कविवर बिहारी नीतिपरक दोहे लिखने में पटु थे। बिहारी ने इस दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा का वर्णन किया। कनक शब्द के दो अर्थ हैं – धतूरा और सोना। बिहारी ने अपने दोहों के द्वारा यह संदेश दिया कि धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से मानव पागल बनता है। लेकिन सोना (धन, दौलत) को पाने से ही मानव पागल हो जाता है। अर्थात् यह नशा धतूरे नशे से भी खतरनाक है। Show
कविवर बिहारी नीतिपरक दोहे लिखने में पटु हैं। कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाय दोहे में धनी व्यक्तियों की मनोदशा का वर्णन किया है। कनक शब्द के दो अर्थ हैं – धतूरा, सोना। बिहारी के अनुसार धतूरे की अपेक्षा सोने में सौ गुना नशा अधिक है। धतूरे को खाने से मानव पागल बनता है। लेकिन सोना (धन – दौलत) को पाने से ही मानव पागल हो जाता है। लेकिन यह सही नहीं है। सोना या धन – दौलत के पाने पर भी मानव को कभी गर्व न करना चाहिए। बिहारी ने कनक को लेकर यही समझाने का प्रयास किया है। कनकु कनक तैं सौगुनौकनकु कनक तैं सौगुनौ मादकता अधिकाइ। उहिं खाऐं बौराइ जग इहिं पाऐं हीं बौराइ॥ स्वर्ण और धतूरे दोनों में मादकता होती है। सोने में धतूरे से सौगुनी अधिक मादकता पाई जाती है। स्पष्ट शब्दों में सोना धातु होकर भी मनुष्य को उन्मत्त और पागल बना देता है तभी तो संसार में यह देखा जाता है कि लोग धतूरे को खाकर पागल होते हैं और सोने को प्राप्त करके ही उन्मत्त हो जाते हैं। जिस वस्तु की प्राप्ति-मात्र से उन्मत्तता बढ़ जाए वह निश्चय ही उस वस्तु की तुलना में अधिक मादक है जो खाने के पश्चात् मनुष्य की बुद्धि और विवेकशीलता को समाप्त कर देती है। स्रोत :
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3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न
6. अर्थग्राह्यता-प्रतिक्रिया अ) प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रश्न 1.
प्रश्न 2. वस्तु विनियोग की दृष्टि से एक के स्थान पर उनसे अधिक या ज्यादा वस्तुएँ खरीदना ठीक नहीं हैं। क्योंकि वस्तुओं की उत्पत्ति कम मात्रा में होती है। उसका विनियोग करने वाले तो अधिक मात्रा में रहते हैं। इसलिए वस्तुओं की कमी होती है। इसका और एक कारण आबादी बढ़ना भी है। इस कारण से एक प्रकार का होड़ जनता के बीच में उस वस्तु के लिए होता है। इस स्थिति में एक के स्थान पर उससे अधिक वस्तुएँ खरीदना ठीक या उचित नहीं है।। आ) पाठ पढ़िए। अभ्यास कार्य कीजिए। प्रश्न 1. प्रश्न 2. इ) भाव स्पष्ट कीजिए। 1. रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। 2. कनक – कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ। अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता अ) इन प्रश्नों के उत्तर तीन – चार पंक्तियों में लिखिए। प्रश्न 1. प्रश्न 2. बिहारी ने सोने की तुलना धतूरे से इसलिए की है कि धतूरे से बढ़कर सोने में सौ गुना ज्यादा मादकता हैं। धतूरे को खाने से ही मानव पागल होता है। लेकिन सोने को पाने से ही मनुष्य पागल हो जाता है। सोने को पाकर मानव सदा उसकी रक्षा करने के बारे में नींद के बिना चिंतित रहता है। उसे सदा चोरों का भय सताता है। इसलिए वह पागल बन जाता है। आ) किन्हीं दो दोहों के भाव अपने शब्दों में लिखिए। दोहा -2 ‘पानी’ के तीन अर्थ हैं – चमक या कांति, इज्ज़त और जल। इ) पाठ में दिये गये दोहों के आधार पर कुछ सूक्तियाँ लिखिए।
ई) पाठ में दिये गये दोहों में आपको कौनसा दोहा बहुत अच्छा लगा?
