भारत में भूमि उपयोग के कौन-कौन से प्रारूप मिलते हैं प्रकाश डालें - bhaarat mein bhoomi upayog ke kaun-kaun se praaroop milate hain prakaash daalen

भारत में भूमि उपयोग के कौन-कौन से प्रारूप मिलते हैं प्रकाश डालें - bhaarat mein bhoomi upayog ke kaun-kaun se praaroop milate hain prakaash daalen

भूमि और मृदा संसाधन

1. काली मिट्टी और लाल मिट्टी की अलग-अलग विशेषताओं पर प्रकाश डालें ?

उत्तर :- भारत में काली मिट्टी और लाल मिट्टी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है| इन मिट्टियों की विशेषताओं और पाए जाने वाले छात्रों का अलग-अलग वर्णन निम्नलिखित है-

(i) काली मिट्टी की विशेषताएं निम्नलिखित है

(a) इनमें नमी बनाए रखने की क्षमता होती है, 

(b) काली मिट्टी सूखने पर बहुत खड़ी हो जाती है,

(c) इसका रंग काला होता है क्योंकि इसमें लोहा एलुमिनियम युक्त पदार्थ टाइटेनोमैग्नेटाइट के साथ जीवाश्म तथा एलुमिनियम के सिलीकेट मिलते हैं,

(d) काली मिट्टी कपास और गन्ने की खेती के लिए बहुत सर्वोत्तम है,

(e) भीगने पर यह मिट्टी चिपचिपी हो जाती है परंतु सूखने पर इसमें गहरी दरारें पड़ती है इससे हवा का नाइट्रोजन इसे प्राप्त होता है |

काली मिट्टी महाराष्ट्र गुजरात के सौराष्ट्र मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ कर्नाटक आंध्रप्रदेश तमिलनाडु उत्तर प्रदेश राजस्थान इत्यादि क्षेत्रों में पाई जाती है|

(ii) लाल मिट्टी की विशेषताएं निम्न है

(a) इस मिट्टी का रंग लोहे की उपस्थिति के कारण लाल होता है साथ ही अधिक नमी होने पर इसका रंग पीला भी हो जाता है,

(b) इस मिट्टी की बनावट हल्की रंध्र में और मुलायम होती है,

(c) इसमें खनिजों की मात्रा कम है कार्बोनेटो का अभाव है साथ ही नाइट्रोजन और फास्फोरस भी नहीं होता है जीवाश्म तथास्तु नाभि कम मात्रा में उपलब्ध होता है,

(d) इस मिट्टी की मैं हवा मिली होती है अतः बुवाई के बाद सिंचाई करना आवश्यक है जिसमे बीज अंकुरित हो सके,

(e) इस मिट्टी में सिंचाई की अधिक आवश्यकता पड़ती है क्योंकि यह मिट्टी कब उपजाऊ होती है|

लाल मिट्टी दक्कन पठार पूर्वी और दक्षिणी भागों में एक 100 सेंटीमीटर से कम वर्षा के क्षेत्रों में पाई जाती है| तमिलनाडु के दो तिहाई भाग में या मिट्टी पाई जाती है| इसका विस्तार पूर्व में राजमहल की पहाड़ी क्षेत्र उत्तर में झांसी पश्चिम में कक्ष तथा पश्चिम घाट के पर्वतीय डालो तक है|

2. भारत में जलोढ़ मिट्टी कहां कहां पाई जाती है इसमें सबसे बड़ा क्षेत्र कौन है इस मिट्टी की विशेषताएं बताएं |

उत्तर :- जलोढ़ मिट्टी- भारत में या मिट्टी नदियों द्वारा बहा कर लाई गई और नदियों के बेसिन में जमा की गई मिट्टी है| समुद्री लहरों के द्वारा भी ऐसी मिट्टी तटों पर जमा की जाती है| भारत में जलोढ़ मिट्टी के निम्नलिखित मुख्य क्षेत्र है-

(i) सतलुज, गंगा और ब्रह्मपुत्र की घाटियों का क्षेत्र,

(ii) नर्मदा और ताप्ती घाटियों का क्षेत्र,

(iii) महानदी गोदावरी कावेरी डेल्टाई क्षेत्र

भारत में जलोढ़ मिट्टी का सबसे बड़ा क्षेत्र सतलज गंगा और ब्रह्मपुत्र की घाटियों का क्षेत्र है| इस मिट्टी की विशेषता यह है कि इसमें सभी प्रकार के खाद्यान्न दलहन तिलहन कपास गन्ना झूठ और सब्जियां उगाई जाती है| इसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस की कमी पाई जाती है जिसके लिए उर्वरक का सहारा लेना पड़ता है| वह आयु के आधार पर इसे बांगर और खादर के रूप में बांटा जाता है|

