प्र 10 एक अच्छे पत्र की क्या विशेषताएं होनी चाहिए स्पष्ट कीजिए? - pr 10 ek achchhe patr kee kya visheshataen honee chaahie spasht keejie?

इस लेख को पढ़ने के बाद आप निम्न तथ्यों को समझ सकेंगे -

Table of contents (toc)

पत्र लेखन की आवश्यकता एवं महत्व

पत्र-लेखन साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधि है, उसका एक महत्वपूर्ण अंग है ,जिसके अंतर्गत हमारे दैनिक के क्रियाकलाप, विचारों का आदान-प्रदान अत्यंत स्वाभाविक ढंग से साहित्य का एक अंग बन जाते हैं। विद्यार्थी जीवन से ही इसका सहज विकास होता है, जहाँ वह अपने आत्मीय, इष्ट मित्रों व गुरुजनों से पत्रों एवं प्रार्थना पत्रों के माध्यम से अपने हृदयगत भावों को व्यक्त करना सीखता है।

पत्र लेखन की विशेषताएँ

आधुनिक युग में पत्र लेखन एक कला है। सतत अभ्यास से ही कला परिक्त हो सकती है। 

एक अच्छे पत्र में निम्न विशेषताओं का होना जरूरी है -

सरल भाषा-शैली : पत्र की साधारणतः सरल तथा बोलचाल की होनी चाहिए। शब्दों का प्रयोग भाव तथा विषयानुकूल होने चाहिए। पत्रों की शैली रोचक, मधुर, आत्मीय और सहज हो। बातें सीधे-सरल तरीके से कही जानी चाहिए।

विचारों की स्पष्टता : पत्रों में विचार सुस्पष्ट तथा सुलझे हुए होने चाहिए। भाषा शिष्ट व प्रिय हो। अप्रिय तथा अशिष्ट भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए।

सम्पूर्णत : पत्र में जो लिखा जाना जरूरी है, वह अवश्य लिखा जाए। लेकिन अनावश्यक, अनर्गल, उबाऊ तथा निरर्थक विवरण अथवा वर्णन टालें। 

संक्षिप्तता : पत्र संक्षिप्त होना चाहिए अर्थात पत्र अधिक विस्तृत नहीं होना चाहिए। पत्र में उनकी बातों का विवरण दें, जो जरूरी हों।

प्रभविष्णुता : पत्र का प्रारंभ तथा अंत प्रायः नम्रता, आदर, आत्मीय, भाव प्रवणता, प्रेमाभिव्यक्ति आदि से यथोचितपूर्ण होना चाहिए।

सुंदर अक्षर एवं आकर्षक : पत्र में किसी भी प्रकार की काट-पीट नहीं होना चाहिए। पत्र में सुंदर अक्षर तथा सधे हुए वाक्य, मन को प्रसन्न कर देते हैं। कागज अच्छा एवं साफ सुथरा हो। शीर्षक, तिथि, संबोधन, अभिवादन, अनुच्छेद यथानुसार और सही क्रम में होने चाहिए।

प्र 10 एक अच्छे पत्र की क्या विशेषताएं होनी चाहिए स्पष्ट कीजिए? - pr 10 ek achchhe patr kee kya visheshataen honee chaahie spasht keejie?
पत्र लेखन

पत्रों के प्रकार

पत्र लेखन दो प्रकार के हैं -

● औपचारिक पत्र 

● अनौपचारिक पत्र

औपचारिक पत्र :- इसमें निम्नलिखित पत्र आते हैं -

● सरकारी पत्र
● अर्द्धसरकारी पत्र
● व्यावसायिक पत्र

अनौपचारिक पत्र :- इसे दो भागों में बाँटा जा सकता है -

● सामाजिक पत्र 
     • विविध पत्र
     • बधाई पत्र
     • परिचय पत्र
     • आमंत्रण पत्र
     • शोक पत्र

● निजी पत्र : निजी पत्र पूर्णतः व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित होते हैं। ये पत्र प्रायः परिवार के अपने संबंधियों को लिखे जाते हैं।

पत्र लेखन के अंगों की विवेचना

प्रेषक और लिपि : पत्र के शीर्ष स्थान पर दाहिनी ओर प्रेषक का पता तथा पत्र लेखन की तिथि का उल्लेख होना चाहिए।

