भारत का 95% हेमेटाइट संसाधन मुख्यतः उड़ीसा, झारखंड, कर्नाटक एवं गोवा में वितरित है । मैग्नेटाइट संसाधन 10,619 मिलियन टन है, जिनमें से 59 मिलियन टन संरक्षित भाग है जो मुख्यतः गोवा, राजस्थान एवं झारखंड में स्थित है, शेष 10,560 मिलियन टन (99%) मैग्नेटाइट शेष संसाधन वर्ग में है जो मुख्यतः कर्नाटक (74%) एवं आंध्र प्रदेश (14%) में है । Show भारत असाधारण रूप से अपने लौह अयस्क के भंडार की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में समृद्ध है। भारत में पाये जाने वाले लौह- अयस्क में मुख्य रूप से हेमेटाइट और मैग्नेटाइट शामिल हैं। हेमेटाइट में 68% तक धातु सामग्री होती है, जबकि मैग्नेटाइट में 60% तक धातु सामाग्री पायी जाती है। फिर इसके अलावा लेमोटाइट भी पाया जाता है, जिसकी गुणवत्ता हालांकि हेमेटाइट और मैगनेटाइट से काफी कम होती है। लौह अयस्क भंडार के बारे में नवीनतम आधिकारिक आंकड़े 13,000 मिलियन टन से अधिक हैं। लौह अयस्क के गुणवत्ता वाले भंडार बिहार के सिंहभूम और उड़ीसा के क्योंझर, बोनाई और मयूरभंज में स्थित हैं। इसके अलावा छतीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग और बस्तर जिलों में भी लौह-अयस्क पाया जाता है। बस्तर की बैलाडीला खानों को जापानी सहयोग से विकसित किया गया है। जापान को लौह-अयस्क निर्यात करने के लिए अयस्क को यंत्रवत् रूप से विशाखापत्तनम ले जाया जाता है। अन्य लौह-अयस्क जमा आंध्र प्रदेश के कई जिलों, तमिलनाडु के सलेम और टिनिचिरापल्ली जिलों और कर्नाटक के चिकमगलूर और बेलारी जिलों में पाए जाते हैं। गोवा में भी लौह-अयस्क भी है जिसका पुर्तगालियों के समय से जापान में निर्यात किया जाता है। 1950-51 में लौह-अयस्क का उत्पादन 3 मिलियन टन था। 1997-98 तक यह 70 मिलियन टन की मात्रा को पार कर गया था। लौह-अयस्क के निर्यात में विशेषज्ञता वाले बंदरगाहों में विशाखापत्तनम, मार्मा गोवा, पारादीप और कलकत्ता शामिल हैं। कुद्रेमुख लौह पट्टियों का निर्माण करता है और मंगलौर बंदरगाह से निर्यात किए जाने का अनुमान है। भारतीय लौह-अयस्क की अपनी समृद्ध लौह सामग्री के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक आवश्यकता है। विज्ञापन Recent Current Affairsविज्ञापन लौह अयस्क (Iron ore) के विशाल भंडार भारत में बड़ी मात्रा में विद्यमान है अनुमान लगाया गया है कि भारत में विश्व की एक चौथाई लौह-अयस्क राशि 2 संचित है । भारत में हेमटाइट और मैग्नेटाइट किस्म का लौह-अयस्क अधिक मात्रा में मिलता है, जिसमें लोहे की मात्रा 60 से 70% तक होती है । इसीलिए अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के लौह-अयस्क की अत्यधिक माँग है । भारत में 17.57 अरब टन लौह-अयस्क के सुरक्षित भण्डार विद्यमान हैं, भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने 23 अरब टन लौह-अयस्क के सुरक्षित भण्डारों का पता लगाया है, जिसमें 85% लौह अयस्क हैमेटाइट किस्म का है । भारत में सन् 1950-51 में 3 मिलियन टन लौह अयस्क का उत्पादन किया था। 1999-2000 में इसकी मात्रा बढ़कर 73.47 मिलियन टन हो गई। भारत में लौह-अयस्क के प्रकारलौह-अयस्क के 50% भण्डार भारत में झारखण्ड राज्य के सिंहभूमि जिले तथा उड़ीसा राज्य के क्योंझर, बोनाईगढ़ और मयूरभंज क्षेत्रों में पाये जाते हैं । यह क्षेत्र लौह-अयस्क के लिए विश्व का सबसे बड़ा तथा सम्पन्न क्षेत्र है । लौह-अयस्क झारखण्ड के हजारी बाग जिले में भी निकाला जाता है । भारत में लौह-अयस्क का वितरण निम्न प्रकार से मिलता है-1. गोआ – गोआ लौह-अयस्क उत्पादन में चतुर्थ स्थान रखता है । गोआ राज्य में भारत का 18% लौह-अयस्क प्राप्त होता है । यहाँ लोहे की खुली खानें हैं । लौह-अयस्क की प्रमुख खानें पिरना-अदोल, पाले-ओनेडा तथा कुडनेम-सुरला आदि उत्तरी गोआ में स्थित हैं। 