डॉक्टर बोरलॉग ने लगभग 90 वर्ष आयु में भी मैक्सिकों में अपने संस्थान में भी काम जारी रखा और तब उन्होंने विकसाशली देशों के वैज्ञानिकों को नई तकनीकें लागू करने के बारे में प्रशिक्षण भी दिया। इस तरह 1960 के दशक में कृषि क्षेत्र की काया पलट कर देने वाले वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग ने 95 वर्ष की अवस्था में 13 सितंबर 2009 को निधन हो गया।....अगला सवाल पढ़े Show Useful for : UPSC, State PSC, IBPS, SSC, Railway, NDA, Police Exams Web Title : Vishwa Mein Harit Kranti Ke Janak Kise Kaha Jata Hai भारत में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने भारत में कृषि क्षेत्र की हालत बेहतर बनाने की ज़रूरत है. स्वामीनाथन ने कहा कि भारत में एक बड़े कृषि संकट की आशंका उत्पन्न हो गई है. स्वामीनाथन का कहना है कि भारत में दो-तिहाई आबादी कृषि पर निर्भर करते हैं, इसलिए कृषि की हालत में सुधार के बिना देश की हालत में सुधार नहीं हो सकता. स्वामीनाथन का मानना है कि भारत की बहुत बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, इसलिए सजग रहने की बहुत ज़रूरत है. स्वामीनाथन का मानना है कि भारत में कृषि सिर्फ़ अनाज उत्पादन की मशीन नहीं है, बल्कि वह देश की बड़ी आबादी के लिए रीढ़ की हड्डी है. स्वामीनाथन का कहना है कि कृषि एक बहुत ही जोखिम भरा काम है, इसलिए किसान खेती करना छोड़ना चाहते हैं. उनका कहना है कि अनिश्चित मौसम, अनिश्चित बाज़ार और कर्ज़ का दबाव किसानों पर बहुत भार डाल रहा है जिसकी वजह से किसान पूरी तरह थक चुके हैं. स्वामीनाथन का मानना है कि जीवन के दूसरे ख़र्चे बढ़ते जा रहे हैं और कृषि से होने वाली आय छोटे किसानों के लिए पर्याप्त नहीं रह गई है. स्वामीनाथन अब कुछ ऐसा ही करिश्मा सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करना चाहते हैं. एम. एस. स्वामीनाथन उन गिने-चुने लोगो में हैं, जिनके प्रयासो की बदौलत साठ के दशक में कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया गया. स्वामीनाथन अब अपना ध्यान सूचना क्रांति को दूर-दराज़ के गांवों तक पहुंचाने में केंद्रित कर रहे हैं. स्वामीनाथन कहते हैं कि हरित क्रांति से गेंहू और चावल की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिली थी, लेकिन ज्ञान क्रांति का असर हर क्षेत्र में देखने को मिलेगा. स्वामीनाथन कहते हैं कि उनके काम में नौकरशाहों का ज़्यादा रोल नहीं है. एम. एस. स्वामीनाथन कहते हैं कि 1960 के दशक में हरित क्रांति के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब किसानों को बीज और तकनीक दी गई और फिर देखते-देखते क्रांति आ गई. एम. एस. स्वामीनाथन को विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1972 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया. एम. एस. स्वामीनाथन को अब तक कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. एम. एस. स्वामीनाथन ने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकिसित किए. नॉर्मन अर्नेस्ट बोरलॉग (25 मार्च 1914 - 12 सितम्बर 2009) नोबेल पुरस्कार विजेता एक अमेरिकी कृषिविज्ञानी थे, जिन्हें हरित क्रांति का पिता माना जाता है। बोरलॉग उन पांच लोगों में से एक हैं, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार, स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक और कांग्रेस के गोल्ड मेडल प्रदान किया गया था। इसके अलावा उन्हें भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण प्रदान किया गया था। बोरलॉग की खोजों से दुनिया के करोड़ों लोगों की जीवन बची है। उनके नवीन प्रयोगों ने अनाज की समस्या से जूझ रहे भारत सहित अनेक विकासशील देशों में हरित क्रांति का प्रवर्तन करने में महत्वपूर्ण योगदान किया। इन्होंने 1970 के दशक में मेक्सिको में बीमारियों से लड़ सकने वाली गेहूं की एक नई किस्म विकसित की थी। इसके पीछे उनकी यह समझ थी कि अगर पौधे की लंबाई कम कर दी जाए, तो इससे बची हुइ ऊर्जा उसके बीजों यानी दानों में लगेगी, जिससे दाना ज्यादा बढ़ेगा, लिहाजा कुल फसल उत्पादन बढ़ेगा। बोरलॉग ने छोटा दानव (सेमी ड्वार्फ) कहलाने वाले इस किस्म के बीज (गेहूं) और उर्वरक विभिन्न देशों को भेजा, जिनसे यहां की खेती का पूरा नक्शा ही बदल गया। उनके कीटनाशक व रासायनिक खादों के अत्यधिक इस्तेमाल और जमीन से ज्यादा पानी सोखने वाली फसलों वाले प्रयोग की पर्यावरणवादियों ने कड़ी आलोचना की। वे दुनिया को भुखमरी से निजात दिलाने के लिए जीन संवर्धित फसल के पक्ष में भी रहे। उनका मत था कि भूख से मरने की बजाय जीएम अनाज खाकर मर जाना कहीं ज्यादा अच्छा है। पर्यावरणवादियों के ऐतराज का भी जवाब उन्होंने यह कहकर दिया कि अगर कम जमीन से ज्यादा उपज ली जाती है, तो इससे प्रकृति का संरक्षण ही होता है। विश्व का हरित क्रांति का जनक कौन है?तो नॉरमन बोरलॉग हरित क्रांति के प्रवर्तक माने जाते हैं लेकिन भारत में हरित क्रांति लाने का श्रेय सी सुब्रमण्यम को जाता है. एम ऐस स्वामीनाथन एक जाने माने वनस्पति विज्ञानी थे जिन्होंने हरित क्रान्ति लाने के लिए सी सुब्रमण्यम के साथ काम किया.
अमेरिका में हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई?अक्टूबर, 1968 में अमेरिका के विलियम गुआड ने खाद्य फसलों की पैदावार में हमारी इस क्रांतिकारी प्रगति को 'हरित क्रांति' का नाम दिया। हरित क्रांति का अर्थ ऐसी स्थिति से है, जब अधिक उत्पादकता के जरिये उत्पादन में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जाए।
राजस्थान में हरित क्रांति के जनक कौन है?डॉक्टर एम. एस. स्वामीनाथन भारत के मशहूर कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक हैं. एम. एस.
पीली क्रांति का जनक कौन है?तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए खाद्य तेल, विशेष रूप से सरसों और तिल के बीज के उत्पादन को बढ़ाने के लिए 1986-1987 पीली क्रांति का आरम्भ किया गया। सैम पित्रोदा को भारत में पीत क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है।
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