह सबसे बड़ी मूँगे की दीवार है। इसे पानी का बगीचा भी कहते हैं ।इस दीवार की लंबाई लगभग १,२०० मील तथा चौड़ाई १० मील से ९० मील तक है। यह कई स्थानों पर खंडित है एवं इसका अधिकांश भाग जलमग्न है, परंतु कहीं-कहीं जल के बाहर भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। महाद्वीपीय तट से इसकी दूरी १० से १५० मील तक है। समुद्री तूफान के समय अनेक पोत इससे टक्कर खाकर ध्वस्त हो जाते हैं। फिर भी, यह पोतचालकों के लिये विशेष सहायक है, क्योंकि दीवार के भीतर की जलधारा इस बृहत शैलभित्ति (reef) द्वारा सुरक्षित रहकर तटगामी पोतों के लिये अति मूल्यवान् परिवहन मार्ग बनाती है तथा पोत इसमें से गुजरने पर खुले समुद्री तूफानों से बचे रहते हैं। महाद्वीपीय तट तथा अवशेषी शैल भित्ति (barrier reef) के बीच का क्षेत्र (८०,००० वर्ग मील) पर्यटकों के लिये अत्यंत आकर्षक स्थल है। जलवायु परिवर्तन के बुरे असर से ग्रेट बैरियर रीफ के बचने की संभावना बहुत कम है और ऐसी आशंका है कि २०५० तक रीफ पूरी तरह नष्ट हो जएगी।[1]

पारिस्थितिकी[संपादित करें]

ग्रेट बैरियर रीफ जीवन की एक असाधारण विविधता का परिवाहक है, जिसमें कई असुरक्षित या विलुप्तप्राय प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें से कुछ रीफ प्रणाली के लिए स्थानिक हो सकती हैं।

पर्यावरणीय खतरे[संपादित करें]

जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, क्राउन-ऑफ-थॉर्नस तारामछली और मछली पकड़ना इस चट्टान प्रणाली के स्वास्थ्य के लिए प्राथमिक खतरे हैं। अन्य खतरों में शिपिंग दुर्घटनाएं, तेल रिसाव और उष्णकटिबंधीय चक्रवात शामिल हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • गैलापागोस द्वीपसमूह
  • वालदेस प्रायद्वीप

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "2050 तक नहीं बचेगी ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ". हिन्दुस्तान डाट कम. मूल से 6 सितंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ अक्तूबर २००९.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • How the Great Barrier Reef Works
  • World heritage listing for Great Barrier Reef
  • Great Barrier Reef Marine Park Authority
  • CRC Reef Research Centre
  • Biological monitoring of coral reefs of the GBR
  • Great Barrier Reef (World Wildlife Fund)
  • Dive into the Great Barrier Reef from National Geographic

विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति कौन सी है नाम बताइए?

ऑस्ट्रेलिया में ग्रेट बैरियर रीफ़, विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल-भित्ति प्रणाली है.

भारत की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति कौन सी है?

अंडमान-निकोबार सर्वाधिक प्रवाल भित्ति वाला स्थान है। इस द्वीप पर तटीय प्रवाल भित्ति (Fringing Reef) पाई जाती है।

प्रवाल भित्ति कितने प्रकार के होते हैं?

होना या जलमग्न पठार ऊपर विकसित होना है। यह सर्वाधिक मोटी प्रवाल भित्तियां हैं. तहिती द्वीप में इसकी मोटाई हज़ारों मीटर है। इसकी तट की ओर और स्थल की ओर ढाल दोनों ही तीव्र होती है।

कोरल रीफ कहाँ पाया जाता है?

ये समुद्र के भीतर स्थित चट्टान हैं जो प्रवालों द्वारा छोड़े गए कैल्सियम कार्बोनेट से निर्मित होती हैं। कोरल रीफ़ प्रायः उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय समुद्रों में मिलती हैं, जहाँ तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस रहता है। ये शैल-भित्तियाँ समुद्र तट से थोड़ी दूर हटकर पाई जाती हैं, जिससे इनके बीच छिछले लैगून बन जाते हैं।