2. छत्तीसगढ़ – लौह अयस्क के विशाल भण्डार छत्तीसगढ़ के रायपुर दुर्ग तथा बस्तर जिलों में मिलते हैं । यहाँ बस्तर पठार पर बैलाडिला लौह खदानों का विकास जापान सरकार के सहयोग से किया जा रहा है । लौह- अयस्क के भण्डार सरगुजा जिले में भी मिलते हैं । देश के लौह उत्पादन में 20% योगदान इस राज्य का है । उत्पादन की दृष्टि से इस राज्य का तृतीय स्थान है। भारत में लौह-अयस्क 3. मध्य प्रदेश – मध्य प्रदेश के माण्डला, बालाघाट और जबलपुर जिलों में भी लौह-अयस्क के भण्डार मिलते हैं। 4. ओडिशा – लौह अयस्क उत्पादन में उड़ीसा का द्वितीय स्थान है। यहाँ देश की लगभग 22% लोहे के भण्डार सुरक्षित हैं । ओडिशा में लौह- अयस्क की प्रमुख खानें क्योंझर, बोनाईगढ़, सुन्दरगढ़, गुरुमहिसानी, सुलेपात तथा बादाम के पहाड़ी क्षेत्रों में हैं । क्योंझर जिले में बाँसपानी, ठकुरानी, टोडा, कोडेकोला, कुरबन्द फिलोरा तथा किरीबुरु महत्वपूर्ण खानें हैं । लौह-अयस्कके प्रमुख क्षेत्र सुन्दरगढ़ जिले में दरसना, कंडाधार-पहाड़, कोटूरा, मालनगोली, कोरापुट जिले में अमरकोट और कटक जिले में तमका पहाड़ी व दैत्ताड़ी में हैं 5. झारखण्ड – यह नवगठित राज्य 14% लौह-अयस्क का उत्पादन कर देश में पाँचवाँ स्थान बनाये हुए है । नोआमुण्डी, गुआ, बडाबुरु, पंसिराबुर तथा मनोहरपुर में लोहे की प्रमुख खानें हैं । विश्वभर में सिंहभूमि को लौह पेटी प्रसिद्ध है। 6. कर्नाटक – कर्नाटक से भारत का 24% लौह-अयस्क निकाला जाता है । यहाँ का लौह-अयस्क मैग्नेटाइट किस्म का होता है । लोहे की प्रमुख खानें हॉस्पेट, चिकमंगलूर जिले में कुद्रेमुख तथा बाबाबूदन की पहाड़ियाँ, बेल्लारी, केमानगुण्डी, शिमोगा, तुमकुर आदि स्थानों पर मिलती हैं । इस राज्य का लौह-अयस्क उत्पादन में प्रथम स्थान है । 7. लौह – अयस्क प्राप्ति के अन्य राज्य – तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात तथा हिमाचल प्रदेश भारत के लौह-अयस्क उत्पादक राज्य हैं। लौह-अयस्क का उत्पादन भारत में निरन्तर बढ़ता जा रहा है । लौह-अयस्क का निर्यात विशाखापट्टनम, मार्मागोआ, पारादीप और कोलकाता पत्तनों से किया जाता है । ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भविष्य में मंगलौर भी लौह-अयस्क का प्रमुख निर्यातक पत्तन बन जायेगा, क्योंकि इसके निकट में ही कुडेमुख लौह-अयस्क की खानों का विकास किया गया है। इस्पात मिलों में लौह-अयस्क का उपयोग किया जाता है । छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश राज्यों का लौह-अयस्क भिलाई व विशाखापट्टनम् संयन्त्रों, ओडिशा के क्योंझर व बोनाईगढ़ क्षेत्रों तथा झारखण्ड में सिंहभूमि जिले का लौह-अयस्क टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, जमशेदपुर, बोकारो, कुल्टी, हीरापुर, बर्नपुर, आसनसोल, दुर्गापुर तथा राउरकेला इस्पात संयन्त्रों, कर्नाटक राज्य का लौह अयस्क भद्रावती व सलेम इस्पात कारखानों में प्रयोग किया जाता है । कर्नाटक में कुद्रेमुख खानों का लौह-अयस्क विदेशों को निर्यात किया जाता है । विशाखापट्टनम, मार्मागोआ, पारादीप, कोलकाता और मंगलौर पत्तनों से लौह-अयस्क का विदेशों को निर्यात किया जाता है। Important Links
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