भगवान शिव के इष्ट कौन है? - bhagavaan shiv ke isht kaun hai?

सनातन हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि भगवान शिव भक्तों से जल्दी और आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। जल्दी और सरलता से प्रसन

भगवान शिव के इष्ट कौन है? - bhagavaan shiv ke isht kaun hai?

Alakha Singhलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीMon, 23 May 2022 02:04 PM

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सनातन हिंदू धर्म में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि भगवान शिव भक्तों से जल्दी और आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। जल्दी और सरलता से प्रसन्न होने के कारण ही शास्त्रों में भगवान शिव को भोलेनाथ कहा गया है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 12 राशियों में से तीन ऐसी राशियां हैं, जिन पर भगवान शंकर की कृपा बनी रहती है। इन राशियों से जुड़े लोगों पर महादेव की कृपा से बिगड़े काम बन जाते हैं। वैसे तो सोमवार को पूरी आस्था के साथ भगवान शिव की पूजा करने वाले सभी भक्त भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करते हैं, लेकिन इन तीन राशियों मेष, मकर और कुंभ के लोग जलाभिषेक मात्र से भगवान शंकर को प्रसन्न कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं इन तीन लकी राशियों के बारे में-

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मेष राशि- ज्योतिष में 12 राशियों में मेष पहली राशि है। इस राशि के स्वामी मंगलदेव हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को यह राशि अतिप्रिय है। भगवान शिव की कृपा से इस राशि वालों को ज्यादातर कामों में सफलता मिलती है। इस राशि के जातक सुख-सुविधाओं भरा जीवन बिताते हैं। मेष राशि के जातकों को हर सोमवार को भगवान शंकर का जलाभिषेक करना चाहिए। मान्यता है कि भगवान  की शिव की अराधना करने से कम समय में ही व्यक्ति  को सफलता मिलती है।

मकर राशि- ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, मकर राशि पर भी भगवान शंकर की कृपा बनी रहती है। इस राशि पर भगवान शंकर के अलावा शनिदेव की भी कृपादृष्टि बनी रहती है। मान्यता है कि मकर राशि वालों के लिए भगवान शंकर की उपासना करना लाभकारी रहता है। इन्हें हर सोमवार को जलाभिषेक करना चाहिए। भगवान शिव की कृपा होने से इस राशि वालों को भाग्यशाली माना जाता है।

कुंभ राशि- कुंभ राशि भगवान शिव को अतिप्रिय है। ज्योतिष में कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनिदेव माने गए हैं। शनिदेव के साथ-साथ इस राशि पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। इस राशि के जातकों के लिए भगवान शंकर की अराधना करना फलदायी माना गया है।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

इसे सुनेंरोकेंअरुण संहिता जिसे लाल किताब के नाम से भी जाना जाता है, के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर इष्ट देवता का निर्धारण होता है और इसके लिए जन्म कुंडली देखी जाती है. कुंडली का पंचम भाव इष्ट का भाव माना जाता है. इस भाव में जो राशि होती है उसके ग्रह के देवता ही हमारे इष्ट देव कहलाते हैं.

राशि के अनुसार कौन से भगवान की पूजा करें?

राशि के अनुसार भगवान पूजा (Rashi Ke Anusar Bhagwaan Pooja)

  1. मेष राशि के भगवान हनुमान जी :
  2. वृषभ राशि के भगवान शिव जी :
  3. मिथुन राशि के भगवान श्री कृष्ण :
  4. कर्क राशि के भगवान शिव जी :
  5. सिंह राशि के भगवान सूर्य :
  6. कन्या राशि की देवी माँ दुर्गा :
  7. तुला राशि के भगवान श्री कृष्ण :
  8. वृश्चिक राशि के भगवान हनुमान जी :

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मन का देवता कौन है?

इसे सुनेंरोकेंवैसे चंद्रदेव और शुक्र को मन की नाजुक अनुभूतियों का देवता माना जाता है।

इष्ट देवता का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसभी देवी –देवताओं की पूजा –उपासना करने के बाद भी अक्सर इंसान का मन भटकता ही रहता है. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो हर इंसान का मन किसी एक देवी या देवता की ओर सबसे ज्यादा आकर्षित होता है और वही देवी या देवता आपके इष्ट देव हो सकते हैं. अगर आपकी कोई कुल देवी या देवता हैं तो वो भी आपके इष्ट हो सकते हैं.

इष्ट देवता और कुलदेवता में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंसिर्फ छोटा सा अंतर है! जिसे आप मानते हैं वो आपके इष्ट देवता है और जिसे आपका पूरा परिवार मानता है वो कुल देवता है!

कुंभ राशि के इष्ट देवता कौन है?

