[{"displayPrice":"₹560.00","priceAmount":560.00,"currencySymbol":"₹","integerValue":"560","decimalSeparator":".","fractionalValue":"00","symbolPosition":"left","hasSpace":false,"showFractionalPartIfEmpty":false,"offerListingId":"e3w7GvVa2s1FfGtqSs8LxYMqVHfhj50jIKjqWLtUNg3zdNf8AiiB4NEz6SE0fSuMbXx%2FMKXFhZzsq86yi8%2F3EaRU3D2NkPPFXucdVlOeNPhG7itXQp6RBWcXRJZrrDIq9o5FRNyRkKfxAIR9TAbxfvXS%2BXop7vu6KBdJxCFINla%2FA6d1DFCB%2Bpwg6DlfWTqA","locale":"hi-IN","buyingOptionType":"NEW"}] Show ₹₹560.00 () चुने हुए विकल्प शामिल हैं. प्रारंभिक मासिक भुगतान और चुने हुए विकल्प शामिल हैं. विवरण चेकआउट पर
दिखाई गई शिपिंग लागत, डिलीवरी की तारीख और ऑर्डर की कुल राशि (टैक्स सहित). आपके द्वारा चुने गए एन्हांसमेंट्स इस विक्रेता के लिए उपलब्ध नहीं हैं. विवरण अपनी खरीद में निम्नलिखित एन्हांसमेंट्स जोड़ने के लिए, एक अलग विक्रेता चुनें. %cardName% ${cardName} आपके द्वारा चुने गए विक्रेता के लिए उपलब्ध नहीं है ${cardName} ${maxQuantity} से ज़्यादा मात्राओं के लिए उपलब्ध नहीं है. अश्वगंधा एवं उसके उत्पादअश्वगंधा के कच्चे मूल से अश्व के समान गंध आती है इसलिए इसका नाम अश्वगंधा रखा गया | अंग्रेजी में इसे विंटर चेरी कहते हैं. यह ज्यादातरसम्पूर्ण भारत में पाया जाता है | अश्वगंधा एक बलवर्धक रसायन, बाजीकरण, बलवर्धन, शुक्र, वीर्य पुष्टिकर है आचार्य चरक ने अश्वगंधा को अच्छा बल्य औषधि माना है| सुश्रुत के अनुसार यह औषधि किसी भी प्रकार की दुर्बलता कृशता में गुणकारी है आयुर्वेद के विद्वान पुष्टि-बलवर्धन में भी इससे श्रेष्ठ औषधि कोई और नहीं मानते है| अश्वगंधा की प्रशंसा में विद्वानों का मत है कि जिस तरह वर्षा होने पर सुखी जमीन भी हरी हो जाती है वैसे ही इसके सेवन से कमजोर, मुरझाये शरीर भी पुष्ट हो जाते हैं | यह औषधि मूलतः कफ-वात शामक, बलवर्धक रसायन है| अश्वगंधा को सभी प्रकार के पुराने रोगों जैसे सभी प्रकार के वात विकार, माँसपेशियों का दर्द,पीठ दर्द, शारीरिक कमजोरी, चक्कर आना, सूजन आदि के लिए श्रेष्ठ द्रव्य माना गया है यह शरीर धातुओं की वृद्धि करता है एवं अश्वगंधा अस्थि मज्जा और शुक्राणु का पोषण करता है|यह मेधावर्द्धक तथा सामान्य तनाव को कम करने में, अनिद्रा, शुक्र दौर्बल्य आदि सभी में भी समान रूप से लाभकारी है| यह एजिंग को यह रोकने में सहायक व जीवन शक्ति बढाती है| यदि अश्वगंधा का सेवन लगातार एक वर्ष तक नियमित रूप से किया जाए तो शरीर से सारे विकार बाहर निकल जाते हैं. समग्र शोधन होकर दुर्बलता दूर करने में बहुत मदद मिलती है तथा महिलाओं को प्रसवोपरांत देने से बल प्रदान करता है| अश्वगंधा के आधुनिक अध्ययन से पता चलता है कि अश्वगंधा में पाए जाने वाला एक्टिव तत्व विथेनाओलाइड्स, रोगाणुरोधी (एंटी वायरल & एंटी बैक्टीरियल), एंटीट्यूमर और इम्यूनो-मॉड्यूलेटिंग होता हैं। बैद्यनाथ भी विभिन्न रोगों के लिए अश्वगंधा व अन्य सहयोगी औषधियों के साथ मिलकर आयुर्वेदिक मेडिसिन बनाती है जो निम्न प्रकार है : 1.