क्यों? भाषा की बात अ) अर्थ के अनुसार बेमेल शब्द पहचानिए। 1. नीर, पीर, जल, पानी – ………. (पीर) 1. यमक अलंकार समझिए। यमक का अर्थ ‘दो’ होता है। किसी शब्द की पुनरावृत्ति भिन्न – भिन्न अर्थों में होती है, तो उसे यमक अलंकार कहते हैं। उदाहरण : 2. दोहा छंद समझिए। इ) 1. यमक अलंकार का एक उदाहरण दीजिए। ई) नीचे दिये गये शब्दों में प्रत्यय पहचानकर वाक्य प्रयोग कीजिए। परियोजना कार्य इस पुस्तक में हर पृष्ठ पर एक – एक नीति वाक्य दिया गया है। उनमें से आपकी मनपसंद – दस नीतियों की सूची बनाकर कक्षा में प्रदर्शन कीजिए।
नीति दोहे Summary in EnglishRaheem 2. In this poem the poet Raheem used the word ‘water’ as an attributive in three specific – meanings. He says that these three are very essential to life. The three meanings of water : 1. lustre 2. honour or hospitality or courtes 3. Water. The pearl needs lustre. Without lustre, the pearl is useless. Similarly, it is necessary for a man to have honour. Life without honour is of no value. In the same way, lime needs water. Without water it does not stick and hence it is useless. So we should possess the above mentioned qualities and safeguard them. Bihari Gold and datura are alike. As to datura, if a fruit or a flower of datura is eaten, the man gets inebriation and lunacy. Gold is exactly the same as datura. One gets inebriated as soon as one sees gold. In this way, the poet narrates about the madness caused by Gold. 2. In this poem the poet Bihari compares man with the tap water. He who is more modest is called an eminent person. The water flows in high lands exactly the same as it flows in low lands. नीति दोहे Summary in Teluguరహీం 1. ప్రస్తుత ఈ దోహాలో కవి రహీం సంపద, మనిషి అనుబంధాల గురించి వివరించుచున్నాడు. మనకు సంపదలు వచ్చినప్పుడు బంధువులు, మిత్రులు బహువిధాలుగా ఏర్పడతారు. కానీ ఏ కారణంగానైనా ఆ సంపదలన్నియు పోయి మనం పేదవారిమైతే మనలను ఆశ్రయించియున్న మిత్ర బంధువులెవ్వరూ మనతో ఉండరు. కనుక ఆపదలు మనకు నిజమైన స్నేహితులను గుర్తించు గీటురాళ్ళు. కాబట్టి ఆపదలలో ఎవరైతే మనతో ఉండి మనకు అండగా నిలుస్తారో వారే నిజమైన స్నేహితులు. 2. ఈ పద్యం (దోహా)లో కవి రహీం నీటిని మూడు విశేషార్థాలలో ప్రయోగించుచూ ఇవి మన జీవితానికి చాలా ముఖ్యమని వివరించుచున్నాడు. నీటికి గల మూడు అర్థాలు 1. కాంతి 2. గౌరవం లేదా ఆదరణ లేదా మర్యాద. 3. జలం (నీరు.) ముత్యమునకు మెరుపు (కాంతి, ప్రకాశం) అవసరం. మెరుపు (కాంతి) లేనిదే ముత్యం వ్యర్థం. అట్లే మనిషికి గౌరవం (మర్యాద) అవసరం. గౌరవం లేని జీవితం వ్యర్థం. అదే విధంగా సున్నం ( సిమెంట్) కు నీరు అవసరం. నీరు లేని సున్నం అతకదు, వ్యర్థం. కాబట్టి వీటిని మనం ఎల్లప్పుడు కలిగి ఉండాలి. రక్షిస్తూ ఉండాలి. బిహారీ 1. ఈ దోహాలో (పద్యం) కవి బీహారి గారు బంగారాన్ని విశేషార్థంలో ధతూరం (ఉమ్మెత్త) చెట్టు పువ్వు, కాయ, ఆకులతో)తో పోల్చి చెబుతున్నాడు. బంగారం, ధతూరం ఈ రెండూ ఒక్కటే. ధతూర చెట్టుకు సంబంధించి కాయను కాని పువ్వునుగాని తిన్నచో మనిషికి ఒక విధమైన పిచ్చి, మాదకత్వం (నిషా) ఎక్కుతాయి. కానీ బంగారం కూడా అలాంటిదే. ధతూరాన్ని తింటే మాత్రమే మనకు నిషా ఎక్కితే బంగారాన్ని చూసినంతనే మత్తు (నిషా) పిచ్చి పడుతుంది. ఈ విధంగా బంగారం వల్ల కలిగే పిచ్చిని గురించి బిహారీ కవిగారు వివరించుచున్నారు. ఈ పద్యం (దోహా)లో కవి బిహారీగారు మనిషిని కొళాయి నీటితో సమానంగా వర్ణించి చెబుతున్నారు. మనిషి ఎంత నమ్రత కలిగి ఉంటాడో అతడు అంత శ్రేష్ఠమైన వానిగా చెప్పబడతాడు. నీరు ఎంత నిమ్నస్థాయిలో ప్రవహించునో అంతే ఉన్నత (ఊర్థ్వస్థాయి) గా కూడా ప్రవహించగలదు. अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता 2 Marks Questions and Answers निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो या तीन वाक्यों में लिखिए। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3.
प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न
15.
रचनाएँ : रहीम सतसई, बरवैनायिका भेद और श्रृंगार सोरठ आदि। प्रश्न 16.
