विषाक्त भोजन (खाद्य जनित रोग) तब होता है जब हम ऐसा खाना खाते हैं जिसे कि दूषित कर दिया गया है - आमतौर पर बैक्टीरिया या वायरस के द्वारा। यह अप्रिय हो सकता है, लेकिन इसके लिए चिकित्सा उपचार की जरूरत शायद ही कभी पड़े। तरल पदार्थों के खूब सेवन से, अच्छी हाथ स्वच्छता और हल्के भोजन के साथ, आप वापस एक या दो दिन में पुनः पूर्ण रूप से स्वस्थ हो सकते हैं। Show
विषाक्त भोजन तब होता है जब हम कैम्पिलोबैक्टर, साल्मोनेला या ई. कोलाई जैसे हानिकारक कीटाणुओं द्वारा दूषित भोजन खाते हैं जिसमें मांस, पोल्ट्री, अंडे, मछली और समुद्री भोजन, कच्चे फल और सब्जियाँ शामिल हैं जहाँ कीटाणुओं की अधिकता होती है जो अनधुले हाथों या सतही संदूषण के माध्यम से (जैसे कि चोप्पिंग बोर्ड, कुकिंग के बर्तन, नलका आदि) भोजन और रसोई की सतह पर आसानी से फ़ैल जाते हैं। सतहों के बीच क्रॉस कंटैमिनेशन सभी खाद्य जनित बीमारियों में लगभग 40% योगदान देता है। इसी वजह से हमें रसोई में भोजन की देखरेख या तैयारी के दौरान अतिरिक्त देखभाल की जरूरत है। खाद्य स्वच्छता के बस 4सी याद रखें –क्रॉस-कंटैमिनेशन, क्लेंलिनेस, कुकिंग, और चिलिंग। विषाक्त भोजन के कारणकैम्पिलोबैक्टर, साल्मोनेला, लिस्टेरिया, ई कोलाई और नोरोवायरस (विंटर वोमिटिंग वायरस) विषाक्त भोजन के मुख्य कारक हैं। यहाँ सबसे सामान्य कारणों में से कुछ हैं:
विषाक्त भोजन के लक्षणरोगाणु के प्रकार पर निर्भर होता है कि लक्षण दूषित भोजन खाने के बाद एक से 36 घंटे में दिखने शुरू हो सकते हैं। आपको निम्न में से एक या अधिक का अनुभव हो सकता है:
अन्य लक्षणों में शामिल हो सकता है:
अगर आपको पेट के वायरस या पेट की ख़राबी का अंदेशा है तो बहुत सारा तरल पदार्थ पियें और यदि संभव हो तो एक ओरल रिहाईड्रेशन सोल्युशन (ओआरएस) ले लें। यह उल्टी या दस्त के माध्यम से हुई खनिज लवण की कमी को पूरा कर देगा। ये आम तौर पर पाउच में आते हैं और पानी में घोल कर पिए जाते हैं। सामान्य रूप से खायें, लेकिन भोजन को थोड़ा और हल्का रखने की कोशिश करें। बहुतायत में मसालेदार, नमकीन या मीठा खाद्य पदार्थ खाने से बचें। यदि आपके लक्षण पिछले एक या दो दिन से ज़्यादा रहते हैं या आप दर्द में हैं तो अपने स्वास्थ्य सलाहकार से बात करें।\ विषाक्त भोजन के रोकथाम के सुझावशुक्र है कि एक खाद्य जनित रोग को रोकने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते है। खाद्य सुरक्षा के 4सी का पालन करें। सफाई:
भोजन को अच्छी तरह से पकायेंसुनिश्चित करें पुन: गर्म किया भोजन गरमा-गरम है और यह कभी एक बार से अधिक गरम नहीं करा जाना चाहिये। माँसाहारी भोजन को पूरी तरह से पकाया जाना चाहिए – पिंक मीट का कोई निशान न दिखे। ठंडा करें, ढकें और पकाये गए भोजन को एक घंटे के भीतर रेफ्रीजिरेट करें ठंडा करने में तेजी लाने के लिए यदि जरूरी लगे तो बड़े अंश को अलग-अलग छोटे कंटेनरों में रखें। ताजा भोजन को रेफ्रीजिरेट करने के लिए पैकेजिंग दिशानिर्देश का पालन करें और भोजन को 'यूज़ बाय' तिथि के भीतर खा लें (या निपटान कर दें)। क्रॉस कंटैमिनेशन से बचेंभोजन तैयार करने से पहले और कच्ची सामग्री संभालने के तुरंत बाद अपने हाथ धोना याद रखें। आपको रसोई घर में कच्चे भोजन को पकाये भोजन से दूर रखकर अलग बर्तन और चौपिंग बोर्ड का उपयोग कर तैयार करना चाहिए। फ्रिज में कभी भी कच्चे भोजन को पकाये हुए खाने के ऊपर न रखें क्यूंकि टपकने से पकाया भोजन दूषित हो सकता है। भोज्य विषाक्तता क्या है?