वातरीना टैबलेट – यह सुरंजन , अश्वगंधा ,सौंठ में महारास्नादि काढ़ा व हरश्रृंगार घन सत्व की भावना देकर बनाया हुआ योग है जो सामान्य रूप से सभी प्रकार के वात रोगों जैसे जोड़ों का दर्द व सूजन, गठिया, कटिशूल ,गृधसी (साइटिका ) आदि में उपयोग किया जाता है।। मात्रा - 1 से 2 दिन में दो तीन गुनगुने पानी के साथ। 2.स्ट्रेसविन केप्सूल- यह अश्वगंधा,ब्राह्मी एवं जटामांसी मिलकर बना योग हैं जो मानसिक तनाव ,नींद की कमी, याददाश्त की कमी व मानसिक थकावट को दूर करने में उपयोगी है। मात्रा : १ कैप्सूल दूध के साथ दिन में दो बार 3.अश्वगंधादि घृत यह अश्वगंधा ,गाय के दूध एवं घी में शास्त्रोक्त विधि से निर्मित योग है जो सभी प्रकार के वात विकार,पीठ दर्द, शारीरिक कमजोरी। चक्कर आना इत्यादि रोगोंमें उपयोगी है। इसके सेवन से शरीर में उर्जा व स्फूर्ति बनीरहती है सेवन मात्रा: 6 से 12 ग्राम गुनगुने दूध के साथ दिन में दो बार या चिकित्सक के परामर्श अनुसार 4. अश्वगंधादि चूर्ण अश्वगंधा तथा विधारा चूर्ण से मिलकर बना योग है | यह एक मेधावर्धक दवा है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक है। पैकिंग - १०० सेवन मात्रा: 2 से 5 ग्राम गुनगुने दूध के साथ दिन में दो बार 5.सप्तारिष्ट - यह सात आसव अरिष्टों अश्वगंधारिष्ट,अर्जुनारिष्ट,दशमूलारिष्ट,द्राक्षारिष्ट,पुनर्नवारिष्ट,सरिवाद्यारिष्ट एवं चंदनासव का मिश्रण है जो शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाने में सहायक, शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और पाचन को बनाए रखता है जिससे शरीर को स्वस्थ और सक्रिय रहें। मात्रा: 15-30 ml दिन में दो बार भोजन के बाद बराबर पानी मिलाकर लें। 6.शतावर्यादि चूर्ण शतावरी , अश्वगंधा, कौंच के बीज, सफेद मूसली एवं गोखरू बीज इत्यादि चूर्ण से मिलकर बना योग है | यह चूर्ण पौष्टिक, श्रेष्ठ बाजीकारक एवं वीर्यवर्धक है। इस चूर्ण के सेवन से रस ,रक्त आदि सप्त धातुओं की वृद्धि हो जाती है मात्रा: 3 से 5 ग्राम चीनी मिश्रित गाय के दूध के साथ लेना चाहिए 7.धातुपौष्टिक चूर्ण अश्वगंधा, गोखरू बीज, बीजबन्द, काली मूसली, सोंठ, कौंच बीज, काबाब-चीनी, बंशलोचन, चोपचीनी, काली मिर्च, सालम मिश्री, विदारीकन्द व शतावरी जैसी जड़ी बूटियों से मिलकर बना योग है | वीर्य पुष्ट करने व शरीर की कमजोरी दूर करने हेतु यह एक ऐसा योग है, जिसे किसी भी ऋतु में लिया जा सकता है | मात्रा:3 से 5 ग्राम गाय के दूध के साथ लेना चाहिए 8.अश्वगंधारिष्ट यह अश्वगंधा और इसके अलावा इसमें बहुत सारे हर्ब सफेद मूसली,मंजिष्ठा, हरण,हल्दी, दारुहल्दी,विदारीकंद,अर्जुन की छाल,नागर मोथा आदि जड़ी बूटियां पाई जाती है।अश्वगंधारिष्ट एक तरह की टॉनिक है जो दिल दिमाग और बॉडी की ताकत देकर चुस्ती-फुर्ती लाता है। मात्रा: 15-30 mlदिन में दो बार भोजन के बाद बराबर पानी मिलाकर लें। 9.