प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. अभिव्यक्ति-सजनात्मकता 4 Marks Questions and Answers निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छह पंक्तियों में लिखिए। प्रश्न 1. नल के पानी पर जितना दबाव डाला जाय वह उतना ही ऊपर उठता है। उसी प्रकार मानव भी जितना विनम्र, विनयशील होगा उतना ही उसका विकास होगा। ऊँचे स्थान पर पहुंचेगा। इसलिए बिहारी ने नल के पानी से नर की तुलना की है। प्रश्न 2. अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता 8 Marks Questions and Answers निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर आठ या दस पंक्तियों में लिखिए। प्रश्न 1.
प्रश्न 2. कवि रहीम कहते हैं कि यदि हमारे पास धन-संपत्ति हो तो कई तरह के लोग नाते रिश्ते जोड़कर सगे बन जाते हैं। उन लोगों में हमारा सच्चा मित्र कौन है और पराया कौन है इसका निर्धारण विपत्ति (कष्ट) कर देती है। संकट के समय सच्चे मित्र ही हाथ देता है। झूठे लोग तो खिसक जाते हैं। संदेश : रहीम कहते हैं कि सबको पानी रखना आवश्यक है। पानी के बिना सब व्यर्थ है। पानी का अर्थ होता है – चमक (कांति), मान (इज्जत) और जला चमक के बिना मोती, मान के बिना आदमी और जल के बिना चूना बेकार हैं। चमक के जाने से मोती व्यर्थ होता है। मान के बिना मानव जीवन व्यर्थ है। जल के न रहने से चूना व्यर्थ हो जाता है। संदेश : प्रश्न 3. बिहारी हमें अभिमान न करते हुए विनम्र रहने का संदेश देते हैं। वे कहते हैं कि सोना, धतूरे से सौ गुना अधिक जहरीला और नशीला होता है। क्योंकि धतूरा तो खाने से लोग पागल होते हैं, लेकिन सोना ” तो पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि मनुष्य और नल के पानी की स्थिति समान है। नल का पानी जितना ही नीचे जाता है पुनः उतना ही ऊपर उठता है। उसी प्रकार मनुष्य जितना अधिक विनम्र होता है उतना ही विकास करता है, वह उतना ही अधिक यश प्राप्त करता है। इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि रहीम और बिहारी के दोहे नैतिक मूल्यों के विकास में सहायक हैं। हमें इनके अन्य दोहों को भी पढ़ना और पढ़ाना चाहिए। प्रश्न 4. बिहारी हमें अभिमान न करते हुए विनम्र रहने का संदेश देते हैं। वे कहते हैं कि कि सोना, धतूरे से सौ गुना अधिक जहरीला और नशीला होता है। क्योंकि धतूरा तो खाने से लोग पागल होते हैं, लेकिन सोना तो पाकर ही लोग पागल हो जाते हैं। इसलिए हमें संपत्ति का अभिमान नहीं करना चाहिए। उनका कहना है कि मनुष्य और नल के पानी की स्थिति समान है। नल का पानी जितना ही नीचे जाता है पुनः उतना ही ऊपर उठता है। उसी प्रकार मनुष्य जितना अधिक विनम्र होता है उतना ही विकास करता है, वह उतना ही अधिक यश प्राप्त करता है। बिहारी ने कनक कनक में क्या अंतर बताया है?Expert-Verified Answer. ➲ बिहारी ने कनक कनक में यह अंतर बताया है कि एक कनक को बिहारी ने सोने का प्रतीक बनाया है और दूसरे कनक को उन्होंने धतूरे का प्रतीक बनाया है। कनक सोने को भी कहते हैं और कनक धतूरे को भी कहते हैं। इसलिए बिहारी ने यहाँ पर कनक को दोनों अर्थों में प्रस्तुत किया है।
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता इहिं पाई बौराई इस पद में कवि बिहारी ने क्या संदेश दिया है?सोने में धतूरे से सौगुनी अधिक मादकता पाई जाती है। स्पष्ट शब्दों में सोना धातु होकर भी मनुष्य को उन्मत्त और पागल बना देता है तभी तो संसार में यह देखा जाता है कि लोग धतूरे को खाकर पागल होते हैं और सोने को प्राप्त करके ही उन्मत्त हो जाते हैं।
बिहारी ने अपने दोहे में कनक शब्द का प्रयोग कैसे किया है?बिहारी जी ने 'कनक' शब्द का प्रयोग अपने दोहे में दो बार किया है। एक कनक का अर्थ है – धतूरा और दूसरे का सोना। वे कहना चाहते हैं कि धतूरे से अधिक सोने या संपत्ति का नशा होता है। धतूरा तो मनुष्य खाकर पागल होता है लेकिन सोना तो पाकर ही पागल हो जाता है।
कनक कनक ते सौ गुनी के लेखक कौन है?"कनक-कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय यह खाए बौराइ नर, वा पाये बौराए।" पंक्तियों की रचना रीति वादी कवि बिहारी लाल ने बिहारी सतसई से की है।
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