बच्चों का मुंडन क्यों करवाते हैं? - bachchon ka mundan kyon karavaate hain?

सनातन धर्म में मानव के सम्पूर्ण जीवनकाल के लिए 16 संस्कारों का विवरण है। इनमे से मुंडन संस्कार एक मुख्य संस्कार है। हिंदू धर्म में सिर मुंडाने की परंपरा बहुत पुरानी है। किसी भी बच्चे के जन्म के पश्चात एक साल के भीतर उस बच्चे के सर का मुंडन करवाने की परंपरा है। मुंडन संस्कार अधिकतर धार्मिक व पवित्र स्थलों पर किया जाता है। माता के गर्भ से जन्म लेने के बाद बच्चे के सिर के जितने भी बाल होते है, उन्हें जड़ से काटकर, हटाने को ही मुंडन संस्कार कहा जाता है। मुंडन संस्कार का पालन करने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं व वैज्ञानिक तर्क हैं। नवजात बच्चे के मुंडन संस्कार के पीछे के कारणों से अवगत होने के लिए आगे पढ़ें।

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हिंदू धर्म क्यों बल देता है मुंडन संस्कार पर?

हिंदू शास्त्रों के अनुसार नवजात बच्चे के बल, आरोग्यता व प्रभाव को बढ़ाने और गर्भवस्था के दौरान प्राप्त अशुद्धियों को दूर करने के लिए मुंडन संस्कार करवाया जाता है और यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। मुंडन करवाने के पीछे वैदिक मान्यता है कि ऐसा करने से बच्चे की बुद्धि व बल में वृद्धि होती है, और उसका बौद्धिक व शारीरिक विकास सही ढंग से होता है। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि गर्भ के बालों को विसर्जित कर देने से नवजात बच्चे के पूर्व जन्म का भी क्षय हो जाता है। 

मुंडन के पीछे का वैज्ञानिक तर्क

नवजात बच्चे के बालों का मुंडन करवाने के पीछे एक वैज्ञानिक तर्क भी है, जिसके अनुसार जब बच्चा जन्म लेता है तो इतने लम्बे समय गर्भ में रहने के कारण उसके बालों में अनेक किटाणु और बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं और सिर की त्वचा भी बहुत गन्दी होती है, जिसे सही प्रकार से साफ़ करना असंभव होता है और जड़ से बालों को काटकर ही इनकी सफाई की जा सकती है।

मुंडन की पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार बच्चे के जन्म के समय जो बाल होते है उन बालों को अपवित्र माना गया है और मुंडन करवा देने से बच्चा पवित्र हो जाता है और साथ ही साथ उसके पूर्व जन्मों के शाप का भी नाश होता हैं। हिन्दू धर्म में इसे चूड़ाकर्म संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है, मुंडन संस्कार, एक नवजात बच्चे को पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति दिलाने का काम करता है और इसी से ही उस बच्चे का अपने पुराने जन्मों से छुटकारा मिल जाता है। उस बच्चे का अपनी पुरानी योनि से सम्बन्ध छूट जाता है। मुंडन संस्कार से बच्चा समाज का एक पवित्र हिस्सा बन जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार बच्चे का मुंडन 1, 3, 5 या 7 साल की आयु में करवाना अत्यंत शुभ माना जाता है।

जन्म के कितने समय बाद होता है मुंडन

बच्चे के जन्म के 1 वर्ष से 3 वर्ष के बाद या कुल परंपरा के अनुसार 5वें या 7वें वर्ष में मुंडन संस्कार करवाने की प्रथा है। इसके अलावा कुछ लोग बच्चे के सवा महीने पूरे हो जाने के बाद, बच्चे को किसी धार्मिक स्थल पर ले जाकर मुंडन करवा देते हैं।

शुभ मुहूर्त में ही करवाना चाहिए मुंडन 

हिन्दू वैदिक परम्पराओं के अनुसार किसी भी शुभ कार्य का उचित मुहूर्त में किया जाना अत्यंत आवश्यक है। वैसे ही मुंडन संस्कार भी शुभ मुहूर्त देख कर ही किया जाना चाहिए। आमतौर पर माता पिता बच्चे के जन्म के समय के आधार पर पंडितों से शुभ मुहूर्त निकलवाते हैं और फिर उसी मुहूर्त में किसी धार्मिक तीर्थ स्थल पर जाकर मुंडन करवाते है। 