3. मिट्टी का संरक्षण क्यों आवश्यक है इसके संरक्षण के महत्वपूर्ण उपायों का उल्लेख करें|

उत्तर :- मिट्टी एक बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन है| यह प्राकृतिक रूप से बनते हैं इसके बदले में चाहे करो वर्ष लगते हैं| इस की उर्वरता पर ही उत्पादन टिका है|

परंतु कुछ प्राकृतिक और मानवीय क्रियाकलापों में से इसकी ऊपरी परत अपार दलित होकर नष्ट हो जाती है| वर्षा काल में मिट्टी का कटाव आम बात है| शुष्क क्षेत्रों में पवन द्वारा और पर्वतीय भागों में हिमनद द्वारा भी अपरदन की क्रिया चलती रहती है और उपजाऊ मिट्टी नष्ट होती रहती है| कई क्षेत्रों में स्थानांतरित कृषि से भी मिट्टी के कटाव को बढ़ावा मिला है इसलिए मिट्टी का बचाव आवश्यक है|

मिट्टी के कटाव और उर्वरता में कमी को रोकने के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह और किसानों के अनुभव के आधार पर मृदा संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय किए उपयोगी हो सकते हैं|

(i) भूमि उपयोग का नियोजन किया जाना चाहिए,

(ii) मिट्टी के तत्वों की कमी को जब उर्वरक देकर पूरा किया जाए,

(iii) फसल चक्र को अपनाया जाना चाहिए जिससे मिट्टी के एक ही तत्व का बार-बार शोषण ना हो फसल चक्र से मिट्टी में जा पदार्थ और नाइट्रोजन की आपूर्ति होती रहती है,

(iv) मिट्टी को अपने स्थान पर बनाए रखने के लिए मिट्टी के कटाव को रोकना आवश्यक है| इसके लिए वनों की कटाई पर रोक लगाना पशुओं की चढ़ाई पर नियंत्रण करना आवश्यक है,

(v) कीटनाशक रासायनिक दवा पर प्रतिबंध लगाना और उसके स्थान पर जैविक कीटनाशक विधि को अपनाना चाहिए|

4. भारत में जनसंख्या वृद्धि से किस प्रकार भूमि हवास हुआ और हो रहा है भूमि हराश के अन्य कारणों पर भी प्रकाश डालें इन्हें रोकने के लिए सुझाव दें |

उत्तर :- भारत की जनसंख्या में लगातार वृद्धि से प्रति व्यक्ति भूमि कम पड़ती जा रही है| कलकारखानों के बढ़ने तथा नगरों के विकास से भी भूमि का ह्रास हुआ है| तो एक क्षेत्र घटता जा रहा है, चरगाह भी समाप्त होते जा रहा है, मरुस्थल का फैलाव बढ़ता जा रहा है| इसीलिए भूमि के हालात को रोकना जरूरी हो गया है|

अधिक सिंचाई से भी समस्या उत्पन्न हो रही है जलजमाव के कारण नशीली भूमि बेकार हो जाती है| गुजरात में नमक के प्रभाव से ऊंची भूमि खेती के लायक नहीं रह गई है| हिमाचल प्रदेश वर्ष के जमाव के कारण राज्य का चौथा भाग खेती के उपयोग नहीं है| भूमि के कटाव से भी भूमि क्षेत्र घटता जा रहा है पहाड़ी डालो पर वर्षा जल से शुष्क क्षेत्रों में वायु अपरदन से भी भूमिका हराश होता जा रहा है|

भूमिहार आज को रोकने के लिए निम्नांकित सुझाव दिए जाते हैं

(i) उपजाऊ भूमि को गैर कृषि कार्य में नौ उपयोग किया जाए 

(ii) जनसंख्या वृद्धि दर में कमी लाई जाए 

(iii) पहाड़ी भागों में सीडी नुमा खेत बनाकर और वृक्षारोपण करके भूमि क्षरण को रोका जाए

(iv) मरुस्थल की सीमावर्ती क्षेत्र में झाड़ियों लगाकर मरूभूमि के प्रसार को रोका जाए

(v) कारखानों के आसपास औद्योगिक कचरे को फैलाने से रोका जाए 

(vi) देश में उद्योग का विकास किया जाए इससे कृषि भूमि पर पर रहे बोझ को कम किया जा सकता है