सामान्य तौर पर भोजन करने के पश्चात व्यक्ति अच्छा अनुभव करता है। उसे संतुष्टि प्राप्त होती है। किन्तु कभी-कभी कई कारणों से भोजन प्रदूषित हो जाता है। जिससे उसे ग्रहण करने के पश्चात व्यक्ति अस्वस्थ महसूस करता है भोजन का दूषित होना ही भोज्य विषाक्तता का कारण बनता है। ‘‘व्यक्ति द्वारा भोजन ग्रहण करने के तुरन्त बाद या कुछ समय पश्चात हानिकारक प्रभाव (वमन, दस्त, चक्कर, पेट दर्द) दिखाई देना ही, भोज्य विषाक्तता कहलाता है।’’ भोज्य विषाक्तता के कारणभोज्य विषाक्तता दो कारणों से पायी जाती है -
1. बाह्य कारणों से होने वाली भोज्य विषाक्तता-बाह्य भोज्य विषाक्तता बाहरी कारणों से होने वाली भोज्य विषाक्तता बाह्य भोज्य विषाक्तता कहलाती है। यह चार कारणों से पायी जाती है।
1. बैक्टीरिया द्वारा भोज्य विषाक्तता - भोज्य विषाक्तता का प्रमुख कारण है। बैक्टीरिया द्वारा भोजन का संदूषित होना। ये बैक्टीरिया धूल, मिट्टी, पानी तथा वायु आदि वाहको द्वारा भोजन में पहुँचकर उसे विषाक्त बना देते है। कभी-कभी मिट्टी से साफ करने से तथा सब्जियों को बिना धोये प्रयोग में लाने से या सही प्रकार से न धोने से, ये बैक्टीरिया हमारे शरीर तक पहुॅच जाते है। बैक्टीरिया द्वारा होने वाली भोज्य विषाक्तता के लक्षण 2 से 36 घंटे में दिखायी देते है। भोजन को विषाक्त करने वाले वैक्टीरिया विभिन्न प्रकार के होते है जो निम्न प्रकार की विषाक्तता फैलाते है-
1. स्टेफिलोकोकाई विषाक्तता विषाक्तता- यह विषाक्तता स्टेफिलोकोकाई समूह के बैक्टीरिया के कारण पायी जाती है। ये बैक्टीरिया मनुष्य के घाव फोडे, फुंसी, बहता हुआ कान आदि के द्वारा तथा संक्रमित गाय का दूध पीने से ये हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते है। ये एक विषैला पदार्थ उत्पन्न करते है। जिसके कारण विषाक्तता के लक्षण देखे जाते है जीवाणु आमाशय तथा ऑत पर आक्रमण करते है।
2. सेल्मोनेला विषाक्तता- भोज्य विशाक्तता सेल्मोनेला समूह के जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न होती है। इस समूह में ‘सालम टाइफी म्यूरियम’ सर्वाधिक विषाक्तता को फैलाता है। ये दूध, दूध से बने भोज्य पदार्थो द्वारा, संक्रमित माँस द्वारा, संक्रमित व्यक्ति के मल आदि के द्वारा हमारे “ारीर में प्रवेश कर जाते है।
3. क्लास्ट्रीडियम बेलचाई विषाक्तता- यह विषाक्तता क्लास्ट्रीडियम वेलचाई समूह के जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न होती है। ये जीवाणु मनुष्य तथा जानवरों के मल में, मिट्टी, हवा तथा पानी में पाये जाते है। ये अस्वच्छ हाथों तथा मक्खियों द्वारा हमारे भोजन में प्रवेश करते है। ये जीवाणु ‘‘अल्फा’’ ‘‘थीटा’’ नामक विष उत्पन्न करते है। बासी भोजन में ये जीवाणु अधिक संख्या में पाये जाते है।
