सल्तनत काल से ही हिन्दू मुस्लिम संघर्ष का काल था । दिल्ली सुल्तानों ने हिन्दू धर्म के प्रति अत्याचार करना आरंभ कर दिये थे । उन्होंने अनेक मंदिरेां और मुर्तियों को तोड़ने लगे थे । जिससे हिन्दुओं ने अपने धर्म की रक्षा के लिए एकेश्वरवाद को महत्व दिया और धर्म सुधारक ने एक आंदोलन चलाया यही आंदोलन भक्ति आंदोलन के नाम से विख्यात हुआ। Show
मध्यकाल में सुल्तानों के अत्याचार एवं दमन की नीति से भारतीय समाज आंतकित और निराश हो चुका था । ऐसी स्थिति में कुछ विचारकों एवं संतों ने हिन्दू धर्म की कुरीतियों को दूर करने के लिए एक अभियान प्रारंभ किया । इसी अभियान को भक्ति आंदोलन के नाम से जाना जाता था। भक्ति आंदोलन के कारणभक्ति आंदोलन के कारण - भक्ति आंदोलन को अपनाने के कारण थे । जो इस प्रकार है -
भक्ति आंदोलन का उदय
भक्ति आंदोलन की मुख्य विशेषताएंभक्ति आंदोलन की मुख्य विशेषताएं है।
भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतभक्ति आंदोलन के प्रमुख संत -
भक्ति आंदोलन का प्रभाव
भक्ति आंदोलन से आप क्या समझते हैं भक्ति आंदोलन के विभिन्न स्वरूप और विशेषताओं का वर्णन कीजिए?दिल्ली सुल्तानों ने हिन्दू धर्म के प्रति अत्याचार करना आरंभ कर दिये थे । उन्होंने अनेक मंदिरेां और मुर्तियों को तोड़ने लगे थे । जिससे हिन्दुओं ने अपने धर्म की रक्षा के लिए एकेश्वरवाद को महत्व दिया और धर्म सुधारक ने एक आंदोलन चलाया यही आंदोलन भक्ति आंदोलन के नाम से विख्यात हुआ।
भक्ति आंदोलन से आप क्या समझते?मध्यकालीन भारत के सांस्कृतिक इतिहास में भक्ति आन्दोलन एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। इस काल में सामाजिक-धार्मिक सुधारकों द्वारा समाज में विभिन्न तरह से भगवान की भक्ति का प्रचार-प्रसार किया गया। सिख धर्म के उद्भव में भक्ति आन्दोलन की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।
भक्ति आंदोलन की प्रमुख विशेषताएं क्या थी?भक्ति आंदोलन की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार थीं.... भक्ति आंदोलन का की मूल अवधारणा एक ईश्वर पर आधारित थी। ... . भक्ति आंदोलन में व्यर्थ के धार्मिक कर्मकांडों, आडंबरों आदि का विरोध और परित्याग किया था।. भक्ति आंदोलन समानता का समर्थक आंदोलन था, जिसमें जातिगत धर्म या जातिगत भेदभाव पूर्ण रूप से निषिद्ध किया गया था।. भक्ति आंदोलन से क्या अभिप्राय है इसके उदय के कारण तथा विशेषताएं क्या थी?भक्ति आंदोलन ने हिन्दूओं की वर्ण व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर पतन की ओर अग्रसर किया, जिससे ब्राह्मणों धर्म की प्रतिष्ठा धूल में मिल गयी तथा उनके जातीय अभिमान को गहरा आघात पहुंचा। इसने मोक्ष प्राप्ति का मार्ग हर व्यक्ति के लिए खोल दिया जिससे समाज में शूद्रों को भी ब्राह्मणों के समकक्ष स्थान प्राप्त हो गया।
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