मुंडन से पहले किए जाते हैं यह पूजन

मुंडन संस्कार करवाने से पहले किसी अनुभवी पंडित से हवन व पूजन करवाने का विधान है। उसके बाद मां बच्चे को अपनी गोद में लेकर उसका मुंह पश्चिम की तरफ अग्नि की ओर रखती है, इसके बाद नाई एक नए उस्तरे की मदद से बच्चे का मुंडन कर देते है। इसके बाद बच्चे के सर पर गंगाजल का हाथ फेर कर हल्दी लगायी जाती है। हल्दी एंटी सेप्टिक का भी काम करती है और मुंडन के दौरान लगी हलकी फुलकी खरोंच को ठीक कर देती है।  

हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के बाद एक बार उसका मुंडन करवाना अनिवार्य माना जाता है। इसलिए आज हम आपको बच्चों के मुंडन से जुड़ी सारी महत्वपूर्ण बातों को बताने जा रहे हैं जिन्हें जानकर आप को भी पता लगेगा कि बच्चों का मुंडन क्यों जरूरी है और मुंडन कब कराना चाहिए (Mundan Kab Karna Chahiye)। सभी धर्म और जातियों में अलग-अलग परंपराएं और रीति-रिवाज हैं जिन्हें सभी बड़ी श्रद्धा के साथ पूरा करते हैं।

इसी प्रकार हिंदू धर्म में भी कुछ परंपराएं हैं जिन्हें सब हिंदू बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूरी करते हैं। इन्हीं परंपराओं में से एक मुंडन है। मुंडन संस्कार को हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण 16 संस्कारों में से एक माना जाता है। लोग अपनी रीति के अनुसार जन्म और मृत्यु के समय इस संस्कार को करते हैं। मुंडन (mundan) करवाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

मुंडन को करवाने की मान्यता (Importance of Mundan in Hindi)

नवजात बच्चों का मुंडन धार्मिक कार्यों की वजह से किया जाता हैं| जब शिशु जन्म लेता है तब उसके सिर पर गर्भ के समय से ही कुछ केष पाए जाते हैं जो अशुभ माने जाते हैं| हिंदू धर्म के अनुसार मानव जीवन 84 लाख योनियों के बाद मिलता है। पिछले सभी जन्मों के ऋण को उतारने और पाप कर्मों से मुक्ति के उद्देश्य से, उसके जन्मकालीन केश काटे जाते हैं और ऐसा ना करने पर दोष लगता है। धार्मिक मान्यता के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी माने जाते हैं और इनके साथ-साथ शास्त्रीय व पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शिशु के मस्तिष्क को दुरुस्त करने, बुद्धि को बढ़ाने और गर्भावस्था की अशुद्धियों को दूर कर मानवतावादी आदर्शों को प्रतिस्थापित करने के लिए मुंडन संस्कार करवाया जाता हैं।

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मुंडन के बाद कहीं-कहीं शिखा छोड़ने का भी प्रयोजन है जिसके पीछे मान्यता यह हैं कि इससे दिमाग की रक्षा होती हैं, साथ ही इससे राहु ग्रह की शांति होती हैं, जिसके फलस्वरूप सिर ठंडा रहता है।

मुंडन कब-कब करवाना चाहिए? (Mundan Kab Karna Chahiye)

ऐसे तो मुंडन अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार करवाया जाता है। परंतु आम तौर पर जन्म के बाद पहले वर्ष के अंत में या फिर तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष के समाप्ति से पहले मुंडन संस्कारकरवाना प्रचलित है।

मुंडन कहां करवाएं (Best Place for Mundan)

बच्चों का मुंडन क्यों करवाते हैं? - bachchon ka mundan kyon karavaate hain?

चित्र स्रोत: yuppee.com

आमतौर पर मुंडन किसी तीर्थ स्थल पर ही करवाया जाता हैं जैसे तिरुपति बालाजी, गंगाजी या किसी देवी माता के मंदिर में। ऐसा इसलिए ताकि उस दिव्य स्थल के दिव्य वातावरण का लाभ नवजात को मिले और उसके मन में सुविचारों की उत्पत्ति हो सके।

मुंडन के लाभ (Benefits of Mundan in Hindi)

छोटे बच्चों के मुंडन (Bachche ke Mundan Karane ke Fayde) के कई लाभ हैं, जैसे कि:

#1. सफाई के रूप में

कहते हैं जब बच्चा माँ के गर्भ में होता हैं तब उसके सिर पर कुछ बाल होते हैं जिनमें बहुत से किटाणु व बैक्टीरिया लगे होते हैं| यह बैक्टीरिया साधारण तरीके से नहलाने या धोने से नहीं निकलते। इसलिए जन्म के बाद एक बार बच्चे का मुंडन अवश्य करवाना चाहिए।

