भगवान श्री कृष्ण के रथ का क्या नाम था? - bhagavaan shree krshn ke rath ka kya naam tha?

ट्रैवल डेस्क. आपने अब तक महाभारत में श्री कृष्ण के रथ से जुड़ी केवल कहानियां सुनी होंगी, लेकिन आज हम आपको ऐसी जगह दिखा रहे हैं जहां कभी श्री कृष्ण का रथ उतरा था। जानिए कहां है ये जगह...

- बिहार के राजगीर में कुछ स्पॉट्स हैं जिनका ताल्लुक महाभारत काल से है। इनमें से एक हैं श्री कृष्ण के रथ के निशान।
- इसे लेकर ऐसी कहानी प्रचालित है कि श्री कृष्ण महाभारत काल के दौरान अपना रथ लेकर स्वर्ग से यहां उतरे थे। 

- रथ के निशान लगभग तीस फुट तक चट्टान पर दो गहरे समानांतर खांचे में हैं।
- इसे रहस्यमय चट्टान का नाम दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि यह भगवान श्री कृष्ण के रथ का रास्ता है।
- रथ के निशान के आसपास चट्टान में 1 से 5 वीं शताब्दी ई. की गूढ़लिपि में कुछ लिखा है, जो रहस्‍य को गहरा करता है।

और क्या- क्या है यहां महाभारत से जुड़ा...

महाभारत के एक महत्वपूर्ण पात्र जरासंध था, जिसका वध भीम के हाथों हुआ था। जरासंध मगध देश के राजा थे। राजगीर में श्री कृष्ण के रथ के निशान के पास जरासंध का अखाड़ा है, जहां भीम ने उसे मौत के घाट उतारा था। आज यहां बड़ी तादाद में टूरिस्ट आते हैं।

पिप्पला गुफा वैभव पहाड़ियों के ऊपर स्थित हैं। इस गुफा के बारे में कहानी प्रचलित है कि पिप्पला गुफा जरासंध की बैठक हुआ करती थी। बाद में इसका बौद्ध भिक्षुओं ने एक मांद की तरह इस्तेमाल किया।  

इसे सुनेंरोकेंइसमें चार घोड़े जोते जाते थे. इस रथ के कारण अर्जुन को श्वेत वाहन भि नाम मिला. अग्नि देव को ज़ब खांडव वन को जलाने कि अनुमति के साथभी अर्जुन ने इनकी पूरी मदद कि और खूब प्रज्वलित होकर अपने आप को संतुष्ट होने तक जलने दिया तब अग्नि देव ने खुश होकर अर्जुन को आग्नेयास्त्र, गांडीव धनुष और अक्षय तूणीर दिए थे.

अर्जुन के रथ के घोड़े का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकेंअग्निदेव ने वरुण देव का आवाहन करके गांडीव धनुष, अक्षय तरकश, दिव्य घोड़ों से जुता हुआ एक रथ (जिस पर कपिध्वज लगी थी) लेकर अर्जुन को समर्पित किया।

पढ़ना:   कपास की खेती कौन से महीने में की जाती है?

श्री कृष्ण के रथ का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकेंभगवान श्रीकृष्ण के रथ का नाम जैत्र था और उनके सारथी का नाम दारुक/ बाहुक था. उनके घोड़ों (अश्वों) के नाम थे शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक.

कृष्ण भगवान के घोड़े का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकेंउनके वस्त्र रेशम के पीले रंग के होते थे और मस्तक पर मोरमुकुट शोभा देता था। उनके सारथि का नाम दारुक था और उनके रथ में चार घोड़े जुते होते थे। उनकी दोनो आँखों में प्रचंड सम्मोहन था।

महाभारत में अर्जुन के रथ में कितने घोड़े थे?

इसे सुनेंरोकेंवरुण ने ही अर्जुन को गांडीव धनुष दिया था जबकि मदद से खुश होकर अग्नि देव ने अर्जुन को दिव्य रथ दिया जिसमें चार घोड़े बंधे थे।

अर्जुन के रथ की ध्वजा पर कौन विराजमान थे?

इसे सुनेंरोकेंतब श्रीकृष्ण ने बताया, अर्जुन तुम्हारे रथ की ध्वजा पर साक्षात हनुमानजी विराजमान हैं।

अर्जुन के रथ पर कितने घोड़े थे?

कृष्ण भगवान का पहला नाम क्या था?

