पर्यावरण को बचाने के लिए कैसे योगदान दे सकते हैं? - paryaavaran ko bachaane ke lie kaise yogadaan de sakate hain?

पर्यावरण को बचाने के लिए कैसे योगदान दे सकते हैं? - paryaavaran ko bachaane ke lie kaise yogadaan de sakate hain?

“5 जून “विश्व पर्यावरण दिवस!!! हमारे आस -पास की हवा ,पानी और वातावरण को बचाने के लिए एक दिन। तो क्या सालभर में हम पर्यावरण में जितनी गड़बड़ियाँ फैलाते हैं, वह इस एक दिन में ठीक की जा सकती हैं? सालभर में फैलने वाली गड़बड़ियाँ दूर करने के लिए सालभर की अपनी आदतों में थोड़ा-थोड़ा सुधार जरूरी है।

कुछ लोगों का ये मानना है कि केवल सरकार और सामान्य तौर पर बड़ी कंपनियों को पर्यावरण के संरक्षण के लिए कुछ करना चाहिए। ये सत्य नहीं हैं, वास्तव में हरेक व्यक्ति पर्यावरण को प्रदूषण, अवशेषों, सभी प्रकार के कचरे से होने वाली गंदगी और बढ़ती आबादी से इसकी रक्षा करने में सक्षम हैं।

पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया हुआ हैं।इस समस्या से उबरने के लिए पूरी दुनिया को एक होने की जरुरत हैं. दुर्भाग्य से, गरीब देशों को जो मुख्य रूप से अपने अस्तित्व के लिए प्राकृतिक वातावरण पर निर्भर करते है, उन्हें गरीबी से निपटने के लिए पर्यावरण संबंधी चिंताओं से निपटने में सक्षम होने के लिए मदद की जरूरत हैं।

घर के आस -पास सफाई रखें : अगर गंदगी फैलायेंगे तो पृथ्वी की सतह कमजोर होने का खतरा बना रहेगा।इसीलिए सफाई का खास ध्यान रखें।अपने मौहल्ले से लेकर अपने कमरे तक को साफ़-सुथरा रखें।ताकि आप भी स्वस्थ रहें और आपकी धरती भी।

पॉलिथीन का उपयोग न करें : जलने के बाद भी हमारे वातावरण को हानि पहुंचाती है और न जलने पर सतह को।इसीलिए इसका प्रयोग करना बंद करें।

साल में एक बार अपने जन्मदिवस पर २ पौधे जरुर लगायें : धरती को बचाने, ऐसे ही संवार के रखने के लिए पेड़-पौधे लगाने ज़रूरी हैं।इसीलिए अपने घर से पौधे लगाने की शुरूआत करें।स्वच्छ हवा और वातावरण के लिए पेड़-पौधे लगाना ज़रूरी है।

पशु- पक्षी का रखें ध्यान : हमारे पृथ्वी की ख़ास बात यही है कि यहां जीवन है, और ये जीवन मात्र मानव प्रजाति तक सीमित नहीं।ये पशु-पक्षियों, जानवर सब को एक हक़ देता है।ये फूड-चेन का हिस्सा होने के चलते हमें बहुत बीमारियों और खतरों से बचाते हैं।आज-कल मोबाइल का उपयोग ज्यादा से ज्यादा होने लगा है, जिसके चलते पक्षियों पर बुरा प्रभाव पड़ने लगा है।

सौर-उर्जा का करें प्रयोग : बिजली बनाने के लिए पानी का उपयोग किया जाता है।अगर हम सौर ऊर्जा का प्रयोग करें तो पानी का उपयोग कम होगा जिससे कि पानी बना रखेगा और पृथ्वी भी हरी-भरी रहेगी।

कूड़ा न जलाएं : आमतौर पर लोग गली-गली में कूड़े के ढेर को इक्कठा कर के जला देते हैं, जिससे हमारे वातावरण में वायु प्रदूषण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

 बारिश के पानी को बचाएं : बारिश का पानी नालियों में बह जाता है और उसकी हम परवाह नहीं करते। अगर बारिश के पानी को बचायें तो वो हमारे काफ़ी काम आ सकता है और गर्मियों में पानी की किल्लत से बचा सकता है।

रिसाइकल : 

कोशिश करो कि इनमें से जो कचरा कबाड़ी वाले को बेचा जा सके वह उसे दे दो। वहाँ से पुराने आयटम रिसायकल सेंटर तक पहुँचते हैं और फिर इन्हीं चीजों से नई चीजें बनकर तुम तक पहुँच जाती हैं।कागज, काँच और धातु से बनी चीजें भी रिसायकल हो जाती हैं।

याद रहे सब्जियों और खाने-पीने की चीजें जल्दी मिट्टी में मिल जाती हैं पर प्लास्टिक और धातु की चीजों को सालोंसाल लगते हैं।

इन दिनों शहरों में नगर-निगम दो डिब्बे रखने लगा है। एक जल्दी सड़ने-गलने वाले पदार्थों के लिए और दूसरा लंबे समय में ‍अपघटित होने वाले कचरे के लिए। देखो, तुम अपना कचरा कहाँ फेंक रहे हो?