इसे सुनेंरोकेंमकर और कुंभ- मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनि हैं इसलिए उनके इष्ट देव हनुमान जी और शिव जी हैं।

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शाम के समय पूजा कितने बजे करनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंशाम को कितने बजे पूजा करनी चाहिए शाम को सूर्यास्त के समय पूजा करनी चाहिए. सूर्यास्त का समय लगभग 6.30 बजे से 7.30 के बिच होता हैं. इस समय पूजा करना बहुत ही शुभ हैं.

अक्सर लोग ये सवाल उठाते हैं ये सवाल पूछते हैं कि मेरी कुंडली देखकर बता दिया जाए की हमारे इष्टदेव कौन हैं. या किनकी पूजा मेरे ग्राहों के हिसाब से, मेरे सितारों के हिसाब से ठीक होगा. आज ये जानने की कोशिश करेंगे की क्या वाकई में ग्रहों के माध्यम से भगवान के बारे में जान सकते हैं? क्या वाकई में सितारे इस बात की सूचना देते हैं कि किस भगवान के पूजा करना आपके लिए बेहतर होगा. इसके अलावा आपको बताएंगे कि अगलग-अलग मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए किस देवी देवता की उपासना करनी चाहिए.

इस विषय को विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर आपके इष्ट देव कौन हैं और ज्योतिष उसके बारे में क्या कहता है क्या राय देता है. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्ये महामायाये स्वाहा" अगर जीवन में दुर्भाग्य आपका साथ नहीं छोड़ रहा हो, जीवन की दुर्गति हो गई हो, एक एक पैसे के लिए एक एक रूपये के लिए आपको तरसना पर रहा हो, स्वास्थ्य को लेकर दुर्गति हो रही हो धन को लेकर के दुर्गति हो रही हो जीवन की मुश्किलें बढ़ रहीं हों, ऐसी दशा में ये मंत्र बड़ा कारगर होता है. बड़ा शक्तिशाली होता है. अगर इस मंत्र का प्रयोग किया जाए तो. इस मंत्र का प्रयोग सुबह-शाम दोनों समय 108 बार देवी के सामने बैठकर के, मां दुर्गा के सामने बैठकर के दोनों समय पढ़ना चाहिए. इसको पढ़ने से दुर्भाग्य दूर होता है, दुर्गति दूर हो जाती है.

सबसे पहला प्रश्न ये है कि अखिर इष्टदेव कौन होते हैं. ग्रहों से या ज्योतिष से इनका संबंध क्या है? कौन होते हैं इष्टदेव? देखिये लोगों का ऐसा मानना है कि हर व्यक्ति के एक इष्टदेव होते हैं या एक इष्टदेवी होती हैं, ऐसा लोग मानते हैं और समझते हैं कि इनकी उपासना कर के ही व्यक्ति जीवन में उन्नति कर सकता है. इनकी उपासना कर के ही व्यक्ति जीवन में सफलता पाता है. इनका निर्धारण लोग कुंडली के आधार पर करते हैं कि कुण्डली में जो ग्रह मजबूत है, जो ग्रह आपके जीवन को प्रभावित कर रहा है. उससे संबंधित देवी-देवता की पूजा करने को कहते हैं कि वही आपके इष्टदेव हैं, उन्हीं की पूजा करना आपके लिए सबसे ज्यादा अच्छा होगा. सबसे ज्यादा बढ़िया होगा. जबकि वास्तव में ग्रहों का और ज्योतिष का आपके इष्टदेव से संबंध नहीं है. अगर कोई कुंडली देखकर ये कहता है कि आपके इष्टदेव भगवान शिव हैं, आपके इष्टदेव भगवान कृष्ण हैं, भगवान राम हैं. तो कुंडली देखकर के आप इष्टदेव का निर्धारण नहीं कर सकते.

आपके इष्टदेव कौन होंगे या आपकी इष्टदेवी कौन होंगी इसका निर्धारण होता है आपके जन्म-जन्मान्तर के संस्कारों से. पूर्व जन्मों में या कई जन्मों में देवी-देवता के जिस स्वरुप की आप पूजा करते चले आ रहे होते हैं वही प्रभाव निश्चित रूप से जीवन में दिखाई देता है. बिना किसी कारण के ईश्वर के जिस रूप की तरफ, जिस स्वरुप की तरफ आपका आकर्षण हो वही आपके इष्टदेव हैं. आपकी श्रद्धा आपकी भक्ति सबसे ज्यादा ईश्वर के जिस स्वरुप के प्रति हो और अपने आप हो, वही आपके इष्टदेव हैं. ग्रह कभी भी ईश्वर का निर्धारण नहीं कर सकते.