(vii) प्राकृतिक आपदा से देश की रक्षा की जाए

(viii) वायु अपरदन को रोकने के लिए पशु चारण पर रोक लगाना चाहिए

5. भारत में भूमि उपयोग के कौन-कौन से प्रारूप मिलते हैं प्रकाश डालें |

उत्तर :- भारत में भूमि उपयोग का जो प्रारूप मिलता है| वह भू-आकृति जलवायु मिट्टी और मानवीय क्रियाकलापों का फल है| किसी में लगी भूमि बढ़कर 1% हो गई है इसमें एक तिहाई सी चीज है 4 गांवों के अंतर्गत भूमि बहुत कम है| मात्र मात्र 4% इससे स्पष्ट होता है कि बढ़ती जनसंख्या के कारण चौरा गांव को खेतों में बदल दिया गया है| वनों के अंतर्गत एक चौथाई भूमि से कम ही भूमि पाई जाती है जिससे जलवायु का प्रभाव पड़ता रहा है| इसलिए वन क्षेत्रों की ओर और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता है ऐसा करके ही परिस्थिति तंत्र को संतुलित बनाया जा सकता है| इससे मिट्टी के कटाव को रोकने अधिक वर्षा कराने और 1 उत्पाद अधिक प्राप्त करने में मदद मिलेगी|

हमारे देश में एक चौथाई भूमि कृषि के उपयोग में ना आने के कारण बंजर पड़ी है जिसमें राजस्थान का मरुस्थल और उत्तर पूर्वी भारत के पर्वतीय क्षेत्र है| वनों के विनाश से भी बंजर भूमि का क्षेत्र बढ़ता जा रहा है इसलिए क्षेत्र को आगे बढ़ाना आवश्यक हो गया है| इससे जल संरक्षण और मिट्टी संरक्षण में मदद मिलेगी यार कृषि कार्य में उपयोग की गई भूमि बंजर भूमि के अंतर्गत नहीं रखा गया है|

भारत के विभिन्न राज्यों में भूमि उपयोग के प्रारूप में अंतर मिलता है एक और पंजाब, हरियाणा में 80% भूमि कृषि उपयोग में आती है तो दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर पहाड़ी भाग होने के कारण 10% भूमि ही कृषि उपयोग में है |

अतः भूमि पर बढ़ते दबाव के कारण भूमि उपयोग की योजना बनाना आवश्यक हो गया है|

6. भारतीय मिट्टियों के तीन प्रमुख प्रकार कौन-कौन है उनका निर्माण किस प्रकार हुआ है ?

उत्तर :- भारतीय मिट्टियों के तीन प्रमुख इस प्रकार है-

(i) जलोढ़ मिट्टी (ii) काली मिट्टी (iii) लाल मिट्टी

इन तीनों प्रकार की मिट्टियों से संबंधित निर्माण की प्रक्रिया को निम्नलिखित विचार हिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है|

(i) जलोढ़ मिट्टी :- भारत में या मिट्टी विस्तृत रूप से फैली हुई है और उपजाऊ होने के कारण कृषि कार्य के लिए या अधिक महत्वपूर्ण है| नदियों द्वारा बहा कर लाई गई मिट्टी बाद में उसके देश चीन में जमा हो जाती है साथ ही समुद्री लहरें अपने तटों पर ऐसी मिली मिट्टी की परत जमा कर देती है| जिससे जलोढ़ मिट्टी के का निर्माण हुआ होता है मिट्टी की आयु के आधार पर जलोढ़ मिट्टी को बंद बांगर तथा आदर कहा जाता है| बिहार में बालू मिश्रित जलोढ़ मिट्टी को दिया बाकी मिट्टी कहा जाता है|

(ii) काली मिट्टी :- स्थानीय स्तर पर काली मिट्टी को रीबूट भी कहा जाता है| काली मिट्टी का निर्माण दक्षिणी क्षेत्र के अलावा वाले भागों में हुआ है जहां अर्थ शुद्ध भागों में इसका रंग काला पाया जाता है| इसमें लोहा एलुमिनियम युक्त पदार्थ टाइटेनो मैग्नेटाइट के साथ विवाह कथा एलुमिनियम के सिलीकेट मिलने के कारण इसका रंग काला होता है| इसमें पोटाश चूना एल्युमीनियम कैल्शियम और मैग्नीशियम कार्बोनेट प्रचुर मात्रा में होते हैं|

(iii) लाल मिट्टी :- भारत के विस्तृत क्षेत्र में भी या मिट्टी पाई जाती है| इसका निर्माण लोहे और मैग्नीशियम के खनिजों से युक्त रविदास और रूपांतरित आग में चट्टानों के द्वारा होता है| इसका रंग लोहे की उपस्थिति के कारण लाल होता है अधिक नाम होने पर इसका रंग पीला भी हो जाता है| यह मिर्ची गनाइट चट्टान के टूटने से बनी मिट्टी है| इसकी बनावट हल्की रंध्रँमय और मुलायम है|

7. पशुपालन में अग्रणी के होने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का योगदान नगण्य है व्याख्या करें ?

