गर्भवती महिला को कौन से भगवान की पूजा करनी चाहिए - garbhavatee mahila ko kaun se bhagavaan kee pooja karanee chaahie

ज्योतिष के शुभ-अशुभ संकेत, जिसे गर्भवती महिलाएं भूलकर भी न करें नजरअंदाज

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला Updated Wed, 28 Nov 2018 01:06 PM IST

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गर्भवती महिला को कौन से भगवान की पूजा करनी चाहिए - garbhavatee mahila ko kaun se bhagavaan kee pooja karanee chaahie

ज्योतिष के शुभ-अशुभ संकेत

हर माता पिता की इच्छा होती है कि उसकी होने वाली संतान गुणी, संस्कारी, बलवान, आरोग्यवान और दीर्घायु हो। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में जन्म से लेकर मृत्यु तक कई संस्कारों के बारे में बताया गया है।  जिनमें से पहला संस्कार गर्भधान का माना जाता है। ज्योतिष में गर्भवस्था के दौरान कुछ उपाय बताए गए है जिसका ध्यान रखने पर पैदा होने वाली संतान गुणी और संस्कारी होती है।

हिंदी न्यूज़ लाइफस्टाइल हेल्थजन्माष्टमी पर प्रेग्‍नेंट महिलाएं व्रत रखते समय जरूर बरतें ये सावधानियां, बनी रहेगी मां और बच्चे की सेहत

जन्माष्टमी पर प्रेग्‍नेंट महिलाएं व्रत रखते समय जरूर बरतें ये सावधानियां, बनी रहेगी मां और बच्चे की सेहत

श्री कृष्ण के ऐसे ही भक्तों में कुछ गर्भवती महिलाएं भी शामिल होंगी। लेकिन क्या आप जानते हैं गर्भवती महिलाओं को कोई बी व्रत रखने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। हर गर्भवती महिल

गर्भवती महिला को कौन से भगवान की पूजा करनी चाहिए - garbhavatee mahila ko kaun se bhagavaan kee pooja karanee chaahie

Manju Mamgainलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 18 Aug 2022 10:28 AM

Janmashtami Fast During Pregnancy: इस साल देशभर में जन्माष्टमी का उत्सव 18 और 19 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा। ऐसे में कान्हा के भक्त उन्हें प्रसन्न् करने के लिए पूजा और उपवास भी रखेंगे। श्री कृष्ण के ऐसे ही भक्तों में कुछ गर्भवती महिलाएं भी शामिल होंगी। लेकिन क्या आप जानते हैं गर्भवती महिलाओं को कोई बी व्रत रखने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।     

हर गर्भवती महिला को अपनी स्‍वास्‍थ्‍य स्थिति को ध्‍यान में रखते हुए ही कोई भी व्रत रखना चाहिए। ध्यान रखें, गर्भावस्‍था में आपको सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि अपने शिशु का भी ध्‍यान रखना होता है। अध्‍ययनों की मानें तो गर्भावस्‍था के किसी भी चरण में व्रत रखना शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है। लेकिन आपको अगर गर्भावस्‍था से जुड़ी कोई परेशानी नहीं हो रही है तो आप अपने डॉक्‍टर की सलाह पर जन्माष्टमी का व्रत रख सकती हैं। आइए जानते हैं प्रेग्‍नेंसी में व्रत रखते समय महिला को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। 

डॉक्‍टर की सलाह लें-
प्रेग्‍नेंसी में कोई भी व्रत रखने से पहले अपने विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें। उसके बाद ही कोई भी व्रत रखें। ध्यान रखें, हर महिला में प्रेग्‍नेंसी को लेकर अलग तरह के जोखिम होते हैं, कई महिलाओं को डायबिटीज या मिसकैरेज का खतरा हो सकता है। ऐसे में आपका डॉक्‍टर ही आपको बता सकता है कि आपकी सेहत आपको व्रत रखने की अनुमति देती है या नहीं। 