4. क्लास्ट्रीडियम बोट्यूलिनम विषाक्तता- यह क्यास्ट्रीडियम बोट्यूलिनम समूह के जीवाणुओं द्वारा होती है। ये बैक्टीरिया धूल, हवा, जल में पाये जाते है। ये बिना वायु के भी भोज्य पदार्थो में वृद्धि कर सकते है। इसलिये ये अधिकतर डिब्बे बन्द भोज्य पदार्थो में तीव्र गति से वृद्धि करते है। इसके द्वारा विषाक्त भोजन से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
2. विषाणु द्वारा भोज्य विषाक्तता - वायरस जानवरों के मल द्वारा शरीर के बाहर आता है और जल व अन्य माध्यमों से भोजन में पहुॅचकर भोजन को विषाक्त बना देता है।
परजीवी कृमि- ये मनुष्यों व जानवारों की ऑत में पाये जाते है और मल के द्वारा वे परजीवी कृमि बाहर आ जाते है। मिट्टी के द्वारा एवं मक्खियों के द्वारा परजीवी भोजन तक पहुॅच जाते है। और भोजन को विषाक्त बना देते है। जैसे-एण्ट अमीबा हिस्टोलिटिका नामक परजीवी पेचिश उत्पन्न करता है। अन्य परजीवी भी जैसे हूक वर्म
सूअर के मॉस के द्वारा, एस्केरिस गन्दे हाथों से भोजन करने पर शरीर में प्रवेश करता है। टोमेन विषाक्तता- टोमेन से तात्पर्य है मृत शरीर। भोजन के लिये टोमेन शब्द का प्रयोग छ2 युक्त भोज्य पदार्थ से होता है। ये हमारे लिये बहुत विषाक्त होते है। इनको छूने मात्र से भी हानि हो सकती है। 2. आन्तरिक भोज्य विषाक्तता -जब भोज्य पदार्थ की स्वयं की आन्तरिक दशा ही विषाक्त होती है। अर्थात् ये भोज्य पदार्थ प्राकृतिक रूप से ही विषक्त होते है। इस प्रकार की विषाक्तता आन्तरिक भोज्य विषाक्ता कहलाती है। आंतरिक भोज्य विषाक्तता निम्न प्रकार की होती है-
वानस्पतिक भोज्य विषाक्तता-
मॉसाहारी खाद्य पदार्थो से होने वाली भोज्य विषाक्तता-
रासायनिक भोज्य विषाक्तता - कुछ रासायनिक पदार्थ जैसे सीसा, टिन, तॉबा, निकल, एल्यूमिनियम, कैडमियम आदि प्राय: उस भोजन में जाते है। जो इन धातु के बर्तनों में पकाये जाते है या संग्रहित किये जाते है। इनसे होने वाली विषाक्तता निम्नानुसार है-
रेडियोएक्टिव फौलआउट - न्यूक्लीय बम विस्फोट के कारण रेडियो आइसोटोप्स वातावरण में घुल जाते है और जल तथा भूमि को संदुषित कर देते है। यहॉ से सब्जी, दूध, मॉस, मछली आदि के द्वारा ये रेडियो-एक्टिव पदार्थ मनुष्य के शरीर में पहुँच जाते है जिससे कैंसर की संभावना रहती है। भोजन विषाक्तता का क्या कारण है?खाद्य विषाक्तता एक रोग है, जो कि रोगजनक बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी, विषाक्त पदार्थों या रसायनों से दूषित आहार या पेय पदर्थों के सेवन के कारण होता है। अधिकांश लोग उपचार की आवश्यकता के बिना ठीक हो जाते हैं।
विषाक्तता का मुख्य लक्षण क्या है?विषाक्तता के लक्षण
(1) जठरांत्र उत्तेजन (Gastrointestinal irritation) - साधारणतया वमन, पेट की पीड़ा और अतिसार (diarrhea) विषाक्तता के प्रमुख लक्षण हैं। यदि कुछ ही घरों के भीतर अनेक व्यक्ति विषाक्तता के शिकार हुए हों, तो किसी खास वस्तु को क्षोभक (irritant) का वाहक समझा जा सकता है।
खाद्य विषाक्तता से क्या आशय समझाइए?जैविक संकट में विभिन्न जीवधारी शामिल हैं, जिनमें सूक्ष्मजीवी जीव सम्मिलित हैं (चित्र 6.3 और 6.4)। ये सूक्ष्मजीव जो खाद्य से संबंधित होते हैं और रोग उत्पन्न करते हैं, खाद्य-जनित रोगाणु कहलाते हैं। सूक्ष्मजीवी रोगाणुओं से दो प्रकार के खाद्यजनित रोग उत्पन्न होते हैं - संक्रमण और विषाक्तता।
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