आर्थिक समृद्धि के दो प्रमुख मापदंड क्या है? - aarthik samrddhi ke do pramukh maapadand kya hai?

आर्थिक संवृद्धि का सही माप क्या है?

  1. वास्तविक प्रति व्यक्ति आय में लगातार वृद्धि
  2. वर्तमान कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि
  3. स्थिर कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि
  4. रोजगार के अवसर में वृद्धि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वास्तविक प्रति व्यक्ति आय में लगातार वृद्धि

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20 Questions 20 Marks 20 Mins

आर्थिक संवृद्धि का सही माप वास्तविक प्रति व्यक्ति आय में लगातार वृद्धि है।

आर्थिक समृद्धि के दो प्रमुख मापदंड क्या है? - aarthik samrddhi ke do pramukh maapadand kya hai?
Key Points

  1. आर्थिक संवृद्धि एक अर्थव्यवस्था द्वारा समय के साथ उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य में वृद्धि है।
  2. इसे पारंपरिक रूप से वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद, या वास्तविक GDP में वृद्धि की प्रतिशत दर के रूप में मापा जाता है।
  3. अधिक महत्व सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुपात में जनसंख्या (सकल घरेलू उत्पाद प्रति व्यक्ति) की वृद्धि है, जिसे प्रति व्यक्ति आय भी कहा जाता है।
  4. प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि को गहन संवृद्धि कहा जाता है।
  5. केवल जनसंख्या या क्षेत्र में वृद्धि के कारण होने वाली GDP संवृद्धि को व्यापक संवृद्धि कहा जाता है।
  6. वृद्धि की गणना आमतौर पर वास्तविक रूप में की जाती है - अर्थात, मुद्रास्फीति-समायोजित शर्तें - उत्पादित वस्तुओं की कीमत पर मुद्रास्फीति के विकृत प्रभाव को समाप्त करने के लिए की जाती है।
  7. अर्थशास्त्र में, "आर्थिक संवृद्धि" या "आर्थिक संवृद्धि सिद्धांत" आमतौर पर संभावित उत्पादन की वृद्धि को संदर्भित करता है, अर्थात, "पूर्ण रोजगार" पर उत्पादन।

आर्थिक समृद्धि के दो प्रमुख मापदंड क्या है? - aarthik samrddhi ke do pramukh maapadand kya hai?
Important Points

  • वर्तमान कीमत और स्थिर कीमत पर आधारित GDP दो प्रमुख व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले व्यापक आर्थिक संकेतक हैं।
  • प्रत्येक देश अपने मतभेदों के कारण दोनों उपायों की गणना करता है; उन्हें व्यापक रूप से क्रमशः नाममात्र और वास्तविक GDP के रूप में भी जाना जाता है।
  • GDP की स्थिर कीमत को GDP की वर्तमान कीमत से लिया गया है, यह वर्तमान कीमत और स्थिर कीमत के बीच का संबंध का है।
  • वर्तमान कीमत और स्थिर कीमत के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि वर्तमान कीमत पर GDP मुद्रास्फीति के प्रभावों के लिए असमायोजित GDP है और वर्तमान बाजार कीमतों पर है जबकि स्थिर कीमत पर GDP मुद्रास्फीति के प्रभावों के लिए समायोजित GDP है।

Latest RSMSSB Sanganak Updates

Last updated on Sep 28, 2022

The RSSB (Rajasthan Staff Selection Board) has released the final RSMSSB Sanganak Result for the recruitment cycle 2021. The list of the finally selected candidates is released. The RSSB is expected to release the official notification for the RSMSSB Sanganak Recruitment 2022 too. A total of 250+ vacancies are expected to be released for this year. Candidates with a Graduation degree are only eligible to appear for the examination. To get a successful selection, candidates must refer to the RSMSSB Sanganak Books to make a proper preparation plan to score high in the examination.