भूखी न रहें-
व्रत रखते समय इस बात का ध्यान भी रखें कि आपका बच्‍चा केवल आपके आहार पर निर्भर है इसलिए व्रत में पूरी तरह से खाना न छोड़ें। हर दो घंटे के अंतराल में थोड़ा-थोड़ा करके खाती पीती रहें। व्रत के दौरान अधिक से अधिक लिक्विड चीजें जैसे नारियल पानी, छाछ, जूस आदि लें ताकि शरीर को पोषक तत्व मिलते रहें। 

व्रत खोलते हुए रखें ध्यान-
गर्भवती महिलाओं को धीरे-धीरे खाना खाते हुए व्रत खोलना चाहिए। ताकि पेट में पल रहे बच्चे पर ज्यादा प्रभाव ना पड़े और आपको भी कोई परेशानी ना हो।

बॉडी को रखें हाइड्रेट-
गर्भवती महिलाएं व्रत रखते समय भरपूर मात्रा में पानी पीने की कोशिश करें। ऐसा करने से उनके शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होगी। तली भुनी चीजों की जगह पौष्टिक चीजें ज्यादा से ज्यादा खाएं और कॉफी या चाय का सेवन बहुत कम करें।

फल जरूर खाएं-
शरीर में एनर्जी लेवल बनाए रखने के लिए दिनभर में दो से तीन तरह के फल जरूर खाएं। व्रत वाले दिन व्यायाम या कोई भी भारी काम करने से बचें।

बच्चे के मूवमेंट का रखें ध्‍यान -
व्रत के दौरान बच्चे के मूवमेंट का ध्‍यान रखें। किसी भी तरह की समस्या होने पर विशेषज्ञ को दिखाएं।

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गर्भावस्था में पूजा पाठ करने के फायदे

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धर्म ग्रंथो में सभी रिश्तों के बारे में बताया गया है लेकिन उसमे सबसे अनोखा, प्यारा, और मजबूत रिश्ता माँ और उसके बच्चे का होता है। क्योंकि एक माँ अपने खून से सींच कर एक नन्ही जान को इस दुनिया में लाती है। और शिशु भी सबसे पहले केवल अपनी माँ के अहसास को ही महसूस करता है। और माँ जो भी करती है, जो भी खाती है, जो भी सुनती है गर्भ में शिशु भी उसे महसूस करता है। ऐसे में महिला को शिशु की बेहतर परवरिश के लिए और प्रेगनेंसी के दौरान अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए पूजा करना चाहिए, क्योंकि पूजा पाठ से मन को शांति मिलती है, जो की गर्भवती महिला के स्वस्थ रहने के लिए सबसे जरुरी होती है। इसके अलावा प्रेगनेंसी में पूजा पाठ करने से और भी फायदे मिलते हैं, तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की वो फायदे कौन से हैं।

तनाव से राहत मिलती है

प्रेगनेंसी के दौरान तनाव गर्भपात का कारण बनने के साथ शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में कमी का कारण हो सकता है। लेकिन यदि आप पूजा पाठ करती है तो इससे आपको मानसिक रूप से फ्रेश महसूस होता है बुरे विचार आपके मन में नहीं आते हैं। जिससे प्रेगनेंसी के दौरान तनाव से बचने में आपको मदद मिलती है और आप स्वस्थ रहती है जिससे शिशु को भी स्वस्थ रहने में फायदा होता है।

मूड अच्छा रहता है

चिड़चिड़ापन होना, गुस्सा आना, प्रेगनेंसी के दौरान आम बात होती है और इसका कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव होते हैं। लेकिन यदि आप पूजा पाठ करती है तो इससे आपको गुस्सा, चिड़चिड़ापन जैसी समस्या से बचाव करने में मदद मिलती है, और आपका मूड अच्छा रहता है जिससे आपको प्रेगनेंसी के दौरान ख़ुशी के साथ गर्भ में शिशु के साथ होने वाले हर अनुभव का आनंद लेने में मदद मिलती है।

