अहिंसा का जीवन में क्या महत्व? - ahinsa ka jeevan mein kya mahatv?

विषयसूची

  • 1 अहिंसा के जीवन में क्या महत्व है?
  • 2 हमारी संस्कृति में अहिंसा का क्या महत्व है?
  • 3 गाँधीजी के अनुसार अहिंसा क्या है समझाइए?
  • 4 अहिंसा को संस्कृत में क्या कहते हैं?
  • 5 अहिंसा के कितने रूप होते हैं?
  • 6 अहिंसा शब्द कहाँ से लिया गया है?
  • 7 अहिंसा कितने प्रकार की होती है?
  • 8 गांधी के अनुसार सत्य और अहिंसा में क्या संबंध है?
  • 9 सत्य और अहिंसा से आप क्या समझते हैं?
  • 10 अपरिग्रह का क्या अर्थ हैं?

अहिंसा के जीवन में क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंअहिंसा का महत्व : पातंजलि योग दर्शन के पाद 2 सूत्र 35 में कहा गया है कि- अहिंसा प्रतिष्ठायाँ तत्सन्निधौ बैर त्यागः अर्थात अहिंसा की साधना से बैर भाव निकल जाता है। बैर भाव के जाने से काम, क्रोध आदि वृत्तियों का निरोध होता है। वृत्तियों के निरोध से शरीर निरोगी बनता है। मन में शांति और आनंद का अनुभव होता है।

हमारी संस्कृति में अहिंसा का क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंइस संघर्ष को टालने का एकमात्र उपाय अहिंसा या त्याग-भावना का अनुसरण करना है। इसी अहिंसा-तत्त्व पर हमारी संस्कृति टिकी हुई है। जब भी हम मानवीय मूल्यों की बात करते हैं, तब अहिंसा को मुख्य स्थान देते हैं। प्रजातन्त्र का अर्थ है–व्यक्ति की पूर्ण स्वतन्त्रता, जिसमें वह स्वयं के साथ-साथ अपने समूह और समाज का भी विकास कर सके।

अहिंसा का स्थान सबसे बढ़कर क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंइससे स्पष्ट है कि संसार में हिंसा की अपेक्षा अहिंसा की अधिकता है और वह संसार को टिकाये हुए है। यह समझना गलत है कि युद्ध आदि हिंसा-कार्य से संसार की प्रगति हो रही है। यह प्रगति हिंसा के होते हुए भी हो रही है तो इसका कारण यही है कि संसार में हिंसा की अपेक्षा अहिंसा का व्यवहार कहीं अधिक है।

अहिंसा का क्या अंग है?

इसे सुनेंरोकें’अहिंसा’ योग के पहले अंग यम का अंग है। अहिंसा का अर्थ है किसी प्राणी के प्रति कैसा भी हिंसात्मक व्यवहान न करना। किसी प्राणी को मानसिक या शारीरिक रूप से पीड़िता न करना ही अहिंसा है। यम के 5 अंग होते हैं, अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य।

गाँधीजी के अनुसार अहिंसा क्या है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंगांधी जी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को कष्ट नहीं पहुँचाना ही अहिंसा है। अहिंसा का शाब्दिक अर्थ होता है — हिंसा न करना, किसी को नहीं मारना। अहिंसा का मार्ग भले ही सरल दृष्टिगोचर होता है, परंतु इस पर चलना तलवार की तीक्षण धार पर चलने के समान है। इनके बिना मानव-जीवन की सार्थकता सिद्ध नहीं हो सकती।

अहिंसा को संस्कृत में क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंत्वदीयं कीर्त्यतां नाम तस्मिन् प्रीतिः सदास्तु नः॥

अहिंसा को परम धर्म क्यों माना गया है?

इसे सुनेंरोकें-:अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: इस सृष्टि का सनातनः सत्यं यही है की अहिंसा ही परम धर्म है क्योंकि जब इस सृष्टि का प्रत्येक कण परब्रह्म का ही अंश है जिस प्रकार सुर्यदेव का अंश उनकी प्रकाश की किरणें होती है जो सुर्य की उपस्थिति की अनुभूति सदैव हमें कराती रहती है!

विश्व के महापुरुषों ने अहिंसा के बारे में क्या कहा है?

इसे सुनेंरोकेंकहा जा सकता है कि मानव जाति के संपूर्ण इतिहास में अहिंसा की प्रतिष्ठा का वह स्वर्णिम युग था। केवल मानव ही नहीं, वे अहिंसा को प्राणि-मात्र तक ले गए। महावीर ने तो यहां तक कहा कि इस वस्तु-जगत के प्रति भी यदि हमारे मन में उपेक्षा है, अनादर है, लापरवाही है तो यह प्रमाद है। जहां प्रमाद है, वहां हिंसा है।

अहिंसा के कितने रूप होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंअहिंसा भी दो प्रकार की होती है-स्थूल और सूक्ष्म।

अहिंसा शब्द कहाँ से लिया गया है?

इसे सुनेंरोकेंमत्स्य पुराण का मंतव्य है कि अहिंसा मुनिव्रतो में से एक है। ब्रह्मपुराण का भी मत है जो मन से भी किसी प्राणी की हिंसा नही करता वह स्वर्गवासी होता है। नारद पुराण में कहा गया है कि वे ही सभ्य वचन है जिनसे किसी का विरोध ना हो किसी भी प्राणी को कष्ट न पहुंचे वहीं अहिंसा का रूप है।

न्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति कैसे प्राप्त की जा सकती है?