आपके ग्रह ज्यादा से ज्यादा ये बता सकते हैं कि भैया आप अध्यात्मिक हैं या नहीं हैं. आप पूजा पाठ करते हैं या नहीं करते हैं. लेकिन ग्रह ये नहीं बताएंगे आपको कि आप इनकी पूजा करिए तो आपको ज्यादा फायदा होगा. ईश्वर की पूजा फायदे-नुकसान का प्रश्न नहीं है इसलिए ज्यादा करें, कम करें याद रखें कि आपके ग्रह कभी भी इस बात का निर्धारण नहीं कर सकते कि आपको किसकी पूजा करनी चाहिए.

ग्रहों की समस्या को दूर करने के लिए विशेष देवी-देवताओं की पूजा की जा सकती है. ये बात जरूर है कि अगर आपकी कुंडली का कोई ग्रह तो उस ग्रह को बेहतर करने के लिए बजाए उस ग्रह की पूजा की जाए. किसी देवी देवता की पूजा की जा सकती है जिससे वह ग्रह कंट्रोल हो जाएगा. लेकिन हम आपकी कुंडली देखकर हम आपके ऊपर दबाव बनाएं कि आप ये पूजा छोड़कर के दूसरी पूजा करने लग जाइए ये उचित नहीं है. बिना किसी प्रयास के बिना किसी अफ्फोर्ट्स के ईश्वर के जिस स्वरुप की तरफ आपका आकर्षण होगा, वही आपके देवी-देवता रहेंगे.

किस ग्रह की समस्या के लिए किस देवी देवता की उपासना करें

अगर कुंडली में आपके सूर्य गड़बड़ हैं, सूर्य की वजह से आपको जीवन में दिक्कत हो रही है तो इसके लिए या तो सूर्य की उपासना करें या गायत्री मंत्र की साधना करें. नियमित रूप से सूर्य देव को जल चढ़ाएंगे, सूर्य देव के मन्त्रों का जप करेंगे या गायत्री मंत्र के साधन करें तो आपके लिए बहुत सुन्दर होगा.

चंद्रमा के लिए भगवान शिव की उपासना करना सबसे ज्यादा उत्तम होता है. अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा गड़बड़ है, चंद्रमा खराब है तो ऐसी दशा में अआप्को भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. नमः शिवाय का जप करना चाहिए. शिव जी को जल चढ़ाना चाहिए. शिव जी का ध्यान करना चाहिए. अगर आप भगवान शिव की नियमित रूप से पूजा करें तो चंद्रमा से संबंधित समस्या आपकी निश्चित रूप से दूर होगी.

मंगल के लिए कुमार कार्तिकेय की पूजा होती है. या हनुमान जी की उपासना होती है. कार्तिकेय खड्मुख खडआनन, भगवान शिव के पुत्र, या तो इनकी पूजा होगी या हनुमान जी की पूजा होगी. ऐसा करने से मंगल संबंधी समस्या दूर होगी मंगल जीवन में कोई दिक्कत दे रहा है तो. बुध के लिए मां दुर्गा की उपासना करना बेहतर होगा. अगर बुध कुंडली में खराब है या बुध की वजह से आपको कोई दिक्कत हो रही है तो मन दुर्गा की उपासना करें. बुध के लिए मां दुर्गा की उपासना करना, उनके मंत्र जपना, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना ये आपके लिए बहुत अच्छा रहेगा.

बृहस्पति के लिए श्री हरी की उपासना करनी चाहिए, भगवान विष्णु की उपासना करने से बृहस्पति प्रबल हो जाता है, बृहस्पति समस्या दूर होती है. या बृहस्पति को गुरू भी कहते हैं, अपने गुरू की पूजा करने से भी बृहस्पति संबंधी समस्या समाप्त होती है तो बृहस्पति के लिए श्री हरी की उपासना करना बेहतर होगा.

शुक्र के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करें. अगर शुक्र कुंडली में गड़बड़ है, या शुक्र की समस्या है तो मां लक्ष्मी की पूजा करें या मां गौरी की उपसना करें. यानि मां पार्वती की पूजा करें या मां लक्ष्मी की पूजा करें तो उससे आपकी कुंडली का जो गड़बड़ शुक्र है वो निश्चित रूप से बेहतर होगा. निश्चित रूप से इम्प्रूव होगा.

शनि के लिए भगवान कृष्ण या भगवान या भगवान शिव जी उपसना करनी चाहिए. शनि देव को प्रसन्न करना है या शनि से संबंधित पीड़ा से छुटकारा पाना है तो या तो भगवान कृष्ण की उपासना करें या भगवान शिव की उपासना करें तो वो आपके लिए बेहतर होगा.