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विषय सूची

  • 1 आर्थिक संवृद्धि (Economic growth)
  • 2 आर्थिक विकास (Economic Development)
  • 3 आर्थिक संवृद्धि बनाम आर्थिक विकास (Economic growth versus economic development)
  • 4 आर्थिक विकास दर (Economic growth rate)
  • 5 आर्थिक संवृद्धि दर (Economic growth rate)
  • 6 आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Economic Growth)

  • आर्थिक समृद्धि से अभिप्राय निश्चित समय अवधि में किसी अर्थव्यवस्था में होने वाली वास्तविक आय में वृद्धि से है |
  • सामान्यतः यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होती है तो हम कह सकते हैं कि आर्थिक समृद्धि हो रही है |
  • 70 के दशक में आर्थिक समृद्धि को तथा आर्थिक विकास को एक ही माना जाता था, लेकिन अब इसमें अंतर किया जाता है |
  • अब आर्थिक समृद्धि आर्थिक विकास के एक भाग के रूप में देखी जाती है साधन लागत पर व्यक्त वास्तविक घरेलू उत्पाद राष्ट्रीय उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय को हम सामान्यतः आर्थिक समृद्धि की आय के रूप में स्वीकार करते हैं |

आर्थिक विकास (Economic Development)

  • आर्थिक विकास से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है, जिसके परिणाम स्वरुप देश के समस्त उत्पादन साधनों का कुशलतापूर्वक विदोहन होता है |
  • इसमें राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में निरंतर एवं दीर्घकालिक वृद्धि होती है तथा जनता के जीवन स्तर एवं सामान्य कल्याण का सूचकांक बढ़ता है अर्थात इस में आर्थिक एवं गैर आर्थिक दोनों चरों को शामिल किया जाता है |
  • आर्थिक चरणों में उपरोक्त वर्णित शामिल होते हैं तथा गैर आर्थिक आर्थिक चरों के अंतर्गत सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्त्रोतों के गुणात्मक परिवर्तन शामिल होते हैं |
  • इस प्रकार आर्थिक संवृद्धि एक मात्रात्मक संकल्पना है, जबकि आर्थिक विकास एक गुणात्मक |
  • पहले का संबंध राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर से जुड़ा है, जबकि दूसरे का संबंध राष्ट्रीय आय में मात्रात्मक वृद्धि के अलावा अर्थव्यवस्था के संरचनात्मक ढांचे में परिवर्तन से होता है |
  • अतः कहा जा सकता है कि आर्थिक विकास एक व्यापक संकल्पना या प्रक्रिया है जिस में सकल राष्ट्रीय उत्पाद में कृषि का हिस्सा लगातार गिरता जाता है |
  • जबकि उद्योगों, सेवाओं, व्यापार, बैंकिंग व निर्माण गतिविधियों का स्तर बढ़ता जाता है इस प्रक्रिया के दौरान श्रम शक्ति के व्यावसायिक ढांचे में भी परिवर्तन होता है और उसकी दक्षता एवं उत्पादन में भी वृद्धि होती है |

आर्थिक संवृद्धि बनाम आर्थिक विकास (Economic growth versus economic development)

  • आर्थिक समृद्धि और आर्थिक विकास समान प्रतीत होने वाली अवधारणाएं है, परंतु तकनीकी दृष्टि से दोनों समान नहीं है, आर्थिक समृद्धि को दो रूपों में परिभाषित किया जा सकता है –
  1. सकल घरेलू उत्पाद में एक निश्चित अवधि में वास्तविक वृद्धि |
  2. एक निश्चित अवधि में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि |
  • वास्तव में, आर्थिक समृद्धि से आशय सकल घरेलू उत्पाद, (GDP) सकल राष्ट्रीय उत्पाद एवम प्रति व्यक्ति आय में निरंतर होने वाली वृद्धि से है| अर्थात आर्थिक समृद्धि उत्पादन की वृद्धि से संबंधित है |
  • आर्थिक समृद्धि में देखा जाता है कि राष्ट्रीय उत्पादन में सतत वृद्धि हो रही है अथवा नहीं| यदि राष्ट्रीय उत्पादन में लगातार वृद्धि हो रही है, तो इसे संवृद्धि की संज्ञा दी जाएगी |
  • आर्थिक संवृद्धि से पता चलता है, कि अर्थव्यवस्था के विभिन्न स्त्रोतों में मात्रात्मक रूप से कितनी वृद्धि हो रही है |
  • आर्थिक विकास का संबंध लोगों के कल्याण से है, इसमें गरीबी बेरोजगारी तथा असमानता के में कमी आती है, आर्थिक संवृद्धि आर्थिक विकास की पूर्व शर्त है |