उत्तर :- पशुपालन के मामले में भारत को विश्व में अग्रणी माना जाता है परंतु अधिक पशुधन के बावजूद अर्थव्यवस्था में इसका योगदान लगभग नगण्य है इस के निम्न कारण है|

भारत में अस्थाई जा रहा है क्या की बहुत कमी है मात्र 4% भूमि पर चारागाह बचा है| वह भी धीरे-धीरे खेती में बदलता जा रहा है जो भी चारागाह बचा है वह पशुओं के लिए पर्याप्त नहीं है| इसलिए पशुपालन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है पशुओं के लिए चारागाह की समस्या हमेशा बनी रहती है| भारत के किन भागों में पशुओं की संख्या अधिक मिलती है वह क्षेत्र कभी बाढ़ तो कभी सुखार कभी अधिक वर्षा तो कभी बहुत कम वर्षा से प्रभावित रहता है| इससे पशुओं का चारा उपलब्ध होने में कठिनाई होती है चारे की कमी का सीधा प्रभाव दुग्ध उत्पादन पर पड़ता है| जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन का योगदान बहुत कम हो जाता है|

भारत में पशुओं के उत्तम नस्ल और उन्हें पालने के वैज्ञानिक तरीके का भी अभाव देखने को मिलता है| हालांकि इस दिशा में सरकारी स्तर पर कई प्रयास किए गए हैं| कुछ सफलता मिली है परंतु जितना इस दिशा में कार्य करना चाहिए उतना नहीं हो पाया है|

अतएव उत्तम नस्ल के पशुओं का अभाव, चारा का अभाव, बीमार पड़ने पर इलाज का अभाव, रखरखाव आदि में कमी, पशुपालन की वैज्ञानिक तकनीक की कमी के कारण दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है और पशुधन अधिक होने पर भी इसका भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान है|

5 भारत में भूमि उपयोग के कौन कौन से प्रारूप मिलते हैं प्रकाश डालें?

भूमि उपयोग वर्गीकरण.
बंजर तथा कृषि अयोग्य भूमि,.
गैर-कृषि उपयोग हेतु प्रयुक्त भूमि,.
कृषि योग्य बंजर,.
स्थायी चारागाह एवं पशुचारण,.
वृक्षों एवं झाड़ियों के अंतर्गत भूमि,.
चालू परती,.
अन्य परती,.

भारत में भू उपयोग प्रारूप क्या है?

भू उपयोग का प्रारुप भौतिक और मानवीय कारकों पर निर्भर करता है। भौतिक कारक के उदाहरण हैं; जलवायु, भू आकृति, मृदा के प्रकार, आदि। मानवीय कारक के उदाहरण हैं; जनसंख्या, टेक्नॉलोजी, कौशल, जनसंख्या घनत्व, परंपरा, संस्कृति, आदि।

भूमि उपयोग प्रारूप से आप क्या समझते हैं?

भूमि उपयोग परिवर्तन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक परिदृश्य को प्रत्यक्ष रूप से बस्तियों, वाणिज्यिक एवं आर्थिक उपयोग तथा वानिकी गतिविधियों जैसे मानव-प्रेरित भूमि उपयोग के लिये परिवर्तित कर दिया जाता है।

1 भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें वर्ष 1960 61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में हुई इसका क्या कारण है?

Solution : भारत में भू उपयोग का प्रारूप: स्थाई चारागाहों के अंतर्गत भूमि कम हो रही है, जिससे पशुओं के चरने में समस्या उत्पन्न होगी। शुद्ध बोये गये क्षेत्र का हिस्सा 54% से अधिक नहीं, यदि हम परती भूमि के अलावे भी अन्य भूमि शामिल कर लें। शुद्ध बोये जाने वाले क्षेत्र का प्रारूप एक राज्य से दूसरे राज्य में बदल जाता है।