मूल संबोधन : संबोधन की दृष्टि से पत्र के दो वर्ग हैं - पहले वर्ग में रिश्ते-नाते के सभी लोग तथा व्यक्तिगत एवं परिवारिक रूप से जाने-पहचाने व्यक्ति आते हैं। जैसे - गुरुजी, आदरणीय, माताजी, चिरंजीवी, प्रिय भाई इत्यादि। दूसरे वर्ग में - घनिष्टता,श्रद्धा या स्नेह सूचक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता, बल्कि सेवा में, प्रति, इसके नीचे पदनाम, संस्था नाम, पता आदि लिखे जाते हैं।

अभिवादन या शिष्टाचार : संबोधन की पंक्ति के अंतिम वर्ण के नीचे नई पंक्ति आरम्भ करके अभिवादन या शिष्टाचार सूचक शब्द लिखे जाते हैं। जैसे - प्रणाम, नमस्ते, नमस्कार, जय हिंद, शुभाशीषा, प्रसन्न रहो आदि।

गौण संबोधन : इसका प्रयोग केवल संवृद्धि के दूसरे वर्ग के साथ ही होता है जिसमें शिष्टाचार तथा अभिवादन सूचक शब्द प्रयुक्त नहीं किये जाते।

विषयवस्तु : पत्र के विषय को प्रारंभ, मध्य और अंत के रूप में तीन अनुच्छेदों में या आवश्यकतानुसार दो या एक अनुच्छेद में व्यवस्थित करके लिखा जाता है। उदाहरण - श्रध्देय पिताजी, सादर प्रणाम आपका पत्र प्राप्त हुआ।

अधो लेख या पत्र की समाप्ति : पत्र की विषय-सामग्री लिख देने के पश्चात अंत करने के लिए मंगल कामना सूचक अथवा धन्यवाद सूचक उक्तियों का प्रयोग करके संबोध्य के साथ अपने संबंध को प्रकट करते हुए हस्ताक्षर किए जाते हैं।

संबोध्य पत्र : पत्र के अंत में संबोध्य व्यक्ति अथवा पदनाम का पूरा पता पत्र के बायीं ओर लिखा जाता है।

आशा करता हूँ आपको इस लेख के माध्यम से पत्र लेखन की विशेषताएँ, पत्र लेखन के प्रकार और पत्र लेखन के अंगों की विवेचना के बारे में पूरी जानकारी मिली होगी।

विषयसूची

  • 1 एक अच्छे पत्र की क्या विशेषता होनी चाहिए?
  • 2 निमंत्रण पत्र कितने प्रकार के होते है?
  • 3 लेखन की विशेषता क्या है?
  • 4 निमंत्रण पत्र क्या होता है?

एक अच्छे पत्र की क्या विशेषता होनी चाहिए?

पत्र लेखन की विशेषताएँ

  • सरल भाषा-शैली : पत्र की साधारणतः सरल तथा बोलचाल की होनी चाहिए।
  • विचारों की स्पष्टता : पत्रों में विचार सुस्पष्ट तथा सुलझे हुए होने चाहिए।
  • सम्पूर्णत : पत्र में जो लिखा जाना जरूरी है, वह अवश्य लिखा जाए।
  • संक्षिप्तता : पत्र संक्षिप्त होना चाहिए अर्थात पत्र अधिक विस्तृत नहीं होना चाहिए।

आवेदन से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंआवेदन (Application) शब्द से ही स्पष्ट हो जाता है कि अपने से किसी बड़े अधिकारी को ही लिखा जाने वाला पत्र आवेदन-पत्र कहलाता है। आवेदन पत्र में अपनी स्थिति से अधिकारी को अवगत कराते हुए अपेक्षित सहायता या अनुकूल कार्यवाही की प्रार्थना की जाती है।

निमंत्रण पत्र कितने प्रकार के होते है?