वाइटल टी यह अश्वगंधा ,सफ़ेद मूसली ,शतावरी,ग्रीन टी व केसर से बनी एक टी है जो तनाव, सिर दर्द को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय है।इसमें उपस्थित सफ़ेद मूसली में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक विटामिन और प्रोटीन होते हैं जो दिमाग को ऊर्जा देते हैं और मानसिक शक्ति को बढ़ाते हैं। शतावरी पोषक तत्वों से युक्त है जो दिमाग और शरीर को ताकत देता है।केसर आंतरिक शक्ति और ऊर्जा को फिर से जीवंत और बहाल करने में मदद करता है। अश्वगंधा थकान, तनाव,चिंता और नींद न आना जैसी परेशानियों के लिए आयुर्वेद में बताई गई सबसे अच्छी जड़ी-बूटी है। सेवन विधि - ताजे उबले पानी के एक कप में एक टी बैग को डालकर 5 मिनट तक रहने दें और फिर पिए या स्वाद बढ़ाने के लिए 1 चम्मच शहद डाल सकते हैं । 10.बलारिष्ट बला (खरैटी) की जड अश्वगंधा,एरंड की छाल का चूर्ण रास्ना, इलायची, प्रसारणी, लौंग, खस गोखरू आदि से मिलकर बना योग है जो वीर्यवर्धक और रसायन है। यह औषधि वात रोगों एवं शारीरिक कमजोरी में उपयोगी है मात्रा: 15-30 mlदिन में दो बार भोजन के बाद बराबर पानी मिलाकर लें। सावधानी - उपरोक्त औषधि का सेवन चिकित्सक परामर्श से करें| अश्वगंधा सफेद मूसली शतावरी कौंच के बीज खाने से क्या होता है?अश्वगंधा सफेद मूसली शतावरी कौंच बीज पाउडर के फायदे
अगर आपको हर समय थकान और कमजोरी महसूस होती है, तो आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का पाउडर ले सकते हैं। रोजाना इस मिश्रण को लेने से आपको पूरी ताकत मिलेगी। कमजोरी और थकान दूर होगी। इसके लिए आप इसका सेवन लगातार एक महीने तक कर सकते हैं।
क्या हम अश्वगंधा शतावरी और सफेद मूसली एक साथ ले सकते हैं?आप भी अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अश्वगंधा, शतावरी और सफेद मूसली (Ashwagandha Shatavari and Safed Musli Benefits in Hindi) को एक साथ मिलाकर ले सकते हैं। इसका सेवन आप रोज रात को दूध में मिलाकर कर सकते हैं। लेकिन इनकी तासीर बेहद गर्म होती है, इसलिए सेवन करने से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
अश्वगंधा शतावरी सफेद मूसली कौंच के बीज कैसे उपयोग करें?कैसे लें: अश्वगंधा, सफेद मूसली, और कौंच के बीज के साथ सतावर के पावडर को समान मात्रा में मिलाकर गुनगुने दूध के साथ सुबह अथवा मुख्य रूप से रात्रि को सोते समय सेवन करना चाहिए।. आप अश्वगंधा, सफेद मूसली, शतावरी और कौंच के बीजों का एक साथ सेवन कर सकते हैं।. इसके लिए आप इन सभी का अलग-अलग पाउडर बना लें।. सफेद मूसली अश्वगंधा और कौंच के बीज गोखरू शतावरी तथा शिलाजीत एक साथ लेने से क्या होता है?सबसे पहले जवाब दिया गया: सफेद मुसली अश्वगंधा कौंच के बीज गोखरू शतावरी और शिलाजीत एक साथ लेने से क्या होता है? आपके पास दीवार में छेद करने की ताकत आ जाएगी। सभी को बराबर मात्रा में मिलाकर छोटीछोटी गोलियां बनाकर खाना खाने के बाद खाना चाहिए। यह बलपुष्टिकारक उपाय है।
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