आरंभिक भारतीय इतिहास में कौन सी शताब्दी ईस्वी पूर्व को एक महत्वपूर्ण परिवर्तन कार्यकाल माना जाता है? - aarambhik bhaarateey itihaas mein kaun see shataabdee eesvee poorv ko ek mahatvapoorn parivartan kaaryakaal maana jaata hai?

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छठी शताब्दी ईसा पूर्व को भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण काल इसलिए माना जाता है कि पूरे भारत में अलग-अलग महाजनपद और जनपद उभरने लगे थे उस समय 16 महाजनपदों का उदय हो चुका था जहां अलग-अलग राजा सत्ता की बागडोर संभाल रहे थे

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परिचय[संपादित करें]

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में 16 महाजनपदों के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार एवं या सिंधु घाटी में कई गणराज्यों का अस्तित्त्व था। इन गणराज्यों में, वास्तविक शक्ति जनजातीय कबीलों के हाथों में था। यहाँ हम छठी शताब्दी ई.पू. के विभिन्न भारतीय गणराज्यों की सूची दे रहे हैं जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए उपयोगी है।

==छठी शताब्दी ई.पू. के प्रमुख भारतीय गणराज्यों की सूची==

कपिलवस्तु का शाक्य[संपादित करें]

यह गणराज्य नेपाल के तराई क्षेत्र की उत्तरी सीमा पर स्थित था। इसकी राजधानी कपिलवस्तु थी। भगवान बुद्ध का जन्म इस गणराज्य में हुआ था।

अल्कप्पा का बुल्ली[संपादित करें]

यह बिहार के वर्तमान शाहबाद और मुजफ्फरपुर जिले में स्थित था। आधुनिक बिहार के कुछ जिलों के बीच बुलियो का राज्य था। ये लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।

केशपट्टा का कलाम[संपादित करें]

भगवान बुद्ध के प्रसिद्ध उपदेशक “अलारा कलाम” का संबंध इसी गणराज्य से था। यह स्थान वर्तमान में "उत्तर प्रदेश" राज्य के सुल्तानपुर जिले में कुड़वार बाज़ार के समीप "पालिया" नामक जगह पर है, *आलारकलाम* नामक आचार्य इसी गणराज्य के थे ।

सुम्सुगिरी का भग्ग[संपादित करें]

यह गणराज्य उत्तर प्रदेश के वर्तमान मिर्जापुर जिले में स्थित था।

रामग्राम का कोलिया[संपादित करें]

यह गणराज्य उत्तर प्रदेश के वर्तमान रामपुर-देवरिया क्षेत्र में स्थित था। इसकी उतपत्ति बनारस के राजा राम जो एक नागवंशी (मूल इच्क्षवाकुवंश) क्षत्रिय थे तथा शाक्यवंशी राजकुमारी पिया से माना जाता है। अतः कोलिय पित्रपक्ष से नागवंशी और मात्रपक्ष से शाक्य (सूर्यवंशी) थे। वर्तमान में यह गोरखपुर मंडल के सैंथवार मल्ल संघ क्षत्रियो में आते हैं।। जो कि कई क्षत्रिय कुलो/वंशो का समूह है।

मल्ल यह गणराज्य उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के साथ ही बिहार के वर्तमान चंपारण और सारण जिले स्थित था। प्रारंभ में, “चंद्रकांता” इस गणराज्य की राजधानी थी। बाद में, कुशीनगर (बुद्ध के महापरिनिर्वाण के लिए प्रसिद्ध) और पावा (महावीर की मृत्यु से संबंधित) को मल्ल की दो राज

पिप्पालिवन का मोरिया[संपादित करें]

इस गणराज्य को वर्तमान में उत्तर प्रदेश के “उपधौली” गाँव के रूप में जाना जाता है। इन्हें मौर्यों का पूर्वज माना जाता है।

मिथिला का विदेह[संपादित करें]

बौद्धकाल में यह गणराज्य “वज्जि” महाजनपद का हिस्सा था, लेकिन धीरे-धीरे यह गणराज्य में परिवर्तित हो गया। लिच्छवी यह गणराज्यों की संघ था। “वैशाली” इसकी राजधानी थी जिसकी स्थापना “राजा विशाल” ने की थी।

=बैशाली के लिछवी[संपादित करें]

इसकी स्थिति मुज़्ज़फ़रनगर थी। यहाँ का राजा चेटक था। इसकी पुत्री चेल्लना का विवाह मगघ नरेश बिम्बिसार के साथ हुआ था। आम्रपाली यहाँ की गणिका थी।

कुशीनारा के मल्ल[संपादित करें]

यहाँ पर गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था।

पावा के मल्ल[संपादित करें]

यह महावीर स्वामी जी का म्रत्यु स्थल था।

सन्दर्भ[संपादित करें]

आरंभिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसा पूर्व को एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी काल क्यों माना जाता है?

को एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी काल माना जाता है। इस काल को प्रायः आरंभिक राज्यों, नगरों, लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के साथ जोड़ा जाता है। इसी काल में बौद्ध तथा जैन सहित विभिन्न दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ।

छठी शताब्दी ईसा पूर्व कौन सा काल कहलाता है?

छठी शताब्दी ई. पू., कौन-सा काल कहलाता था ? Solution : विश्व में ईसा पूर्व छठी शताब्दी को धार्मिक उत्थान युग माना जाता है।

भारत के इतिहास में छठी शताब्दी ईसा पूर्व के महत्व क्या है?

इसे सुनेंरोकेंछठी शताब्दी ईसा पूर्व को विश्व इतिहास का एक महत्वपूर्ण युग माना जाता है। यह ईसा पूर्व छठी शताब्दी में भारत में मानव जाति के दो महान धर्मों के संस्थापक थे। वे जैन धर्म और बौद्ध धर्म के संस्थापक महावीर जीना और गौतम बुद्ध थे। जीना और बुद्ध के बारे में और उनके धर्मों के बारे में पर्याप्त साहित्य लिखा गया।

छठवीं शताब्दी ई पू भारत में महाजनपद कितने थे?

छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत में 16 महाजनपदों के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार एवं या सिंधु घाटी में कई गणराज्यों का अस्तित्त्व था। इन गणराज्यों में, वास्तविक शक्ति जनजातीय कबीलों के हाथों में था।