इसे सुनेंरोकेंन्यायपूर्ण और टिकाऊ शांति अप्रकट शिकायतों और संघर्ष के कारणों को साफ-साफ व्यक्त करने और बातचीत द्वारा हल करने के जरिए ही प्राप्त की जा सकती है। इसीलिए भारत और पाकिस्तान के बीच की समस्याओं का हल करने के वर्तमान प्रयासों में हर तबके के लोगों के बीच अधिक संपर्क को प्रोत्साहित करना भी शामिल है।

अहिंसा से आप क्या समझते है?

इसे सुनेंरोकेंव्यापक अर्थ में अहिंसा को किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से नुकसान नहीं पहुंचाने के अर्थ में देखा जाता है। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी से नुकसान न पहुंचाना तथा कर्म से भी किसी भी प्राणी की हिंसा न करना, यह अहिंसा है।

अहिंसा कितने प्रकार की होती है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी को न सताना और न मारना और प्राणिमात्र को दुख न देना ही अहिंसा है। अहिंसा भी दो प्रकार की होती है-स्थूल और सूक्ष्म।

गांधी के अनुसार सत्य और अहिंसा में क्या संबंध है?

इसे सुनेंरोकेंगाँधी की मानना है कि बिना अहिंसा के सत्य की खोज असंभव है, अहिंसा वस ज्योति है, जिसके द्वारा मुझे सत्य का साक्षात्कार होता है। अहिंसा यदि साधन है तो सत्य साध्य है। वे दोनों को एक ही सिक्के के दो पहलू मानते है। अहिंसा के लिये आवश्यक है कि प्रत्येक दशा मे सत्य का पालन किया जाये।

स्वयं के अंदर शांति को कैसे स्थापित करते हैं समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंकिसी को स्वाध्याय (पुस्तकों का अध्ययन) करने में शांति मिलती है किसी को एकांत में आत्म चिंतन से। ध्यान केन्द्रीकरण शांति प्राप्त करने का सुलभ साधन है। गरीबों की सेवा करने से अपने कार्य का संतोषजनक रूप से निष्ठापूर्वक दायित्व निभाने से भी शांति प्राप्त होता है ।

हमें अंतरराष्ट्रीय शांति और सहयोग की आवश्यकता क्यों है?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: विश्व शांति सभी देशों और/या लोगों के बीच और उनके भीतर स्वतंत्रता, शांति और खुशी का एक आदर्श है। विश्व शांति पूरी पृथ्वी में अहिंसा स्थापित करने का एक माध्यम है, जिसके तहत देश या तो स्वेच्छा से या शासन की एक प्रणाली के जरिये इच्छा से सहयोग करते हैं, ताकि युद्ध को रोका जा सके।

सत्य और अहिंसा से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकें”अहिंसा के बिना सत्य की खोज असंभव है।” जिस व्यक्ति में अहिंसा और सत्य के गुणों का समावेश हो जाता है। वह निरंतर सफलता प्राप्त करता चला जाता है। सत्य और अहिंसा का पालन करने में ही ईश्वरत्व की महिमा को समझना संभव है। इन गुणों के पालन से व्यक्ति में समरूपता, सहयोगी, मैत्री, करुणा, विनम्रता आदि के सद्गुण होते हैं।

अपरिग्रह का क्या अर्थ हैं?

इसे सुनेंरोकेंअपरिग्रह गैर-अधिकार की भावना, गैर लोभी या गैर लोभ की अवधारणा है, जिसमें अधिकारात्मकता से मुक्ति पाई जाती है।। यह विचार मुख्य रूप से जैन धर्म तथा हिन्दू धर्म के राज योग का हिस्सा है। जैन धर्म के अनुसार “अहिंसा और अपरिग्रह जीवन के आधार हैं”। अपरिग्रह का अर्थ है कोई भी वस्तु संचित ना करना होता है।

अहिंसा परमो धर्म है कैसे?

अहिंसा का जीवन में क्या महत्व है?

इसका व्यापक अर्थ है - किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है। जैन धर्म एवं हिन्दू धर्म में अहिंसा का बहुत महत्त्व है।

अहिंसा क्या अर्थ है?

अहिंसा का अर्थ प्रेम होता है। किसी को न सताना और न मारना और प्राणिमात्र को दुख न देना ही अहिंसा है। अहिंसा का अर्थ प्रेम होता है। किसी को न सताना और न मारना और प्राणिमात्र को दुख न देना ही अहिंसा है।

अहिंसा का सिद्धांत क्या है?

जैन धर्म में अहिंसा एक मूलभूत सिद्धांत हैं जो अपनी नैतिकता और सिद्धांत की आधारशिला का गठन करता हैं। शब्द अहिंसा का अर्थ है हिंसा का अभाव, या अन्य जीवों को नुकसान पहुँचाने की इच्छा का अभाव। शाकाहार और जैनों की अन्य अहिंसक प्रथाएँ और अनुष्ठान अहिंसा के सिद्धांत से प्रवाहित होते हैं।

अहिंसा के कितने प्रकार होते हैं?

अहिंसा के रूप अहिंसा के दो रूप मुख्यत: स्वीकार किये गये है-भाव अहिंसा यानि मन में हिंसा न करने की भावना का जाग्रत होना।