#2. अच्छे बालों के लिए

मुंडन करवाने के बाद सिर बिल्कुल खुला हो जाता है जिससे बच्चे के सिर और शरीर पर विटामिन डी यानी धूप की रोशनी सीधी पड़ती है। इससे कोशिकाएं जागृत होती है और नसों में खून का परिसंचरण अच्छे से होता हैं। इससे उसके भविष्य में आने वाले बाल भी अच्छे आते हैं।

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#3. बुद्धि के लिए

मुंडन को करवाने के बाद सिर खुला खुला हो जाता हैं व इसको करवाते समय नसों पे दबाव भी पड़ता हैं जिससे खून का प्रवाह अच्छे से होता हैं| जो कि दिमाग के विकास के लिए भी बहुत महत्त्वपूर्ण हैं|

#4. स्वास्थ्य के नजरिये से

मुंडन करवाने से बच्चों के शरीर का तापमान सामान्य हो जाता है। जिससे उनका दिमाग और शरीर ठंडा रहता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य संबंधी अन्य परेशानियां जैसे फोड़े-फुंसी, दस्त आदि से भी राहत होती हैं।

#5. दांतों की खुजली

जब मुंडन करवाया जाता हैं तब बच्चे के दांत भी निकलने शुरू हो रहे होते हैं| इस कारण उन्हें सिर में भारीपन महसूस होता हैं| सिर के बाल निकल जाने की वजह से उन्हें बहुत आराम मिलता हैं| यह भी माना जाता हैं कि मुंडन करवाने से दांत निकलते समय होने वाले दर्द और तालु का कांपना भी बंद हो जाता हैं।

इन बातों का ध्यान रखे (Precautions During Mundan in Hindi)

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चित्र स्रोत: zaparents.com

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#1. बच्चे जब शांत हो तभी सिर के बाल उतरवाए नहीं तो कटने का खतरा रहता हैं।

#2. जिस ब्लेड व रेजर का इस्तेमाल करना हो उसको अच्छे से साफ कर ले|

#3. मुंडन के बाद शिशु के सिर को अच्छी तरह साफ करें और उस पर कोई तेल लगा दें ताकि जलन न हो।

#4. मुंडन के बाद कम से कम एक हफ्ते बच्चे के सिर पर किसी तरह के शैम्पू का इस्तेमाल करने से बचे| क्योंकि इससे त्वचा सूखी होगी व आपका बच्चा भी चिडचिडा महसूस करेगा|

#5. कुछ दिनों तक बच्चे के सिर को दूध से धोये| इससे उसके सिर की त्वचा भी कोमल होगी व बाल भी अच्छे आयेंगे|

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मुंडन क्यों महत्वपूर्ण है?

ऐसा माना जाता है की मुंडन संस्कार से बच्चे को पूर्व जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है. मुंडन संस्कार से बच्चे का बौद्धिक विकास होता है और बच्चा समाज का पवित्र हिस्सा बन जाता है. हिन्दू धर्म में बच्चे के मुंडन के लिए 1, 3, 5 या 7 साल की आयु को अतिशुभ माना जाता है.

मुंडन कराने से क्या क्या फायदे हैं?

मुंडन के बाद बालों की ग्रोथ बेहतर होती है और मजबूत बाल निकलते हैं. यही वजह है कि कुछ लोग बच्चों के बालों की ग्रोथ को बेहतर करने के लिए उसका कई बार मुंडन करवाते हैं. 4. मुंडन करवाने से बच्चे को सिर में खुजली, फोड़े और फुंसी से भी बचाव होता है.

मुंडन का वैज्ञानिक कारण क्या है?

मुंडन करवाने के पीछे माना जाता है ये वैज्ञानिक कारण नवजात बच्चे का मुंडन करवाने के पीछे यह तर्क दिया जाता है कि जब बच्चा जन्म लेता है तब उसके बालों में बहुत से किटाणु और बैक्टीरिया होते हैं और सिर की त्वचा में भी गंदगी होती है, जिसकी सही प्रकार से सफाई करने के लिए उन बालों को हटाया जाता है।

बच्चे का पहला मुंडन कब करना चाहिए?

मुंडन संस्कार कब करना चाहिए? हिंदू धर्म की पुरानी मान्यताओं के अनुसार मुंडन बच्चे के 1 वर्ष या 3 वर्ष का होने पर ही किया जाता है.