अथवा / or दीर्घकाल में एक फर्म का पूर्ति वक्र क्या होता है - athava / or deerghakaal mein ek pharm ka poorti vakr kya hota hai

विषयसूची

  • 1 दीर्घकाल में एक फर्म का पूर्ति वक्र क्या होता है?
  • 2 मजदूरी पूर्ति वक्र कैसे होता है?
  • 3 पूर्ति वक्र समय के अनुसार क्यों बदलता है?
  • 4 औसत संप्राप्ति बराबर क्या होता है?
  • 5 एकाधिकार बाजार की विशेषता क्या है?
  • 6 एकाधिकार प्रतियोगिता क्या है इसमें कीमत कैसे निर्धारित होती है?
  • 7 औसत आगम और सीमांत आगम बराबर क्यों होते हैं?

दीर्घकाल में एक फर्म का पूर्ति वक्र क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंदीर्घकाल में, एक फर्म का पूर्ति वक्र उसके दीर्घकालीन सीमांत लागत वक्र का न्यूनतम दीर्घकालीन औसत लागत से ऊपर को उठता हुआ भाग होता है तथा न्यूनतम दीर्घकालीन औसत लागत से कम सभी कीमतों पर निर्गत का स्तर शून्य होता हैं।

मजदूरी पूर्ति वक्र कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंकि मजदूरों को शिफ्ट लगा देता है, जिसमें कि दिन के मजदूर दिन को काम करेंगे और रात को नए मजदूर लगा देता है, जिससे कि दोनों का समय बच जाता है, एवं कम समय में अधिक उत्पादन होने लगता है; तथा इस पूरी प्रक्रिया को ही मजबूर पूर्ति वक्र कहते हैं।

जब मांग में कमी होती तो संतुलन की कीमत पर क्या प्रभाव पड़ेगा चित्र द्वारा समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंइस स्थिति में संतुलन कीमत जितनी थी उतनी ही रहती है परंतु संतुलन मात्रा पहले से अधिक हो जाती है। (ii) जब माँग में कमी पूर्ति में कमी से अधिक होती है-इस स्थिति में माँग में कमी का प्रभाव पूर्ति में कमी के प्रभाव से अधिक होता है। अतः इस स्थिति में संतुलन कीमत तथा संतुलन मात्रा दोनों पहले से कम हो जाते हैं।

बाजार में वस्तु की कीमत उस बिंदु पर निर्धारित होती है जहां क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: इसी प्रकार वस्तुओं की कीमतों तथा ईष्टतम मात्रा का निर्धारण भी पूर्ति वक्रों के प्रतिच्छेदन बिन्दु पर होता है, जहाँ वस्तु की माँग और पूर्ति बराबर हो।

पूर्ति वक्र समय के अनुसार क्यों बदलता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: पूर्ति वक्र पर चलना केवल वस्तु की अपनी कीमत में परिवर्तन के कारण ही होता है, यह मान कर कि अन्य बातें पूर्ववत रहती हैं। वस्तु की अपनी कीमत को छोड़कर यदि किसी अन्य कारकों में परिवर्तन आने से पूर्ति में परिवर्तन आता है, तो इससे पूर्ति वक्र खिसक जाता है। इसे पूर्ति में परिवर्तन भी कहते है।

इसे सुनेंरोकेंदीर्घकाल में एक फर्म का पूर्ति वक्र क्या होता है? दीर्घकाल में, एक फर्म का पूर्ति वक्र उसके दीर्घकालीन सीमांत लागत वक्र का न्यूनतम दीर्घकालीन औसत लागत से ऊपर को उठता हुआ भाग होता है तथा न्यूनतम दीर्घकालीन औसत लागत से कम सभी कीमतों पर निर्गत का स्तर शून्य होता हैं।

औसत संप्राप्ति बराबर क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंऔसत संप्राप्ति: बेची गई वस्तु की प्रति इकाई सम्प्राप्ति को औसत संप्राप्ति कहते हैं। यह वस्तु की कीमत के बराबर होती है। वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई बेचने से कुल संप्राप्ति में होने वाला परिवर्तन सीमांत संप्राप्ति कहलाता है।

एक फर्म को कीमत स्वीकारक कब कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंफर्म कीमत स्वीकारक होती है : फर्म को उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत पर वस्तुओं को बेचना पड़ता है, क्योंकि फर्म का कीमत पर कोई नियंत्रण नहीं होता। जैसा कि आगे रेखाचित्र में दिखाया गया है, बाजार या उद्योग बाजार मांग तथा बाजार पूर्ति के आधार पर कीमत निर्धारित करता है।

लागत वक्र से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकेंमें अर्थशास्त्र , एक लागत वक्र का ग्राफ है उत्पादन की लागत कुल मात्रा का उत्पादन के एक समारोह के रूप में। एक मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था में , उत्पादक रूप से कुशल फर्म उत्पादन के प्रत्येक संभावित स्तर के अनुरूप लागत को कम करके अपनी उत्पादन प्रक्रिया का अनुकूलन करती हैं, और परिणाम एक लागत वक्र है।

एकाधिकार बाजार की विशेषता क्या है?