इसे सुनेंरोकेंकन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता है। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था।

पढ़ना:   ध्वज कब उतारा जाता है?

अर्जुन के रथ में कितने घोड़े थे?

महाभारत के युद्ध के बाद अर्जुन के रथ का क्या हुआ?

इसे सुनेंरोकेंजब युद्ध समाप्त हो गया तो अर्जुन ने श्रीकृष्ण से कहा कि पहले आप रथ से उतरिए मैं आपके बाद उतरूंगा। तब श्रीकृष्ण ने कहा कि नहीं अर्जुन पहले तुम उतरो। भगवान की बात मानकर अर्जुन रथ से उतर गए, इसके बाद श्रीकृष्ण भी रथ उतर गए। शेषनाग पाताल लोक चले और हनुमानजी रथ के ऊपर से अंतर्ध्यान हो गए।

देवों में सबसे सुंदरतम देव श्री कृष्ण के जीवन की कई बातें अनजानी और रहस्यमयी है. आइए जानें 24 अनजाने तथ्य....

1. भगवान श्री कृष्ण के खड्ग का नाम नंदक, गदा का नाम कौमौदकी और शंख का नाम पांचजन्य था जो गुलाबी रंग का था.

2. भगवान श्री कृष्ण के परमधामगमन के समय ना तो उनका एक भी केश श्वेत था और ना ही उनके शरीर पर कोई झुर्री थीं.

3.भगवान श्री कृष्ण के धनुष का नाम शारंग व मुख्य आयुध चक्र का नाम सुदर्शन था. वह लौकिक, दिव्यास्त्र व देवास्त्र तीनों रूपों में कार्य कर सकता था उसकी बराबरी के विध्वंसक केवल दो अस्त्र और थे पाशुपतास्त्र (शिव, कॄष्ण और अर्जुन के पास थे) और प्रस्वपास्त्र ( शिव, वसुगण, भीष्म और कृष्ण के पास थे).

4. भगवान श्री कृष्ण की परदादी 'मारिषा' व सौतेली मां रोहिणी (बलराम की मां) 'नाग' जनजाति की थीं.

5. भगवान श्री कृष्ण से जेल में बदली गई यशोदापुत्री का नाम एकानंशा था, जो आज विंध्यवासिनी देवी के नाम से पूजी जातीं हैं.

6. भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का वर्णन महाभारत, हरिवंशपुराण, विष्णुपुराण व भागवतपुराण में नहीं है. उनका उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण, गीत गोविंद व प्रचलित जनश्रुतियों में रहा है.

7. जैन परंपरा के मुताबिक, भगवान श्री कॄष्ण के चचेरे भाई तीर्थंकर नेमिनाथ थे जो हिंदू परंपरा में घोर अंगिरस के नाम से प्रसिद्ध हैं.

8. भगवान श्रीकृष्ण अंतिम वर्षों को छोड़कर कभी भी द्वारिका में 6 महीने से अधिक नहीं रहे.

9. भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी औपचारिक शिक्षा उज्जैन के संदीपनी आश्रम में मात्र कुछ महीनों में पूरी कर ली थी.

10. ऐसा माना जाता है कि घोर अंगिरस अर्थात नेमिनाथ के यहां रहकर भी उन्होंने साधना की थी.

11. प्रचलित अनुश्रुतियों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने मार्शल आर्ट का विकास ब्रज क्षेत्र के वनों में किया था. डांडिया रास का आरंभ भी उन्हीं ने किया था.

12. कलारीपट्टु का प्रथम आचार्य कृष्ण को माना जाता है. इसी कारण नारायणी सेना भारत की सबसे भयंकर प्रहारक सेना बन गई थी.

13. भगवान श्रीकृष्ण के रथ का नाम जैत्र था और उनके सारथी का नाम दारुक/ बाहुक था. उनके घोड़ों (अश्वों) के नाम थे शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक.

14. भगवान श्रीकृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्यामल था और उनके शरीर से एक मादक गंध निकलती थी.

15. भगवान श्रीकृष्ण की मांसपेशियां मृदु परंतु युद्ध के समय विस्तॄत हो जातीं थीं, इसलिए सामान्यतः लड़कियों के समान दिखने वाला उनका लावण्यमय शरीर युद्ध के समय अत्यंत कठोर दिखाई देने लगता था ठीक ऐसे ही लक्ष्ण कर्ण व द्रौपदी के शरीर में देखने को मिलते थे.