अगर कुंडली में राहू गड़बड़ है या राहु की वजह से समस्या हो तो भैरव बाबा की उपासना करें, भैरव बाबा की पूजा करना आपके लिए बेहतर होगा. अगर आप राहु को बेहतर करना चाहते हैं, केतु कुंडली में खराब है या केतु की वजह से दिक्कत है तो ऐसी दशा में भगवान गणेश की पूजा करना, गणपति गजानन की पूजा करना आपके लिए हर लिहाज से बेहतर होगा. अगर आप केतु को बेहतर कहना चाहते हैं तो. ये जो समस्या आप ठीक करेंगे वो अपने ग्रहों को ठीक करने के लिए किसी देवी देवता की उपासना कर सकते हैं लेकिन जो आपके इष्ट देव हैं, जिनको बिना किसी कारण से प्रेम से आकर्षण से आप पूजा करते हैं जिनकी, उनकी पूजा तो वैसे भी नियमित रूपों से आपको करनी चाहिए.

मानसिक समस्याओं से निपटारे के लिए शिव जी की उपासना करना ज्यादा बेहतर होता है. अगर आप मन की समस्या से परेशान हैं, मानसिक रूप से जीवन में दिक्कतें हो रही हैं तो भगवान शिव जी उपासना करना आपके लिए अच्छा रहेगा. शारीरिक दर्द की समस्या है तो इसके लिए आप हनुमान जी की पूजा करें ये आपके लिए बहुत सुन्दर होगा बहुत अच्छा होगा. हनुमान जी की पूजा करने से दुर्घटनाओं से रक्षा होती है, दर्द से छुटकारा मिलाता है चोट चपेट से राहत मिलती है.

शीघ्र विवाह के लिए पुरुषों को मां दुर्गा की उपासना करनी चाहिए. अगर कोई पुरुष जल्दी विवाह करना चाहता है तो इसके लिए मां दुर्गा की उपासना करेगा. और शीघ्र विवाह के लिए स्त्रियाँ हैं जो महिलाएं है वो भगवान शिव जी पूजा करेंगी.

बाधाओं के नाश के लिए, जीवन में बाधाएं बहुत आ रही हैं और बाधाएं दूर नहीं हो पा रही हैं. हर कार्य में विघ्न आ रहा है तो ऐसी दशा में विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा करना आपके लिए बेहतर होगा.

धन के लिए मां लक्ष्मी की उपासना करना बेहतर होता है. खासतौर से अगर शुक्रवार के दिन दिन अगर मां लक्ष्मी की पूजा की जाए तो निश्चित रूप से धन की प्राप्ति होती है.

अगर आप मुक्ति मोक्ष चाहते ह अं अगर आप अध्यात्मिक उपलब्धि चाहते हैं तो उसके लिए भगवान कृष्ण की या भगवान शिव की उपासना करें.

शरीर और मन को शुद्ध रखने के लिए और अपनी मनोकामना को पूरा करने के लिए बेहतर होगा कि सूर्य की उपासना की जाए. सूर्य देव की उपासना अगर आप गायत्री मंत्र के साथ करें तो आपके लिए बहुत अच्छा रहेगा. हर व्यक्ति नियमित रूप से भगवान सूर्य को जल अर्पित करेगा. या उगते हुए सूर्य की रोशनी में पांच-सात मिनट खड़ा होगा. इससे आपके शरीर में जो नारियां हैं इनको पर्याप्त उर्जा मिलेगी. और जब आप सूर्य की रोशनी का भी इस्तेमाल करेंगे और गायत्री मंत्र का जप भी करेंगे तो यकीन मानिए आपके जीवन की बहुत सारी मुश्किलें बहुत सारी दिक्कतें दूर हो जाएँगी.

शिव जी के इष्ट देव कौन है?

भगवान शिव के इष्ट कौन हैं? भगवान शिव के इष्ट विष्णु भगवान हैं। और विष्णु भगवान के इष्ट शंकर जी है

महादेव का पिता कौन है?

प्रकृति रुपी आदिशक्ति दुर्गा ही माता हैं और परम ब्रह्म सदाशिव पिता हैं।

दुनिया में सबसे ज्यादा कौन से भगवान की पूजा होती है?

संपूर्ण विश्व में भगवान शंकर की होती है सर्वाधिक पूजा

शिव जी का गुरु कौन है?

भगवान शिव के गुरु कोई नहीं थे। उनके पिता आदि रुद्र भगवान महाकाल न केवल भगवान शिव अपितु अन्य सभी महारुद्रो के गुरु रहे थे … आदि रुद्र भगवान महाकाल ही रुद्र व्यवस्था एवम गुरूमण्डल के प्रणेता रहे थे उन्ही की प्रेरणा से भगवान शिव ने गुरूमण्डल गुरुकुल की स्थापना की थी …