इसे सुनेंरोकें(i) एक विक्रेता तथा अधिक क्रेता का होना। (ii) एकाधिकारी फर्म और उद्योग में अन्तर नहीं होता। (iii) एकाधिकारी बाजार में नई फर्मों के प्रवेश पर बाधाएँ होती हैं। (iv) वस्तु की कोई निकट प्रतिस्थापन्न वस्तु नहीं होती है।

एकाधिकार प्रतियोगिता क्या है इसमें कीमत कैसे निर्धारित होती है?

इसे सुनेंरोकेंएकाधिकारी पूर्ण प्रतियोगिता के उत्पादक की भाँति कीमत प्राप्तकर्ता (Price Taker) नहीं होता बल्कि कीमत निर्धारक (Price Maker) होता है किन्तु एकाधिकारी किसी वस्तु की कीमत तथा उस वस्तु की पूर्ति दोनों को एक साथ नियन्त्रित नहीं कर सकता । यदि वह विक्रय को बढ़ाना चाहता है तो उसे कीमत कम करनी पड़ेगी ।

प्रतिस्पर्धा प्रपत्र क्या है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंप्रतिस्पर्धा अधिनियम यह अधिनियम प्रतिस्पर्धा-रोधी करारों, उद्यमों द्वारा प्रमुख स्थिति के दुरूपयोग को निषेध करता है तथा संयोजनों (अधिग्रहण, नियंत्रण तथा एम एण्ड ए की प्राप्ति) को विनियमित करता है जिसके कारण भारत में प्रतिस्पर्धा पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है अथवा उसके पड़ने की संभावना हो सकती है।

औसत संप्राप्ति का सूत्र क्या है?

इसे सुनेंरोकेंदो या दो से अधिक सजातीय पदों का औसत वह संख्या होता है, जो दिए गए पदों के योगफल से उन्ही पदों की संख्या को भाग देने पर प्राप्त होती है. सरल शब्दों में, दो या दो से अधिक सजातीय राशियों के जोड़ को उन्ही राशियों की संख्या से भाग करने पर प्राप्त भागफल उन राशियों का औसत कहलाता हैं.

औसत आगम और सीमांत आगम बराबर क्यों होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंक्योंकि पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म कीमत प्राप्तकर्ता होती है। उद्योग द्वारा वस्तु का मूल्य निर्धारण किया जाता है और इस निर्धारित कीमत को दिया हुआ मानकर वस्तु की कितनी भी मात्रा का उत्पादन एवं विक्रय कर सकती है। पूर्ण लोचदार मांग वाले पूर्ण प्रतियोगिता बाजार में औसत आगम एवं सीमांत आगम परस्पर बराबर होते हैं।

दीर्घकाल में एक फार्म का पूर्ति वक्र क्या होता है?

दीर्घकाल में एक फर्म का पूर्ति वक्र क्या होता है? दीर्घकाल में, एक फर्म का पूर्ति वक्र उसके दीर्घकालीन सीमांत लागत वक्र का न्यूनतम दीर्घकालीन औसत लागत से ऊपर को उठता हुआ भाग होता है तथा न्यूनतम दीर्घकालीन औसत लागत से कम सभी कीमतों पर निर्गत का स्तर शून्य होता हैं।

अल्पकाल में एक फर्म का पूर्ति वक्र क्या होता है?

अल्पकाल में एक फर्म का पूर्ति वक्र क्या होती है ? अल्पकाल में, एक फर्म का अल्पकालीन पूर्ति वक्र न्यूनतम औसत परिवर्ती लागत से ऊपर अल्पकालीन कीमत वक्र का बढ़ता हुआ भाग होता है तथा न्यूनतम औसत परिवर्ती लागत (AVC) से कम सभी कीमतों पर निर्गत शून्य होता है।

दीर्घकाल में पूर्ण प्रतियोगी फर्म का आकार क्या होता है?

8. मांग वक्र का आकार : पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म का मांग वक्र क्षैतिजाकार तथा पूर्णतया लोचदार होता है। इससे तात्पर्य है कि फर्म उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत पर उत्पाद की कितनी भी मात्रा बेच सकती है, किंतु फर्म कीमत में परिवर्तन नहीं कर सकती ।

एक फर्म द्वारा की जाने वाली पूर्ति को क्या कहते हैं?

एक फर्म की 'पूर्ति' वह मात्रा है जो वह एक दी गई कीमत, प्रौद्योगिकी तथा उत्पादन कारकों की कीमतों पर बेचने का निर्णय लेती है। एक तालिका जो विभिन्न कीमतों पर प्रौद्योगिकी तथा कारकों की कीमतें अपरिवर्तित रहने पर, एक फर्म की बेचे जाने वाली मात्राओं का विवरण देती है, 'पूर्ति सारणी' कहते हैं