पत्र के मुख्यतः दो रूप होते हैं –

  • अनौपचारिक (निजी या व्यक्तिगत पत्र)
  • औपचारिक (व्यवसायिक /कार्यालय पत्र)
  • अनौपचारिक पत्र अपने मित्र तथा परिवार के किसी भी व्यक्ति (जो परिचित है) को लिखा जाता है।
  • औपचारिक पत्र किसी भी कार्यालय में या संस्थान से जुड़े व्यक्ति (जो अपरिचित है) को लिखा जाता है।
  • पत्रों की क्या विशेषता होती है * 1 Point?

    इसे सुनेंरोकेंपत्र जाे काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है। पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश कहाँ दे सकता है। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं।

    लेखन की विशेषता क्या है?

    इसे सुनेंरोकेंयह आमतौर पर शब्दों में व्यक्त किया जाता है जैसे “उसने कहा,” “उसने चिल्लाया” या “वह पूछता है” या स्रोत का नाम और उचित क्रिया। कभी-कभी यह विशेषता स्वर को पहचानती है और साथ ही कथन भी बनाती है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष उद्धरण दोनों को एट्रिब्यूशन की आवश्यकता होती है।

    हिंदी का पत्र लेखन कैसे लिखे?

    इसे सुनेंरोकेंपत्र लेखन कैसे लिखते हैं? सरलता से पत्र लिखें – पत्र लेखन हमेशा सरल, सीधा और स्पष्ट भाषा में होना चाहिए । पत्र लेखन में कठिन शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए। पत्र लेखन में अपना उद्देश्य अच्छे से लिखें – पत्र में अपना उद्देश्य को अच्छे से समझाएं, उसमें किसी भी प्रकार की शंका या जिज्ञासा नहीं होनी चाहिए।

    निमंत्रण पत्र क्या होता है?

    इसे सुनेंरोकेंकिसी सार्वजनिक और मांगलिक जगहों पर आमन्त्रित करने के लिये भेजा जाने वाला पत्र को निमंत्रण पत्र कहते है।

    एक अच्छे पत्र में क्या क्या विशेषताएँ होनी चाहिए वर्णन कीजिए?

    पत्र लिखने के लिए कुछ आवश्यक बातें.
    (1) शीर्षक या आरम्भ- पत्र के शीर्षक के रूप में पत्र-लेखक का पता लिखा जाता हैं। ... .
    (2) सम्बोधन एवं अभिवादन- पत्रों में सम्बोधन एवं अभिवादन का महत्त्वपूर्ण स्थान होता हैं। ... .
    (3) विषय-वस्तु- किसी भी पत्र में विषय-वस्तु ही वह महत्त्वपूर्ण अंग हैं, जिसके लिए पत्र लिखा जाता हैं।.

    एक अच्छे पत्र के लिए क्या आवश्यक है?

    लंबे एवं जटिल मामलों को सरल एवं संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए । 4. मसौदे में प्रेषिती (पानेवाला) के संगत संदर्भों का उल्लेख अवश्य किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त मसौदे में जहाँ-जहाँ आवश्यक संदर्भ देने की आवश्यकता हो, उसका उल्लेख किया जाना चाहिए ।

    पत्र लेखन का क्या महत्व है अच्छे पत्र लेखन में किन विशेषताओं का होना आवश्यक है?

    पत्र लेखन का कार्य अत्यंत प्रभावशाली होता है, क्योंकि इस साधन के द्वारा अनेकों लोगो से संपर्क स्थापित करने में भी सुविधा रहती है। आजकल दूर-दूर रहने वाले सगे संबंधियों व व्यापारियों को आपस में एक दूसरे के साथ मेल जोल रखने एवं संबंध रखने की आवश्यकता पड़ती है, इस कार्य में पत्र लेखन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    पत्रलेखन से आप क्या समझते है अच्छे पत्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?

    पत्र लेखन में अच्छे शब्द और मुहावरों का प्रयोग करके उसे प्रभावशाली बना सकते हैं। संक्षिप्तता से भरा पत्र लेखन होना चाहिए – पत्र लेखन में हमेशा काम की चीजें लिखी होनी चाहिए। अनावश्यक शब्दों का प्रयोग होना उचित नहीं होता। पत्र लेखन में मौलिकता होना आवश्यक है – मौलिकता का गुण बहुत ही अनिवार्य है जब हम पत्रलेखन लिखते हैं ।