स्वास्थ्य बेहतर रहता है

यदि आप पूजा पाठ करते हैं तो आपका हर काम में मन लगता है, जिससे आपको प्रेगनेंसी के दौरान अपनी बेहतर तरीके से केयर करने में मदद मिलती है। और आप अपने खान पान और अपनी सेहत का अच्छे से ध्यान रखते हैं जिससे प्रेगनेंसी के दौरान आपको स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से बचाव में भी मदद मिलती है।

मन शांत रहता है

प्रेगनेंसी के दौरान बहुत सी बातें मन में चलती रहती है, जैसे की गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं से जुडी, शिशु के विकास से सम्बंधित आदि, जिसके कारण महिला अपना अच्छे से ख्याल नहीं रख पाती है। और यदि महिला थोड़ी देर अपना ध्यान पूजा पाठ में लगाती है तो इससे उसके मन को शांति मिलती है, और मन में चल रहे सवालों से राहत भी मिलती है। और मन शांत होता है तो इससे महिला और शिशु दोनों ही स्वस्थ रहते हैं।

शिशु का बेहतर होता है विकास

अभिमन्यु के बारे में आपने सुना होगा की गर्भ से ही उसमे अपनी माँ से शिक्षा लेना आरम्भ कर दिया था। उसी तरह आपका शिशु भी गर्भ में आपके द्वारा की गई बातों को सुनता है, ऐसे में आपके पूजा पाठ करने से गर्भ में पल रहे शिशु के मानसिक विकास को बढ़ाने और उसके दिमाग को तेज करने में मदद मिलती है।

तो यह हैं कुछ खास फायदे जो गर्भवती महिला को पूजा पाठ करने से मिलते है, और यह फायदे प्रेगनेंसी के दौरान आने वाली बहुत सी परेशानियों का समाधान करने में मदद करते हैं। इसीलिए यदि आप भी प्रेग्नेंट है तो थोड़ी देर आपको भी पूजा पाठ करना चाहिए।

गर्भवती स्त्री को कौन सा पाठ करना चाहिए?

गर्भवती महिला के कमरे में आप रामायण या श्रीमद्भागवत पुराण भी रख सकते हैं। साथ ही इनके रोज पढ़ने से इसका शुभ असर बच्चे पर पढ़ता है। वह बच्चा काफी संस्कारी भी होता है। माना जाता है रोज यह ग्रंथ पढ़ने से बच्चा भगवान की देखरेख में रहता है।

गर्भवती महिला को कौन सी पूजा करनी चाहिए?

किसी भी इंसान की आस्था उसके व्यक्तिगत मत पर निर्भर करती है. आमतौर पर गर्भवती महिला के लिए शिव की पूजा को भी बहुत अच्छा माना जाता है. ऐसा बताया जाता है कि स्वामी विवेकानंद की माता जी ने भी भगवान शिव की पूजा की थी. इसके साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि शंकराचार्य के पिता ने शिव जी की तपस्या की थी.

प्रेगनेंसी में पति से कब दूर रहना चाहिए?

प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स से बचने की शर्तें ऐसे मामले में, डॉक्टर सलाह देते हैं कि कम से कम 14 सप्ताह तक यौन संबंध न रखें। आपका डॉक्टर गर्भवती महिला को यौन संबंध नहीं रखने की सलाह दे सकता है। अगर उनके पास गर्भाशय ग्रीवा की बीमारी का इतिहास है, भारी ब्लीडिंग, योनि संक्रमण हो गया है और लो लेइंग प्लेसेंटा है।

प्रेगनेंसी में खुश रहने के लिए क्या करें?

आप चाहें तो इन आदतों को डिलीवरी के बाद भी जारी रख सकती हैं..
मां की छुअन जब आप अकेले बैठी हों तो अपने पेट पर हल्के हाथों से मसाज करें. ... .
संगीत सुनना संगीत सुनना एक थेरेपी है. ... .
सकारात्मक माहौल गर्भावस्था में महिला के आस-पास का माहौल सकारात्मक होना बेहद जरूरी है. ... .
सुबह के वक्त लें सूरज की धूप ... .
अच्छी डाइट लेना भी है जरूरी.