आर्थिक विकास दर (Economic growth rate)

  • सकल घरेलू उत्पादन में परिवर्तन की दर आर्थिक विकास दर कहलाती है

आर्थिक विकास दर = गत वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष के जीडीपी में परिवर्तन (वृद्धि या कमी) / गत वर्ष का जीडीपी X 100


आर्थिक संवृद्धि दर (Economic growth rate)

  • निबल राष्ट्रीय उत्पाद में परिवर्तन की दर ‘आर्थिक संवृद्धि दर’ कहलाती है इसको राष्ट्रीय आय की वृद्धि दर भी कहा जाता है |

आर्थिक संवृद्धि दर = गत वर्ष की तुलना में वर्तमान वर्ष के एनएनपी में परिवर्तन वृद्धि या कमी / गत वर्ष का एनएनपी X 100

  • भारत जैसे विकासशील देशों में आर्थिक संवृद्धि दर, आर्थिक विकास दर की तुलना में कम होती है |

आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting Economic Growth)

आर्थिक विकास को निर्धारित करने वाले कारकों को दो भागों में बांटा गया है –

आर्थिक घटक

  • प्राकृतिक संसाधन
  • पूंजी उत्पादन अनुपात
  • संगठन
  • श्रम शक्ति एवं जनसंख्या
  • तकनीकी प्रगति
  • वित्तीय स्थिरता
  • पूंजी निर्माण
  • आधारभूत संरचना
  • विकासात्मक नियोजन

गैर आर्थिक घटक

  • सामाजिक घटक
  • राजनीतिक घटक
  • धार्मिक घटक

आर्थिक संवृद्धि के दो प्रमुख मापदंड क्या है?

आर्थिक संवृद्धि के मुख्य कारक इस प्रकार हैं: सकल घरेलू उत्पाद, प्रति व्यक्ति आय और ऐसे आर्थिक चर जिनका मात्रात्मक माप संभव हो जबकि आर्थिक विकास के कारकों में शिक्षा, साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास्थ्य सेवाएँ, खाने में पोषक तत्वों की उपलब्धता आदि है.

आर्थिक विकास की माप के प्रमुख मापदंड कौन कौन से हैं?

आर्थिक विकास का मापन.
सकल राष्ट्रीय उत्पाद एवं आर्थिक विकास कुछ अर्थशास्त्री सकल राष्ट्रीय उत्पाद में वृद्धि को ही आर्थिक विकास का सूचक मानते हैं। ... .
सकल राष्ट्रीय उत्पाद के माप में कठिनाईया ... .
प्रति व्यक्ति आय एवं आर्थिक विकास ... .
प्रति व्यक्ति आय आगणन की कठिनाइयां -.

आर्थिक विकास के मापदंड क्या है?

आर्थिक विकास के माप का एक अन्य मानदण्ड जीवन का स्तर है । इस विचार के अनुसार जीवन स्तर को आर्थिक विकास का संकेत माना जाना चाहिये न कि प्रति व्यक्ति आय या राष्ट्रीय आय में वृद्धि को, लोगों के विकास का मूल उद्देश्य है लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाकर अथवा जीवन स्तर को ऊपर उठा कर उन्हें बेहतर जीवन उपलब्ध कराना ।

आर्थिक समृद्धि को कैसे मापा जाता है?

आर्थिक विकास के माप में प्रति व्यक्ति आय के जीवन की गुणवत्ता को सही माप नही माना जाता है। इसकी माप में अनेक चारों को सम्मिलित किया जाता है जैसे-आर्थिक, राजनैतिक तथा सामाजिक संस्थाओं के स्वरूप में परिवर्तन, शिक्षा तथा साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास्थ्य सेवायें प्रति व्यक्ति टिकाऊ उपभोग वस्तु आदि।