रिड्यूस :

तापमान के बढ़ने की मुख्‍य वजह है फैक्टिरियों से निकलने वाला धुआँ। हम उसे तो रोक नहीं सकते पर अपनी जरूरतों को थोड़ा बहुत बदल सकते हैं। अपने घरों में दिन के समय बत्तियाँ कम से कम जलाएँ।

अगर किसी कमरे में अँधेरा रहता है तो खिड़की खोल देने पर उस कमरे में रोशनी हो सकती है।घर के सारे बिजली से चलने वाले उपकरणों को घर से बाहर जाते हुए मेन स्विच से बंद करें। इस तरह बिजली के बिल में भी थोड़ी कटौती होगी और ज्यादा बिजली बनाने के लिए कोयला भी नहीं जलाना पड़ेगा। पृथ्वी का तापमान भी कुछ कम पड़ेगा।

फ्रिज के पानी के बजाय मटके का ठंडा पानी ज्यादा बेहतर है। मटके के आसपास एक गीला कपड़ा लपेटकर रखोगे तो पानी के लिए फ्रिज बार-बार नहीं खोलना होगा और बिजली बचेगी।

रि-यूज:

प्लास्टिक की थैलियाँ शहरों में ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं, तो पुरानी कपड़े की थैली सामान लेने जाते समय उपयोग में लें। कपड़े की थैली बार-बार उपयोग में आती है।

किसी भी पुरानी चीज को फेंकने के बजाय उसका दूसरा इस्तेमाल जरूर सोचें। किसी भी पुरानी वस्तु को री-साइकिल करके नई वस्तु बनाने में भी ऊर्जा की खपत होती है तो री-यूज ज्यादा बेहतर है।

इन छोटी छोटी बातों को अपनाकर हम वातावरण को सुरक्षित रखने  में अपना योगदान दे सकते हैं।


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राजश्री कासलीवाल|

पर्यावरण को बचाने के लिए कैसे योगदान दे सकते हैं? - paryaavaran ko bachaane ke lie kaise yogadaan de sakate hain?
पर्यावरण को बचाने के लिए कैसे योगदान दे सकते हैं? - paryaavaran ko bachaane ke lie kaise yogadaan de sakate hain?

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वर्तमान दौर में पर्यावरण असंतुलन की सबसे बड़ी समस्या ग्लोबल वॉर्मिंग है तथा जिसक‍ी वजह से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और मानव जीवन के कदम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे समय में अगर हमने पर्यावरण को बचाने के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठाया तो वह दिन दूर नहीं, जब हमारा अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।  

> आइए जानते हैं पर्यावरण बचाने के कुछ खास उपाय : - >
 

पर्यावरण को बचाने के लिए हम कैसे योगदान दे सकते हैं?

कम से कम उर्वरक व कीटनाशकों का प्रयोग किया जाए। प्रत्येक व्यक्ति अपने आसपास गमलों में छोटे-छोटे पौधे लगाएं। कम बिजली, कम पानी, कम गैस का प्रयोग कर कोई भी व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण में महती भूमिका निभा सकता है। प्रदूषण रोकने के लिए जलाऊ लकड़ी का उपयोग कम करना जरूरी है, जिसके लिए विद्युत शवदाह गृहों का उपयोग करना चाहिए।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए क्या कर सकते हैं?

अपनी छोटी-छोटी पहल से हम सब मिलकर प्रकृति के संरक्षण के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। प्रयास करें कि हमारे दैनिक क्रियाकलपों से कार्बन डाईऑक्साइड जैसी गैसों का उत्सर्जन कम-से-कम हो। पानी की बचत के तरीके अपनाते हुए जमीनी पानी का उपयोग भी केवल आवश्यकतानुसार ही करें। जहाँ तक सम्भव हो, वर्षा के जल को सहेजने के प्रबन्ध करें।

पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं एक अनुच्छेद में लिखकर अपने विचार बताइए?

हमें अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक को त्यागना चाहिए और उसके स्थान पर जूट, कागज या कपड़े का उपयोग करना चाहिए। वनरोपण हमारे पेड़ों और जंगलों को बचाने का एक और आवश्यक तरीका है। स्वस्थ और पूर्ण जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण हमारे लिए आवश्यक है।

पर्यावरण को बचाने के लिए 3 और कौन से हैं?

तीन R का मतलब होता है REDUCE(कम उपयोग), RECYCLE(पुन: चक्रण) , REUSE(पुन: उपयोग) । इस नियम का उपयोग करने पर हम पर्यावरण में बढ़ रहे अपशिष्ट को कम कर सकते है और इनसे हो रहे पर्यावरण को नुकसान से भी बचा जा सकता है।