16. जनसामान्य में यह भ्रांति स्थापित है कि अर्जुन सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर थे, परंतु वास्तव में कृष्ण इस विधा में भी सर्वश्रेष्ठ थे और ऐसा सिद्ध हुआ मद्र राजकुमारी लक्ष्मणा के स्वयंवर में जिसकी प्रतियोगिता द्रौपदी स्वयंवर के ही समान परंतु और कठिन थी.

17. यहां कर्ण व अर्जुन दोंनों असफल हो गए और तब श्री कॄष्ण ने लक्ष्यवेध कर लक्ष्मणा की इच्छा पूरी की, जो पहले से ही उन्हें अपना पति मान चुकीं थीं.

18. भगवान श्री युद्ध कृष्ण ने कई अभियान और युद्धों का संचालन किया था, परंतु इनमे तीन सर्वाधिक भयंकर थे. 1- महाभारत, 2- जरासंध और कालयवन के विरुद्ध 3- नरकासुर के विरुद्ध

19. भगवान श्री कृष्ण ने केवल 16 वर्ष की आयु में विश्वप्रसिद्ध चाणूर और मुष्टिक जैसे मल्लों का वध किया. मथुरा में दुष्ट रजक के सिर को हथेली के प्रहार से काट दिया.

20. भगवान श्री कृष्ण ने असम में बाणासुर से युद्ध के समय भगवान शिव से युद्ध के समय माहेश्वर ज्वर के विरुद्ध वैष्णव ज्वर का प्रयोग कर विश्व का प्रथम जीवाणु युद्ध किया था.

21. भगवान श्री कृष्ण के जीवन का सबसे भयानक द्वंद्व युद्ध सुभद्रा की प्रतिज्ञा के कारण अर्जुन के साथ हुआ था, जिसमें दोनों ने अपने अपने सबसे विनाशक शस्त्र क्रमशः सुदर्शन चक्र और पाशुपतास्त्र निकाल लिए थे. बाद में देवताओं के हस्तक्षेप से दोनों शांत हुए.

22. भगवान श्री कृष्ण ने 2 नगरों की स्थापना की या करवाई-- द्वारका (पूर्व में कुशावती) और पांडव पुत्रों के द्वारा इंद्रप्रस्थ (पूर्व में खांडवप्रस्थ).

23. भगवान श्री कृष्ण ने कलारिपट्टू की नींव रखी जो बाद में बोधिधर्मन से होते हुए आधुनिक मार्शल आर्ट में विकसित हुई.

24. भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवतगीता के रूप में आध्यात्मिकता की वैज्ञानिक व्याख्या दी, जो मानवता के लिए आशा का सबसे बड़ा संदेश थी, है और सदैव रहेगी.

कृष्ण जी के रथ का नाम क्या था?

भगवान जगन्नाथ यानि कृष्ण भगवान के रथ का नाम नंदीघोष है। इसके अलावा इसको कपि ध्वज के नाम से भी जाना जाता है। इस रथ को भगवान इंद्र ने भगवान कृष्ण को उपहार स्वरुप दिया था

श्रीकृष्ण के अस्त्र का नाम क्या था?

इसी प्रकार एक अस्त्र है-सुदर्शन चक्र, जो भगवान श्रीकृष्ण का अस्त्र है। धार्मिक ग्रन्थों में सबसे विनाशक हथियारों में इसका का नाम लिया जाता है। श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से जुड़ी कई कहानियों का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है। कहते हैं की श्रीकृष्ण से पहले सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु के पास था

बांसुरी पूर्व जन्म में कौन थी?

ऋषि दधीचि वही महान ऋषि है जिन्होंने धर्म के लिए अपने शरीर को त्याग दिया था व अपनी शक्तिशाली शरीर की सभी हड्डियां दान कर दी थी। उन हड्डियों की सहायता से विश्कर्मा ने तीन धनुष पिनाक, गांडीव, शारंग तथा इंद्र के लिए व्रज का निर्माण किया था। शिव जी​ ने उस हड्डी को घिसकर एक सुंदर एवं मनोहर बांसुरी का निर्माण किया।

भगवान श्री कृष्ण के रथ में कितने घोड़े थे?

उनके वस्त्र रेशम के पीले रंग के होते थे और मस्तक पर मोरमुकुट शोभा देता था। उनके सारथि का नाम दारुक था और उनके रथ में चार घोड़े जुते होते थे